मित्र, गांधीजी का कुछ बिगाड़ने का प्रश्न ही कहाँ है? उनका योगदान बहुत बड़ा है। पर क्या गांधीजी के हर निर्णय की प्रशंसा करनी होगी? क्या गांधीजी से जीवन में कोई गलती नहीं हुई? यह सही नहीं है। तथ्यों पर बात होनी चाहिए। आप यह बताएं क्या इस वीडियो में कही कोई बात असत्य है, यदि हाँ तो तथ्य सामने लाइये।
यह समझना मुश्किल नहीं कि गांधी जी देश की आजादी के लिए ज्यादा समर्पित थे या अंग्रेजी शासन के प्रति माफ़ करना इंकलाबियो के बलिदान के सामने उनका बलिदान क्षीण है,यह अटल सत्य है
बहुत बढ़िया सरजी.. लेकिन मैंने आपकी सावरकर जी पर बनाई गई वीडियो भी देखी है जिसमें आप यूथ से बात कर रहे हैं। उस वीडियो में आप सावरकर द्वारा की गई भर्ती को गांधी की भर्ती का उदाहरण देकर नल एंड वॉयड कर देते हैं और सावरकर को क्लीन चिट दे देते हैं। आज गांधी के जन्मदिवस पर ये वीडियो निकाल कर उनका मज़ाक उड़ाते प्रतीत होते हैं। अगर गांधी की भर्ती गलत है तो सावरकर की क्यों नहीं जबकि सावरकर की भर्ती उस समय की जा रही थी जब आज़ादी नजदीक आती दिख रही थी तो ऐसे में क्या जरूरत थी भर्ती की। खैर अब आपसे उम्मीद है सावरकर जन्मदिवस पर भी आप उनकी भर्ती को भी ऐसे ही मज़ाक उड़ाते हुए क्रीटिसाईज करेंगे। अन्यथा खुद को न्यूट्रल इतिहासकार कहना बंद कर दीजिए और गर्व से खुद को राइट विंग इतिहासकार कहिए, इसमें तनिक भी संकोच और शर्म कैसी?
Viren ji, आपने बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है। देखिए, सावरकर पर आरोप लगाया जाता है कि वे अंग्रेजों के पिट्ठू थे इसलिए फौज में भर्ती कर रहे थे। मेरा मत इससे अलग है। सावरकर फौज में भर्ती होने के लिए हिन्दुओं को प्रेरित कर रहे थे। वे सांप्रदायिक दृष्टि से ऐसा कर रहे थे। संख्या के अनुपात में हिंदू फौज में कम थे, सावरकर के अनुसार हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए फौज में हिंदुओं की संख्या बढाने की आवश्यकता थी। तो, सावरकर को लेकर इस विषय पर अवश्य ही चर्चा की जा सकती है कि उनकी हिंदू राष्ट्र की अवधारणा सही है या गलत। पर अंग्रेजों के पिट्ठू वाली बात पर कोई प्रमाण नहीं है। जहां तक बात है गांधी जी द्वारा फौज में भर्ती की कोशिश की तो प्रश्न इसलिए खड़े होते हैं कि वे अहिंसा के पुजारी थे। सावरकर ने तो कभी अहिंसा की बात नहीं की। यदि आपने वीडियो ध्यान से देखा है तो मैंने स्पष्ट रूप से कहा है कि शायद गांधी जी इस उम्मीद में थे कि युद्ध के बाद अंग्रेज भारत के साथ न्याय करेंगे। मैंने यह नहीं कहा कि गांधी जी अंग्रेजों के साथ थे। और दूसरी बात यह है कि न तो मैं दक्षिण पंथी हूँ न वामपंथी और न मध्य मार्गी। मैं निष्पक्ष भाव से तथ्य आपके सामने ला रहा हूँ। आप तथ्यों के आधार पर मुझे बताइये यदि मैंने कुछ असत्य कहा है तो। असल में राजनीति ने ऐसा ध्रुवीकरण कर दिया है कि सब धुँधला दिखता है। आप चन्द्रशेखर आज़ाद पर मेरा वीडियो देखिए जहाँ मैंने इस इस मिथ्या धारणा के विरुद्ध तर्क दिए हैं कि जवाहरलाल नेहरु ने पुलिस को आज़ाद के बारे में सूचना दी थी। आप नेताजी सुभाष पर वीडियो देखिए जिसमें मैंने इस प्रचलित मत का प्रमाण सहित