हटाया गया DM; लेखपाल ने मांगा था नाश्ता तो थमा दिया था बर्खास्तगी की नोटिस!
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- Опубликовано: 27 авг 2024
- हटाया गया DM; लेखपाल ने मांगा था नाश्ता तो थमा दिया था बड़खारती की नोटिस!
मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद का है जब 110 लेखपालों को नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा था। लेखपाल ने नाश्ता मांगा तो उसे बर्खास्तगी की नोटिस थमा दी गई।
यदि लेखपाल ने नाश्ता मांग ही लिया तो जिलाधिकारी महोदय का कर्तव्य था कि उन्हें पानी ,नाश्ता देना चाहिए इसमे गलत बात क्या है,धन्यवाद पत्रकार महोदय जो सही बात सामने लायी,और हम आशा करते हैं आपसे कि गलत इंसान ही होता है,पूरा मुकाम नही आप सही बात को सामने लाये हम आपके साथ है, जो सही हो वो खबर में लाये चाहे ,वो जनता कि आवाज हो या जनता से आये हुए कर्मचारियों की
Arey Nashta to chhodo Collectorate se jo duties lagti 30-40 km Durr uske liye Jane or aane ka kharche ki baat ager koi meeting bol de to unko aise draya jata hai ki dubara koi na bole
Promoted to IAS not original IAS
मा. मुख्यमंत्री जी का सही फैसला येसे हीvip कल्चर खत्म हो गा लेखपाल भाई की क्या गलती अगर भूखे थे और मांग ही लिया तो दरियादिली यह थी कि तुरंत मगाकर नाश्ता करा देते
अरे न करा देते लेकिन बर्खास्त करने की क्या जरूरत थी
@@rishideepsinghसबक सिखाने के लिए ही तो बेचारू इतना मेहनत कर के DM बने.. वरना खाने पीने भर जरूरत तो DM बाबू के माता पिता ही पूरी कर देते..
उस बिचारे नवनियुक्त लेखपाल को शायद ये ना पता रहा होगा की डीएम साहब और केंद्रीय मंत्री के सामने जो नाश्ता परोसा गया है। उसकी व्यवस्था उनके किसी सीनियर लेखपाल ने ही किया है।।
Main ne 8 saal Lekhpal ki naukri ki aur baad mein resign kar ke University chala gaya tha. University ke kaam se Noida Tehsil gaya hua tha jahan DM saheb a rahe the. SDM saheb ne mujhe dekha aur dher sare saaman ki list dekar fauran lane ka huk de diya. Woh samjhe main abhi Tehsil ki mulazmat mein hun. Wahan sab uper walon ko dekh kar hi loot khasot karte hain.
100 pratishat ye hihakikat hai
ये कैसा कलेक्टर है, दस,बीस लोगों के लिए खानपान की व्यवस्था नहीं कर सकते, लानत है ऐसे अधिकारी को। कल इन्ही लेखपालों से काजू पिस्ता खायेंगे
नव चयनित लेखपाल गलत नहीं किया है। यदि नाश्ता सम्भव नहीं था तो एक बिस्कुट और एक कप चाय ही दे दिया जाता।बैठक में तो समरूपता होना चाहिए था।
बजट कम होगा
Budget lekhpal ke dwara he diya jata hai bhai@@arjunsuriyal9343
Higher officers are busy.Lekhpal was wrong.Suppose whether cm is meeting with pm and a DM demands equal Nashta.whether he will get ?
डीएम को स्वयं से पहले मातहतों का ध्यान रखना चाहिए ..यही नैतिकता है
Sir, digital attendance pr kuch video banaye.. : basic education....
