Part - 02 || कहत कबीर सुनो भाई साधो | नितिन दास (मदनपंथी) का पर्दाफाश | पापों से मुक्ति पाने का उपाय
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- Опубликовано: 12 сен 2024
- Part - 02 || कहत कबीर सुनो भाई साधो | नितिन दास (मदनपंथी) का पर्दाफाश | पापों से मुक्ति पाने का उपाय
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यजुर्वेद अध्याय 8 का मंत्र 13 में स्पष्ट है कि पूर्ण परमेश्वर भक्ति करने वाले भक्त के सर्व पाप को भी विनाश कर देता है।
भक्ति करने वाले भक्त के शर्व पाप को भी विनाश कर देता hai
यजुर्वेद अध्याय 8 का मंत्र 13 में विश्वास है कि पूर्ण परमेश्वर। भक्ति करने वाले सर्व पाप को निवास कर देता है अवश्य देखिए साधना चैनल 7:30 से 8:30 तक
संत रामपाल जी महाराज जी एक ऐसे महान संत हैं जिनका यथार्थ तत्वज्ञान इतना प्रबल है कि इसके समक्ष अन्य संतों व ऋषियों का ज्ञान टिक नहीं पाएगा। जैसे तोप का गोला जहां भी गिरता है वहां पर मैदान साफ कर देता है। 17 फरवरी को उनका बोध दिवस है।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है, ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
गीता अध्याय 18 शोक 23 में कहां है जो सड़क शास्त्र विधि को त्याग कर जो मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख हहोताहै ना कोई सिद्धि को प्राप्त होता है तथा ना ही गति
अर्थात मोक्ष होता हैं
सतयुग से लेकर अब तक प्रत्येक मानव भगवान को प्राप्त करने, जन्म-मृत्यु, वृद्धावस्था के कष्ट से छुटकारा पाने और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील है। इसके लिए ऋषि, मुनियों और तपस्वियों ने हजारों, लाखों वर्षों तक घोर तप भी किया लेकिन परमात्मा प्राप्ति का उनका यह प्रयत्न विफल रहा। क्योंकि नितिन दास जैसे संतों ने उसे डुबोदिया
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है परमेश्वर हमारे पापो का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते है इसके अलावा भी अनगिनत प्रमाण सदग्रंथो मे मौजूद है जिनका उल्लेख यहाँ सम्भव नही इसके लिये
परमात्मा के सत्यनाम
का स्मरण करने से बहुत से अधम (नीच कर्मी प्राणी) भी भव सागर से पार हो गए।
परमात्मा के सतनाम का सुमरन करने से बहुत से अधम ( निच करमी) पारसी भव सागर से पार हो जाएगे
Mantro ke jaap say kabhi mox ni hoga ye 52 akhri naam hai jo insaan ne banaye hai rampal galt sandna de thy hai
Jab hi satnaam hriday dharo, bhayo paap ke naash; mano chingari Agni 🔥ki; pdi purani ghaas
Nitin das ko Satnaam aur satgyaan ek lgta hai, murkh pakhandi
यजुर्वेद अध्याय नंबर 8 का मंत्र नंबर 13 में प्रमाण है कि परमात्मा भक्ति करने वाले भगत के पापों का नाश कर देता है चाहे वह भगत के पिछले जन्म के पाप हूं वह भी नष्ट हो जाते हैं यदि भगत शास्त्रों के अनुसार भक्ति करता है तो
सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
भई बधाई जाति धर्म या जैण्डर देखकर नहीं कार्य देखकर दी जाती है । सभी को ढेरों शुभकामनाएं
Sahi baat hai
गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में स्पष्ट किया है कि जो साधक शास्त्राविधि त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है यानि जो भक्ति की साधना शास्त्रों में वर्णित नहीं है, उसे करता है तो उसे न तो सुख प्राप्त होता है, न उसे भक्ति शक्ति यानि सिद्धि प्राप्त होती है तथा न उसकी गति यानि मुक्ति होती है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
नितिन दास को अध्यात्मज्ञान कुछ भी नहीं है ये भक्तों को गुमराह किए है
Right
गीताजी आ 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्रविरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता है और न ही कोई सुख तथा गति प्राप्त होती है।
जब ही सतनाम हृदय धरो, भयो पाप को नाश
जैसे चिंगारी अग्नि की पड़ी पुराने घास ||
हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
पूर्ण परमात्मा की भक्ति, पूर्ण गुरु द्वारा बताई गई साधना करने से मुनष्य के सभी पाप नाश हो जाते हैं
शास्त्र विरुद्ध साधना से ना किसी की गति होती है और ना किसी को मुक्ति प्राप्त होती है गीता अध्याय 16 श्लोक23
हम हिंदूओ को आज तक ये बताया जाता रहा है कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता, जबकि ऋग्वेद मंडल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1में लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है सरकार है।