खंडन किया है कि नेहरू ने नेताजी के विरुद्ध अंग्रेजों से सांठगांठ की थी। तो उन वीडियो के आधार पर तो मैं कांग्रेसी हो गया। Viren ji, हमें बड़ा दिल और खुला मस्तिष्क रख कर देखना होगा। हमने इंसान को या तो देवता बना दिया है या दैत्य, इंसान नहीं छोड़ा। हमें उन महापुरुषों को उनके गुणों और दोषों सहित स्वीकार करना होगा। देवता या दैत्य बनाकर नहीं। खैर, आपके विश्लेषण के लिए आपका अभिनन्दन। आगे भी आपके विचार हमें जानने को मिलेंगे ऐसी अपेक्षा रखता हूँ।
I watched many of your videos, you have done tremendous research work on revolutionaries of India, I belong to shaheed Bhagat Singh’s ancestral village khatkar kalan, now in USA I have some questions in my mind and want answers from you , can you plz provide me your phone number ?-Narinder sharma usa
Narinder जी, I would love to talk to you. Kindly, share your contact details on the following email ID: contactsashrd@gmail.com Further, I will be visiting USA in December.
सेना में भर्ती होना भारत के विरुद्ध नहीं, न ही अहिंसा के विरुद्ध। अपनी सुरक्षा, देश की सुरक्षा के लिए सेना की अति आवश्यक होती है।
जब भी गांधींजी का पुत्र लिखता हैं तो सब सच्ची होंगी.
अग्रेजोको समर्थन देनेवाले बहोत किस्से हो सकते है.
मै राष्ट्रपिता नाही मनात हु.
Pradeep bhaisahab ji ko meri ram ram 🙏🙏🙏🙏
राम राम अनमोल जी
Thank you. Your sources are credible.
Thanks for the appreciation
गांधी विरोधी व्यक्ति है यह , फिर भी गांधी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
मित्र, गांधीजी का कुछ बिगाड़ने का प्रश्न ही कहाँ है? उनका योगदान बहुत बड़ा है। पर क्या गांधीजी के हर निर्णय की प्रशंसा करनी होगी? क्या गांधीजी से जीवन में कोई गलती नहीं हुई? यह सही नहीं है। तथ्यों पर बात होनी चाहिए। आप यह बताएं क्या इस वीडियो में कही कोई बात असत्य है, यदि हाँ तो तथ्य सामने लाइये।
यह समझना मुश्किल नहीं कि गांधी जी देश की आजादी के लिए ज्यादा समर्पित थे या अंग्रेजी शासन के प्रति माफ़ करना इंकलाबियो के बलिदान के सामने उनका बलिदान क्षीण है,यह अटल सत्य है
Gandhi ko rastrapita kbhi nhi manuga
Godse Ji Jindabad ❤
बहुत बढ़िया सरजी.. लेकिन मैंने आपकी सावरकर जी पर बनाई गई वीडियो भी देखी है जिसमें आप यूथ से बात कर रहे हैं। उस वीडियो में आप सावरकर द्वारा की गई भर्ती को गांधी की भर्ती का उदाहरण देकर नल एंड वॉयड कर देते हैं और सावरकर को क्लीन चिट दे देते हैं। आज गांधी के जन्मदिवस पर ये वीडियो निकाल कर उनका मज़ाक उड़ाते प्रतीत होते हैं। अगर गांधी की भर्ती गलत है तो सावरकर की क्यों नहीं जबकि सावरकर की भर्ती उस समय की जा रही थी जब आज़ादी नजदीक आती दिख रही थी तो ऐसे में क्या जरूरत थी भर्ती की। खैर अब आपसे उम्मीद है सावरकर जन्मदिवस पर भी आप उनकी भर्ती को भी ऐसे ही मज़ाक उड़ाते हुए क्रीटिसाईज करेंगे। अन्यथा खुद को न्यूट्रल इतिहासकार कहना बंद कर दीजिए और गर्व से खुद को राइट विंग इतिहासकार कहिए, इसमें तनिक भी संकोच और शर्म कैसी?
