जय भीम नमो बुद्धाय आपके विचार बहुत ही तर्कशील और बुद्ध में है। आपने जिस तरह से अपने स्पीच के द्वारा जनसभा को संबोधित करते हुए भगवान बुद्ध और बाबा साहब के विचारों को पहुंचा। आप के विचार बहुत ही सराहनीय है।
आचार्य रमेश चंद्र जी ने हम सभी के कल्याण के लिए बहुत ही सार गर्भित व्याख्यान दिया है | इसे हम सभी को देखना और मन में मनन चिंतन करना चाहिए | जय भीम नमो बुद्धाय धन्यवाद सर ❤❤❤
Billions Salutes to you Sir for your incredible Speech. Your soft voice, language, observation, research and thought is admirable. Many, many thanks to AWAZ INDIA channel to spread this Speech .❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉 Jay Bhim Namo Buddhaay 🙏 🙏🙏🙏🙏
बाबा साहेब डा बी आर अम्बेडकर ने बिल्कुल सही कहा था कि "जाति इस देश के विकास में सबसे बाधक"। अच्छी जानकारी देने के लिए प्रसिद्ध विव्दान ,बुध्द वादी एवं अम्बेडकर वादी राजेश चन्द्रा जी को बहुत बहुत साधुवाद, नमों बुद्धाय जय भीम जय भारत जय संविधान।
बाबासाहेब के कार्यों के, भारत राष्ट्र के निर्माण में अतुल्य योगदान के संबंध में जानकारी प्रदान करने के लिए बहुत बहुत साधुवाद। नमो-बुद्धाय नमो बोधिसत्व 🙏 संतोष जातिविहीन संवैधानिक अल्पसंख्यक बौद्ध समाज छत्तीसगढ़ राज्य कोरबा बौद्ध समाज भारत
Namo buddhaye Jai Bhim Jai Bharat sathio keep it up and Up for the mission AMBEDKARBAAD evm jaativaad and collegiam system hatao brahmanbadion ko sataa se bhagao SAMBIDHAN OF INDIA KO LAAGU KARVAO 🙏🙏🙏🙏🙏
Muftkhori, masahar chod ke pure Buddist ban ke math me chale jau. Reservation chod do. Buddha ne Lalitbistar me kaha ki sirf Brahman, Kshatriya hi Bodhisattwa ban sakta hay.😂 Constitution padhe ho murkh?
व्वा साहेब व्वा, aapkaa व्याख्यान बहुत acchha है. इस विचार se भारत देश की tarrkiki हो jayegi .साहेब aapko धन्यवाद तथा इंडिया आवाज ko भी धन्यवाद. ❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
आवाज़ इंडिया को कोटि कोटि धन्यवाद नमन प्रणाम । आपने माननीय श्री राजेश चंद्रा जी के इस उदभोदन को उनके विचारों को बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर जी एवं तथागत बुद्ध के संबंध में बहुत अच्छी जानकारी उनके विचारों को बताया ।। 👌👍🙏👏👏👏👏 नमोबुद्धाय जयभीम जयसंविधान जयभारत
Mai हिंदू धर्म छोड़कर और वाल्मीकि जाति को त्याग कर कर वापस अपने बौद्ध धर्म में घर वापसी करूंगा क्योंकि मैं जान चुका हूं कि हम सब बुद्धिस्ट थे। 🙏Jai bheem namoh bhuddhay 🙏
मेरे प्रश्न के उत्तर दो। निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर - बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ? बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं? बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या? बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या? बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या? बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या? बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या? बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या? सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं? धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) ! धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए। पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए। समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है । जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
खुद की सुधार करें अगर खुद को शिक्षित मानते जानते हैं तो । साफ-सफाई का काम वैशम वर्ण कर्म विभाग में आता है। साफ-सफाई कर्म में किसी तरह का उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म नहीं होता है बल्कि पुराने समान प्रोडक्ट को एक स्थान से उठाकर ट्रांसपोर्ट कर दूसरे स्थान पर पंहुचाया जाता है यह ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण कार्य चरण पांव चलाकर होता है । इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है और इस वैशम वर्ण कर्म विभाग में साफ-सफाई कर्म आता है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैशम वर्ण है। शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म आता है । संतान बल्ड रूपी निर्माण उत्पादन पेट द्वारा होता है इसलिए पेटउदर समान शूद्रम वर्ण कर्म विभाग है इस शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में तपस्वी उद्योगण शिल्पकार निर्माता कार्यरत हैं । 