मंजुला जोशी की कहानी-प्रेम गली अति संकरी……|Manjula Joshi ki kahani | AudioStory | हिन्दी कहानी
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- Опубликовано: 21 окт 2024
- मंजुला जोशी की कहानी-प्रेम गली अति संकरी…
Manjula Joshi ki kahani
AudioStory
हिन्दी कहानी
#स्वर-सीमासिंह
#मंजुला जोशी
जन्म-२९ नवंबर १९५२
शिक्षा-प्राथमिक‚ माध्यमिक कलकत्ता विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल)
•स्नातक हिन्दी (आनर्स)‚कलकत्ता विश्वविद्यालय
•स्नातकोत्तर-एम॰ए॰,एम फिल (हिन्दी)एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय मुंबई(महाराष्ट्र)
साहित्यिक उपलब्धियाँ-
●लघुशोध-- उपन्यासों में मूल्य संक्रमण की प्रक्रिया
●प्रकाशन-१९८९ से कई लेख व कहानियाँ विविध पत्र पत्रिकाओं यथा नवनीत डाइजेस्ट‚लोक साहित्य‚नवभारत टाइम्स में प्रकाशित
●प्रसारण-ऑल इण्डिया रेडियो मुंबई पर कहानियाँ, वार्तायें प्रसारित।
●अनुवाद- गुजराती भाषा की पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद
प्रकाशित कृतियाँ-
•२०११ कहानी संग्रह “कंचन मृग”
•२०१५ कहानी संग्रह “पीढ़ियाँ एवं अन्य कहानियाँ
•२०१८ उपन्यास “सिन्दूरी पलाश”
•२०१९ मध्ययुगीन कवियों की समीक्षा “नरसी अग्रज तुलसी के”
•२०२२ कहानी संग्रह “भोर का सूरज”
सम्मानित कृतियाँ
●वर्ष २०१८ हिन्दी लेखिका संघ म॰प्र॰ भोपाल द्वारा कहानी संग्रह “पीढ़ियाँ तथा अन्य कहानियाँ” श्री प्रेमनारायण विजयवर्गीय स्मृति पुरस्कार
●वर्ष २०१७−१८ महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी मुंशी प्रेमचंद स्वर्ण पुरस्कार,कहानी संग्रह“पीढ़ियाँ तथा अन्य कहानियाँ”।
●वर्ष २०१९ अखिल हिन्दी साहित्य सभा (अहिसास)नासिक, विद्योत्तमा पुरस्कार उपन्यास “सिंदूरी पलाश”
● वर्ष २०२०-२१ केन्द्रीय सचिवालय हिंदी परिषद‚पं॰दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय)मण्डल द्वारा शब्द शिल्पी सम्मान ”नरसी अग्रज तुलसी के”
●वर्ष २०२१-२२ महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा
आचार्य नंददुलारे वाजपेयी (समीक्षा)पुरस्कार ,”नरसी अग्रज तुलसी के “
प्रशंसनीय कदम दादाजी का,सुंदर रचना
Very nice story. The way you write about different relations and families is very interesting.
बहुत सुन्दर कहानी। नई पीढ़ी के लिए बहुत ही सही संदेश,हम चाहे दुनियां में कहीं भी रहे लेकिन अपने संस्कारों को कभी नहीं भूलें। श्रद्धेय लेखिका और उनके विचारों को शत शत नमन 🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤💐
दूसरे धर्म में अथवा दूसरे देश परिवेश मैं विवाह करने के बाद बहुत कठिन होता है एक दूसरे के धर्म तथा संस्कारो को आत्मसात कर लेना।
दूसरा परिवार अपने साथ जुड़े, बजाय इसके अपने बच्चे ही बेगाने से हो जाते हैं।
किन्तु अब समय बहुत तेजी से बदल रहा है।
समाज को बदलते स्वरूप को रेखाअंकित करती हुई एक अच्छी कहानी और इतनी ही अच्छी प्रस्तुति।❤❤
प्रथम कमेंट। पारिवारिक संबंधों और मानवीय संवेदनाओं की उत्कृष्ट कथा।
जोशी जी की भारतीय संस्कारों एवम नैतिक मूल्यों की खुशबू से भरी मनोवैज्ञानिक कहानी ने मन को आनंदित कर दिया....😊❤❤❤
🙏🏻🙏🏻
Aap ka vachan🙏
Nice story
y lovely story
यह तो कहने की बात है, मीठा बोलकर सच्चाई उगलवा लेना अलग बात है कोई भी पुरुष यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसकी पत्नी का अतीत अथवा वर्तमान किसी पराए पुरुष के संसर्ग मैं चल रहा हो।
पत्नी की बात और है, वह यदि स्वावलंबी नहीं है तो उसके पास समझौता ही करना विकल्प है।
हकीकत से रूबरू करवाती हुई एक सशक्त रचना।
👍👍🌹🌹
Sach mein hi badi pyari kahani Di ❤
Aap ke swar mein kahani jaise aankhon ke samne sajeev ho jaati hai 🌹👏👏👏👏👏 love you Di 😍You are the best 👍🫡
😘😘😘😘
समन्वय सामंजस्य ही मानव जीवन मूल्यों को उद्दात बनाता है।कहानी यथार्थ बोध को उजागर करती है।सुन्दर। बहुत बहुत बधाई
🙏🏻❣️