Aap ka chenal hai aap ke guru ji h or aap nitin das bolte ho ye glat h apne guru ko das nhi aap nitin sahib bola kro das to guru apne ko bolta h tum log das nhi bola kro 😊🙏
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ::-जब सुरति शबद संयोग देही गुरुओं के झूठे प्रयासों से संभव नहीं हुआ। अब हंसा निकल चला पिंजरे से, खाली पड़ा रहा शरीर।।00।।अकह नाम कैसे के जानी, लिखी ना जाय पढ़ो नहीं वाणी। देही गुरुआ सबही कहें हम हैं सांचे, अनेक हैं पंथ किस किसको जांचे:-खाली पड़ा रहा शरीर।।01।।कलयुगी ढोंगी संत कहें हम सब जाना, झूठे शब्द मुख करहिं बखाना। बावन अक्षर मंत्र सब कोई जाना, शब्द विदेही विरला पहचाना:-खाली पड़ा रहा शरीर।।02।।सुगुप्त शब्द है सतगुरु के पासा, विरला पावै चलती सांसा। सारशब्दानंद जब आवे हाथा, तबहिं काल नबावे माथा:-खाली पड़ा रहा शरीर ।।03।।समय के परम भेदी गुरु साँई अरुण जी महाराज के परम भेद से, आत्मा को परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द की बंध गई डोर। अब तो परमपितामह सत स्वयंभू ने ली जोड़,मिल गया अब मुझको मानव जीवन का तोड़:-खाली पड़ा रहा शरीर।।04।।सांचा भेदी गुरु मिले तो शीश नवाओ, चित्त में सारशब्द मिले तो बनना चेला। मन मिले तो मित्र बनाओ, वर्ना रहो अकेला:-खाली पड़ा रहा शरीर।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Satnam
Sahib bandhi satnam ❤
साहेब बंदगी सतनाम
Satnam sahib bandgi ❤
Sahib bandgi satnam ❤
Satnam ❤
Sahib bandgi satnam
साहेब बंदगी साहेब
साहेब,हम क्या है, कैसे हैं,कोन है इत्यादि को कैसे पहचानें
या सभी कुछ भूलकर, शून्य महल में प्रवेश करने से मुक्त माना जायेगा
संसार की बुराई अच्छी भलाई से। क्योंकि परमेश्वर के लिए संसार छूट जाए तो क्या बुराई
ये धोखे की आँखें हैं धोखे के कान हैं
जो एक रोटी फालतू नहीं खा सकता वह भगवान को कैसे पचाएगा। भगवान तो भीतर हैं
Kis ne bol dea ke ander hai marte h tab kha chla jata hai
Aap ka chenal hai aap ke guru ji h or aap nitin das bolte ho ye glat h apne guru ko das nhi aap nitin sahib bola kro das to guru apne ko bolta h tum log das nhi bola kro 😊🙏
मन का एक ही काम है केवल भटकना और बहकाना जो अपने मन को समझेगा वह ज्ञानी बनेगा
Satnam
Satnam sahib bandgi ❤
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ::-जब सुरति शबद संयोग देही गुरुओं के झूठे प्रयासों से संभव नहीं हुआ। अब हंसा निकल चला पिंजरे से, खाली पड़ा रहा शरीर।।00।।अकह नाम कैसे के जानी, लिखी ना जाय पढ़ो नहीं वाणी। देही गुरुआ सबही कहें हम हैं सांचे, अनेक हैं पंथ किस किसको जांचे:-खाली पड़ा रहा शरीर।।01।।कलयुगी ढोंगी संत कहें हम सब जाना, झूठे शब्द मुख करहिं बखाना। बावन अक्षर मंत्र सब कोई जाना, शब्द विदेही विरला पहचाना:-खाली पड़ा रहा शरीर।।02।।सुगुप्त शब्द है सतगुरु के पासा, विरला पावै चलती सांसा। सारशब्दानंद जब आवे हाथा, तबहिं काल नबावे माथा:-खाली पड़ा रहा शरीर ।।03।।समय के परम भेदी गुरु साँई अरुण जी महाराज के परम भेद से, आत्मा को परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द की बंध गई डोर। अब तो परमपितामह सत स्वयंभू ने ली जोड़,मिल गया अब मुझको मानव जीवन का तोड़:-खाली पड़ा रहा शरीर।।04।।सांचा भेदी गुरु मिले तो शीश नवाओ, चित्त में सारशब्द मिले तो बनना चेला। मन मिले तो मित्र बनाओ, वर्ना रहो अकेला:-खाली पड़ा रहा शरीर।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Sahib bandgi satnam ❤