1- शिक्षा में ज्ञान का महत्व है 2- सुरक्षा में ध्यान का महत्व है 3- उद्योग में उत्पादन का महत्व है 4- व्यापार में वितरण का महत्व है और चतुरवर्ण सेवा में राजसेवक दासजन जनसेवक का बडा महत्व होता है । जीविकोपार्जन में चारो वर्ण कर्म का और आयु में चारो आश्रम का बडा महत्व होता है। नंगेजिन्न गुरुओ की तरह नंगा रहना अज्ञानता पूर्ण सोच रखकर अनुचित कर्म करना होता है। सार्वजनिक रूप से गुप्तांग शिश्न गुदा अंगो को ढककर ही रखना चाहिए। क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर रहती है इसलिए मूर्ती चित्र में बनाते हुए अंदर जीभ रखकर बनानी चाहिए। इंसानी देवो के सिर पर पशुओ के सिर लगाकर चित्र मूर्ती नहीं बनानी चाहिए। जब खुद के परिवार के सदस्य के रूप सुंदर देखना पसंद करते हैं तो फिर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषि मुनी के चेहरे चरित्र बिगाङ कर पूर्वज को बदनाम न।क्यों करते हैं? शिक्षित विद्वान मानव द्विजनो रहन-सहन और सोच में ( स्त्री-पुरुष ) को सुधार करना चाहिए।
Namo buddhay Jay Bheem आपके वीडियो का बहुत दिनों तक इंतजाररहता है मैं बार बार आपके वीडियो देख नया वीडियो ढूंढने की कोशिश करता हूं कृपया कम से कम 1 माह में एक वीडियो तो कहीं ना कहीं आपका आ जाना चाहिए चंदा साहब मैं एक बार इलाहाबाद में अपने वितरासना करवाया था तो मैंने किया था
जय भीम नमो बुद्धाय सर प्रणाम आप तुम्हारे बाबा साहब का बिल्कुल टू कॉपी लगते हैं सर आप सामाजिक क्रांति और समाज के लिए कुछ ऐसे करें जो हम लोग आपके दीवाने रहे
26 जनवरी को संविधान दिवस बाबा साहब ने अपने जीते जी नहीं मनाया, लेकिन हम लोग संविधान दिवस 26 जनवरी को मनाकर बाबा साहब को दलितों के नेता बनाने के लिए बाध्य हो रहे है। क्याकि इस दिन दलित ही मात्र सक्रिय होते हैं।
मेरे प्रश्न के उत्तर दो। निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर - बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ? बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं? बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या? बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या? बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या? बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या? बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या? बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या? सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं? धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) ! धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए। पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए। समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है । जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार। धर्मगुरु /पुरोहित/ पन्थगुरु/ अध्यापक/ चिकित्सक/धर्माचार्य/ कविजन/ विप्रजन/ शिक्षक ( ब्रह्मण ) का सदाचार आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जाने ! इस पोस्ट के विषय ज्ञान अनुसार उचित विचार संस्कार नियम पालन करते हुए अन्य सबजन को मानवीय मूल्य वाले संस्कार प्राप्त करवाते हुए अपराध मुक्त वातावरण बनवाते रहें। अध्यापक/ धर्माचार्य को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2 - शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3 - सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4 - नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5 - शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8 - चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9 - प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10 - अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13 - अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14 - माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15 - गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16 - वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18ङ- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19 - वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) मानवीय गुणों को विप्रजन/अध्यापक/ गुरूजन/ पुरोहित/ चिकित्सक /पन्थगुरु/अभिनयी/द्विजोत्तम/शिक्षक (ब्रह्मण) को अपनाकर जीना चाहिए ताकि इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर इनसे प्रेरित होकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीने में लाभ मिलता रहना चाहिए। पौराणिक वैदिक सतयुग संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियमो को पोस्ट करना चाहिए, ताकि सबजन के विचार को तुलनात्मक रूप से विश्लेषण कर अध्ययन करना चाहिए और एक समान अवसर देने वाले मानवीय गुण क्रियावान कर संस्कार सुधार किये जाने चाहिएं । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या सुधार और क्या क्या बिगाङ किया है ? वह सबजन जानकर समझकर सुधार करना चाहिए सकें और अपने पूर्वजो बहुदेवो ऋषिओ की पौराणिक वैदिक श्रेष्ठ सनातन धर्म संस्कार विधि पहचान कर श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
राजेश चंद्रा सर नमो बुद्धाय जय भीम डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के बारेमे आनेवाला हमारा भारत देश महासत्ता कैसे होगा यह बताया कि आज की सरकार इस बाबासाहेब आंबेडकर जी के सभी सोल्युशन लागु करना चाहिए फिर एक सवाल उपस्थित होता है कि बाबासाहेब आंबेडकर जी पहले बहुत सारे ब्राह्मण वादी लोगोने क्या किया सिर्फ अंधश्रद्धा अंधविश्वास पंडो पुजारी कि दान दक्षिणा जातीभेद उच्च नीच भेदभाव धर्मांध विचार के बात करते रहे वह ब्राह्मण वादी आज भी यही कर रहा है ऐसे लोग भारत को फिर से गुलामी के तरफ ले जा रहे है इसलीए महामानव जोतिबा फुले जी कहते हैं कि ब्राह्मण लोक कंगाल भट्ट ब्राह्मण होते है जय संविधान
Sc,st obc, minority, sangathit ho jaye,angrejon ke chatukaron ko bahishkar kare,apne samaj ke gaddaron ko pahchane, andhwiswas pakhandwad bahishkar kare,nahi to gulami sahne ke liye taiyar rahe ,desh me jo chal raha hai, social media me dekhiye,godi media bahiskar kare , jai samvidhan jai bharat jai Bhim,namo budhhay,😊😊😊😊
Tu tereghar ki ledkio ko mulleh ke ghar bhej de. Ekta badega😂! Ramprasad Bismil, Rajguru, Mangal Pandey, Tatia Tope, Chandrasekhar Tiwari Azad etc Britishers ke chakkar the! Ambedkar jee ne Pakistan or the partition of India granth me likhha Bharat main ek bhi muslim nehi rahna chahiye
*आदरणीय श्री राजेश चंद्रा साहब आपको मेरा तहेदिल से शत् शत् नमन करते हुए बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद।
जय भीम नमो बुद्धाय आपके विचार बहुत ही तर्कशील और बुद्ध में है। आपने जिस तरह से अपने स्पीच के द्वारा जनसभा को संबोधित करते हुए भगवान बुद्ध और बाबा साहब के विचारों को पहुंचा। आप के विचार बहुत ही सराहनीय है।
बहुत विस्तृत जानकारी, आपको नमन, बहुत बहुत साधुवाद एवं आभार 🎉🎉🎉🎉
काफी प्रेरणादाई विचार ; Thanks Rajesh Chandra सर
Namo Buddhaya, Jay Bhim Jay Bharat Jay Savindhan Salute toAcharya Rajesh Chandra Sahab.
बहुत बहुत साधुवाद आचार्य जी।
सर आपने बहुत तर्कशील बातें कही है जो राष्ट्रवाद के नाम पर आज बवाल हो रहा है वह असली बातें कही है
आचार्य रमेश चंद्र जी ने हम सभी के कल्याण के लिए बहुत ही सार गर्भित व्याख्यान दिया है | इसे हम सभी को देखना और मन में मनन चिंतन करना चाहिए | जय भीम नमो बुद्धाय धन्यवाद सर ❤❤❤
Billions Salutes to you Sir for your incredible Speech.
Your soft voice, language, observation, research and thought is admirable.
Many, many thanks to AWAZ INDIA channel to spread this Speech .❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉 Jay Bhim
Namo Buddhaay 🙏 🙏🙏🙏🙏
Baba saheb sarv hitchintak ko koti koti naman! Jai samvidhan jai loktantra!
जय भीम जोहार शानदार जबरजस्त 🙏🙏🙏🙏🙏
Very good speech. Congratulations for this conversation.
Thanks Acharya Rajesh Chandra for delivering such an Excellent and motivational speech.
Great salute sir really true analysis ❤❤❤Jay bheem🇮🇳🇮🇳🇮🇳 Jay samvidhan Jay social justice warriors
😂 muftkhori, masahar chod ke pure Buddist ban ke math me chale jau.
