तत्वज्ञान में कुंभ स्नान करें ! स्वामी रामसुखदास जी

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  • Опубликовано: 10 фев 2025

Комментарии • 20

  • @geetatripathi200
    @geetatripathi200 6 дней назад +2

    He mere nath apko bhulu nhi
    Jai jai Shri sitaram

  • @gopeshwaragarwal4166
    @gopeshwaragarwal4166 7 дней назад +4

    Sri Sant Bhagwan ke charno me koti koti naman Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Krishna 🙏

  • @MadhavDaderao
    @MadhavDaderao 7 дней назад +1

    Prabhu Krupa kare🙏🙏

  • @mahesharora1676
    @mahesharora1676 6 дней назад +1

    जय श्री राम
    हे नाथ हे मेरे नाथ मैं आपको कभी भूलूं नहीं

  • @RamPrakash-y5f
    @RamPrakash-y5f 6 дней назад +1

    पूज्य स्वामीजी सादर प्रणाम

  • @SonaliBali-h2t
    @SonaliBali-h2t 5 дней назад

    Radhe radhe 🌹🙏

  • @chandrashekharholla787
    @chandrashekharholla787 6 дней назад

    Namaskaram. Dhanyavadagalu. Quite clearly said.

  • @संध्याजोशी-त6ङ

    श्री राधे

  • @संध्याजोशी-त6ङ

    🙏🙏🙏

  • @surajsandu2727
    @surajsandu2727 7 дней назад

    राधे राधे

  • @ashwanisharma3445
    @ashwanisharma3445 7 дней назад

    🌹🌹🙏🏻🙏🏻

  • @GuruDev-z6z
    @GuruDev-z6z 5 дней назад

    Add comment

  • @padbibikramshrestha1990
    @padbibikramshrestha1990 3 дня назад

    मिष्टर रामसुखदास को न ज्ञान का वास्तविक अर्थ का पता हे न तत्त्व का हि । जिसका प्रमाण उनसे अनुवाद किए गीता हे। हाँ ! शैक्षिक बिद्या मे प्रखर जरुर हे पर ज्ञान न तत्त्व अगर तत्त्व व ज्ञान से नहाना सिखे होते गीता का व ईश्वर का ग्लानी करते नहि थे।

    • @RamdayalSingh-w8s
      @RamdayalSingh-w8s 3 дня назад

      स्वामी रामसुखदास जी महाराज श्रीमद्भगवद्गीता के अद्वितीय मर्मज्ञ संत थे ! उनके वचनों का सम्यक् अनुशीलन करके जिज्ञासु साधक सरलता से तत्वज्ञानी होकर करण निरपेक्ष साधन से स्वरूप में स्थित हो जाता है !
      जय सनातन !!

    • @padbibikramshrestha1990
      @padbibikramshrestha1990 3 дня назад

      @RamdayalSingh-w8s मिथ्या प्रचार हे यह, जहाँ सनातन विरोधी कर्म को धर्म साथ जोड्ते हुए गीता का अनुवाद हो वह सबसे बडा अधर्मि गीता हे, हर कोइ गीता जो अन्योन्य भि अनुवाद किए हे वह सम्पूर्ण गीता सनातनि नहि सनातन कि बेइज्जति किए गीता हे। गीता का मर्म रामसुखदास को हे हि नहि, न गीता का लक्ष जानते हे न उदेश्य हि। उनका जो साधक सञ्जिवनी परिशिष्ट सहित का हे वह केवल पाठ के लिए हे प्रयोग के लिए नहि जो केवल जगतपतन और अधोगति कार्य का सिद्ध हे। इसिलिए भ्रम मे न पडे तो कल्याणक हे। चेतना भया

    • @RamdayalSingh-w8s
      @RamdayalSingh-w8s 3 дня назад

      @padbibikramshrestha1990
      भगवन् ! आप के अनुसार श्रीमद्भगवद्गीता के सबसे अच्छे टीकाकार कौन हैं और क्यों ?

    • @padbibikramshrestha1990
      @padbibikramshrestha1990 2 дня назад

      @RamdayalSingh-w8s महाशय ! जो भक्ति वश गीता का अनुवाद करने वाले संसारमे कोइ गीता टिका सहि नहि हे। जिसने गीता १:१ श्लोकका " धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्र " का सहि या सत्य अनुवाद कर सकते हे वहि वास्तविक सच्चा टिकाकार हे। न धर्मक्षेत्र का वास्तविक अर्थ आया न कुरुक्षेत्र का हि। धर्म+कुरु+क्षेत्र का रहस्य आजतक कोइ देने मे समर्थ हे हि नहि। गीता हे वास्तवमे निराकारीमत का और भक्ति भि अव्यभिचारीणी भक्ति रहे तो जिसको ७:१७ मे ज्ञानी भक्त अर्थ लगाया जो भगवान को अति प्रिय दिखाया। जवकि हरेक भक्त केवल आर्त अर्थार्थि और जिज्ञासु भक्ति से जुडे हे जिसे गीता ने व्यभिचारीणी भक्ति नाम दिया हे। रामसुखदास हो या अन्य कोइ स्यामसुखदास हो हरेक का भक्ति व्यभिचारीणीभक्ति हे। जो भगवान के प्रिय नहि। मुख्य न श्रीकृष्ण ईश्वर हे न हि भगवान। जिसका प्रमाण गीता १६:४,७-२४ श्लोक और चरित्र तथा लिलाकथा महाभारत कथा एवं भागवत पुराण। जिससे स्पष्ट वर्णन हे। न वह गीता वाचक हि। चेतना भया

  • @surajsandu2727
    @surajsandu2727 7 дней назад

    राधे राधे

  • @soniachhabda9095
    @soniachhabda9095 7 дней назад

    🙏🙏🙏