🕉️ गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखा है।
ऊँ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः
सचिदानन्द घन ब्रह्म की भक्ति का मन्त्र ‘‘ऊँ तत् सत्‘‘ है। “ऊँ‘‘ मन्त्र ब्रह्म का है। “तत्” यह सांकेतिक है जो अक्षर पुरूष का है। ‘‘सत्’’ मंत्र भी सांकेतिक मन्त्र है जो परम अक्षर ब्रह्म का है। इन तीनों मन्त्रों के जाप से वह परम गति प्राप्त होगी जो गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कही है कि जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते।
आज तक के इतिहास में कभी किसी भागवत कथावाचक द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता खोलकर नहीं दिखाई गई और न ही उसमें वर्णित श्लोकों का अर्थ बताया गया। सभी धर्मगुरु केवल उपवास और राशियों, ग्रह एवं नक्षत्रों के ऊपर बल देते हैं। मोक्ष के विषय में न उनके पास स्वयं कोई
Right
सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
सतयुग से लेकर अब तक प्रत्येक मानव भगवान को प्राप्त करने, जन्म-मृत्यु, वृद्धावस्था के कष्ट से छुटकारा पाने और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील है।
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1- 3
जबही सतनाम हृदय धरो, भयो पाप को नाश।
जैसे चिंगारी अग्नि की पड़ी पुराने घास।।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में स्पष्ट लिखा है कि पूर्ण परमेश्वर भक्ति करने वाले भक्त के सर्व पाप का भी विनाश भी कर देता है।
जबहि सतनाम हृदय धरो,भयो पाप का नाम।
जैसे चिनगारी अग्नि कि,परि पुरानी घास।।
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सदभक्ति करने वाले के पापकर्म खत्म कर देता है।
ज्ञानी समाज को चाहिए अपने जीवन से खिलवाड़ ना करके सच्चाई स्वीकार करें और अपना मौछ काराऐ
साधु दर्शन राम का, मुख पर बसे सुहाग।
दर्शन उनही को होत हैं, जिनके पूर्ण भाग।।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23
जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से
मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है।
जवही सतनाम हृदय धरो भयो पाप को नास
मानो चिंगारी अग्नि की परी पुरानी घास!!
गुरु बिन माला फेरते हैं गुरु बिन देते दान
गुरु बिन दोन निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण
गीता शास्त्र में व्रत करना व्यर्थ कहा है।
प्रमाण गीता अध्याय 6 श्लोक 16
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।16।।
गीता अध्या,16श्लोक 23मे कहा है कि शास्त्रविरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता है और न ही कोई सुख तथा गति नहीं होती है 👍
वेदों में लिखा है जो वेद शास्त्र के आधार पर भक्ति बताते हैं उस भक्ति करने से पूर्ण मोक्ष तथा यहां के सभी पाप कर्म कट जाते हैं
जब ही सत्यनाम हृदय धरयो, भयो पाप का नाश l मानो जिंगारी अग्नि की पड़ी पुरानी घास
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है।
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
सत्य भक्ति से पाप नाश होते है ।।
जबही सतनाम हृदय धरियो
भयो पाप् को नाश
जैसे चिंगारी अग्नि की
पडी पूरानी घास ।।
शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हमारे प्रारब्ध के कर्म भी खत्म हो जाते है और हमें पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है
सच्चा सतगुरू से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से सर्व सुख शांति प्रदान हो सकती है ।
श्रीमद् देवीभागवत पुराण के अध्याय 5 पृष्ट 123 में प्रमाण है कि भगवान शंकर भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु माता दुर्गा से उत्पन्न हुए हैं
पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू
गीताजी अध्याय 18 श्लोक 62 प्रमाणित करता है कि पूर्ण परमात्मा गीता ज्ञानदाता से भिन्न है।
हे भारत! तू संपूर्ण भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाले अविनाशी स्थान को अर्थात् सतलोक को प्राप्त होगा।”❤❤❤❤❤
आज तक हमें श्राद्ध करना और पितर पूजा करना मोक्ष की क्रिया बताया जा रहा था। लेकिन गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध और पिंड आदि कर्मकांड को गलत बताया है। मार्कन्डेय पुराण में भी पितर पूजा को मूर्खों की साधना कहा है। तो फिर ये साधना क्यों कारवाई जा रही है। संभलो हिन्दू भाइयो
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है।
पवित्र हिन्दू शास्त्र
वेद
NS
गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है।
प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25
यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः। भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।।
श्रीमद्भगवद्रीता
परन्तु फिर भी हिन्दू समाज के धर्मगुरु हिंदुओं को इसके विपरीत विधि बताकर भूत पुजवा रहे हैं। यह सब काल का जाल है।
जागो हिन्दू भाई बहनों।
पवित्र ऋग्वेद में प्रमाण है कि परमात्मा अपने साधक के सभी पापो को समाप्त कर देता है ।
पवित्र ऋग्वेद में प्रमाण है कि परमात्मा साधक का घोर पाप भी समाप्त कर देता है।
गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है।
प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25
यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः।
भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।।
परन्तु फिर भी हिन्दू समाज के धर्मगुरु हिंदुओं को इसके विपरीत विधि बताकर भूत पुजवा रहे हैं। यह सब काल का जाल है।
जागो हिन्दू भाई बहनों।
वेदों में प्रमाण है कि सच्चा गुरु के शरण में रह के सच्ची भक्ति करने से पाप कर्म कट जाते हैं
वेदों में प्रमाण है कि सच्चा गुरु की शरण में रह कर सच्ची भक्ति करने से पाप कर्म कट जाते हैं।
हमें तो पता भी नहीं था भगवान सकार है हमें तो यही बताया गया अपने धर्म गुरु दुधवा कीभगवान निराकार है पर संत रामपाल जीमहाराज जी के सत्संग सुनकर पता चला भगवान सरकार है बहुत अच्छी जानकारी मिली
सदभक्ति से पाप कर्म नाश होते हैं
परमात्मा की सतभक्ति से पाप कर्म समाप्त हो जाते है
हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता, जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है साकार है।
আমাক আজিলৈকে এইটোৱে কোৱা হৈছে যে পাপ কৰ্মৰ দ্বাৰা হ'বলগীয়া দুখক ভুগিবই লাগিব।
যজুৰ্বেদ অধ্যায় ৫ মন্ত্ৰ ৩২ , অধ্যায় ৮ মন্ত্ৰ ১৩ ত সন্ত ৰামপাল মহাৰাজে কৈছে যে কবীৰ পৰমেশ্বৰে ( কবিৰ্দেৱ) ডাঙৰ ডাঙৰ পাপকো সমাপ্ত কৰি দিয়ে। যেতিয়া পাপ সমাপ্ত হ'ব তেতিয়া দুখ সমাপ্ত হ'ব।
हिंदुओं के साथ हुआ धोखा
हिन्दू समाज का मानना है कि तीनों देवताओं के कोई माता-पिता नहीं हैं।
जबकि सच यह है कि दुर्गा इनकी माता है।
प्रमाण- गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद् देवीभागवत पुराण जिसके सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पौद्दार चिमन लाल गोस्वामी, तीसरा स्कंद, अध्याय 5 पृष्ठ 123 भगवान शंकर, भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु स्वयं को माता दुर्गा से उत्पन्न हुआ बता रहे हैं।
Noman sut uljhiya rishi Gaye jhak maar satguru aisa suljha de uljhena duji bar❤❤
भक्ति भगवान की बहुत ही बारीक है, शीष सौंपे बिना भक्ति नाहीं ।
होय अवधूत सब आशा तन की तजै, जीवता मरै सो भक्तिपाहीं ।।
हम हिंदुओं को आज तक बताया जाता है परमात्मा निराकार है वह दिखाई नहीं देता है जबकि ऋग्वेद मंडल 9 सूत्र 82 मंत्र में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय हैं साकार है
यजुर्वेद अध्याय 8मन्तृ 13मे कहा है कि परमात्मा अपने साधक घोर पापों का नाशक करता है। इसलिए यदि पाप खत्म हो गये तोफिर रोग भी नहीं रहेगा।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में कहा गया है परमात्मा अपने साधन के घोर पाप का नाश करता है यदि पाप नाश हो जाएंगे तो कोई दुख नहीं रहेगा
यह हमारे वेद प्रमाणित करते हैं
🔅सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
पूर्ण परमात्मा की साधना से घोर से घोर पाप भी नाश हो जाता है
तन एक सराय है, आत्मा है मेहमान।
तन को अपना जानकर,मोह न कर नादान।।
ऋग्वेद, मंडल 10, सूक्त 163 मंत्र 1
पूर्ण परमात्मा पाप कर्म हमारे नाश करने वाले हर कष्ट को दूर करने विषाक्त रोग से मुक्ती दिलाने वाले हैं उनका नाम कविर्देव है
राज तजना सहज है, सहज त्रिया का नेह।
मान बड़ाई ईर्ष्या, दुर्लभ तजना येह ।।
जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा
पाप कर्म से होने वाली पीड़ा से ध्यान हटाने पर पाप कर्म का जो कष्ट है वह कभी कम
Great Spiritual Knowledge
गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है।
प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25
यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः।
भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।।
Bhagavad Gita Chapter 8, Verse 16, reveals that even those who attain Brahmaloka experience rebirth, emphasizing the cycle of birth and death. Understanding this is crucial for seekers aiming for liberation.
