कुमार सानू और उदित नारायण दोनों के साथ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई थी। बेहद दुख की बात है कि मैं यहाँ हूँ यहाँ और तेरे नाम टाइटल सॉन्ग जैसे बेहतरीन ब्लॉकबस्टर songs के लिए उदित जी को फिल्म फेयर अवार्ड नहीं मिला। इसी तरह इनके कई बेहतरीन गाने हैं जिनके लिए इनको नॉमिनेट तो किया लेकिन फिल्म फेयर नही मिला। उदित जी के साथ कभी इंसाफ नहीं हुआ। मैं यहां हूं यहां (वीर जारा), कहो ना प्यार है टाइटल सॉन्ग, दिल तो पागल है टाइटल सॉन्ग, एक दिलरूबा है (बेवफा), जादू तेरी नजर, पहला नशा पहला खुमार, फूलों सा चेहरा तेरा, हो नहीं सकता (दिलजले ), कुछ कुछ होता है टाइटल सॉन्ग, तेरे नाम टाइटल सॉन्ग, दिल ने ये कहा है दिल से, आंखें खुली हो या हो बंद ( मोहब्बतें ), पंछी सुरु में गाते हैं (सिर्फ तुम), मेरी सांसों में बसा है, दुनिया हसीनो का मेला, इत्यादि। ये सारे गाने नॉमिनेट हुए थे। उदित जी को टोटल 20 बार फिल्मफेयर के लिए नॉमिनेट किया गया, इतनी बार अभी तक भारत के इतिहास में सिर्फ किशोर कुमार को नॉमिनेट किया गया है। अगर इमानदारी से फिल्मफेयर दिया जाता तो उदित जी को कम से कम 20 में से 10 बार फ़िल्म फेयर मिलना चाहिए था। वर्ष 1995 में तुझे देखा तो जाना सनम(कुमार सानू )को अवार्ड मिलना चाहिए था, और वर्ष 1994 में ये काली काली आंखें की जगह पर जादू तेरी नजर को अवार्ड मिलना चाहिए था। ऐसा ही वाकया नेशनल अवार्ड में भी हुआ है। घूंघट की आड़ से दिलबर का यह गाना कुमार सानू और अलका जी दोनों ने गाया था, लेकिन नेशनल अवॉर्ड सिर्फ अलका जी को मिला। कुछ कुछ होता है के टाइटल सॉन्ग के लिए अलका जी को नेशनल अवार्ड मिल गया, लेकिन उदित नारायण को नहीं मिला। फिल्मफेयर टीम के judges के फैसले पर मुझे बहुत आपत्ति है. साल 2004 में मर्डर फिल्म का एक गाना ' प्यासा दिल मेरा, एक रात बिताओ मेरे साथ ' जैसे बेहूदा और वाह्ययात गाने के लिए कुणाल गांजा वाला को फिल्म फेयर दे दिया जाता है, जबकि उस साल का सर्वश्रेष्ठ गाना था मैं यहां हूं यहां (वीर जारा ). पता नहीं क्या सोचकर यह लोग फिल्म फेयर देते हैं ? इन्हें म्यूजिक के टेस्ट का कुछ पता ही नहीं है और चले आते हैं जज बनने. इन्हें जज कौन बना देते हैं यार? जज बनने की क्राइटेरिया को क्या यह लोग पूरा करते हैं? खासकर तेरे नाम के साथ बहुत बड़ी नाइन्साफी हुई, एक पब्लिक सर्वे के मुताबिक तेरे नाम के गाने को बॉलीवुड के इतिहास में अभी तक लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया गया है। तेरे नाम का म्यूजिक जब 2003 में रिलीज हुआ था तो बहुत सारे रेडियो चैनलों ने तेरे नाम के songs को बैन कर दिया था, क्यूंकि लोगों की हर दस में से 9 फरमाइशें तेरे नाम की होती थी। रेडियो वाले तेरे नाम के गाने बजा बजा कर थक जाते थे। अवार्ड judgement में सबसे बड़ा अन्याय तेरे नाम के साथ हुआ है. तेरे नाम के गाने आज भी लोगों के बीच बेहद ही ज्यादा लोकप्रिय हैं और सदा रहेंगे.