मैं जौनपुर में अपने खेत की नाप करवाया था, बड़ी मिन्नत के बाद लेखपाल 5000 में माना था, कच्ची के 5000 और पक्की के 8000। आपको धरातल की वास्तविकता पता नहीं है। लेखपाल के लिए 200 रुपए कम लग रहे हैं परंतु सच्चाई यह है किसी भी नाप या पैमाईश में यह लोग हजारों के नीचे बात नहीं करते हैं।
आपको पता ही नही है लेखपाल को पक्की नाप का अधिकार ही नही है पक्की नाप राजस्व निरीक्षक करता है
You.r.right
नाप के अधिकार ही नही है लेखपाल को,,, आप खुद गलत तरीके से गलत काम करवा रहे हो उससे
आपकी बात सत्य है।
Kaun kachhi naap lekhpal se karwa rahe the..apko khud kanoon ki samjh nhi
Vip खत्म कराएं, किसान से फीस लेना चाहें सरकार हो या लेखपाल बंद कराएं,आजकल बजाय खाता के गाटे के अनुसार फीस ले रही है,जिसमे किसान के जितने खेत उतनी फीस वसूली जा रही है ,पहले खाते में जितने खेत होते उसके अनुसार फीस ली जाती थी,इसके लिए लेखपाल या अन्य को वेतन व भत्ते समय के अनुसार दिए जाएं।भ्रस्टाचार नीचे से नही ऊपर से बंद हो सकता है।इससे समाज का भला होगा,आप प्रयास करें।
लेखपाल को जितने काम करने पड़ते हैं अगर सही से आकलन किया जाए तो उनकी सैलरी कम से कम डेढ़ लाख से शुरू होनी चाहिए
Sahi baat bhai 👍
@@AnkitKumar-cr8xchnn
आदरणीय दुबे जी आपकी पत्रकारिता को बारंबार प्रणाम है।यह परिवर्तन आपके प्रयास से ही हुआ है
चपरासी बन जाना लेकीन लेखपाल नहीं बनना। हर राजस्व अधिकारी इनको मानसिक रूप से परेशान करता है। क्षेत्र में छुटभैया नेता तो पीछे पड़े रहते हैं , कोई आईजीआरएस करता है कोई विडियो बना लेता है बहुत मुस्कील है आज के समय में नौकरी करना
Aap kis adhar per aisa bol sakte ho?
बहुत मोटी मलाई लेखपाल को मिलती है
संघ से ताल्लुकात रखो तो चपरासी आईएएस बन सकता है 😮 पूजा
Bahut Malaai khaate hain lekhpal bhi aur Malaai le ke bhi kaam nahi karte.
Sabse jyaada gareeb kisaano ko yahi lootne ka kaam karte h
भ्रष्टाचार कभी बंद नहीं होगा क्योंकि नैतिकता सबकी मर चुकी है।
एसडीएम डीएम के बंगले का खर्च यही लेखपाल उठाते हैं तो भ्रष्टाचार होगा ही। अधिकारियों का हाल बहुत खराब है।
बहुत ही सही पॉइंट आपने समझा है।
प्रणाम दादा
ऐसी व्यवस्था ही बन गई है की रिश्वतखोरी हर विभागों में व्याप्त है l रिश्वतखोरी को समाप्त करने के लिए योजनाएं बननी चाहिए l इस देश में जिसको भी मौका मिलता है रिश्वत लेने का या भ्रष्टाचार करने का वह करता ही है अब चाहे डॉक्टर हो वकील हो सरकारी कर्मचारी हो व्यापारी हो नेता हो या उद्योगपति हो l सरकार को निष्पक्ष तरीके से हर विभाग की समस्या को सुनना चाहिए और उसका निराकरण करना चाहिए l लेखपाल की समस्या को सुना नहीं जाता उनकी हड़ताल को दबा दिया जाता है और उनका उत्पीड़न किया जाता है l भूमि से संबंधित कानून में कमियां है अवैध कब्जे लोगों ने बहुत किया हुआ है लेखपाल के हाथों में सारी शक्ति नहीं होती है लेखपाल को कानून के दायरे में रहकर काम करना होता है लेखपाल ऐसा कर्मचारी है जो हर शिकायत का जवाब लिखित रूप मैं देता है जिसको लेकर लोग कोर्ट