राग सारंग (९) रघुकुलमें प्रकटे रघुवीर | देशदेशतें टीको आयो दिव्य रत्न मनिहीर ॥ १ ॥ घरघर मंगल होत बधाई अति पुरवासिन भीर । आनंद मगन भये अति डोलत कछुव सुधि न शरीर ॥ २ ॥ हाटक बहु इच्छाजो लूटायो रत्न गायदेचीर ॥ देत असीस चूर चिरजीयो रामचंद्र रणधीर ॥ ३ ॥
राग सारंग (११) आज अयोध्या प्रकटे राम ॥ दशरथवंश उदे कुलदीपक शिव विरंचि मुनि भयो विश्राम ॥ १ ॥ घर घर तोरन वंदनमाला मोतिन चौक पूरे निजधाम ॥ परमानंददासतिर्हि अवसर बंदीजनके पूरत काम ॥ २ ॥
राग सारंग (८) माई प्रकट भये हें राम ।। हत्या तीन गईं दशरथकी सुनत मनोहर नाम ॥१ ॥ बंदीजन सब कौतुक भूले राघव जन्म निधान ॥ हरखे लोग सबे भुवपरके युव जन करतहें गान ॥ २ ॥ जयजयकार भयो वसुधापर संतन मन अभिराम ॥ परमानंददास बलिहारी चरन कमल विश्राम ॥ ३ ॥
→ राग सारंग (१४) नगरमें बाजत कहां बधाई | गर्भ उदय कौशल्या माता रामचंद्र निधि आई ॥ १ ॥ ऋषि बूझे कौशल्या माता केसो जन्म गुसांई ॥ नमी सोमवार तिथि नीको चौदह भुवन बडाई ॥ २ ॥ ब्राह्मण वेद पढत अति निर्मल ऋषि अभिषेक कराई ॥ द्वारें भीरभई दशरथके सामवेद ध्वनि गाई || ३ || घर घर मंगल चार साथिये मोतिनचौक पुराई ॥ सोहत राजरामको नीको मांनदास जहांपाई ॥ ४ ॥
राग सारंग (१०) आज अयोध्या मंगलचार | मंगल कलश माल अरु तोरन बंदीजन गावत सब द्वार ॥ १ ॥ दशरथ कौशल्याजु कैकेई बेठे आय मंदिर के द्वार ॥ रघुपति भवत शत्रु घन लक्ष्मण चार्यों धीर उदार ॥ २ ॥ एक नाचत एक करत कुलाहल पांयन नूपुर को झनकार ॥ परमानंददास मनमोहन प्रकटे असुर संहार ॥
Jay ho prabhu 👌🏻🙏🏻
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राग सारंग (९) रघुकुलमें प्रकटे रघुवीर | देशदेशतें टीको आयो दिव्य रत्न मनिहीर ॥ १ ॥ घरघर मंगल होत बधाई अति पुरवासिन भीर । आनंद मगन भये अति डोलत कछुव सुधि न शरीर ॥ २ ॥ हाटक बहु इच्छाजो लूटायो रत्न गायदेचीर ॥ देत असीस चूर चिरजीयो रामचंद्र रणधीर ॥ ३ ॥
Miteshbhai Gandharva na aavaj ma shree thakorji na pado sambhalva no khub aanad aavyo🙏🙏🙏Jay shri krushna 🙏🙏🙏🙏
राग सारंग (११) आज अयोध्या प्रकटे राम ॥ दशरथवंश उदे कुलदीपक शिव विरंचि मुनि भयो विश्राम ॥ १ ॥ घर घर तोरन वंदनमाला मोतिन चौक पूरे निजधाम ॥ परमानंददासतिर्हि अवसर बंदीजनके पूरत काम ॥ २ ॥
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Many Many Thanks jaiho jak
(१६) अयोध्या बाजत आज बधाई ॥ गावत मंगल करत कुलाहल प्रकट भये रघुराई ॥ १ ॥ दशरथ मन आनंद भयोहे विहंसी सबे लुगाई ॥ सुरविमान चढ कौतुक आये वरखा पोहोप कराई ॥ २ ॥ रघुपति तिलक त्रिलोक चिंतामणि सबहिनके सुखदाई ॥ जनसों कछू कहत नहीं आवे प्रेमभक्ति निधिपाई ॥ ३ ॥
राग सारंग (१२) कौशलपुर में बजत बधाई || सुंदर सुत जायो कौशल्या प्रकट भये रघुराई ॥ १ ॥ जातकर्म दशरथ नृपकीनो अगणित धेनु दिवाय ॥ गज तुरंग कंचन मणि भूषण पावस ऋतुमानो बरषाय ॥ २ ॥ देत असीस सकल नरनारी चिरजीयो सतभाय ॥ तुलसीदास आस पूरन भई रघुकुल प्रकटे आय ॥ ३ ॥
Thanks aape lyrics aapiya
Jay Shri Krishna
राग सारंग (८) माई प्रकट भये हें राम ।। हत्या तीन गईं दशरथकी सुनत मनोहर नाम ॥१ ॥ बंदीजन सब कौतुक भूले राघव जन्म निधान ॥ हरखे लोग सबे भुवपरके युव जन करतहें गान ॥ २ ॥ जयजयकार भयो वसुधापर संतन मन अभिराम ॥ परमानंददास बलिहारी चरन कमल विश्राम ॥ ३ ॥
→ राग सारंग (१४) नगरमें बाजत कहां बधाई | गर्भ उदय कौशल्या माता रामचंद्र निधि आई ॥ १ ॥ ऋषि बूझे कौशल्या माता केसो जन्म गुसांई ॥ नमी सोमवार तिथि नीको चौदह भुवन बडाई ॥ २ ॥ ब्राह्मण वेद पढत अति निर्मल ऋषि अभिषेक कराई ॥ द्वारें भीरभई दशरथके सामवेद ध्वनि गाई || ३ || घर घर मंगल चार साथिये मोतिनचौक पुराई ॥ सोहत राजरामको नीको मांनदास जहांपाई ॥ ४ ॥
Thanks for sharing pad
राग सारंग (१०) आज अयोध्या मंगलचार | मंगल कलश माल अरु तोरन बंदीजन गावत सब द्वार ॥ १ ॥ दशरथ कौशल्याजु कैकेई बेठे आय मंदिर के द्वार ॥ रघुपति भवत शत्रु घन लक्ष्मण चार्यों धीर उदार ॥ २ ॥ एक नाचत एक करत कुलाहल पांयन नूपुर को झनकार ॥ परमानंददास मनमोहन प्रकटे असुर संहार ॥