Acharya sahab salute,great speech, Jai bhim jai sambibhan jai bharat,😊
Excellent speech by Acharya Rajesh Chandra Sahab.Jai Bhim. Jai Sanvidhan .Namo Buddhay. Bhavatu Sabb Mangalam.Thanks Aawaz India TV.👍🏼🙏
Koti koti sadhuwad sir ji
बाबा साहेब डा बी आर अम्बेडकर ने बिल्कुल सही कहा था कि "जाति इस देश के विकास में सबसे बाधक"। अच्छी जानकारी देने के लिए प्रसिद्ध विव्दान ,बुध्द वादी एवं अम्बेडकर वादी राजेश चन्द्रा जी को बहुत बहुत साधुवाद, नमों बुद्धाय जय भीम जय भारत जय संविधान।
बाबासाहेब के कार्यों के, भारत राष्ट्र के निर्माण में अतुल्य योगदान के संबंध में जानकारी प्रदान करने के लिए बहुत बहुत साधुवाद। नमो-बुद्धाय नमो बोधिसत्व 🙏 संतोष जातिविहीन संवैधानिक अल्पसंख्यक बौद्ध समाज छत्तीसगढ़ राज्य कोरबा बौद्ध समाज भारत
नमो बुध्दय जय भीम जय संविधान
Real Acharya
I am proud of Babasaheb
Jay Bhim
Greate work 🙏🇪🇺🇪🇺🇪🇺🏳🏳🏳🏳
बहुत ही अच्छी जानकारी दिया अपने जय भीम नमो बुद्धाए
Namo buddhay jai bhim
Sir ji ati sundar Jan kari Jay bhim namo budhay
बाबासाहेब खूप ग्रेट होते. दूरदृष्टी होती त्यांच्यामध्ये.
🎉🎉Very nice 🎉🎉
Tarkpoorna great udbodhan .jai bheem namo budhhay jai samvidhan jai mool niwasi jai bharat .
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति 🙏🙏🙏
Bahut Sundar prastuti bahut bahut sadhu bad
🙏JAI BHIM🙏NAMO BUDDHAY🙏 JAI SATNAM🙏🏳🏳🇪🇺🇪🇺🇪🇺
Dr.ji❤❤❤
Aapka ye pravachan shravya ulekhniye aur sarv hitay hai.
Jo bole so nirbhay sat guru Ravidas Maharaj ji ki jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹
सर जय भीम नमो बुद्धय आपकी सुंदर आवाज मन मोह लेती हैं sir ❤
Jay Bheem Jay buddhay Jay sanvidhan
Glorious attempt, congratulations !😂❤
आचार्य राजेश चंद्रा साहब जी का तहेदिल स स्वागत / नमन । आवाज इंडिया टीवी का शुक्रिया हम तक पहुंचाने के लिए ।
Jay bhim namo bhudha sir ji
Jaybhim.sir
Jay bhim namo budhay sir ji
सरजी आपका भाषण सुनकर हम धन्य हो गये.साधु साधु साधु.नमो बुदधाय जयभीम जय संविधान
Jay bhim namo buddhay
Namo budhdhay Jai bheem
नमो बुध्दाय जय भिम जय संविधान 🌹👍🙏🙏🙏
नमो बुध्दाय
Mai bhi chuvachhut se bhari jaatiyo ke ish janjaal ka tyag kar dunga aur budh dhamm aapnyunga ha. 🙏🙇 bheem nomoh bhuddhay 🙏🙇
Namo buddhaye Jai Bhim Jai Bharat sathio keep it up and Up for the mission AMBEDKARBAAD evm jaativaad and collegiam system hatao brahmanbadion ko sataa se bhagao SAMBIDHAN OF INDIA KO LAAGU KARVAO 🙏🙏🙏🙏🙏
Muftkhori, masahar chod ke pure Buddist ban ke math me chale jau. Reservation chod do. Buddha ne Lalitbistar me kaha ki sirf Brahman, Kshatriya hi Bodhisattwa ban sakta hay.😂 Constitution padhe ho murkh?