से लेकर के बड़े अधिकारियों तक के पास में जाते हैं और ऐसे में यह आरोप लगाना की लेखपाल गलत कार्य करते हैं या ठीक नहीं है l यदि आपके अनुसार लेखपाल कार्य करें तो ठीक यदि आपके विपरीत कार्य कर दिया तो लेखपाल गलत हो जाता है घूसखोर हो जाता है 😂 राजस्व विभाग में एक लेखपाल ही है जो सभी अधिकारियों के कार्य खुद ही करता है किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त होती है वह सीधे लेखपाल को ही भेज दी जाती है चाहे वह लेखपाल से संबंधित हो या नहीं हो और लेखपाल को उस पर रिपोर्ट लगानी ही पड़ती है । जो लोग यह कह रहे हैं कि लेखपाल जमीन नापने के पैसे लेते हैं उनको शायद यह भी नहीं पता कि लेखपाल सिर्फ सरकारी जमीन का ही देखरेख करते हैं जबकि प्राइवेट जमीन का कार्य राजस्व निरीक्षक द्वारा किया जाता है l क्षेत्र में काम करते वक्त लेखपालों पर हमला हो जाता है और जब वह FIR लिखवाने जाता है तो उसकी FIR नहीं लिखी जाती लेखपालों को धरना प्रदर्शन करना पड़ता है FIR लिखवाने के लिए😂 लेखपाल कार्य के दबाव में व कम तनख्वाह के कारण नौकरी छोड़ कर दूसरे विभाग में चले जाते हैं अगर आप लेखपालों से पूछेंगे तो कोई लेखपाल इस विभाग में रहना नहीं चाहता सिर्फ एक कारण है जो लोग यहां पर रुकते हैं ताकि वह घर के नजदीक नौकरी कर सके और उसके ऊपर अधिकारियों की मानसिकता की यदि कोई लेखपाल अपने घर के पास तहसील में नौकरी करने की अर्जी देता है तो उसे और दूर तहसील में भेज दिया जाताहै😂 जिंदगी भर नौकरी करने के बावजूद आलम यह है कि बहुत सारे लेखपाल लेखपाल के पद से ही रिटायर हो जाते हैं इनका प्रमोशन ही नहीं होता बहुत सारे लेखपाल सर्विस पीरियड में ही कार्य के दबाव कारण परलोक सिधार जाते हैं l एक लेखपाल को एक क्षेत्र दिया जाना चाहिए जबकि कई के पास दो या तीन क्षेत्र होते हैं और अतिरिक्त क्षेत्र का कोई मुआवजा देय नहीं होता l एक जिलाधिकारी दो या तीन जिले संभालता है क्या?😂 जो लोग नए नए ज्वाइन करते हैं बहुत खुश रहते हैं लेकिन बाद में उनसे खुशी का आलम पूछिए जरा😂 हां यदि उनके कार्य के अनुरूप उन्हें वेतन मिलता तो शायद खुश रहते l
मुझे भी बड़ा आश्चर्य हुआ था यह सुनकर जब केवल नाश्ता मांगने पर नवनियुक्त कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया।
नाश्ता कौन सा डीएम साहब अपने पैसे से खा रहे थे वह भी तो लेखपालों से ही पैसा लेकर तैयार किया गया होगा यदि उसमें से लेखपालों को भी दे दिया जाता तो क्या पाप हो जाता
दादा प्रणाम
नमन है आपकी पत्रकारिता को
ऐसी निर्भीकता और सत्यवादिता दुर्लभ है।
Bihar health department ne community health officer ki 4500 vacancy release ki jisme general category k liye ek bhi seat nahi hai, ispe sabhi lapaata hai
निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए बारम्बार प्रणाम सर
नमन है आपको लेखपाल की समस्या पर सबका ध्यान आकृष्ट करने के लिए।
अन्यथा सब लेखपाल के नाम आने पर सब मौन हो जाते है और सब उसे ही दोषी मानते हैं। उनकी पीड़ा कोई नही समझता, सादर प्रणाम आपको
99.9999%Lekhpal corrupt.
