ये भोजन का तरीका परम्परागत है, जो कि शुद्ध है, जूते पहले उतार दिए जाते हैं और भिखारियों की तरह प्लेट लेकर लाइन में खड़े भी नहीं रहना होता है।हर सभ्यता अनुकरणीय नहीं होती है, देवभूमि की सभ्यता ही आदर्श सभ्यता है, पहले भारत के मैदानी गांवों में भी भोजन करने का यही तरीका होता था। अंधानुकरण बिल्कुल अनुचित है।
बहुत अच्छा लगा, है, पहाड़,का, रिवाज, और, भाषा,भी, गढ़वाली,होनी चाहिए,जिसके,समझ में नहीं,तो, कोई, क्या, सकता है,जिनको,अपना घर,गांव, अच्छा लगता है,बो,बाहर भी, अपनी,ही,भाषा, में, बोलते हैं
रसोला (रस्वाल)की जगह सरोला है जी। रसोला प्रत्येक घर के होते हैं जोकि नित्य घर पर भोजन बनाते हैं। सरोला भी खाना बनाते हैं पर विशेष दिन पर शादी, चूणाकर्म जैसे कार्यक्रमों में। जैसा कि बिक्रम सिंह जी ने बोला है संस्कृति परंपरा को बनाए रखने में सभी की भूमिका होनी चाहिए। सराहनीय प्रयास है प्रसन्नता हुई। उत्तराखंड के माने कलाकारों की उपस्थिति ने चार चांद लगा दिए।
पहले तो लोकगायक पदम सिंह गुसाईं जी को बहुत बहुत बधाई समधी बनने पे और सभी गड़वाली भाईयो को सीखना चाइए की पदम जी ने ये परम्परा को बचा के रखा वह भी चाहते तो स्टेनडिग करवा सकते थे मगर नही आप पदम जी बधाई के पात्र है
Bhut badiya sunder vlog uttrakhand ki sanskirti calture ko sahi rakhana jaruri aur jo bhari logo duwara bjp party congress party duara es ukd ki bhoomi ki sanskirti calture ko khatam ki ko shish ki jarahi hai en ki chalo ko khandit karna chahiye ukd ak sakt bhoo kanun mulniwasi 1950 ki sakt jarurat hai taki ukd sef rahe bhari loga ka thkhal nahi ho bhari logo per yaha koi bhi jamin nahi kharith sake aur jo angint bhoomi bik chuki use waps li jaye kiyu khahi lakh hector bhoomi khatam ho chuki hai jangal nadhi ko bhi yahe kharab kar rahe hai har jagh dam bana kar yaha 1oo se uper dam ban chuke hai aur abhi aur bane ki soch rahe es trah ya poore pahardo ko bar baad kar ke rakh de ukd ak bhehath sunder hai es ki naturalty ko bachana taki age aur bar bad naho
यू ट्यूब जी आपसे मैं ये कहना चाहता हु इतने बड़े गड़ रत्न नेगी जी वा अन्य बड़े नामी गडवाली लोकगायक आए आपने उनका उधबोदन नही किया उनके क्या विचार थे उसको भी सुन पाते मगर ठीक है आगे ध्यान रखना बुरा मत मानना भाई जय श्री राम
बहुत ही सुन्दर परम्परा है गढवाली शादी मे होता है आप सभी लोगों बहुत धन्यवाद जी 🙏🙏🙏🙏🙏😀😀😀😀😀😀👍👍👍👍👍👍
आपका प्रयास का वास्ता बहुत -2 धन्यवाद❤
अद्भुत अलौकिक प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर पहल
ये भोजन का तरीका परम्परागत है, जो कि शुद्ध है, जूते पहले उतार दिए जाते हैं और भिखारियों की तरह प्लेट लेकर लाइन में खड़े भी नहीं रहना होता है।हर सभ्यता अनुकरणीय नहीं होती है, देवभूमि की सभ्यता ही आदर्श सभ्यता है, पहले भारत के मैदानी गांवों में भी भोजन करने का यही तरीका होता था। अंधानुकरण बिल्कुल अनुचित है।
बहुत बहुत बधाइ नेगीजी व गढवाल के अन्य कलाकारो का जिनौने बाराती के रुप मे आकर हमारे गाँव का मान बढाया
बहुत ही सुन्दर पारम्परिक खान पान की सुदृढ व्यवस्था की गई है जी वास्तव में यही ढंग सही है जी
बहुत ही बढिया लगता है अपना जमाने का खान पान परमप्रागत तौर तरीके न कि आज कल की तरह प्लेट लेकर भीखारी की तरह
Sunder👌👌❤❤💕
सुमित गुसाई जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं
भड्डू की दाल व कडाई भात देखके मुंह में पानी आ गया
बहुत सुंदर अपनी परम्परा को नहीं भुला चाहिए ❤❤
Bahut sundar 👍🙏
बहुत अच्छा लगा, है, पहाड़,का, रिवाज, और, भाषा,भी, गढ़वाली,होनी चाहिए,जिसके,समझ में नहीं,तो, कोई, क्या, सकता है,जिनको,अपना घर,गांव, अच्छा लगता है,बो,बाहर भी, अपनी,ही,भाषा, में, बोलते हैं
जय देवभूमि उत्तराखण्ड ❤ॐ❤
Bahut. Shandar. Uttrakhand.
