महोदय आपके बहुत सारे वीडियो देखे सभी का निर्णय यही समझ में आ रहा है कि पूरी दुनियाँ भ्रम है। विश्व के सारे महा पुरूष आज तक भ्रम में ही पैदा हुए पूरी जिंदगी भ्रम में ही जिए और भ्रम में ही मर गए। पूरे विश्व में आप श्री ही पूर्ण ज्ञानी हैं। कोटि कोटि प्रणाम है आपको। आश्चर्य तो तब हो रहा है जब आप खुद ही स्वीकार कर रहे हैं कि आप स्वयं भूत बाधा से ग्रस्त थे और किसी झाड़ फूंक वाले ने आपका भूत उतार दिया आप स्वस्थ हो गए। दुनिया को समझा रहे हैं भूत प्रेत कुछ नहीं है। रही भगवान् बुद्ध की कि उन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त हुआ था की नहीं यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आज संपूर्ण मानव जाति को बचाने के लिए भगवान बुद्ध के उपदेशों पर चलने की नितांत आवश्यकता है।
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
मगर उस अनुभव की भी एक सीमा होती है। उस वक्त तक दुनिया में और आसपास जितना ज्ञान संचित है उसीके आधार पर अनुभव भी होता है। चार हजार साल पहले किसी को अनुभव नहीं हुआ होगा कि DNA क्या होता है, प्लान कैसे उड़ेगा, तीन कैसे चलेगी, गैस स्टोव कैसे काम करेगा।
Boudh dharm guru agle guru ka pahle bata dete hai ki kaha punarjanm hoga .to aatma aur punarjanm to Aya be . Bharat ka boudha dharm bs anti hindu hai .
ईश्वर है या नाही , आत्मा है या नाही ऐसी बातोमे बुध्द उलझाते नाही l वो जो सत्य बताते वो है 1. दुःख है 2 दुःख का कारण है 3 उसे दूर किया जा सकता है 4 इसका रास्ता है , जो बुध्द बाताते यही सत्य जो बुध्द को मिला ओर समझाया
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
एवढा मोठा राजपुत्र जो सगळ वैभव,धन, सुख संपत्ती सोडून सहा वर्ष पिंपळाच्या झाडाखाली बसून दुःख शोधण्याचा प्रयत्न करतो बुध्द ह्यांना ज्ञानप्राप्ती झाली होती. त्यांचा धम्म हा विज्ञानवादी होता. आपणास बुध्द धम्माच्या सखोल संशोधन आणि अभ्यास करण्याची गरज आहे .
जिस प्रकार आप भ्रम की व्याख्या कर रहे हो, ऐसे तो सारा संसार ही भ्रम है,क्या गारंटी है कि जिस बात को आपका दिमाग आपको सच के रूप में दिखा रहा है वह असल में वह हो ही नहीं,जब तक मनुष्य पूर्ण ज्ञान को प्राप्त नहीं कर लेता,इसकी कोई भी वैज्ञानिक खोज पूर्ण प्रमाणिक नहीं है,क्योंकि विज्ञान जिसे आज सच मानता है वह नई खोजो के बाद असत्य हो जाता है,क्वांटम जगत में अभी तक विज्ञान को कोई विशेष सफलता नहीं मिली है,जिस आधार पर पूरा जगत निर्मित है,तो विज्ञान का ज्ञान अभी सतही काम चलाऊ है,वह कब भ्रम बन जाय नहीं कहा जा सकता,पर साक्षात्कार या भूत प्रेत आदि का अस्तित्व नहीं है या इल्लूजन है यह कहना भी एकदम गलत है,क्योंकि आप सबकुछ नहीं जानते, न ही आपका विज्ञान ही सबकुछ जान चुका,मेरा खुद का अनुभव जो कि केवल मेरे लिए प्रमाणिक है कोई भी कभी भी भौतिक तल पर सब कुछ नहीं जान पाएगा,पर एक अन्य आयाम भी मौजूद है जिसकी अभी तक खोज की शुरुवात तक नहीं हो सकी है,वह है ऊर्जा का अदृश्य आयाम जो इन आंखों के लिए कभी दृश्य नहीं हो सकता,ओर बिना उसे जाने आप लोग भी हेल्यूजिनेशन में ही जी रहे हो,डार्क मैटर ,डार्क एनर्जी की क्या व्याख्या है विज्ञान के पास,कुछ भी नहीं,पर प्रभाव जरूर दृष्टिगोचर है,विशाल अनंत ब्रह्मांड की कोई ठोस व्याख्या नहीं,पदार्थ की कोई अंतिम व्याख्या नहीं, अपदार्थ का कोई पता नहीं,तो किन प्रमाणों के आधार पर विज्ञान की पूंछ पकड़कर हम लोग चल रहे है,जो समझ n आया उसे चमत्कार कह दिया,या फिर हेल्यूसिनेशन नाम दे दिया,क्योंकि चुप रह नही सकते अहंकार जो है,तो प्रभु जी घोषणा मत करो बस यह कह सकते हो मैं नहीं जानता,या इतना जान पाया हूं पर अंतिम नहीं
बुद्ध खुद कहते है मेरा जो अनुभव है वो तुम्हारा नही हो सकता तुम्हारा अनुभव तुम्हारा है मेरा अनुभव मेरा है मै तुम्हे दिश्या दिखा सकता हु चलना तुम्हे पड़ेगा अनुभव तुम्हे लेना पड़ेगा जो मेरे लिए enlightment है वो तुम्हारे लिए नही हो सकता 😊
निर्वाण अचानक होने वाली घटना नहीं है। यह तो अपने जीवन के ही अनुभव होते है जो हमें परिस्थितियों से मिलते हैं नहीं तो फिर बच्चों को भी निर्वाण प्राप्त हो जाता जन्म लेते ही।
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
एखाद्या गोष्टीचा अनुभव नसताना आणि ज्ञान नसताना केलेले वचन याला मी अंधविश्वास मानतो. 👍 हा स्वतःच्याच विचारानंबद्दल असलेला अंधविश्वास आहे. सर स्वतःच्याच विचारांवर अंधविश्वास ठेवणं सोडून दया. सर्वच विषयावर आपल्याला असलेच पाहिजे हा अहंकार कशाला हवा 👍
Sir, With all due respect 🙏 I Would like to add that First of all, the meaning of Enlightenment is gaining knowledge. Enlightenment is a state of mind when you are completely in peace with yourself and with the rest of the world. It is not sakshatkar or meeting some supernatural being in your mind. Buddha could not have sakshatkar because he did not believe in any God. He was the one who gave the technique of meditation and taught that through continuous practice, one can be the master of his/her own mind. It is a simple science and very different from hallucination or sakshatkar. Buddha must have worked extremely hard to reach this state. It is disheartening to hear that buddha had hallucinations. You are doing a tremendous work sir. I appreciate and salute your continuous effort to eradicate superstition.🙂
Your thinking is totally foolish the ground is was and will be empty to got sakshatkar without budhdha all says there is god but no one prove it and that's all.
श्याम जी जब महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून लागू है तो फिर बॉम्बे और नागपुर में यहाँ एमपी का एक पाखंडी बागेश्वर बाबा जाकर अपनी दुकान लगाता है और कोई कार्यवाही नहीं होती क्यों ?
और जो चर्च वाले चमत्कार करते हैं चंगाई शिविर में अंधे देखने लगते हैं लंगड़े बोलने लगते हैं उनके बारे में बोलने में जुबान नहीं चलती और ये श्याम मानव उनका विरोध क्यों नहीं करते ना ही FIR करते हैं उनके खिलाफ इस श्याम मानव के पाखंड और पक्षपात के बारे में 20 साल पहले ही राजीव दीक्षित जी बता चुके हैं सेलेक्टिव नजरिया रख कर सिर्फ हिंदू धर्म और हिंदू संतों के खिलाफ बोलने का ठेका ले रखा है इसने बाकियों के लिए मुंह में fevistick लगा रखते हैं आप इतने अंधविश्वास विरोधी हो तो उनके बारे में भी बोल के बताओ जो गांव गांव जाकर चमत्कार दिखाकर धर्म परिवर्तन कर रहे हैं और बागेश्वर धाम अपने चमत्कार हिंदुओं के बीच दिखाते हैं किसी दूसरे धर्म वालों को नहीं और वे लोग कभी अपने धर्म वालों को चमत्कार नहीं दिखाते सिर्फ हिंडन को ही चमत्कार दिखाते हैं धर्म परिवर्तन के लिए प्रार्थना करके लोगों को स्वस्थ कर देते हैं क्या ये विज्ञान हैं और मदर टेरेसा के चमत्कारों पर भी बोलिए यदि इतने ज्ञानी हो तो
श्याम मानंव जी आपको सप्रेम जयभिम तथागत बुद्ध एक प्रमाणिक व्यक्ती थे ! तथागत बुद्ध को ग्यान प्राप्ती होने के बादही उन्होने कहाँ कि मै ईश्वर नही हुँ ! तथागत बुद्ध ने हि लोगो सत्य मार्ग बताया ? तथागत बुद्ध ही सम्यकसंम्म बुध्द होणे बाद ८५ साल तक जिये ! तथागत बुद्ध ने साक्षात्कार होने के बाद लोगो के लिये जिनेका निर्णय लिया ! तथागत बुद्धनेही इश्वर स्वर्ग नर्क आत्मा को नकारा ललकारा ! और तथागत बुद्ध ने हि कहाँ कि, मै मार्गदाता हूँ सिर्फ मार्ग दाता बाकी कुच्छ नही, है किसी धर्मगुरू मे इतनी हिम्मत इतना दम .??? राम कृष्ण आल्ला येशू तथा महावीर भी बुद्ध के सामने कुच्छ नही क्युंकि बुद्ध आत्मपरिक्षण करते थे किसी पे विश्वास नही रखते थे इसलिये उन्होने " प्रतित्यसमुत्यपाद "लिखा है समझाया है ..?? पढना कभी फिर बोलना बुद्ध के बारेमे ? जय शिवराय जय भिंम
Correct. Pachhiso varsh pahele Tathagat Buddha hi sachmane me लोगो की अंधश्रद्धा दूर करते थे ...after enlightenment Buddha ने लोगो को 45years tak ज्ञान दिया meditation Vipassana दी ..and it is scientific.
krishna ka marg ghr chodk bhagne nhi sikhta balki grihastha me hi prem Margi the thik h Osho hinduvirodhi the pr unhone b kaha h ki krishna ka dharm hi bhavishya ka dharm h zorba the bhudha shri krishna ki philosophy hi h zorba the bhudha Sakshi ka marg sikhata h jo jaisa usko vaise hi swikar krna
Shyam manav- विषय था बुद्ध आप जलन दिखा रहे osho के बारे मे, अगर osho जिंदा होते तो आपमे उतनी हिम्मत ना होती उन्हे challenge करनेकीं , आप unke शिष्य osho shailendraji या फिर सिद्धार्थ औलियाजी से मिले आपको सद्बुद्धी मिलेगी.. osho के पैरो की धुल भी बन गये आप तो धन्य हो जाओगे...
