Lyrics By: कैसर उल जाफ़री Performed By: गुलाम अली हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे हम तेरे शहर में... मेरी मंज़िल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे हम तेरे शहर में... अपनी आँखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आँसू मैंने मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे हम तेरे शहर में... आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले कँप-कँपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले आज इज़हार-ए-ख़यालात का मौका दे दे हम तेरे शहर में... भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था बेवफ़ा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे हम तेरे शहर में...
Bringing Ghulam Ali among us. Super ❤
Bahut khoob
🌹❤🌹🙏
Bahuth sundar hey ji! Aap ke geeth ko sunane keliya hum log ko kaamayaabee mile.
🌹❤🌹🙏
Class!🎉
❤🌹💐🙏
👌👌👌👌👌super sir
🌹❤🌹🙏
Lyrics By: कैसर उल जाफ़री
Performed By: गुलाम अली
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
मेरी मंज़िल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
अपनी आँखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आँसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले
कँप-कँपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ए-ख़यालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था
बेवफ़ा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...