में हाथ जोड़कर।।ME HATH JOD KAR MAAT KAHU MEHAI||CHIRJA||

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  • Опубликовано: 19 сен 2024
  • ।।चिरजा।।
    में हाथ जोड़कर मात कहु मेहाई ।
    थारो भगत करे अरदास बीड चढ़ आयी।।टेर।।
    नव खड़ घूरे निशाण जोत जग माही।
    थारा ऋषि मुनि धरते ध्यान मोक्ष के ताहि।।1।।
    तू बड़ा बड़ी जगदम्ब ज्वाला माई ।
    तू दुश्मन का कर नाश भगत बचवाई।।2।।
    देवी कर कुमति को नाश सुमति दे माई।
    म्हारे हिरदे बसों हिंगलाज ध्यान घट माही।।3।।
    तू बीस हथी भुजलंब देशाणे री राई।
    इन मोके ऊपर सहाय करो सुररायी।।4।।
    मैया अवसर आता पाण हरी चढ़ आई।
    म्हारी मदद करता मात लाज क्यों आई।।5।।
    जब भुजंग डस्यो निज भ्रात भाण लुकवाई।
    पिथलरी सुनकर साद उभाणी आई।।6।।
    जब टूटत, सांधी लाव दुम्बी बण आयी।
    मैया सागर सोखयो नीर चलु के माही।।7।।
    जब लाखन सुत को जाय सुरग से लाई।
    कर काबा करणी क्रोड राख मढ़ माही।।8।।
    रख रिड़मल हनदी लाज राज दिखाई।
    धर लीन्हा नाना रूप भगत के तंहि।।9।।
    तू ही काल का काल मोत है माई।
    कर दुष्ट कान्ह को नाश भगत बचाई।।10।।
    थारी महिमा बरणी न जाय वेद के माही।
    मुले पर करता महर शर्म क्यों आयी।।11।।

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