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं पदम भाई जी को। वर वधू को शुभाषीश
Bahut sunder 🇮🇳⚔️🇮🇳🙏
वहुत सुन्दर ❤
Bahut hi achha laga dekh ke humhara pahadi khan pan🙏
बहुत खूब साहब,दुल्हा दुल्हन को बहुत बहुत बधाई
रसोला (रस्वाल)की जगह सरोला है जी।
रसोला प्रत्येक घर के होते हैं जोकि नित्य घर पर भोजन बनाते हैं।
सरोला भी खाना बनाते हैं पर विशेष दिन पर शादी, चूणाकर्म जैसे कार्यक्रमों में। जैसा कि बिक्रम सिंह जी ने बोला है
संस्कृति परंपरा को बनाए रखने में सभी की भूमिका होनी चाहिए।
सराहनीय प्रयास है प्रसन्नता हुई। उत्तराखंड के माने कलाकारों की उपस्थिति ने चार चांद लगा दिए।
जानकारी हेतु सादर आभार अभिवादन 🙏
Bahut bahut badhai ho
बहुत ही सुन्दर। सराहनीय
जय उत्तराखंड 🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर ❤❤
Bahut sundar 👌
Bahut bahut Mubarak Ho Shaadi Hai mere ko bahut hi Achcha Laga yah Garhwali program Main Bhi Tere Garhwali
ये रिवाज़ फिर से शुरू होने चाहिए बैठ कर भोजन खाने में बहुत आनन्द आता है हर शादी समारोह में बैठ कर भोजन खाने का चलन होना चाहिए जय देवभूमि उत्तराखंड
🙏👍
बहुत सुन्दर भोजन
ढेर सारी बधाई सुमित बेटा आप दोनों की जोड़ी हमेशा बनी रहे
Good.jay.utrakhand
Very nice ❤
Mast.yaar
बहुत अच्छी परम्परा
Super man bhi ji
Bahut gajab ka riti riwaj hai
गर्व से कहो हम पहाड़ी उत्तराखंडी है।
बहुत अच्छी विडियो 👍👍
bahut sunder
Bahut achcha lagta hai apni sanskriti aur parampara ko dekhkar..Aao ham sabhi milkar is sundar aur pavitra parampara ko bachane k liye aage aayen..
Padam Gusain ko Bete ki shadi ki badhai 🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Hamare Yahan 100% Yahi culture hai bhai ji Uttrakhand mein
Jay devbhumi uttarakhad
जय गढ देश ❤❤❤
भडू की दाल व गयाडाबोलते है गयाडाकी दाल औरतौली का भात का कुछ मजा ही अलग है
बाबाजी ने बहुत बढ़ाया बात बोली
jay devbhumi uttarakhnad
Pauri gaon me to Aaj bhee yahi riwaj hai
ati sunder❤🙏💯
Very nice 👌 ❤🙏🙏🙏🙏
👍👍👍👍👍👍👍👍
Very nice 👍
Super👌👌❤️
पहले तो लोकगायक पदम सिंह गुसाईं जी को बहुत बहुत बधाई समधी बनने पे और सभी गड़वाली भाईयो को सीखना चाइए की पदम जी ने ये परम्परा को बचा के रखा वह भी चाहते तो स्टेनडिग करवा सकते थे मगर नही आप पदम जी बधाई के पात्र है
जी बिल्कुल
बहुत सुन्दर यही हमारी परंमपरा है बैठ के खाने की अब तो पाश्चातय संस्कृति हमारे भारत में आ गयी है लोग बेवकूफ बन रहे हैं
Bhut badiya sunder vlog uttrakhand ki sanskirti calture ko sahi rakhana jaruri aur jo bhari logo duwara bjp party congress party duara es ukd ki bhoomi ki sanskirti calture ko khatam ki ko shish ki jarahi hai en ki chalo ko khandit karna chahiye ukd ak sakt bhoo kanun mulniwasi 1950 ki sakt jarurat hai taki ukd sef rahe bhari loga ka thkhal nahi ho bhari logo per yaha koi bhi jamin nahi kharith sake aur jo angint bhoomi bik chuki use waps li jaye kiyu khahi lakh hector bhoomi khatam ho chuki hai jangal nadhi ko bhi yahe kharab kar rahe hai har jagh dam bana kar yaha 1oo se uper dam ban chuke hai aur abhi aur bane ki soch rahe es trah ya poore pahardo ko bar baad kar ke rakh de ukd ak bhehath sunder hai es ki naturalty ko bachana taki age aur bar bad naho
super
🙏🕉🙏परम्परा रैण चैंद पर क्वी गढवलि नि बुन चांदु कम से कम आज त गढवलि मा बात करा तभि त परम्परा अगनै बढली
यू ट्यूब जी आपसे मैं ये कहना चाहता हु इतने बड़े गड़ रत्न नेगी जी वा अन्य बड़े नामी गडवाली लोकगायक आए आपने उनका उधबोदन नही किया उनके क्या विचार थे उसको भी सुन पाते मगर ठीक है आगे ध्यान रखना बुरा मत मानना भाई जय श्री राम
उन्होंने मना कर दिया था
Bhai pttl bhi malu ke manga dete
Gadhwali parampara ki jey ho
जब खाण पाण पुरानु च त गढवाली मा बोला
सरोला ब्राह्मणों को खाना बनाने का अधिकार राजा ने दिया था।
Malu ka pata ni ani
वो अतीत की सुगंध अब कहां है
अगर आपने ईतने बडे गायकार और लोगों को समारोह में बुलाया है तो जो खान है उसे गढ़वाल के जो।मालू के पातला बनते थे ऊस मै भात दाल खलावो