Are we discussing whether there is anything called enlightenment at first place? One must not forget that Buddha has been portrayed in such a manner which counter revolutionary wanted. Buddhism was taken over by ethically and morally deteriorating generations which attributed miracles to the life experiences of Buddha. Buddha must have never encountered hallucination at first place. His craving was for much higher and simple goals. It is the later generations of scoundrels, the adulterators who have put this idea of enlightenment and distorted it. To know that there is no such enlightenment which the later generations have associated it with Buddha would be enlightenment in itself in present context and that happens through mere contemplation. Going in trance and enlightenment is different. What hynotism creates is trance and not enlightenment. Enlightenment has nothing to do with any light and apprehension of being a soul since the very enlightenment is quite opposite of negating such foolish ideas. Whether Buddha proclaimed anything sort of wierd experience at Bodhi tree is a matter of speculation. Or rather what he must have told about his experience would have been greatly misunderstood. So rather than speculating about what Buddha must have felt as enlightenment and told people it is better to judge him on his immense knowledge on human psyche. He was psychiatrist but none will beleive it. He was capable of differentiating between trance, hynosis and enlightenment. For him enlightenment must be growing awareness of being negligible before this cosmos and one cannot do much but can spread love and peace within own specie and extend it to animals too. Please don't ever try to tag Buddha with hallucinations of any sort. His struggle was against all such blunders. Namo Buddhaya!
Amazing thoughts bro.... Excellent.... You must publish this as an article so that more people can understand... Your explanation is an eye opening for me...
श्याम मानव हिप्नॉटिक अवस्था में काफी सालों से जी रहा है जिसमे उसे लगता है नकारघण्टा बजाते रहना याने की बहुत बडा ज्ञानी होने का कोई लक्षण है , और उसे यह भी लगता है कि वो जो कुछ भी बता रहा है वह कोई बहुत विशेष ऐसा तर्क है । असल में श्याम मानव बहुत साधारण ज्ञान देते रहता है ।
Aatma bhi hai aur bhagwan bhi hai. Lekin hamare dimag ko iss tarah program kiya gaya hai ki wo bas soch sakta hai but dekh nahi sakta. Because according to science hum jo dekh rahe hai wo hamari iksha hai isliye dekh rahe hai.
बी के मोदी जी कि गौतम बुद्ध सिरीयल देखो, पता चलेगा ऊसमे भगवान बुद्ध ने कहा है, कि भगवान होते है, और आत्मा भी होती है, जैसे हवा होती है पर वो दिखती नही.
@@prashantchikane1430 यदि आत्मा और अदृश्य भगवान उस सीरियल में दिखा रहे हैं तो यह भगवान बुद्ध का अपमान है भ-भूमि, ग-गगन, व-वायु, आ-आग, न-नीर इन पांच तत्वों से मिलकर बना है शब्द भगवान।
ये कम्युनिस्ट विचारधारा का आदमी है, इसमें हिम्मत नहीं है इस्लाम के बारे में कुछ बोलने की, सिर्फ हिंदू धर्म और उनसे निकले संप्रदाय को ये निशाना कर सकता है
तुमतो अभी भी वर्तमान में भी पागल हो श्याम मानव तो पहले भी तार्किक बात करता था आज भी तार्किक बात कर रहा है और आगे भी तार्किक बात करता रहेगा क्योंकि तार्किक होना कोई आसान कार्य नहीं परंतु तुम जैसा मूर्ख होना बहुत ही आसान क्योंकि तुम जैसे लोगों को कोई भी अपनी बुद्धिमत्ता मूर्ख बना सकता है और तुम बनते रहते हो
श्याम मानव आप पगला गए हो ,क्या बोल रहे हो बुद्ध ज्ञान प्राप्त होने के बाद कब मरे , 95 सालो के बाद जहरीले मशरूम खाने से हूवी है, अपना ज्ञान दुरुस्त करो, खुद तो आप अंध विस्वास फैला रहे हो,
Buddha not was in any enlightenment or he was not a god 💯 Buddhism is a religion that does not include the belief in a creator deity, or any eternal divine personal being Buddha teaches Peace,humanity,and encourage people to be rationalist person so there no place to miracles and enlightenment in Buddhism
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
Nirwan in Buddhism and Sakhsatkar in others are totally different. Nirwan is a developed state of mind and brain. In it the structural changes can be seen. So don't get confused Nirwana with Sakhsatkar.
@@nikkusmile8218 Lord Buddha is called 1)Bhagwan, 2)Arhata 3) Buddha and 4) Samyak sambuddha Bhagwan is defined in pali as bhagg rago,bhagg doso, bhagg moho ti bhagavan. It means who has eradicated the coding of greed , hate and delusion from his DNA in brain. For Arhata he has to eradicate 7 anusayas means emotional centres from his DNA in neurones of brain. For Buddha he has to achieve highest degree in 10 Parmitas means perfection and to know 4 noble truths by experience along with patticha samuppad means dependent origination but he doesn't give knowledge to people's,he makes use for himself only. Samyak sambuddha discovers 4 noble truths and all dhamma principles and achieve 10 magic forces means Bal. Thus his mind becomes purified, developed than common man. All these structural changes takes in his brain. Thus he becomes enlightened. Modern science is not reached yet at that level so can't measure.
Buddha went inside and discovered everything is atoms and vibration and wavelength, 2500 years ago, One scientist did the same with. Bubble experiment, He found same results, He got Nobel award for it, So what is difference? Both found same things. Scientist lived miserable life and died in pain and fear, Buddha live his life blissfully and helped many to live blissfully, Still today people Use his technique to Come out of misery even after 2500 years, and the discovery of science let to atom bomb that is difference. Hope this helps.
29 Siddharth leaved home.. 6yrs of studying different ways ....Got enlightened... means at the age of 35 yrs .... Then he went to charitha {telling about dhamm} for 45 yrs. And you are saying that budhh died immediately after enlightenment.
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
बुध्द को ज्ञानप्राप्ती हो गयी थी, जैसे मनुष्य के जीवन में दुःख है, उसका कारण है और उससे निकलने का सही मार्ग भी होता है कोई साक्षात्कार / चमत्कार नहीं ये फरक समजना चाहिए. microMan 😎
आज तक मुझे इतना ही समझ आया है कि जिसे जीवन में कुछ वास्तविक प्राप्त होता है वो शांत होता है वा अहंकार से कुछ हद तक मुक्त होता है परंतु श्याम मानव गुरु जी तो क्रोध और अहंकार की साक्षात मूर्ति है। चार महीने ओशो के पास जाने से ये खुद को ओशो से ऊपर समझने लगे।
मैने कभी पडा नही बुध्द को साक्षातकार हुवा बुध्द तो वास्तविकवाद पडाते हैं. जादू टोना ब्रम्ह आत्मा ईश्वर् यज्ञ आहुती यह् बुद्ध कें धम्म् कें मार्गदर्शन मे नही आता .. अरहंत निर्वाण प्रात्प बुद्ध को हि मिलता हैं.
We appreciate your work on fear andblind faith. The Guatama The Buddha had achieved enlightenment at the age of 35 years old. He lived after enlightenment a long life upto 80 years old. He was against blind faith. His enlightenment is defined in terms of cognitive, emotional and volitional efforts and is related to stages of consciousness. He is regarded as Most Awared.
Buddha denied soul and god and said truth that was revealed to him is available to all with little effort. It is purely science of body and mind, nothing more where as founders of path think that it happens not to all that is the basic difference
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
Enlightenment is not just hallucination,When a person starts meditation he develops his mind and can answer solutions properly for different kinds of human solutions.If enlightenment can be achieved by just drugs than all humankind needs such drugs.There are many scientific studies available on meditation effects on our body and brain.
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
Budh khudko mokshdata nahi margdata kahte hai...aur unone kaha ki meri bat isliye mat mano kyoki mai kah raha hu ..vo bat apne tark pe utaro , vo tark budhi ki kasoti pe na tike to use mat mano...aur Budh ne khud ke enlightenment ke bareme kuch bhi unscientific nahi bola. Isliye to Dr.Ambedkar ne sare dharmoka bahot gahra adhyan karke scientific Baudh dharm ko apnaya...🙏🙏
Everything is nothing but play of neurons sir, therefore enlightenment is also same on one plane. But what makes it different is that it brings inner peace and end of quest. By the way what you mentioned about dr Whitley that intoxication brings same experience, same is mentioned by patanjali too. Difference lies in the end result annd not with experience. It ends the quest. That's freedom from the thinking, hence from work and so from results of work. It never ends life pains but it ends the quest within. About Buddha, his quest was not spiritual but was worldly. He gave teachings to irradicate grief but not samadhan. His Nirwana is relief from griefs. It was not for curiosity or to know, but for removal of grief.
