I can't evaluate Pnditji in technical terms...but I listen to him almost every morning...and get swept to unknown but intoxicating realms...He is devine...
~बालकृष्ण का ध्यान~ करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्। वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।। जिन्होंने अपने करकमल से चरणकमल को पकड़ कर उसके अंगूठे को अपने मुखकमल में डाल रखा है और जो वटवृक्ष के एक पर्णपुट (पत्ते के दोने) पर शयन कर रहे हैं, ऐसे बाल मुकुन्द का मैं मन से स्मरण करता हूँ। ~श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्रम्~ श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव। जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।। हे जिह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! गोविन्द ! हरे ! मुरारि ! हे नाथ ! नारायण ! वासुदेव ! तथा गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामृत का ही निरन्तर प्रेमपूर्वक पान करती रह। विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:। दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति।। जिनकी चित्तवृत्ति मुरारि के चरणकमलों में लगी हुई है, वे सभी गोपकन्याएं दूध-दही बेचने की इच्छा से घर से चलीं। उनका मन तो मुरारि के पास था; अत: प्रेमवश सुध-बुध भूल जाने के कारण ‘दही लो दही’ इसके स्थान पर जोर-जोर से ‘गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’ आदि पुकारने लगीं। गृहे गृहे गोपवधूकदम्बा: सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्। पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति।। व्रज के प्रत्येक घर में गोपांगनाएं एकत्र होने का अवसर पाने पर झुंड-की-झुंड आपस में मिलकर उन मनमोहन माधव के ‘गोविन्द, दामोदर, माधव’ इन पवित्र नामों को नित्य पढ़ा करती हैं। सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णो: प्रवदन्ति मर्त्या:। ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति।। अपने घर में ही सुख से शय्या पर शयन करते हुए भी जो लोग ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन विष्णुभगवान के पवित्र नामों को निरन्तर कहते रहते हैं, वे निश्चय ही भगवान की तन्मयता प्राप्त कर लेते हैं। जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि। समस्त भक्तार्तिविनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति।। हे जिह्वे ! तू सदा ही श्रीकृष्णचन्द्र के ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मनोहर मंजुल नामों को, जो भक्तों के समस्त संकटों की निवृत्ति करने वाले हैं, भजती रह। सुखावसाने इदमेव सारं दु:खावसाने इदमेव ज्ञेयम्। देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति।। सुख के अंत में यही सार है, दु:ख के अंत में यही गाने योग्य है और शरीर का अंत होने के समय भी यही मन्त्र जपने योग्य है, कौन-सा मन्त्र? यही कि ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ जिह्वे रसज्ञे मधुर प्रिया त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि। आवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति।। हे रसों को चखने वाली जिह्वे ! तुझे मीठी चीज बहुत अधिक प्यारी लगती है, इसलिए मैं तेरे हित की एक बहुत ही सुन्दर और सच्ची बात बताता हूँ। तू निरन्तर ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मधुर मंजुल नामों की आवृत्ति किया कर। त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते। वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति।। हे जिह्वे! मैं तुझी से एक भिक्षा मांगता हूँ, तू ही मुझे दे। वह यह कि जब दण्डपाणि यमराज इस शरीर का अन्त करने आवें तो बड़े ही प्रेम से गद्गद् स्वर में ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मंजुल नामों का उच्चारण करती रहना। श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो। जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।। हे जिह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! राधारमण ! व्रजराज ! गोपाल ! गोवर्धन ! नाथ ! विष्णो ! गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामृत का निरन्तर पान करती रह। स्तोत्र पाठ से लाभ विपत्ति के समय श्रद्धाभक्तिपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो मनुष्य के सारे दु:ख स्वयं भगवान हर लेते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भगवान साधक के चित्त में प्रवेश कर विराजने लगते हैं जिससे उसके समस्त कल्मष धुल जाते हैं, चित्त व अन्त:करण रूपी दर्पण स्वच्छ हो जाता है और जो आनन्दामृत प्रदान करने के साथ मनुष्य को मोक्ष भी प्रदान करता है। एक बार ‘कृष्ण’ नाम ही हर लेता है जितने पाप। नहीं जीव की शक्ति, कर सके वह जीवन में उतने पाप।
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्तिः पूजामूलं गुरुर्पदम् । मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरूर्कृपा ॥ Dhyaana-Muulam Gurur-Muurtih Puujaa-Muulam Gurur-Padam | Mantra-Muulam Gurur-Vaakyam Mokssa-Muulam Guruur-Krpaa || Meaning: 1: The Root of Meditation is the Form of the Guru, 2: The Root of Worship is the Feet of the Guru, 3: The Root of Mantra is the Word of the Guru, 4: The Root of Liberation is the Grace of the Guru.
