कथांश 23 -बिना शांत मन के ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं

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  • Опубликовано: 17 окт 2024
  • भगवान बुद्ध आगे बोले - " जब तक मन स्थिर, शांत और पवित्र नहीं हो जाता, तब तक ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। इसलिए आनंद! मन के शांत और पवित्र होने तक तुम्हें धैर्य रखना होगा; क्योंकि साधना में निरंतरता और धैर्य का होना आवश्यक है। जब ध्यान की गहराई में उतरकर तुम्हारा मन पूरी तरह स्थिर, शांत और पवित्र होकर समाधिस्थ हो जाएगा, तब तुम्हें स्वतः ही आत्मज्ञान की उपलब्धि हो जाएगी।"
    आनंद को साधना का मर्म समझ में आ गया। वे तथागत के कहे अनुसार साधना - पथ पर चल पड़े। साधना में अनियमितता और अधीरता बहुत ही हानिकारक हैं, इसलिए साधकों को चाहिए कि वे भी अपने आराध्य, अपने गुरु के बताए मार्ग पर धैर्यपूर्वक चलते रहें, साधना में नियमितता व धैर्य बनाए रखें। यदि हम ऐसा कर सके, तो निश्चित ही एक दिन हमारी साधना भी अवश्य सफल होगी, इसमें कोई भी संशय नहीं है।

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