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
I agree all your video except this one. The Buddha only has got enlightenment but no body else on the earth. Kindly reconsider your view. Hearty regards
अलग अलग व्यक्तियों को अलग अलग तरीकों से साक्षात्कार होते हैं। ये जरूरी नाही की वे शरीर छोड़ देते हैं। मुझे 2016 में साक्षात्कार हुआ, जो बोहोत बोहोत आनंद को प्राप्त किया था।
@oshosays हम सारी बातें तो नहीं लिख सकते। पौधे को जैसे जड़ें होते हैं वैसे हमे भी nervous system होती है। सूर्य, ग्रह, तारें पैदा होते है,फिर मर जाएंगे (विलुप्त) ।हर system physical हो, सोशल हो, scientific हो सारे हमारे शरीर जैसे ही काम करेगा। जैसे कि हमे पानी नदी से pipes ki सहायता से हम तक पोहोंचती है, बिजली भी पाइप लाइन से wires se मिलती है। और हमारे शरीर में भी पाइप्स होती । धरती की मिट्टी से बनी पेड़ पौधे,और हम भी मिट्टी से बनी अनाज, सब्जियां खाकर जीवित रहते हैं। मिट्टी से बनी ईंट से घर बना कर निवास करते हैं। हवा को हम भी जीव जगत भी, वृक्ष जगत भी स्वास के रूप में लेते हैं। स्पेस space bhi लेते हैं सभी, गर्मी भी सूरज से लेकर जीवित रहते हैं। प्रकृति अपनी विश्वरूप दिखाया, समझाया भी। पांच तत्वों के बारे में, ग्रह, तारें, धातु, आदि सब के बारे मे बोध कराया। मानो या ना मानो!
एक छोटी सी बात की अगर बुद्ध को हेलीजुनेशन हुआ था तो भी वो काम ,क्रोध , मद,लोभ, मोह, माया ,से मुक्त हो गए ।तो अगर इस तरह का भ्रम मुझे भी हो जाए तो भी खुद को धन्य समझेंगे।🫡🫡🫡🫡
भगवान बुध्द ने कभी भी नहीं कहा की मुझे साक्षात्कार हुआ है , तब साक्षात्कार शब्द ही नहीं था ,और आत्मा, परमेश्वर यह तो वह मानते ही नहीं थे । आप सिर्फ गोल गोल घुमा रहे हो , आप लोगों को सीधे क्यों नहीं बताते ।की इस दुनिया मेंमे ईश्वर है ही नही
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
कबीर साहिब और गुरु नानक देव के बारे में कोई क्या कह सकता है? कबीर साहब और गुरु नानक देव जी जैसा सच्चा गुरु कोई नहीं हुआ विश्व में, न आगे होगा। वो साक्षात्कार को उस रूप में नहीं समझाते जैसा और लोगों ने समझाया। कबीर साहब तो यहाँ तक कहते हैँ "उत ते कोई न आइया, जाते पूछहूँ जाय। " वो सत्य के अतिरिक्त कुछ नहीं बोलते थे और वो परमात्मा स्वरुप हो गये जिनको भूत वर्तमान और भविष्य सब का ज्ञान प्राप्त था, परन्तु अहंकार शून्य थे वो। तो जो व्यक्ति अहंकार शून्य हो उसे समझो साक्षात्कार हो गया है अन्य किसी को नहीं।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
@@ramcool82 See, with the rise of modern science PROOF became essential part to establish theory. So back then very very earlier when they started to find the mind in body they failed measurably, in the name of science they litterly broke the sculls of the hundreds of live breathing humans without anastasiya and analysed the body and brain to find the mind... and failed. So if I say I saw Sunny Leone in dream yesterday or any other thing came to my mind... there is no absolute scientific proof of whether am I lying or telling the truth. Simply because experience of our mind is so own and intensely personal that we all can not prove its existence to other's. And it remains a very private affair forever So as per science mind don't exist and so we :)
@@ramcool82 I don't say we do not exist I say our thinking of existance is illusion, existance is not illusion itself... I know this sounds like mere Wordplay but it is not
बुद्ध ने नहीं कहा कि वो आत्मस्वरुप हो गये ,वो ईश्वर आत्मा परमात्मा का अस्तित्व ही नहीं मानते, अर्हत होने का मतलब है अपनी बुराई को ध्यान द्वारा समाप्त करना और सत्य प्रेम का अंगीकार, नफरत असत्य का त्याग,हर घटना को तर्क़ विज्ञान से देखना
@@er.analysisfacts2998आश्रम में जानें से ज्ञानी नहीं हो जाता कोई, गौर से समझना भी पड़ता है कि बात क्या बताई जा रही है। पूर्वाग्रहों से ग्रसित आदमी बहस ही करते हैं या बात को ऊपर नहीं आने देते अहंकार में।
बुद्ध के बुद्धत्व का सही, सही मतलब : १. आर्य सत्य और आर्य अष्टांगिक मार्ग. २. तिलख्खन : दुःख, अनित्य, अनात्म. ३. प्रज्ञा, शील और करुणा. ४. भवचक्र. ५. प्रतित्यसमुत्पाद (कार्यकारण भाव/ Dependent Origination/ Cause & Effect) It's only bare Summary of the Buddha's Enlightenment. It's the Buddha's Discovery which No One had watched, perceived, experienced deeply before the Buddha. Now-a-days the people of the World have been trying to know the Buddha's Teachings. # नमो बुद्धाय! नमो धम्माय!! नमो संघाय!!!
Buddha literally saw past births. He did denied that souls exist but also didn't deny sukshma sharir / subtitle body doesn't exist, which causes rebirth.
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
मैं सायंस की दृष्टि से कहूं तो आपको भी एक बीमारी है ना मानने की और इसका कोई इलाज ही नहीं है कोई इनलाइटनमेंट नहीं है कोई परमात्मा नहीं है तो फिर तुम क्यों हो इसका ही कारण दे दो तुम कहोगे यह है इसलिए मैं हूं मगर मैं पूछ लूंगा कि वह क्यों है बोल उसका कारण दे दे तुम सिम प्रश्न खड़े कर सकते हो और ऐसा अपने आप को महान समझने वाले बंधुओं के साथ निश्चित तौर पर होता है
There is no place for atma (soul) in Buddha's teachings.Buddha ,Mahavir died immediately after enlightenment is new discovery which is not found in Buddhist scriptures.
साक्षात्कार और ज्ञानप्राप्ति ये दोनो अलग अलग सब्जेक्ट है। साक्षात्कार के लिए किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती लेकिन ज्ञानप्राप्ति प्रमाण की कसौटी पर परख कर सिद्ध होती हैं। इसीलिए ज्ञानप्राप्ति और साक्षात्कार में भ्रम पैदा मत किजिए।
ओशो रजनीश जी को जो आत्मा का ज्ञान हुआ था वह ज्ञान आज कीसी को भी हुआ है तो श्याम मानव साहब को समझा सकता है या सिद्ध कर सकता है ? यदि आज ओशो रजनीश जी होते और कहते कि मैं शरीर नहीं हु, लेकिन मैं अमृत आत्मा हुं तो आज के मनुष्य कंटक या सुई भोकते शरीर पर और सच्चाई जान जाते कि ये शरीर ही है.
ओशो ने जो अच्छा है ऊ से अच्छा और बुरे को बुरा कहा है अपने जान कि परवा किये बगर, आप तो हर किसीको बुरा ही कहते हो 😄😃 , आप मे भी कोई बुराई होगी और एक बात आपकी ओ मुस्लिम व्यति के साथ रहने की कहानी बहुत बड़ी पूडि है 😃😀
महात्मा बुद्ध ,ईसा मसीह को ज्ञान पराप्त तो पहले ही हो चुका था यानी ईश्वर का अनुभव महात्मा बुद्ध कई साल जीए ईसा मसीह को भी पहले ही ज्ञान प्राप्त हो चुका था तभी ईसा मसीह ने चमत्कार दिखाए थे
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
जी. श्याम मानव जो इतने होशियार है के उनके जैसा दुनिया मे कोई होशियार नही. वह सब पर बोलते है, वह सर्वज्ञ है। उनका शब्द अंतिम है।उसके उपर कुछ भी नही। विश्व के वे एकमेव बुध्दिजीवी है। बाकी संत कुछ भी नही इनके सामने।😂😂
Shyam Manav mahan hi nahi balki ek sant aatma hai , kaliyug ke mahan manochikistak hai Jo ki Sigmand froyed se bhi mahan hai . Kash un par koe jara sa dhyan de . Shayam Manav ne aapna naam badalkar sabse mahan Mahan Shyam Manav rakhana chahiye.
Let's understand one thing. A so-called Self Realised or Enlightened person cannot say that he or she is Enlightened or Self Realised. Neither can a person "experience" such a state becoz it's supposed to be a thoughtless state. If the mind has witnessed this so-called enlightenment, it means that thought process was involved which in turn means the mind was involved. In other words, one cannot be a 'witness'. And witnessing is done by the mind. In short, enlightenment or self realisation cannot be experienced by the mind. It's a delusion. A truly enlightened person (if this be the case) does not know what enlightenment is. For e.g. does a mad man know that he's mad? No! Same is the case with this enlightenment nonsense. He or she who claims of being a so-called Self Realised person is either in a state of delusion or trying to con people
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
100 प्रतिशत सत्य वचन। मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा, साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना। इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है। ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें। भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। #mindgymuniverse 🎉🎉🎉❤❤❤
सर साक्षात्कार झाला किंवा नाही हा प्रश्न नाही, बुद्धाने राग ,लोभ व मोह यातून मुक्त झाले की नाही व परिणामतः असीम करुण चित्त झाले झाले की नाही हा प्रश्न आहे . ते कसे हे नंतर
आपकी बुद्धि की एक सीमा हैं आपने जितना समझा ओशो को वो आपकी बुद्धि का माप दंड है पर जितना मैंने समझा ओशो को वो पूर्ण हैं और पूर्ण इंसान बे बुझ होता हैं उसको कोई समझ नहीं सकता वो क्षण क्षण जीता हैं धनयवाद 🙏
यदी किसी को आत्मसाक्षात्कार के बारेमें कुछ समझना है.....तो स्वामी विवेकानंद जी की ग्रंथ संपदा, ग्रंथावली से आत्मसाक्षात्कार टौपीक को समझ ले.... साक्षात्कार याने शिवजी को स्वयं में धारण करना....शाम मानव और उनकी संस्था नास्तिक है.... साक्षात्कार शोर्टकटसे नहीं होता भाई....सतत प्रयास के बाद और शुचिर्भूत मन होने के बाद ही साक्षात्कार होता है.....