Sneha is eating grain and roti Nitesh is eating egg with roti and other items Mrs Kareena Chand Rajan jee husband Raja Kanhaiya Chand Rajan jee is eating grain and roti yah hai Bhagvan Jai Mata Di
Oil Deepak mai sakate vakt Deepak bugh gaya thaa isliye Bhartiya Janata party ke leaders Kanhaiya Kareena Chand Rajan ne Deepak prajvalit liya dosra Radha Radha
👏👏
Danda bat pranam
बेहतरीन , अद्वितीय, आत्मविभोर करनेवाली प्रस्तुति 🙏🙏 पंडित जी के गायन का क्या ही कहना है। उनकी पराकाष्ठा को अभिव्यक्त करने वाला कोई शब्द नहीं है 👍🙏🙏
The best, Pandit Jasraj. He is Light!
Mahan. Gayaki
🎉❤😊
Pandit jasraj g par daak ticket 🎫 released 🎉❤😊
Hare Krishna
I can't evaluate Pnditji in technical terms...but I listen to him almost every morning...and get swept to unknown but intoxicating realms...He is devine...
Meri aatma ko shanti deney wali atulya vani .. Aap dhanya hai
🙏🙏
🌿🌼🌷🙏🌷🌼🌿
Atiuttam prastuti 🙏🏻🕉🔱
🎉🎉🎉❤
🎉
Divatidivya
Sheer devine rendering.
Gratitude🙏
Pranam. Guru dev Jasraj sir
flows like a river to an ocean. To Govinda
dhanyavaad guruji!
prabhu hamesha aap ko aise hi sangeet ki bhakti mai leen rakhe!
जय गुरू देव, खूप छान
Naman Gurudev Bapuji Pandit Jasraj Ji ❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Surprising this video has only 266 likes so far and as for the 18 who didn't like it.....God bless you!
I am making tea for Sneha and me God Will Be Done Ameen Prabhu
JAY JAY SRI KRISHAN
Wow... Superb....Such an energetic performance, such perfection. सादर नमन🙏🙏
The Divine Voice connects you to some strange place of the body or soul, its feels strange but divine.
Jai bhole naath
🎉
Gratitude from Humanity 💐🙏🏻
Electricity is available now Om Shree Krishnay Vayam Mamah Jai Jai Shree Radhe
So great peaceful devotion leads to other world
Jay ho bapuji
~बालकृष्ण का ध्यान~
करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।।
जिन्होंने अपने करकमल से चरणकमल को पकड़ कर उसके अंगूठे को अपने मुखकमल में डाल रखा है और जो वटवृक्ष के एक पर्णपुट (पत्ते के दोने) पर शयन कर रहे हैं, ऐसे बाल मुकुन्द का मैं मन से स्मरण करता हूँ।
~श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्रम्~
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! गोविन्द ! हरे ! मुरारि ! हे नाथ ! नारायण ! वासुदेव ! तथा गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामृत का ही निरन्तर प्रेमपूर्वक पान करती रह।
विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:।
दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति।।
जिनकी चित्तवृत्ति मुरारि के चरणकमलों में लगी हुई है, वे सभी गोपकन्याएं दूध-दही बेचने की इच्छा से घर से चलीं। उनका मन तो मुरारि के पास था; अत: प्रेमवश सुध-बुध भूल जाने के कारण ‘दही लो दही’ इसके स्थान पर जोर-जोर से ‘गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’ आदि पुकारने लगीं।
गृहे गृहे गोपवधूकदम्बा: सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति।।
व्रज के प्रत्येक घर में गोपांगनाएं एकत्र होने का अवसर पाने पर झुंड-की-झुंड आपस में मिलकर उन मनमोहन माधव के ‘गोविन्द, दामोदर, माधव’ इन पवित्र नामों को नित्य पढ़ा करती हैं।
सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णो: प्रवदन्ति मर्त्या:।
ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति।।
अपने घर में ही सुख से शय्या पर शयन करते हुए भी जो लोग ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन विष्णुभगवान के पवित्र नामों को निरन्तर कहते रहते हैं, वे निश्चय ही भगवान की तन्मयता प्राप्त कर लेते हैं।
जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
समस्त भक्तार्तिविनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू सदा ही श्रीकृष्णचन्द्र के ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मनोहर मंजुल नामों को, जो भक्तों के समस्त संकटों की निवृत्ति करने वाले हैं, भजती रह।
सुखावसाने इदमेव सारं दु:खावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति।।
सुख के अंत में यही सार है, दु:ख के अंत में यही गाने योग्य है और शरीर का अंत होने के समय भी यही मन्त्र जपने योग्य है, कौन-सा मन्त्र? यही कि ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’
जिह्वे रसज्ञे मधुर प्रिया त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
आवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे रसों को चखने वाली जिह्वे ! तुझे मीठी चीज बहुत अधिक प्यारी लगती है, इसलिए मैं तेरे हित की एक बहुत ही सुन्दर और सच्ची बात बताता हूँ। तू निरन्तर ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मधुर मंजुल नामों की आवृत्ति किया कर।
