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  • Опубликовано: 27 окт 2024

Комментарии • 13

  • @ankitajaidka9875
    @ankitajaidka9875 11 месяцев назад +2

    खूब गहरी कहानी। बहुत सुना था निर्मल जी के बारे में । उनकी परिंदे पुस्तक के कारण ज्यादा। लेकिन इतनी स्वच्छ लेखनी, बहुत ही अनुपम। कहानी अपनी जगह एक अलग आयाम लिए हुए पर लेखनी तो शानदार🙏🙏 बार बार शिवानी जी की भैरवी का ख्याल आता रहा। हालांकि दोनो में समानता कोई नही ☺️। आपने बहुत बढ़िया निभाई🙏

    • @Sahitya-Nidhi
      @Sahitya-Nidhi  11 месяцев назад +1

      बहुत-बहुत आभार और स्नेह अंकिता ❤️❤️

  • @meenakshimehta5583
    @meenakshimehta5583 11 месяцев назад +1

    Very nice story

  • @darshanaaggarwal2304
    @darshanaaggarwal2304 11 месяцев назад +1

    😊like the story 😊,look like true story .

  • @sudeshrawat3220
    @sudeshrawat3220 11 месяцев назад +1

    So nice story 🎉

  • @abhaysingh1619
    @abhaysingh1619 11 месяцев назад +1

    दो स्थानों पर गलतियां हुई हैं, एक कथा वाचन के दौरान और दूसरी निर्मल वर्मा जी द्वारा।
    कथा वाचन में पहाड़ की ऊंचाई 2100 मीटर की जगह 2100 किलोमीटर पढ़ दी गई।
    फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में केवल एक चौकीदार होता है, होटलोअं की तरह कोई मैनेजर नहीं होता।

    • @Sahitya-Nidhi
      @Sahitya-Nidhi  11 месяцев назад

      मानवीय भूल के लिए क्षमा प्रार्थी हूं और एक जागरूक श्रोता होने के नाते आपको को हार्दिक आभार. 🙏

  • @reshmaprasad4301
    @reshmaprasad4301 11 месяцев назад +1

    Thanks a lot dear..🎉🎉❤❤

  • @shivbhumi6275
    @shivbhumi6275 11 месяцев назад +2

    कहानी में।आखिर बाबा वहा क्यो रह रहे थे..... घर क्यो छोड़ा।।।।। ओ अगर सन्यासी नहीं थे तो।।।।।। फिर अचानक घर की क्यो याद आती।।।।।।। कुछ समझ नहीं आया

    • @Sahitya-Nidhi
      @Sahitya-Nidhi  11 месяцев назад

      ..मैंने कहानी अक्षरशः पाठन की...लेकिन explain कर पाना मुश्किल है मेरे लिए.

    • @shailagarg1495
      @shailagarg1495 10 месяцев назад

      ऐसे अनेकों मानव हैं जो अचानक घर बार छोड़ पहाड़ों पर बस जाते हैं।
      उन्हें दुनिया में रस नहीं आता।
      फिर ये सोचते हैं कि ईश्वर के दर्शन होंगे पर निराशा ही हाथ लगती है।
      वापिस आ कर काम धंधा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। हमारे समाज में सन्यासी को लोग पैसे, सामान आदि भी दे देते हैं।
      घर की याद क्यों नहीं आएगी। पर लेखक ने बताया तो है, कोवो और बादलों के रूपक से, ये एक बीच की योनि में भटक जाते हैं।