Jai.bhim.jai..sambidhan
Very good information on this right works best jaybhim namobudhay sadhuvad very good proud of jaybhim
Jai.bhim.jai..sambidhsn
Namo bhudhay Jay bhim 💙🇮🇳💙🙏🙏💞🚨🪖🎁
बहुजनों की आखें खोलने वाला शोध भाषण, आदरणीय आचार्य राजेश चंदा जी को सादर साधुवाद 👍 जय भीम नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏
व्वा साहेब व्वा, aapkaa व्याख्यान बहुत acchha है. इस विचार se भारत देश की tarrkiki हो jayegi .साहेब aapko धन्यवाद तथा इंडिया आवाज ko भी धन्यवाद. ❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
नमो बुध्दाय जयभीम जय मंडल बहुजन एकता जिन्दा बाद ओबीसी एससी एसटी के लोगों अपने पुर्खे बुध्द की ओर चलो
😂 Pahele muslims ko buddist banau.Yeh bahujan kaun hay! Reservation chod do
आवाज़ इंडिया को कोटि कोटि धन्यवाद नमन प्रणाम । आपने माननीय श्री राजेश चंद्रा जी के इस उदभोदन को उनके विचारों को बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर जी एवं तथागत बुद्ध के संबंध में बहुत अच्छी जानकारी उनके विचारों को बताया ।।
👌👍🙏👏👏👏👏
नमोबुद्धाय जयभीम जयसंविधान जयभारत
आपके प्रेरणादायक वचनों को सुनकर मैं अभिभूत हुआ । बहुत बहुत साधुवाद नमो बुद्धाय जय भीम 🙏🙏🙏
Sadhu 🙏 Sadhu 🙏 Sadhu 🙏
jay bhim
Mai हिंदू धर्म छोड़कर और वाल्मीकि जाति को त्याग कर कर वापस अपने बौद्ध धर्म में घर वापसी करूंगा क्योंकि मैं जान चुका हूं कि हम सब बुद्धिस्ट थे। 🙏Jai bheem namoh bhuddhay 🙏
Pahele reservation chodo.Muftkhri, masahar chod ke pure Buddist ban ke math me chale jau.
मेरे प्रश्न के उत्तर दो।
निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर -
बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ?
बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं?
बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या?
बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या?
बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या?
बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या?
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धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) !
धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए।
पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए।
समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए।
जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार ।
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान।
शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान।
वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान।
राजसेवक = दिल राजन्य समान।
चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान।
यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था।
सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है ।
जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
खुद की सुधार करें अगर खुद को शिक्षित मानते जानते हैं तो ।
साफ-सफाई का काम वैशम वर्ण कर्म विभाग में आता है। साफ-सफाई कर्म में किसी तरह का उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म नहीं होता है बल्कि पुराने समान प्रोडक्ट को एक स्थान से उठाकर ट्रांसपोर्ट कर दूसरे स्थान पर पंहुचाया जाता है यह ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण कार्य चरण पांव चलाकर होता है । इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है और इस वैशम वर्ण कर्म विभाग में साफ-सफाई कर्म आता है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैशम वर्ण है।
शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म आता है । संतान बल्ड रूपी निर्माण उत्पादन पेट द्वारा होता है इसलिए पेटउदर समान शूद्रम वर्ण कर्म विभाग है इस शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में तपस्वी उद्योगण शिल्पकार निर्माता कार्यरत हैं ।
1- शिक्षा में ज्ञान का महत्व है
2- सुरक्षा में ध्यान का महत्व है
3- उद्योग में उत्पादन का महत्व है
4- व्यापार में वितरण का महत्व है और
चतुरवर्ण सेवा में राजसेवक दासजन जनसेवक का बडा महत्व होता है ।
जीविकोपार्जन में चारो वर्ण कर्म का और आयु में चारो आश्रम का बडा महत्व होता है।
नंगेजिन्न गुरुओ की तरह नंगा रहना अज्ञानता पूर्ण सोच रखकर अनुचित कर्म करना होता है। सार्वजनिक रूप से गुप्तांग शिश्न गुदा अंगो को ढककर ही रखना चाहिए।
क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर रहती है इसलिए मूर्ती चित्र में बनाते हुए अंदर जीभ रखकर बनानी चाहिए।
इंसानी देवो के सिर पर पशुओ के सिर लगाकर चित्र मूर्ती नहीं बनानी चाहिए। जब खुद के परिवार के सदस्य के रूप सुंदर देखना पसंद करते हैं तो फिर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषि मुनी के चेहरे चरित्र बिगाङ कर पूर्वज को बदनाम न।क्यों करते हैं?