त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते।
वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे! मैं तुझी से एक भिक्षा मांगता हूँ, तू ही मुझे दे। वह यह कि जब दण्डपाणि यमराज इस शरीर का अन्त करने आवें तो बड़े ही प्रेम से गद्गद् स्वर में ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मंजुल नामों का उच्चारण करती रहना।
श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! राधारमण ! व्रजराज ! गोपाल ! गोवर्धन ! नाथ ! विष्णो ! गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामृत का निरन्तर पान करती रह।
स्तोत्र पाठ से लाभ
विपत्ति के समय श्रद्धाभक्तिपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो मनुष्य के सारे दु:ख स्वयं भगवान हर लेते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भगवान साधक के चित्त में प्रवेश कर विराजने लगते हैं जिससे उसके समस्त कल्मष धुल जाते हैं, चित्त व अन्त:करण रूपी दर्पण स्वच्छ हो जाता है और जो आनन्दामृत प्रदान करने के साथ मनुष्य को मोक्ष भी प्रदान करता है।
एक बार ‘कृष्ण’ नाम ही हर लेता है जितने पाप।
नहीं जीव की शक्ति, कर सके वह जीवन में उतने पाप।
Thanks
धन्यवाद... आपने इसका भावार्थ बताकर इस भजन के सौंदर्य को बढ़ा दीया है। आपको नमन है !
You feel you are near to the God when you listen the bhajan and remember the meaning.
Nice
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्तिः
पूजामूलं गुरुर्पदम् ।
मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं
मोक्षमूलं गुरूर्कृपा ॥
Dhyaana-Muulam Gurur-Muurtih
Puujaa-Muulam Gurur-Padam |
Mantra-Muulam Gurur-Vaakyam
Mokssa-Muulam Guruur-Krpaa ||
Meaning:
1: The Root of Meditation is the Form of the Guru,
2: The Root of Worship is the Feet of the Guru,
3: The Root of Mantra is the Word of the Guru,
4: The Root of Liberation is the Grace of the Guru.
Ye
Gurur bramha, gurur vishanu, gururdevo maheshavra, guru sakshat parbramh, tasmain shree gurvenamah:🙏
It has no word to comments about this recitation. Totally speechless. Only one word is come out this is excellent, excellent and excellent.
महान गायिकी
All time favourite composition.
He is divine.no words.🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
chidanand roopa shivoham shivoham ...jai hoo gurudev
Aatisundar Bapuji Pranaam Nice Singing .Blessyou .
MASHAALLAH SUBHANNALLAH SUBHANNALLAH SUBHANNALLAH SUBHANNALLAH SUBHANNALLAH SUBHANNALLAH !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
Superb drdeepa md
Other worldly music with unique swar that transcends self even though we may not understand the nuances.
Nice song
🙏🏼💐👍🎶🙏🏼
i m listening from last 6 months ..its Devine and life is changing ..very positive
बांके बिहारी आपको दीर्घ आयु दे
05:12 krishnaaaa ... wow.. what a voice.. what a love for krsna...
Aapki aawaz sun k bhagwan ankho k shamne aa jate hai prabhu ji
Sanjay Verma indeed
Aapke gaan aagam mantr . Bhagvaan saamne dikhta hai
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🙏🙏
Beautiful ..jai Govind ..
Jai shri Krishna
Kk 1:01:00 1:01:02
Jasraj Ras raj Kanhaiya ko hriday me Anubhav karate hain
pranaam
Masterpiece !
jay Swaminarayan
I am going to bath now Jai Guru Dev
He pass away in 2020
Bhakti bhav ka divya roup darsan sader pranam k b farm mdl Bhl raj
Sneha is eating grain and roti Nitesh is eating egg with roti and other items Mrs Kareena Chand Rajan jee husband Raja Kanhaiya Chand Rajan jee is eating grain and roti yah hai Bhagvan Jai Mata Di
Rajya Sabha se M.P. hai Bhartiya Janata party ka leader Raja Kanhaiya Chand Rajan jee Jai Mata Di
Bhartiya Janata party ke leaders ne NDA ke sabhee leaders ke sath grahan bhee kar liya hai Laddu Gopal Bhagvan ka prasad Jai Mata Di
Oil Deepak mai sakate vakt Deepak bugh gaya thaa isliye Bhartiya Janata party ke leaders Kanhaiya Kareena Chand Rajan ne Deepak prajvalit liya dosra Radha Radha
Electricity is not available so I bathed only by water without soap Jai Shri Ram
Allah song shud b removed....
Separately. Present it....
Otherwise no requirement
🎉
Hamare bhakti me allah q ghusa diya bhai
મંત્ર મુગ્ધ કરી નાખ્યા
Disliked it because of the advertisements
Superb drdeepa mf