थारो रूप निहारण रे खातर छाया अर धूप लड़े छै!प्रहलाद झोरड़ा की श्रृंगारिक कविता!राजस्थानी कवि सम्मेलन
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- Опубликовано: 9 янв 2025
- थारो रूप निहारण रे खातर छाया अर धूप लड़े छै!प्रहलाद झोरड़ा की श्रृंगारिक कविता!राजस्थानी कवि सम्मेलन
PRAHLAD SINGH JHORDA
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प्रहलाद सिंह झोरड़ा
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कालजिये री कोर
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आप सब प्रबुद्धजणां रो घणेमान आभार,,,Plz Like,Share & Subscribe Channel 😊
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आभार हुकुम
जे राजस्थानी भाषा🙏🙏🙏🙏🙏 मे पाली🙏🙏🙏
jai rajasthani
Wah Kaviraj
आभार हुकुम
बहुत ही शानदार कविता प्रह्लाद सा, जय माता जी की हुक्म
जै माताजी री सा आभार
सांतरो घणी चौखी रचना अर वाणी 😍🙏
आभार हुकुम आपरो
अति उतम
आभार सा
Va va sa
आभार सा
Waah!!!
thanks sa
बधाई आदरजोग
आभार हुकुम