शिक्षित विद्वान मानव द्विजनो रहन-सहन और सोच में ( स्त्री-पुरुष ) को सुधार करना चाहिए।
Namo buddhay Jay Bheem आपके वीडियो का बहुत दिनों तक इंतजाररहता है मैं बार बार आपके वीडियो देख नया वीडियो ढूंढने की कोशिश करता हूं कृपया कम से कम 1 माह में एक वीडियो तो कहीं ना कहीं आपका आ जाना चाहिए चंदा साहब मैं एक बार इलाहाबाद में अपने वितरासना करवाया था तो मैंने किया था
Aacharyaji sat sat namo buddhay
जय भीम,,नमों बुधाय,,
वाह, बहुत सुन्दर और ओजस्वी विचार हैं आप के श्रीमान जी । आप को कोटि कोटि नमन, जयभीम जय भारत जय संविधान जय मूलनिवासी समाज।👍👍👍👍👍🙏🙏🙏🙏🙏♥️♥️♥️♥️♥️🌹🌹🌹🌹🌹
Namho budhaya
Me stabdh ho jati nhu jab baba saheb or bhagwan budhh ki bat sunta nhu
Sar ji Jankari ke liye aapko bahut bahut dhanyvad
Jai bheem namo buddhay ❤
Jay sabidhan Jay bigeyan Jay bhim jay budh
🎉🎉 एक ही साहेब 🎉🎉🎉🎉🎉 डॉ बाबा साहेब आंबेडकर 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 अनेकता में एकता का एक 🎉 स्वर डॉ बाबा साहेब आंबेडकर 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Chandra sir ko koti koti naman🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Bahut hi sundar congratulations namo budday ji
बहुत ही ज्ञानवर्धक
जय भीम नमो बुद्धाय सर प्रणाम
आप तुम्हारे बाबा साहब का बिल्कुल टू कॉपी लगते हैं सर आप सामाजिक क्रांति और समाज के लिए कुछ ऐसे करें जो हम लोग आपके दीवाने रहे
Krantikari rma rma jai bhim jai bharat jai samvidhan nmo budhay💙💙🇨🇫🇨🇫💙💙 super cute very important speech👍👍🖊🖊👍👍
Jai bhim
26 जनवरी को संविधान दिवस बाबा साहब ने अपने जीते जी नहीं मनाया, लेकिन हम लोग संविधान दिवस 26 जनवरी को मनाकर बाबा साहब को दलितों के नेता बनाने के लिए बाध्य हो रहे है। क्याकि इस दिन दलित ही मात्र सक्रिय होते हैं।
😂 Reservation chod do.
मेरे प्रश्न के उत्तर दो।
निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर -
बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ?
बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं?
बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या?
बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या?
बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या?
बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या?
बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या?
बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या?
सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं?
धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) !
धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए।
पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए।
समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए।
जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार ।
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान।
शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान।
वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान।
राजसेवक = दिल राजन्य समान।
चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान।
यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था।
सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है ।
जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार।
धर्मगुरु /पुरोहित/ पन्थगुरु/ अध्यापक/ चिकित्सक/धर्माचार्य/ कविजन/ विप्रजन/ शिक्षक ( ब्रह्मण ) का सदाचार आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जाने !