तब कभी हमारा मन विकार मुक्त होता हैं,शुद्ध होता हैं, ओर मन की शुद्धता को ही बुद्ध जी ने धर्म कहा है. जीसका मन निर्मल होता है,शुद्ध होता हैं,उसकी तृष्णा से मुक्ति होती हैं. ओर तृष्णा ही दुखो कारण है. इस मायने मे दुखों से मुक्ति होती है. बस यही तो अनमोल देन है भगवान बुद्धजी की इस दुखियारे संसार को.आदरणीय मानवजी क्या कभी आप चले है बुद्ध ने बाताये मार्ग पर,क्या आपका कूछ अनुभव है इस मार्ग का,नहीं तो कृपया करके बुद्ध जी के बारे मे कुच्छ भी टिप्पणी करके इस दुःखियारे संसार को गुमराह मत किजिये .बुद्ध जी ने बताया मार्ग एकमेव दुःखों से मुक्ति का मार्ग है.मैं कुदरत से प्रार्थ ना करता है आपको भी इस मार्ग का अनुभव मिले ,अपकाभी मंगल हो.भला हो.कल्याण हो.
God has limitless brain.Human being is having most capable brain than any other species in this world.Meditation is a tool to develop the capacity of brain.As soon as the development of brain crosses a particular limit the meditating person becomes enlightened and achieve 'Ishwaratwa'.
महोदय आपके बहुत सारे वीडियो देखे सभी का निर्णय यही समझ में आ रहा है कि पूरी दुनियाँ भ्रम है। विश्व के सारे महा पुरूष आज तक भ्रम में ही पैदा हुए पूरी जिंदगी भ्रम में ही जिए और भ्रम में ही मर गए। पूरे विश्व में आप श्री ही पूर्ण ज्ञानी हैं। कोटि कोटि प्रणाम है आपको।
आश्चर्य तो तब हो रहा है जब आप खुद ही स्वीकार कर रहे हैं कि आप स्वयं भूत बाधा से ग्रस्त थे और किसी झाड़ फूंक वाले ने आपका भूत उतार दिया आप स्वस्थ हो गए। दुनिया को समझा रहे हैं भूत प्रेत कुछ नहीं है।
रही भगवान् बुद्ध की कि उन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त हुआ था की नहीं यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आज संपूर्ण मानव जाति को बचाने के लिए भगवान बुद्ध के उपदेशों पर चलने की नितांत आवश्यकता है।
Apa bhut sahi bol rahe ho
....स्वयं बुध्द ने कभी भगवान को माना है ना कभी खुदको भगवान कहा है, कुछ घटिया लोग उनको भगवान नाम देतै है l
Sahi bola aapne , Buddh ne Shanti , Ahinsha , or dukh , jivan mirtu pr jo vachan diya hai wo mahatwapurn hai
पागल हे ये😅😅
भ. बुद्ध किं बातों को ज्ञान से नहीं बल्की अनुभव सें ही जाना जा सकता है। धम्म अनुभव कि बात है ।
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
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भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध दोनो अलग है
Koi course Kiya hai kya.....😂😂@@ratnaprabha8259
मगर उस अनुभव की भी एक सीमा होती है। उस वक्त तक दुनिया में और आसपास जितना ज्ञान संचित है उसीके आधार पर अनुभव भी होता है।
चार हजार साल पहले किसी को अनुभव नहीं हुआ होगा कि DNA क्या होता है, प्लान कैसे उड़ेगा, तीन कैसे चलेगी, गैस स्टोव कैसे काम करेगा।
बुद्ध ने तो आत्मा को ही नकार दिया था। और वे 80 वर्ष जिए थे।
Fake guru
Lekin Rebirth to hota hai.
@@ridhamatri9447chaman chutiye rebirth mtlhbh agar aam ke pedh se aam koh todkar kayoge aur uska bij fek donge...toh kuch dino badh vha pedh nikal aayega isko kha ta unone rebirth isko botik sidhant khte hai ..
Boudh dharm guru agle guru ka pahle bata dete hai ki kaha punarjanm hoga .to aatma aur punarjanm to Aya be . Bharat ka boudha dharm bs anti hindu hai .
कब नकारा तुम्हारे सामने nakra dr hoke unscientific bate kr rha hai बुद्ध। के ग्रंथ से बोल रहा तो सारी बाते मान जो लिखी adhi kyu Maan Raha hai
sir तुम्ही गौतम बुध्दांच्या जिवनाचा आणि त्यांनी मिळवलेल्या ज्ञानाचा अभ्यास करावा ही विनंती.
Yes you are right.
वय झाल की काही तरी सुचत उमापति आणी काही नाही 🙏
मी तर म्हणतो यांनी बुद्ध धम्म श्वीकारावा
ईश्वर है या नाही , आत्मा है या नाही ऐसी बातोमे बुध्द उलझाते नाही l वो जो सत्य बताते वो है
1. दुःख है
2 दुःख का कारण है
3 उसे दूर किया जा सकता है
4 इसका रास्ता है , जो बुध्द बाताते
यही सत्य जो बुध्द को मिला ओर समझाया
Ekdam sahi bat batai bhai apne ye dr.b.r ambedkarji ke book me hai budha and his Dhamma
Buddh honest tha
Yes
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
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Moha dukha ka karan hai
एवढा मोठा राजपुत्र जो सगळ वैभव,धन, सुख संपत्ती सोडून सहा वर्ष पिंपळाच्या झाडाखाली बसून दुःख शोधण्याचा प्रयत्न करतो
बुध्द ह्यांना ज्ञानप्राप्ती झाली होती. त्यांचा धम्म हा विज्ञानवादी होता. आपणास बुध्द धम्माच्या सखोल संशोधन आणि अभ्यास करण्याची गरज आहे .
संस्कृत आता नहीं था और विज्ञान कहां से आयेगा। हमारे ऋषियों ने आयुर्वेद, ज्योतिषशास्त्र, गणित, शास्त्रीय संगीत कका निर्माण किया,
जिस प्रकार आप भ्रम की व्याख्या कर रहे हो, ऐसे तो सारा संसार ही भ्रम है,क्या गारंटी है कि जिस बात को आपका दिमाग आपको सच के रूप में दिखा रहा है वह असल में वह हो ही नहीं,जब तक मनुष्य पूर्ण ज्ञान को प्राप्त नहीं कर लेता,इसकी कोई भी वैज्ञानिक खोज पूर्ण प्रमाणिक नहीं है,क्योंकि विज्ञान जिसे आज सच मानता है वह नई खोजो के बाद असत्य हो जाता है,क्वांटम जगत में अभी तक विज्ञान को कोई विशेष सफलता नहीं मिली है,जिस आधार पर पूरा जगत निर्मित है,तो विज्ञान का ज्ञान अभी सतही काम चलाऊ है,वह कब भ्रम बन जाय नहीं कहा जा सकता,पर साक्षात्कार या भूत प्रेत आदि का अस्तित्व नहीं है या इल्लूजन है यह कहना भी एकदम गलत है,क्योंकि आप सबकुछ नहीं जानते, न ही आपका विज्ञान ही सबकुछ जान चुका,मेरा खुद का अनुभव जो कि केवल मेरे लिए प्रमाणिक है कोई भी कभी भी भौतिक तल पर सब कुछ नहीं जान पाएगा,पर एक अन्य आयाम भी मौजूद है जिसकी अभी तक खोज की शुरुवात तक नहीं हो सकी है,वह है ऊर्जा का अदृश्य आयाम जो इन आंखों के लिए कभी दृश्य नहीं हो सकता,ओर बिना उसे जाने आप लोग भी हेल्यूजिनेशन में ही जी रहे हो,डार्क मैटर ,डार्क एनर्जी की क्या व्याख्या है विज्ञान के पास,कुछ भी नहीं,पर प्रभाव जरूर दृष्टिगोचर है,विशाल अनंत ब्रह्मांड की कोई ठोस व्याख्या नहीं,पदार्थ की कोई अंतिम व्याख्या नहीं, अपदार्थ का कोई पता नहीं,तो किन प्रमाणों के आधार पर विज्ञान की पूंछ पकड़कर हम लोग चल रहे है,जो समझ n आया उसे चमत्कार कह दिया,या फिर हेल्यूसिनेशन नाम दे दिया,क्योंकि चुप रह नही सकते अहंकार जो है,तो प्रभु जी घोषणा मत करो बस यह कह सकते हो मैं नहीं जानता,या इतना जान पाया हूं पर अंतिम नहीं
👍👌
Jo marg bhagwan budda ne bataya usaka manan karo, aapke liye etna hi kaphi hai. Jyada vivechna n kare.
आपका Evolution शायद नहीं हुआ है इसलिए यह बात आपके समझ के बाहर की है |
aapke vichar soch bilkul sahi he
Sir bahut hi Acchha reply hai.
Sach me
बुद्ध कधी चमत्कार केले नाहीत त्यांनी फॉलअर्स ना चमत्कार करू दिले नाहीत. अनुभवांती जीवनाची सत्य सांगितलेत.