I'm very excited to see this vlog.. Kumar Shanu Sir's all songs are mindblowing... such a beautiful program it is!!!🥰 I missed the program...🥺
कुमार सानू भारत के एक बहुत बड़े गायक हैं
Khub sundor laglo...❤
Awesome ❤ dont wanna miss the next concert
Wahhhh Dada ❤🙏
দারুন দারুন অসাধারণ 🌹🌹🌹🌹🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌿🌿🌿🌹🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌿🌹🌿🌹🌿🌿🌿🌿🌿🌹
বাহ অসাধারণ ভাই খুবই ভালো লাগলো 🫶
শানুদা মানেই 90 দশক 👌
নস্টালজিয়া একটা ব্যাপার
যেটার কোনো বিকল্পই নেই ❤️
My favorite singer Shanu Da , Rahman Bhai I missed the show coming with you. 👌👍❤️
Superb,nice,wonderful,awesome just wooooooooooow
My Favorite singers and songs 😮❤❤❤
Please add more of sadhana sargam 😢❤❤
Memorable Moment ❤❤
कुमार सानू और उदित नारायण दोनों के साथ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई थी। बेहद दुख की बात है कि मैं यहाँ हूँ यहाँ और तेरे नाम टाइटल सॉन्ग जैसे बेहतरीन ब्लॉकबस्टर songs के लिए उदित जी को फिल्म फेयर अवार्ड नहीं मिला। इसी तरह इनके कई बेहतरीन गाने हैं जिनके लिए इनको नॉमिनेट तो किया लेकिन फिल्म फेयर नही मिला। उदित जी के साथ कभी इंसाफ नहीं हुआ। मैं यहां हूं यहां (वीर जारा), कहो ना प्यार है टाइटल सॉन्ग, दिल तो पागल है टाइटल सॉन्ग, एक दिलरूबा है (बेवफा), जादू तेरी नजर, पहला नशा पहला खुमार, फूलों सा चेहरा तेरा, हो नहीं सकता (दिलजले ), कुछ कुछ होता है टाइटल सॉन्ग, तेरे नाम टाइटल सॉन्ग, दिल ने ये कहा है दिल से, आंखें खुली हो या हो बंद ( मोहब्बतें ), पंछी सुरु में गाते हैं (सिर्फ तुम), मेरी सांसों में बसा है, दुनिया हसीनो का मेला, इत्यादि। ये सारे गाने नॉमिनेट हुए थे। उदित जी को टोटल 20 बार फिल्मफेयर के लिए नॉमिनेट किया गया, इतनी बार अभी तक भारत के इतिहास में सिर्फ किशोर कुमार को नॉमिनेट किया गया है। अगर इमानदारी से फिल्मफेयर दिया जाता तो उदित जी को कम से कम 20 में से 10 बार फ़िल्म फेयर मिलना चाहिए था। वर्ष 1995 में तुझे देखा तो जाना सनम(कुमार सानू )को अवार्ड मिलना चाहिए था, और वर्ष 1994 में ये काली काली आंखें की जगह पर जादू तेरी नजर को अवार्ड मिलना चाहिए था। ऐसा ही वाकया नेशनल अवार्ड में भी हुआ है। घूंघट की आड़ से दिलबर का यह गाना कुमार सानू और अलका जी दोनों ने गाया था, लेकिन नेशनल अवॉर्ड सिर्फ अलका जी को मिला। कुछ कुछ होता है के टाइटल सॉन्ग के लिए अलका जी को नेशनल अवार्ड मिल गया, लेकिन उदित नारायण को नहीं मिला। फिल्मफेयर टीम के judges के फैसले पर मुझे बहुत आपत्ति है. साल 2004 में मर्डर फिल्म का एक गाना ' प्यासा दिल मेरा, एक रात बिताओ मेरे साथ ' जैसे बेहूदा और वाह्ययात गाने के लिए कुणाल गांजा वाला को फिल्म फेयर दे दिया जाता है, जबकि उस साल का सर्वश्रेष्ठ गाना था मैं यहां हूं यहां (वीर जारा ). पता नहीं क्या सोचकर यह लोग फिल्म फेयर देते हैं ? इन्हें म्यूजिक के टेस्ट का कुछ पता ही नहीं है और चले आते हैं जज बनने. इन्हें जज कौन बना देते हैं यार? जज बनने की क्राइटेरिया को क्या यह लोग पूरा करते हैं? खासकर तेरे नाम के साथ बहुत बड़ी नाइन्साफी हुई, एक पब्लिक सर्वे के मुताबिक तेरे नाम के गाने को बॉलीवुड के इतिहास में अभी तक लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया गया है। तेरे नाम का म्यूजिक जब 2003 में रिलीज हुआ था तो बहुत सारे रेडियो चैनलों ने तेरे नाम के songs को बैन कर दिया था, क्यूंकि लोगों की हर दस में से 9 फरमाइशें तेरे नाम की होती थी। रेडियो वाले तेरे नाम के गाने बजा बजा कर थक जाते थे। अवार्ड judgement में सबसे बड़ा अन्याय तेरे नाम के साथ हुआ है. तेरे नाम के गाने आज भी लोगों के बीच बेहद ही ज्यादा लोकप्रिय हैं और सदा रहेंगे.