इस पोस्ट के विषय ज्ञान अनुसार उचित विचार संस्कार नियम पालन करते हुए अन्य सबजन को मानवीय मूल्य वाले संस्कार प्राप्त करवाते हुए अपराध मुक्त वातावरण बनवाते रहें।
अध्यापक/ धर्माचार्य को -
1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए ,
2 - शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए,
3 - सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए,
4 - नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए,
5 - शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए,
6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए,
7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए,
8 - चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए,
9 - प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए,
10 - अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए,
11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए,
12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए,
13 - अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए,
14 - माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए,
15 - गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए,
16 - वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए ,
17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए,
18ङ- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए,
19 - वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और
20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए।
इन सभी बीस (20) मानवीय गुणों को विप्रजन/अध्यापक/ गुरूजन/ पुरोहित/ चिकित्सक /पन्थगुरु/अभिनयी/द्विजोत्तम/शिक्षक (ब्रह्मण) को अपनाकर जीना चाहिए ताकि इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर इनसे प्रेरित होकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीने में लाभ मिलता रहना चाहिए।
पौराणिक वैदिक सतयुग संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम -
ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियमो को पोस्ट करना चाहिए, ताकि सबजन के विचार को तुलनात्मक रूप से विश्लेषण कर अध्ययन करना चाहिए और एक समान अवसर देने वाले मानवीय गुण क्रियावान कर संस्कार सुधार किये जाने चाहिएं ।
साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या सुधार और क्या क्या बिगाङ किया है ? वह सबजन जानकर समझकर सुधार करना चाहिए सकें और अपने पूर्वजो बहुदेवो ऋषिओ की पौराणिक वैदिक श्रेष्ठ सनातन धर्म संस्कार विधि पहचान कर श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करना चाहिए।
जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
जयभीम नमो बुद्धाय।👍👍👍🙏🙏🙏♥️♥️♥️🌹🌹🌹
33:15
बहुत अच्छे वक्ता
Very Impressive Speech Sir
चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग।
क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग।
शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग।
वैशम वर्ण = तमसी वर्ग।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।
राजेश चंद्रा सर नमो बुद्धाय जय भीम डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के बारेमे आनेवाला हमारा भारत देश महासत्ता कैसे होगा यह बताया कि आज की सरकार इस बाबासाहेब आंबेडकर जी के सभी सोल्युशन लागु करना चाहिए फिर एक सवाल उपस्थित होता है कि बाबासाहेब आंबेडकर जी पहले बहुत सारे ब्राह्मण वादी लोगोने क्या किया सिर्फ अंधश्रद्धा अंधविश्वास पंडो पुजारी कि दान दक्षिणा जातीभेद उच्च नीच भेदभाव धर्मांध विचार के बात करते रहे वह ब्राह्मण वादी आज भी यही कर रहा है ऐसे लोग भारत को फिर से गुलामी के तरफ ले जा रहे है इसलीए महामानव जोतिबा फुले जी कहते हैं कि ब्राह्मण लोक कंगाल भट्ट ब्राह्मण होते है जय संविधान
Namobudhay jaybhim Jay savidhan
Shyamdev😊
Aj Science jouney youtube ko hiking kar deya
Barman lok Science journey ko itna daar gaya
😂 science chutney jihadi ke najayej aulad hay.😂
🙏🏽🙏🏽🙏🏽
🙏🙏🙏💙💙💙🎉🎉🎉🥰🥰
Awazz india
Very true
NaMO BBufdhaya Jay Bhim Jay Bhŕat
Sc,st obc, minority, sangathit ho jaye,angrejon ke chatukaron ko bahishkar kare,apne samaj ke gaddaron ko pahchane, andhwiswas pakhandwad bahishkar kare,nahi to gulami sahne ke liye taiyar rahe ,desh me jo chal raha hai, social media me dekhiye,godi media bahiskar kare , jai samvidhan jai bharat jai Bhim,namo budhhay,😊😊😊😊
Tu tereghar ki ledkio ko mulleh ke ghar bhej de. Ekta badega😂! Ramprasad Bismil, Rajguru, Mangal Pandey, Tatia Tope, Chandrasekhar Tiwari Azad etc Britishers ke chakkar the! Ambedkar jee ne Pakistan or the partition of India granth me likhha Bharat main ek bhi muslim nehi rahna chahiye
Sadu was. 🙏🏽🙏🏽🙏🏽
लाला लाजपत राय उस समय कहां जिंदा थे जब संविधान लिखा जा रहा था राजेश चन्द्रा
Awaj India ka contact no kya hai
Jitne. Bhi. Jati. Badiyon. Ke. .dharam. Granth. Hai....yah 712. Ke. Bad. Me. Likhe Gaye. Yah. Jhoothe. Log. Inhe. Lakho. Sal. Purana. Bata. Kar. Desh. Ke. Logon. Ko. Gumrah. Karte. Rahte. Hai.
ખરાબ હવા પાણી અને ખોરાકથી 2034 સુધીમાં એન્ડ
आचार्य राजेश जी आंबेडकर ने कहां लिखा है देश का कानून का किताब लिखूंगा इतना झूठ आचार्य ही बोल सकता है।
Reservation khatam karna padega pahele.
Jay Bheem namo buddhay Jay sanvidhan
Jay bhim namo bhudha ji ki
Namo buddhay Jai bheem