Kyu jhoot bol rahe ho , kabhi unki kitabe pado wo aur unke followers udkar jatte the , kya tum hawa me ud sakte ho
बुद्ध ने कब कहा की मुझे साक्षात्कार प्राप्त हुए,,, बुद्ध तो विज्ञान वादी थे,, उनोने आत्मा, भगवान , चमत्कार को कभी नहीं माना
बुद्ध भगवान ने यह सिद्ध किया था कि आत्मा और भगवान नहीं होते हैं।
Right
बरोबर
Bodhi per k niche ..chutiye
बुद्ध एक अच्छे शिक्षक हे जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं
बुद्ध तो हर चीज को अनित्य कहा तो आत्मा का अस्तित्व ही नहीं
श्याम मानव गुरुजी एक आप ही की कसर थी महा मूर्खों का शतक पूरा करने में। पावन धरा धन्य हो गई आप के आगमन से।
बुद्ध खुद कहते है मेरा जो अनुभव है वो तुम्हारा नही हो सकता तुम्हारा अनुभव तुम्हारा है मेरा अनुभव मेरा है मै तुम्हे दिश्या दिखा सकता हु चलना तुम्हे पड़ेगा अनुभव तुम्हे लेना पड़ेगा जो मेरे लिए enlightment है वो तुम्हारे लिए नही हो सकता 😊
निर्वाण अचानक होने वाली घटना नहीं है। यह तो अपने जीवन के ही अनुभव होते है जो हमें परिस्थितियों से मिलते हैं नहीं तो फिर बच्चों को भी निर्वाण प्राप्त हो जाता जन्म लेते ही।
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
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भ, बुद्ध को सत्य का साक्षत्कार (कल्पना का नही )हुआ l शाम मानव तेरे समझ से ये बात परे है l
भ, का मतलब क्या है?
भन्ते
@@shankarjadhav7603भगवान
एखाद्या गोष्टीचा अनुभव नसताना आणि ज्ञान नसताना केलेले वचन याला मी अंधविश्वास मानतो. 👍
हा स्वतःच्याच विचारानंबद्दल असलेला अंधविश्वास आहे. सर स्वतःच्याच विचारांवर अंधविश्वास ठेवणं सोडून दया.
सर्वच विषयावर आपल्याला असलेच पाहिजे हा अहंकार कशाला हवा 👍
जिस ने दुनया ने उनीस वी सदी का भाषाकार
वह ओशो है
दुनया जिस का आदर करती है
वह वव्यक्ति आप को ज़ुटा लगता है
धन्य है शाम मानव
वो व्यक्ति आप को जुट लगता है
Truth-less person criticize Buddha and OSHO to entangle the people with untruth.
मुजे मेरे गुरु की मयाँदाका पालन करना है दोस्त
नही तो मनके मेढको को रोज आइना दीखाता ।
तुम ए बतावो यह कहने का कारन क्या ?
तुम्हारे मनका खेल मात्र है ।
Osho was greatest philspher of the world
बुद्ध ने चिंतन मनन किया था और अनित्यवाद और प्रतीत्यसमुत्पाद नामक सिंद्धान्तों की खोज की।
जो भी किया हो। मगर एक जमाना था जब दर्शन की जांच लोजिक से होती थी और आज विज्ञान से होती है।
Sir, With all due respect 🙏
I Would like to add that First of all, the meaning of Enlightenment is gaining knowledge. Enlightenment is a state of mind when you are completely in peace with yourself and with the rest of the world. It is not sakshatkar or meeting some supernatural being in your mind.
Buddha could not have sakshatkar because he did not believe in any God. He was the one who gave the technique of meditation and taught that through continuous practice, one can be the master of his/her own mind.
It is a simple science and very different from hallucination or sakshatkar. Buddha must have worked extremely hard to reach this state. It is disheartening to hear that buddha had hallucinations.
You are doing a tremendous work sir. I appreciate and salute your continuous effort to eradicate superstition.🙂
Your thinking is totally foolish the ground is was and will be empty to got sakshatkar without budhdha all says there is god but no one prove it and that's all.
Enlightenment को हिन्दी में हम ज्ञानवान बनना कह सकते हैं।
Sir nice and knowledgable comments.
Very good sir
Budha was enlightened not hallucinated.
you summarized my exact feelings
श्याम जी जब महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून लागू है तो फिर बॉम्बे और नागपुर में यहाँ एमपी का एक पाखंडी बागेश्वर बाबा जाकर अपनी दुकान लगाता है और कोई कार्यवाही नहीं होती क्यों ?
Jai shree Ram 🚩🚩
@@Shankar1962 jai shri ram ... Parantu dhongi baba Sanatan Dharm me andhvishwaas faila rahe hain ...
जय श्रीराम ❤
और जो चर्च वाले चमत्कार करते हैं
चंगाई शिविर में अंधे देखने लगते हैं लंगड़े बोलने लगते हैं उनके बारे में बोलने में जुबान नहीं चलती
और ये श्याम मानव उनका विरोध क्यों नहीं करते ना ही FIR करते हैं उनके खिलाफ
इस श्याम मानव के पाखंड और पक्षपात के बारे में 20 साल पहले ही राजीव दीक्षित जी बता चुके हैं
सेलेक्टिव नजरिया रख कर सिर्फ हिंदू धर्म और हिंदू संतों के खिलाफ बोलने का ठेका ले रखा है इसने
बाकियों के लिए मुंह में fevistick लगा रखते हैं
आप इतने अंधविश्वास विरोधी हो तो उनके बारे में भी बोल के बताओ जो गांव गांव जाकर चमत्कार दिखाकर धर्म परिवर्तन कर रहे हैं
और बागेश्वर धाम अपने चमत्कार हिंदुओं के बीच दिखाते हैं किसी दूसरे धर्म वालों को नहीं
और वे लोग कभी अपने धर्म वालों को चमत्कार नहीं दिखाते सिर्फ हिंडन को ही चमत्कार दिखाते हैं धर्म परिवर्तन के लिए
प्रार्थना करके लोगों को स्वस्थ कर देते हैं क्या ये विज्ञान हैं
और मदर टेरेसा के चमत्कारों पर भी बोलिए यदि इतने ज्ञानी हो तो
Aapko unke pass Jake pta lgana chahiye
श्याम मानंव जी आपको सप्रेम जयभिम
तथागत बुद्ध एक प्रमाणिक व्यक्ती थे !
तथागत बुद्ध को ग्यान प्राप्ती होने के बादही उन्होने कहाँ कि मै ईश्वर नही हुँ !
तथागत बुद्ध ने हि लोगो सत्य मार्ग बताया ?
तथागत बुद्ध ही सम्यकसंम्म बुध्द होणे बाद ८५ साल तक जिये !
तथागत बुद्ध ने साक्षात्कार होने के बाद लोगो के लिये जिनेका निर्णय लिया !
तथागत बुद्धनेही इश्वर स्वर्ग नर्क आत्मा को नकारा ललकारा !
और तथागत बुद्ध ने हि कहाँ कि, मै मार्गदाता हूँ सिर्फ मार्ग दाता बाकी कुच्छ नही, है किसी धर्मगुरू मे इतनी हिम्मत इतना दम .???
राम कृष्ण आल्ला येशू तथा महावीर भी बुद्ध के सामने कुच्छ नही क्युंकि बुद्ध आत्मपरिक्षण करते थे किसी पे विश्वास नही रखते थे इसलिये उन्होने " प्रतित्यसमुत्यपाद "लिखा है समझाया है ..?? पढना कभी फिर बोलना बुद्ध के बारेमे ?
जय शिवराय जय भिंम
Correct. Pachhiso varsh pahele Tathagat Buddha hi sachmane me लोगो की अंधश्रद्धा दूर करते थे ...after enlightenment Buddha ने लोगो को 45years tak ज्ञान दिया meditation Vipassana दी ..and it is scientific.
nice
krishna ka marg ghr chodk bhagne nhi sikhta balki grihastha me hi prem Margi the thik h Osho hinduvirodhi the pr unhone b kaha h ki krishna ka dharm hi bhavishya ka dharm h zorba the bhudha shri krishna ki philosophy hi h zorba the bhudha Sakshi ka marg sikhata h jo jaisa usko vaise hi swikar krna
जय शिवराय कह रहे हो और राम भगवान को नहीं मानते पर शिवाजी तो भगवान को मानते थे आराधना करते थे ?
है
Shyam manav- विषय था बुद्ध आप जलन दिखा रहे osho के बारे मे, अगर osho जिंदा होते तो आपमे उतनी हिम्मत ना होती उन्हे challenge करनेकीं , आप unke शिष्य osho shailendraji या फिर सिद्धार्थ औलियाजी से मिले आपको सद्बुद्धी मिलेगी.. osho के पैरो की धुल भी बन गये आप तो धन्य हो जाओगे...
निलेश जी बिल्कुल!! अोशो शेलेंद्रजी बहोत तर्कशुध्द अौर सटिक बाते बताते है. उनकी व्हिडीअो देखता हुं. बहोत Great...है वह ।🙏🙏
Uske aasram me kya hota tha naablig ladki ke saath me sabko pata h
We should not insult this great man
बराबर
@@divalok455 tu khada tha vaha pe?
J Krishna Murthy is only person who has covered all topics, critically analyse and given authentic explanation.
Jidu Krishna murti really good 👍
Are we discussing whether there is anything called enlightenment at first place?
One must not forget that Buddha has been portrayed in such a manner which counter revolutionary wanted.
Buddhism was taken over by ethically and morally deteriorating generations which attributed miracles to the life experiences of Buddha.
Buddha must have never encountered hallucination at first place. His craving was for much higher and simple goals.
It is the later generations of scoundrels, the adulterators who have put this idea of enlightenment and distorted it.
To know that there is no such enlightenment which the later generations have associated it with Buddha would be enlightenment in itself in present context and that happens through mere contemplation.
Going in trance and enlightenment is different. What hynotism creates is trance and not enlightenment.
Enlightenment has nothing to do with any light and apprehension of being a soul since the very enlightenment is quite opposite of negating such foolish ideas.
Whether Buddha proclaimed anything sort of wierd experience at Bodhi tree is a matter of speculation. Or rather what he must have told about his experience would have been greatly misunderstood. So rather than speculating about what Buddha must have felt as enlightenment and told people it is better to judge him on his immense knowledge on human psyche. He was psychiatrist but none will beleive it. He was capable of differentiating between trance, hynosis and enlightenment. For him enlightenment must be growing awareness of being negligible before this cosmos and one cannot do much but can spread love and peace within own specie and extend it to animals too.