यजुर्वेद आ 8 मन्त्र 13 में कहा है कि परमात्मा अपने साधक के घोर पापों का नाश करता है। इसलिए यदि पाप खत्म हो गये तो फिर रोग भी नहीं रहेगा।
यजुर्वेद अध्याय 8 के मंत्र 13 में कहां है कि परमात्मा अपने साधक के सभी पाप नष्ट कर देता है जब हम शास्त्रों के अनुसार भक्ति करते हैं तो हमारे पाप कट जाते हैं इसलिए सभी रोग नष्ट हो जाते हैं
मानव समाजमा धार्मिक ग्रन्थहरूको तत्त्वज्ञान आजसम्म ओझेलमा परेको छ, तर सन्त रामपालजी महाराजले सबै शास्त्रहरूको सार र त्यहाँ उल्लेखित तत्त्वज्ञान स-प्रमाण प्रदान गर्नुभएको छ।
सही सुमिरन और भक्ति से ही परमात्मा राजी होते हैं।
पूर्ण परमात्मा की जानकारी के लिए
जरूर पढ़े पुस्तक "जीने की राह
Amazing spiritual knowledge ❤❤
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा घोर से घोर पापों को नाश कर देता है।।
राम नाम जपते रहो जब तक घट में प्राण।
कभी तो दीनदयाल के भिनक पड़ेगी कान।।
नितिन दास ने बहुत लोगो का गलत भक्ति करवा कर जीवन बर्बाद कर दिया
The ultimate goal of bhakti/devotion is to seek true spiritual knowledge, identify our real Supreme Father and perform those practices which actually provide ‘moksha’ (i.e salvation).
It's aa right
आछे दिन पाछे गये, गुरु से किया न हेतु।
अब पछतावा क्या हुआ,जब चिड़िया चुग गई खेत।।
Amazing spiritual knowledge
सतभक्ति से पाप कर्म का नाश होता है।
जब सतनाम हृदय धरो भयो पाप को नाश जैसे चिंगारी अग्नि की पड़े पुराने घांस
गीता अध्याय 11 श्लोक 23 में उस पूर्ण परमात्मा (सतपुरूष) की साधना का भी संकेत दिया है। है कि उस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति का तो केवल (ॐ-तत्-सत् ) इस तीन मंत्र के जाप का निर्देश है। यही साधना साधक जन सृष्टि के प्रारंभ में करते थे।
Authentic spiritual knowledge
गीता अध्याय 16 शोक 23 में कहा गया है शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करने से ना कोई सुख मिलता है ना लाभ होता है ना मुक्ति
True spiritual knowledge 😊
पुर्ण परमात्मा की भक्ति शास्त्र अनुकूल साधना अनुसार करने से पाप कर्म कटते हैं।
Power_Of_TrueWorship✅
पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
जो शास्त्र के अनुसार भक्ति नहीं करते हैं और नकली गुरु में फंसे हुए हैं उनको मृत्यु के बाद यम के दूत नरक में घसीट के ले जाते हैं
सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है।
सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
नितिन दास भक्तों को गुमराह कर रहे हैं
झूठे गुरूऔं का ऐसे ही पाखंड को सार्वजनिक करते रहिये जी।
धन्यवाद।
गीता अध्याय 4 का श्लोक 5 में गीता बोलने वाले प्रभु ने स्पष्ट कहा है कि हे परन्तप अर्जुन! मेरे और तेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। उन सबको तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
সম্পূর্ণ ভিডিও দেখার পরে বুঝা গেল যে সন্ত রামপাল জি মহারাজের জয়❤
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
धन्यवाद आपके चैनल को जो सच को उजागर करने का कार्य कर रहे❤
पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू
गीता शास्त्र में व्रत करना व्यर्थ कहा है।
प्रमाण गीता अध्याय 6 श्लोक 16
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।16।।
सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
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Truth is bitter. Thank you Factful channel for sharing facts through videos. Please come with more eye opening videos.
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में लिखा है कि सद्भक्ति करने वाले साधक के घोर पाप को परमात्मा नष्ट कर देते हैं
Sant Rampal Ji Maharaj Is 100% True
शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हमारे प्रारब्ध के कर्म भी खत्म हो सकते हैं और हम मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं
जवाही नाम हृदय धरो भयो पाप को नाश
मानो चिनगी अग्नि की परी पुरानी घास
True knowledge...
Must watch till end..