Sabhi anugrah ka prabhu
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- Опубликовано: 20 сен 2024
- सभी अनुग्रह का प्रभु, सब प्राणियों का आनन्द है (2)
हम स्तुति के गीत गाते हैं, आनन्द से तेरी स्तुति करें (2)
हाल्लेलूयाह - हाल्लेलूयाह -(2)
हाल्लेलूयाह मैं गाता हूँ, आनन्द से आगे मैं बढ़ता हूँ - (2)
प्रेम से उसने ढूँढ़ा मुझे, प्रीति से है बचाया मुझे, (2)
पवित्र जीवन बिताने को, मुझ पापी पर किया दया। (2)
थोड़े समय के क्लेश सहने, प्रतिदिन का अनुग्रह दिया है,(2)
पद- चिन्हों पर प्रभु के, चलने को मुझे बुलाया है। (2)
नाश-मान देह को बदल कर महिमा का शरीर देने को, (2)
महिमा की आत्मा से भरा मुझे, मृत्यु के भय से छुड़ा लिया। (2)
पृथ्वी से उत्तम फल समान, ईश्वर की अनन्त मीरास की नाई, (2)
पृथ्वी के लोगों के बीच में हूँ, प्रेम से छुड़ौती का दाम दिया। (2)
👍👍
Praise of God.