Please don't ever try to tag Buddha with hallucinations of any sort. His struggle was against all such blunders.
Namo Buddhaya!
Thanks for this brief explanation
Beyond science there is something which cant b explainef by people like manav sir
Thanks again
🙏🙏🙏
Namo buddha🙏
Amazing thoughts bro.... Excellent.... You must publish this as an article so that more people can understand... Your explanation is an eye opening for me...
So goood !
श्याम मानव हिप्नॉटिक अवस्था में काफी सालों से जी रहा है जिसमे उसे लगता है नकारघण्टा बजाते रहना याने की बहुत बडा ज्ञानी होने का कोई लक्षण है , और उसे यह भी लगता है कि वो जो कुछ भी बता रहा है वह कोई बहुत विशेष ऐसा तर्क है । असल में श्याम मानव बहुत साधारण ज्ञान देते रहता है ।
बुद्ध पहले ही समझा गये कि आत्मा और भगवान नहीं होते हैं।
Aatma bhi hai aur bhagwan bhi hai. Lekin hamare dimag ko iss tarah program kiya gaya hai ki wo bas soch sakta hai but dekh nahi sakta. Because according to science hum jo dekh rahe hai wo hamari iksha hai isliye dekh rahe hai.
बी के मोदी जी कि गौतम बुद्ध सिरीयल देखो, पता चलेगा ऊसमे भगवान बुद्ध ने कहा है, कि भगवान होते है, और आत्मा भी होती है, जैसे हवा होती है पर वो दिखती नही.
@@prashantchikane1430 यदि आत्मा और अदृश्य भगवान उस सीरियल में दिखा रहे हैं तो यह भगवान बुद्ध का अपमान है भ-भूमि, ग-गगन, व-वायु, आ-आग, न-नीर इन पांच तत्वों से मिलकर बना है शब्द भगवान।
@@rameshwardayal9345 serial is available on RUclips watch it. Try to identity truth bro. By by have a Good day.
3 लोगोको एक जैसे अनुभव आये ये कैसे मुमकिन है।
भाई शक्ति होती है । Shakti होती है। मैने अनुभव किया हु।
बेचारा श्याम मानव
मन के कुएं का मेंढक......
पागल हो जायेगा सोचते सोचते कभी जान नहीं पायेगा....
ये कम्युनिस्ट विचारधारा का आदमी है, इसमें हिम्मत नहीं है इस्लाम के बारे में कुछ बोलने की, सिर्फ हिंदू धर्म और उनसे निकले संप्रदाय को ये निशाना कर सकता है
Bauddh. Dhamm. Me No Englighenment
Aap jaan paye
तुमतो अभी भी वर्तमान में भी पागल हो श्याम मानव तो पहले भी तार्किक बात करता था आज भी तार्किक बात कर रहा है और आगे भी तार्किक बात करता रहेगा
क्योंकि तार्किक होना कोई आसान कार्य नहीं
परंतु तुम जैसा मूर्ख होना बहुत ही आसान क्योंकि तुम जैसे लोगों को कोई भी अपनी बुद्धिमत्ता मूर्ख बना सकता है और तुम बनते रहते हो
@@narenderpal2204 jo jan gaya ho wo youtube pe kyu hoga?
श्याम मानव आप पगला गए हो ,क्या बोल रहे हो बुद्ध ज्ञान प्राप्त होने के बाद कब मरे , 95 सालो के बाद जहरीले मशरूम खाने से हूवी है, अपना ज्ञान दुरुस्त करो, खुद तो आप अंध विस्वास फैला रहे हो,
Not by mushroom but by pigs meat lord Buddha died
जब बुद्ध मरे,तब उनकी उमर ८० साल की थी। और मौत नैसर्गिक तरीके से हुई।। यही सत्य है।
@@pawaningle2611abey suar ka maas khaya tha
Ignorance and arrogance have grapsed to Shyam Manav.
जब तुम ध्यान से नही सुनोगे तो यही होगा। वीडियो फिर से सुनो।
इसलिए दुनिया में तिरेपन करोड़ बौद्ध हैं। और बुद्ध के करोड़ों मन्दिर हैं।
😊😊
Buddha not was in any enlightenment or he was not a god 💯
Buddhism is a religion that does not include the belief in a creator deity, or any eternal divine personal being
Buddha teaches Peace,humanity,and encourage people to be rationalist person so there no place to miracles and enlightenment in Buddhism
🙏🙏🙏
0.00001% true my friend.
Now you can imagine how much knowledge you have about Buddhism.
विज्ञान की अपनी सीमाएं हैं आप जैसे प्रबुद्ध व्यक्ति को हर दृष्टिकोण से सोचने के बाद वक्तव्य देना चाहिए
Tere sochane ki bhi ek sima hai ,usme hi rah
Ab gand mai dard hogya😅😅
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
🎉🎉🎉❤❤❤
science ki seema hai, aur relgion ki nahin???
जो नित्य है वही शुद्ध है यह ज्ञान जो बुद्ध- जन ,ऐसा जानते हैं वह ही मुक्त हैं ॥ नित्य, बुद्ध ,शुद्ध, मुक्त ॥
Dr Babasaheb Ambedkar said in Buddha and his dhaama that nirvan is end of fire(चाह) leads to attachment leads to sufferings
Nirwan in Buddhism and Sakhsatkar in others are totally different. Nirwan is a developed state of mind and brain. In it the structural changes can be seen. So don't get confused Nirwana with Sakhsatkar.
Yes, Absolutely correct👍
Yes, although it is transcending mind
What Structural changes could be seen? Please explain if you can? Because Buddha was Hallucinating?
@@nikkusmile8218 Lord Buddha is called 1)Bhagwan, 2)Arhata 3) Buddha and 4) Samyak sambuddha
Bhagwan is defined in pali as bhagg rago,bhagg doso, bhagg moho ti bhagavan. It means who has eradicated the coding of greed , hate and delusion from his DNA in brain. For Arhata he has to eradicate 7 anusayas means emotional centres from his DNA in neurones of brain. For Buddha he has to achieve highest degree in 10 Parmitas means perfection and to know 4 noble truths by experience along with patticha samuppad means dependent origination but he doesn't give knowledge to people's,he makes use for himself only. Samyak sambuddha discovers 4 noble truths and all dhamma principles and achieve 10 magic forces means Bal. Thus his mind becomes purified, developed than common man. All these structural changes takes in his brain. Thus he becomes enlightened. Modern science is not reached yet at that level so can't measure.
बुद्ध ने कभी नहीं कहा कि ईश्वर का साक्षात्कार हुआ है।
Gyan se sakchatkar unhe hua , Mai unhe iswar hi Manta hun
Buddha went inside and discovered everything is atoms and vibration and wavelength, 2500 years ago, One scientist did the same with. Bubble experiment, He found same results, He got Nobel award for it, So what is difference? Both found same things. Scientist lived miserable life and died in pain and fear, Buddha live his life blissfully and helped many to live blissfully, Still today people
Use his technique to
Come out of misery even after 2500 years, and the discovery of science let to atom bomb that is difference. Hope this helps.
🌹🌹🌹🙏🙏🙏
Buddha, mahavir sakshatkarantr khup varsh hote, buddha 80varsh aayushya vyatit kele,clear kra he🙏
True
ये shyam manav नाम का किडा ही एक भ्रम है ❤❤
😂😂😂😂
कदाचित आप बुद्ध को पढ़ते तो सत्य कह पाते।
🙏🙏
Mitha mitha ghap ghap kadva kadva thu thu😂😂😂😂
29 Siddharth leaved home..
6yrs of studying different ways ....Got enlightened... means at the age of 35 yrs .... Then he went to charitha {telling about dhamm} for 45 yrs.
And you are saying that budhh died immediately after enlightenment.
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
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पुरी अस्सल चीज हजम नहीं होती, क्या करे मिलावट का जमाना है, आज सच को भी झुट की झालर रहती है
इसलिये श्याम मानव जी का पुरा सच सबके गले उतर नही रहा है.
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
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बुद्ध आणि त्याचा धम्म डॉ बाबासाहेब आंबेडकर लिखित याच्यावर अभ्यास करणं खूप गरजेचं आहे साहेब
धर्म सिर्फ मान लो यही सीखाता है, लेकिन साइंस तर्क करना सीखाता है।
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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Buddhism is best 🙏
बुध्द को ज्ञानप्राप्ती हो गयी थी, जैसे मनुष्य के जीवन में दुःख है, उसका कारण है और उससे निकलने का सही मार्ग भी होता है कोई साक्षात्कार / चमत्कार नहीं ये फरक समजना चाहिए. microMan 😎
Not agree with you, you have to study spirituality....
आज तक मुझे इतना ही समझ आया है कि जिसे जीवन में कुछ वास्तविक प्राप्त होता है वो शांत होता है वा अहंकार से कुछ हद तक मुक्त होता है परंतु श्याम मानव गुरु जी तो क्रोध और अहंकार की साक्षात मूर्ति है। चार महीने ओशो के पास जाने से ये खुद को ओशो से ऊपर समझने लगे।
मैने कभी पडा नही बुध्द को साक्षातकार हुवा बुध्द तो वास्तविकवाद पडाते हैं. जादू टोना ब्रम्ह आत्मा ईश्वर् यज्ञ आहुती यह् बुद्ध कें धम्म् कें मार्गदर्शन मे नही आता .. अरहंत निर्वाण प्रात्प बुद्ध को हि मिलता हैं.
भ्रम तो आपको भी भरपूर है मानव जी।
अध्यात्म पर
We appreciate your work on fear andblind faith. The Guatama The Buddha had achieved enlightenment at the age of 35 years old. He lived after enlightenment a long life upto 80 years old. He was against blind faith. His enlightenment is defined in terms of cognitive, emotional and volitional efforts and is related to stages of consciousness. He is regarded as Most Awared.