Viren ji, आपने बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है। देखिए, सावरकर पर आरोप लगाया जाता है कि वे अंग्रेजों के पिट्ठू थे इसलिए फौज में भर्ती कर रहे थे। मेरा मत इससे अलग है। सावरकर फौज में भर्ती होने के लिए हिन्दुओं को प्रेरित कर रहे थे। वे सांप्रदायिक दृष्टि से ऐसा कर रहे थे। संख्या के अनुपात में हिंदू फौज में कम थे, सावरकर के अनुसार हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए फौज में हिंदुओं की संख्या बढाने की आवश्यकता थी। तो, सावरकर को लेकर इस विषय पर अवश्य ही चर्चा की जा सकती है कि उनकी हिंदू राष्ट्र की अवधारणा सही है या गलत। पर अंग्रेजों के पिट्ठू वाली बात पर कोई प्रमाण नहीं है।
जहां तक बात है गांधी जी द्वारा फौज में भर्ती की कोशिश की तो प्रश्न इसलिए खड़े होते हैं कि वे अहिंसा के पुजारी थे। सावरकर ने तो कभी अहिंसा की बात नहीं की। यदि आपने वीडियो ध्यान से देखा है तो मैंने स्पष्ट रूप से कहा है कि शायद गांधी जी इस उम्मीद में थे कि युद्ध के बाद अंग्रेज भारत के साथ न्याय करेंगे। मैंने यह नहीं कहा कि गांधी जी अंग्रेजों के साथ थे। और दूसरी बात यह है कि न तो मैं दक्षिण पंथी हूँ न वामपंथी और न मध्य मार्गी। मैं निष्पक्ष भाव से तथ्य आपके सामने ला रहा हूँ। आप तथ्यों के आधार पर मुझे बताइये यदि मैंने कुछ असत्य कहा है तो। असल में राजनीति ने ऐसा ध्रुवीकरण कर दिया है कि सब धुँधला दिखता है। आप चन्द्रशेखर आज़ाद पर मेरा वीडियो देखिए जहाँ मैंने इस इस मिथ्या धारणा के विरुद्ध तर्क दिए हैं कि जवाहरलाल नेहरु ने पुलिस को आज़ाद के बारे में सूचना दी थी। आप नेताजी सुभाष पर वीडियो देखिए जिसमें मैंने इस प्रचलित मत का प्रमाण सहित खंडन किया है कि नेहरू ने नेताजी के विरुद्ध अंग्रेजों से सांठगांठ की थी। तो उन वीडियो के आधार पर तो मैं कांग्रेसी हो गया। Viren ji, हमें बड़ा दिल और खुला मस्तिष्क रख कर देखना होगा। हमने इंसान को या तो देवता बना दिया है या दैत्य, इंसान नहीं छोड़ा। हमें उन महापुरुषों को उनके गुणों और दोषों सहित स्वीकार करना होगा। देवता या दैत्य बनाकर नहीं। खैर, आपके विश्लेषण के लिए आपका अभिनन्दन। आगे भी आपके विचार हमें जानने को मिलेंगे ऐसी अपेक्षा रखता हूँ।
यहां आपका यह पोस्ट बताता है कि सत्यता के ढोंग में यह सावरकर वाद फैला रहा है और गांधी विरोधी है।
pardeep ji durga bhabhi ke bete shachi ki jan
kari bataiye
ये व्यक्ति खुद indirect rss joined
pardeep ji durga bhabhi ke bete shachi par vedio banaiye please jise bhagat singh ji god mei lekar nikle the baad mei kya hua
धैर्य जी, शचि बड़े होकर अधिक सक्रिय नहीं थे। वे गाजियाबाद में रहते थे। उनकी मृत्यु हो चुकी है।
Gandhi waj thag o
😂smjh gaye bhai ye kon si vichardhara wala channel hai😂😂
I watched many of your videos, you have done tremendous research work on revolutionaries of India, I belong to shaheed Bhagat Singh’s ancestral village khatkar kalan, now in USA
I have some questions in my mind and want answers from you , can you plz provide me your phone number ?-Narinder sharma usa
Narinder जी, I would love to talk to you. Kindly, share your contact details on the following email ID:
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Further, I will be visiting USA in December.