Rightly said
Buddha denied soul and god and said truth that was revealed to him is available to all with little effort. It is purely science of body and mind, nothing more where as founders of path think that it happens not to all that is the basic difference
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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अब आत्मज्ञान के बारे मे वो बतायेंगे जिन्हे खुद का अनुभव नही है 😅
Enlightenment is not just hallucination,When a person starts meditation he develops his mind and can answer solutions properly for different kinds of human solutions.If enlightenment can be achieved by just drugs than all humankind needs such drugs.There are many scientific studies available on meditation effects on our body and brain.
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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@@devpadmashali1265
Kiss kaam meh vishavguru ?
Andhvishvaas , joot , thagi , be-imaani meh ?
आपका ज्ञान सब खोखला है। विज्ञान जहाँ खत्म होता है वही से परम् ज्ञान उदभव होता है।
आप ने अपनी रोटी सेकने हेतु सही मंच को थाम रखा है।
Budh khudko mokshdata nahi margdata kahte hai...aur unone kaha ki meri bat isliye mat mano kyoki mai kah raha hu ..vo bat apne tark pe utaro , vo tark budhi ki kasoti pe na tike to use mat mano...aur Budh ne khud ke enlightenment ke bareme kuch bhi unscientific nahi bola.
Isliye to Dr.Ambedkar ne sare dharmoka bahot gahra adhyan karke scientific Baudh dharm ko apnaya...🙏🙏
❤🎉❤
बुद्ध को मानना मतलब ज्ञान को मानना और न मानना अज्ञान है।❤❤🎉🎉
Everything is nothing but play of neurons sir, therefore enlightenment is also same on one plane. But what makes it different is that it brings inner peace and end of quest.
By the way what you mentioned about dr Whitley that intoxication brings same experience, same is mentioned by patanjali too. Difference lies in the end result annd not with experience. It ends the quest. That's freedom from the thinking, hence from work and so from results of work. It never ends life pains but it ends the quest within. About Buddha, his quest was not spiritual but was worldly. He gave teachings to irradicate grief but not samadhan. His Nirwana is relief from griefs. It was not for curiosity or to know, but for removal of grief.
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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बुद्ध को नकारना पूरे ब्रह्मांड को नकारना है ।हम सब जीव हवा पानी अग्नी आकाश मिट्टी है ये तुम्हे मानना पड़ेगा।❤❤
I agree all your video except this one. The Buddha only has got enlightenment but no body else on the earth. Kindly reconsider your view. Hearty regards
This also andh vishwas..no mahaveer no nanak no other only budha
Thats beauty of Constitution of India. Freedom of speech !
Budhha ki sadhana ka aadhaar awareness thi to bharm kaise ho sakta hai, 😅🙏 Namo ☸️ budhhay🙏
Aap bahot rational ho sachhai ke sath khade ho mai aapki wajah se bahot scientific or rational hua hu Jo mere life ke liye bahot achhi chiz hai
अलग अलग व्यक्तियों को अलग अलग तरीकों से साक्षात्कार होते हैं। ये जरूरी नाही की वे शरीर छोड़ देते हैं। मुझे 2016 में साक्षात्कार हुआ, जो बोहोत बोहोत आनंद को प्राप्त किया था।
@@ajitdada6667 no. Intuition se hua tha. Neend me raat 1:00 am ko hua tha. Kuch dino tak sakshatkar ke bodh hue theyy same time pr.
@@ajitdada6667 koi farak nahi padta. Just sristi, prakriti ke bare me deeply thoda jaan payenge bas.
@oshosays हम सारी बातें तो नहीं लिख सकते। पौधे को जैसे जड़ें होते हैं वैसे हमे भी nervous system होती है। सूर्य, ग्रह, तारें पैदा होते है,फिर मर जाएंगे (विलुप्त) ।हर system physical हो, सोशल हो, scientific हो सारे हमारे शरीर जैसे ही काम करेगा। जैसे कि हमे पानी नदी से pipes ki सहायता से हम तक पोहोंचती है, बिजली भी पाइप लाइन से wires se मिलती है। और हमारे शरीर में भी पाइप्स होती । धरती की मिट्टी से बनी पेड़ पौधे,और हम भी मिट्टी से बनी अनाज, सब्जियां खाकर जीवित रहते हैं। मिट्टी से बनी ईंट से घर बना कर निवास करते हैं। हवा को हम भी जीव जगत भी, वृक्ष जगत भी स्वास के रूप में लेते हैं। स्पेस space bhi लेते हैं सभी, गर्मी भी सूरज से लेकर जीवित रहते हैं। प्रकृति अपनी विश्वरूप दिखाया, समझाया भी। पांच तत्वों के बारे में, ग्रह, तारें, धातु, आदि सब के बारे मे बोध कराया। मानो या ना मानो!
@oshosays 👍🙏🙏
Tujhe apana purvajanm yad hai
एक छोटी सी बात की अगर बुद्ध को हेलीजुनेशन हुआ था तो भी वो काम ,क्रोध , मद,लोभ, मोह, माया ,से मुक्त हो गए ।तो अगर इस तरह का भ्रम मुझे भी हो जाए तो भी खुद को धन्य समझेंगे।🫡🫡🫡🫡
Understanding Buddha;s Enlightenment is beyond his comprehension.
भगवान बुध्द ने कभी भी नहीं कहा की मुझे साक्षात्कार हुआ है , तब साक्षात्कार शब्द ही नहीं था ,और आत्मा, परमेश्वर यह तो वह मानते ही नहीं थे । आप सिर्फ गोल गोल घुमा रहे हो , आप लोगों को सीधे क्यों नहीं बताते ।की इस दुनिया मेंमे ईश्वर है ही नही
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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🎉🎉🎉❤❤❤
Correct
Meditation is a game of practice
And enlightenment is not just hallucination but more than that
Very nice explanation Good One
कबीर साहिब और गुरु नानक देव के बारे में कोई क्या कह सकता है? कबीर साहब और गुरु नानक देव जी जैसा सच्चा गुरु कोई नहीं हुआ विश्व में, न आगे होगा। वो साक्षात्कार को उस रूप में नहीं समझाते जैसा और लोगों ने समझाया। कबीर साहब तो यहाँ तक कहते हैँ "उत ते कोई न आइया, जाते पूछहूँ जाय। " वो सत्य के अतिरिक्त कुछ नहीं बोलते थे और वो परमात्मा स्वरुप हो गये जिनको भूत वर्तमान और भविष्य सब का ज्ञान प्राप्त था, परन्तु अहंकार शून्य थे वो। तो जो व्यक्ति अहंकार शून्य हो उसे समझो साक्षात्कार हो गया है अन्य किसी को नहीं।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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Aapki bate 100% satya hai
बुद्ध के बारे में साक्षात्कार नहीं बल्कि ज्ञान प्राप्त हुआ ऐसा कहा बोला जाता है, तो उसके बारे में जानकारी दीजिए। जय भीम 🌺 नमो बुद्धाय 🌹
जब ईश्वर ही नहीं तो साक्षात्कार किससे
Om mani padme hum - ye buddha ka mantra hai.✅
Om kyu hai ❓ Ye Shiv hindu ka hai. ✅
Sachyatkar iswar hone nhone se pharak nahi padta
शब्द संपत्ति और उसका प्रयोग आपके तर्कों को प्रभावशाली बना सकतीं है,फिर भी संसार
में बहुत कुछ रहस्यमई है।
Sham sir just attend the Vipassana for 11 days and then speak the same
Hum astitwa me hai yahi bada bhram hai
Dude, please can you explain what do you mean by we are do not exists?
@@ramcool82
See, with the rise of modern science PROOF became essential part to establish theory.
So back then very very earlier when they started to find the mind in body they failed measurably, in the name of science they litterly broke the sculls of the hundreds of live breathing humans without anastasiya and analysed the body and brain to find the mind... and failed.
So if I say I saw Sunny Leone in dream yesterday or any other thing came to my mind... there is no absolute scientific proof of whether am I lying or telling the truth.
Simply because experience of our mind is so own and intensely personal that we all can not prove its existence to other's. And it remains a very private affair forever
So as per science mind don't exist and so we :)
😂
@@ramcool82
I don't say we do not exist I say our thinking of existance is illusion, existance is not illusion itself...
I know this sounds like mere Wordplay but it is not
बुद्ध ने नहीं कहा कि वो आत्मस्वरुप हो गये ,वो ईश्वर आत्मा परमात्मा का अस्तित्व ही नहीं मानते, अर्हत होने का मतलब है अपनी बुराई को ध्यान द्वारा समाप्त करना और सत्य प्रेम का अंगीकार, नफरत असत्य का त्याग,हर घटना को तर्क़ विज्ञान से देखना
इसको सुनने से टाईम बरबाद हो गया अच्छा होता आचार्य ओशो को सुनता😢
😂😂
सुनने से ज्यादा वो ओशो के आश्रम में गया है , ओशो तार्किक आदमी था ,पर कोई भगवान नहीं।
@@er.analysisfacts2998आश्रम में जानें से ज्ञानी नहीं हो जाता कोई, गौर से समझना भी पड़ता है कि बात क्या बताई जा रही है। पूर्वाग्रहों से ग्रसित आदमी बहस ही करते हैं या बात को ऊपर नहीं आने देते अहंकार में।
बुद्ध के बुद्धत्व का सही, सही मतलब : १. आर्य सत्य और आर्य अष्टांगिक मार्ग.
२. तिलख्खन : दुःख, अनित्य, अनात्म.
३. प्रज्ञा, शील और करुणा.
४. भवचक्र.
५. प्रतित्यसमुत्पाद (कार्यकारण भाव/ Dependent Origination/ Cause & Effect)
It's only bare Summary of the Buddha's Enlightenment. It's the Buddha's Discovery which No One had watched, perceived, experienced deeply before the Buddha. Now-a-days the people of the World have been trying to know the Buddha's Teachings.
# नमो बुद्धाय! नमो धम्माय!! नमो संघाय!!!
Buddha literally saw past births. He did denied that souls exist but also didn't deny sukshma sharir / subtitle body doesn't exist, which causes rebirth.
Kahan se padh liye buddh ko😂😂😂 buddh ne jo kaha spasht kaha h aisi dogli baten unke vishay me nhi milti
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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@@bhupendr.choudhary123Ramte bus Ramta channel dekhkar har jagah hagte rehte hai woh bhi muu se😂😂😂😂
Shyam Manav jindabad aap ne sahi kaha
मैं सायंस की दृष्टि से कहूं तो आपको भी एक बीमारी है ना मानने की और इसका कोई इलाज ही नहीं है कोई इनलाइटनमेंट नहीं है कोई परमात्मा नहीं है तो फिर तुम क्यों हो इसका ही कारण दे दो तुम कहोगे यह है इसलिए मैं हूं मगर मैं पूछ लूंगा कि वह क्यों है बोल उसका कारण दे दे तुम सिम प्रश्न खड़े कर सकते हो और ऐसा अपने आप को महान समझने वाले बंधुओं के साथ निश्चित तौर पर होता है
Ye admi eek bimari ka sikar huwa hai
Dukhi atma
सूक्ष्म जगत का अनुभव करणा ये, श्याम मानव जैसे लोगोके बस की बात नाही..
Is duniya me sach bolna bahoot mushkil cheez hai
आत्मसाक्षात्कार या विषयावर श्याम मानव यांनी बोलू नये. अनुभव घ्यावा.
There is no place for atma (soul) in Buddha's teachings.Buddha ,Mahavir died immediately after enlightenment is new discovery which is not found in Buddhist scriptures.
साक्षात्कार और ज्ञानप्राप्ति ये दोनो अलग अलग सब्जेक्ट है। साक्षात्कार के लिए किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती लेकिन ज्ञानप्राप्ति प्रमाण की कसौटी पर परख कर सिद्ध होती हैं।
इसीलिए ज्ञानप्राप्ति और साक्षात्कार में भ्रम पैदा मत किजिए।
जिस चीज के बारे में पता नही हो तो बोलना भी नही चाहिए
Maine bhi ek baar kuch minutes ke liye apni soul se apni body ko dekha
ओशो रजनीश जी को जो आत्मा का ज्ञान हुआ था वह ज्ञान आज कीसी को भी हुआ है तो श्याम मानव साहब को समझा सकता है या सिद्ध कर सकता है ? यदि आज ओशो रजनीश जी होते और कहते कि मैं शरीर नहीं हु, लेकिन मैं अमृत आत्मा हुं तो आज के मनुष्य कंटक या सुई भोकते शरीर पर और सच्चाई जान जाते कि ये शरीर ही है.
Fake guru
आपने तो मेरी आँखें ही खोल दीं। अब तक कहा थे। इतना ज्ञान? बुद्ध ज्ञान प्राप्त होने के बाद भी 40 साल तक जीवित रहे।
अच्छे श्रोता नहीं हो। फिर से सुनो।
४५ साल तक
ओशो ने जो अच्छा है ऊ से अच्छा और बुरे को बुरा कहा है अपने जान कि परवा किये बगर, आप तो हर किसीको बुरा ही कहते हो 😄😃 , आप मे भी कोई बुराई होगी और एक बात आपकी ओ मुस्लिम व्यति के साथ रहने की कहानी बहुत बड़ी पूडि है 😃😀
Ek jagah bol rahe Osho pramanik the..fir bol rahe Hain zooth bol rahe hain 😂
महात्मा बुद्ध ,ईसा मसीह को ज्ञान पराप्त तो पहले ही हो चुका था यानी ईश्वर का अनुभव महात्मा बुद्ध कई साल जीए ईसा मसीह को भी पहले ही ज्ञान प्राप्त हो चुका था तभी ईसा मसीह ने चमत्कार दिखाए थे
Sir baki sab 100% true hai ..but meditation is not only hallucinations..
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
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I believe in God.I will always believe him.No one can change my mind❤. Jai Srikrishna 🙏.It is your problem.Don't tell us about it.😂😂😂
शाम मानव ओशो, बुद्ध, महविर, येशू, मोहम्मद पैगंबर से भी बहुत महान है. बहुत बुद्धिमान है.
जी. श्याम मानव जो इतने होशियार है के उनके जैसा दुनिया मे कोई होशियार नही. वह सब पर बोलते है, वह सर्वज्ञ है। उनका शब्द अंतिम है।उसके उपर कुछ भी नही। विश्व के वे एकमेव बुध्दिजीवी है। बाकी संत कुछ भी नही इनके सामने।😂😂
Shyam Manav Bharat ka chamatkar hai.Aur we bahut mahan hai.
Shyam Manav mahan hi nahi balki ek sant aatma hai , kaliyug ke mahan manochikistak hai Jo ki Sigmand froyed se bhi mahan hai . Kash un par koe jara sa dhyan de . Shayam Manav ne aapna naam badalkar sabse mahan Mahan Shyam Manav rakhana chahiye.
No matter enlightenment is real or not but one cannot deny that Buddha and Osho higher state of wisdom than ordinary person
आप के मन में जो आता है वही सत्य है । हम लोग वही सुनते हैं । सुनाए आप ।
Let's understand one thing.
A so-called Self Realised or Enlightened person cannot say that he or she is Enlightened or Self Realised. Neither can a person "experience" such a state becoz it's supposed to be a thoughtless state.
If the mind has witnessed this so-called enlightenment, it means that thought process was involved which in turn means the mind was involved. In other words, one cannot be a 'witness'. And witnessing is done by the mind.
In short, enlightenment or self realisation cannot be experienced by the mind. It's a delusion.
A truly enlightened person (if this be the case) does not know what enlightenment is.
For e.g. does a mad man know that he's mad? No!
Same is the case with this enlightenment nonsense.
He or she who claims of being a so-called Self Realised person is either in a state of delusion or trying to con people
ना सुख है ना दुख है , हु ।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
🎉🎉🎉❤❤❤
Acharya prashant has explained what is enlightenment in details in various videos . Crystal clear
100 प्रतिशत सत्य वचन।
मनावजी को थोड़ा करेक्ट करना चाहूंगा,
साक्षात्कार होना याने अपने विचारों को देखना, पढ़ना, सुनना।
इसका क्या उपयोग है, अच्छा है तो हम मोक्ष कहते है निर्वाण कहते है, पर विपरीत है तो मनुष्य पागल हो सकता है।
ये आम बात है, इसे कोई खास बात न करें।
भारत ही विश्वगुरु था और आज भी भारत ही दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है।
#mindgymuniverse
🎉🎉🎉❤❤❤
Lol😂😂😂😂
Only one who has attained it can explain it.
सर
साक्षात्कार झाला किंवा नाही हा प्रश्न नाही,
बुद्धाने राग ,लोभ व मोह यातून मुक्त झाले की नाही व परिणामतः असीम करुण चित्त झाले झाले की नाही हा प्रश्न आहे . ते कसे हे नंतर
आपकी बुद्धि की एक सीमा हैं आपने जितना समझा ओशो को वो आपकी बुद्धि का माप दंड है पर जितना मैंने समझा ओशो को वो पूर्ण हैं और पूर्ण इंसान बे बुझ होता हैं उसको कोई समझ नहीं सकता वो क्षण क्षण जीता हैं धनयवाद 🙏
यदी किसी को आत्मसाक्षात्कार के बारेमें कुछ समझना है.....तो स्वामी विवेकानंद जी की ग्रंथ संपदा, ग्रंथावली से आत्मसाक्षात्कार टौपीक को समझ ले.... साक्षात्कार याने शिवजी को स्वयं में धारण करना....शाम मानव और उनकी संस्था नास्तिक है.... साक्षात्कार शोर्टकटसे नहीं होता भाई....सतत प्रयास के बाद और शुचिर्भूत मन होने के बाद ही साक्षात्कार होता है.....
श्याम जी आपकी बात बिल्कुल तारतिक है। सही है।
ये श्याम मानव कुछ भी बकता रहता है, बाबासाहेब आंबेडकर ने बुद्ध के बारे मे जो लिखा है वही हमे मंजूर है!
बुद्धा ने कभी नही कहा कि मुझे ज्ञान प्राप्त हुवा है उनोने कहा कि मुझे धम्म का मार्ग मिला है।
Bhagwan budh to 80year jiye the kam thoda hai
सर्वप्रथम भगवान बुद्ध जी को कोटी कोटी प्रणाम. भगवान बुद्ध जी को जानने के लिये उनके बताये हुवे मार्ग पे चलना पडता है.वो भी लंबे समय तक तब कभी😊
तब कभी हमारा मन विकार मुक्त होता हैं,शुद्ध होता हैं, ओर मन की शुद्धता को ही बुद्ध जी ने धर्म कहा है. जीसका मन निर्मल होता है,शुद्ध होता हैं,उसकी तृष्णा से मुक्ति होती हैं. ओर तृष्णा ही दुखो कारण है. इस मायने मे दुखों से मुक्ति होती है. बस यही तो अनमोल देन है भगवान बुद्धजी की इस दुखियारे संसार को.आदरणीय मानवजी क्या कभी आप चले है बुद्ध ने बाताये मार्ग पर,क्या आपका कूछ अनुभव है इस मार्ग का,नहीं तो कृपया करके बुद्ध जी के बारे मे कुच्छ भी टिप्पणी करके इस दुःखियारे संसार को गुमराह मत किजिये .बुद्ध जी ने बताया मार्ग एकमेव दुःखों से मुक्ति का मार्ग है.मैं कुदरत से प्रार्थ ना करता है आपको भी इस मार्ग का अनुभव मिले ,अपकाभी मंगल हो.भला हो.कल्याण हो.
God has limitless brain.Human being is having most capable brain than any other species in this world.Meditation is a tool to develop the capacity of brain.As soon as the development of brain crosses a particular limit the meditating person becomes enlightened and achieve 'Ishwaratwa'.
You are right
But there is no personified god in Buddhism.
ईसे पागलपण बोलते है
@@santoshsd1694 Kuch bhi bak bak mat
@@gopalarao5843 सिंकोफेनिया कहते है ,अभास होता बाकी सब बकवास है सात्कक्षार