मोदी की नाटकबाजी है। नियुक्ति पत्रों का इस तरह से बांटना। मानो इससे पहले कभी नियुक्तियां हुई ही नहीं।
सर आप कहावत कहे कि एक मास्टर साहब 400रुपरा में Dug डूग माने कुत्ती पढा़ रहे थे तो उस स्कूल का बदनामी हो रहा था लेकिन आज उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल के मास्टर की तनख्वाह 60 हजार रुपया है लेकिन एप्पल की इस्पेलींग तक नहीं पता है उस विषय पर भी एक बार बोले ताकी गांव के स्कूल में अधिकतर गरीब के ही बच्चे पढ़ते हैं न की सरकारी मास्टर के बच्चे।
सह्रदय धन्यवाद आदरणीय दुबे जी ,आपने आज बो दिखया है जो वास्तविकता में हकीकत है ।भर्ती से पहले 1 लेखपाल के पास 15-20 गाँव का चार्ज रहता है ऐसे में काम की अधिकता और चुनाव का काम आदि कर पाना बमुश्किल ह्यो जाता था कभी कभी तो ऐसा लगता था कि काम ह्यो जाए /सूचना चली जाए /रिट आदि कोर्ट पंहुच जाए भले गांठ से 5-10हजार खर्च हो जाये ऐसे भी दिन गुजरते ।कहीं कहीं राजनीतिक व्यक्ति से हॉट टॉक आदि का भी सामना करना पड़ता है इस धरा पर जो भी काम है बिना लेखपाल के सम्भव नही ।दुबे जी आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद ❤❤
आदरणीय श्रीमान आपने अपने छोटे से वंतव्य में लेखपालों की तमाम समस्याओं को जनता के समक्ष लाया है इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
लेखपालों के पास इस समय अनगिनत कार्य और अनगिनत समस्याएं हैं आपसे निवेदन है कृपया लेखपालों की जो वास्तविक दिनचर्या कटिनाइयां हैं उन पर आप एक विस्तृत वंतव्य साझा करेंगे।
कुछ मेरे भाई लेखपालों के प्रति नकारत्मक हैं या हो सकता ही निजी तौर पर परेशानी का सामना करना पड़ा हो तो किसी व्यक्ति विशेष के व्यवहार से हुई आपको परेशानी से समूचे लेखपाल वर्ग को दोष दिया जाना उचित नहीं है फिर भी आपसे यही आग्रह करूंगा की एक आठ दिवस किसी लेखपाल के साथ गुजारिए तो आप सही मूल्यांकन कर पाएंगे। अन्य छुट्टियों की तो बात ही क्या ये रविवार की छुट्टी भी यदा कदा नसीब होती है।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जो आप ने हकीकत से लोगों को अवगत कराया
अब लेखपाल नियुक्ति पत्र वितरण को किसी पर्व की भांति सरकार ने प्रदर्शित किया ये बहुत ही सराहनीय कार्य है जब प्रदेश में भर्ती प्रक्रिया में 8 से 9 वर्ष लगते हो तो समारोह होना चाहिए
धन्यवाद सर! बहुत ही अच्छा विश्लेषण!
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी, लेखपालों की आवाज उठाने के लिए , प्रदेश के 1500 से 2000 लेखपाल ट्रांसफर का इंतजार कर रहे है, 9 साल से कृपया इस मुद्दे को भी उठाई ये
ओके
@@BrajbhushanDubeypranam sar mujhe bahut kuchh aapko batana hai mujhe aapka number chahie ek Mudda aur bhi sar uthaie mujhe aapse baat karni hai please sar main prayagraj se hun mujhe aapka number chahie
@@BrajbhushanDubeyप्रदेश सरकार के नोकर हो जिले या ब्लॉक के नही।
@@sohansagar3716 transfer hone par lekhpal bhole bhale kisaano ko lalach dekar thag lejaate h
मार्कण्डेय जी कहना आपका सटीक है आप बेबाक पत्रकारिता करते है यू पी मे कानून व्यवस्था सुधरी है परन्तु घूसखोरी कम नही हुई और पहले वाले शासन चाहे बहिनजी हो या अखिलेश और अखिलेश के समय तो अंसारी आजम और दो भाई जो मारे गये वो शासन चलाते थे अब बदलाव जरूर आया है
बहुत अच्छा काम हुआ है कभी कभी लोग अपने पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं।
नेताओं और बडे औफीसरों को समुचित नियुक्ति पत्र देना भर्ती नियमों का उलंघन है। नियोक्ता ही नियुक्ति पत्र दे सकता है।
पंडित जी आपकी पतृकारिताको कोटि-कोटि प्रणाम
नमन है साहब आपकी पत्रकारिता पर जो इस राम राज्य के कोतूहल में कही खो गई
आप जो इतना बेधड़क बोलते हैं
क्या बात सरकार की क्या पोल खोलते हैं।
महोदय यदि हमारे जायज भक्तों में वृद्धि कर दी जाए तो हमें किसी से किसी प्रकार की धन की आवश्यकता नहीं है
एक मेरे साथी नायब तहसीलदार पद के लिए चयनित हुए थे किंतु नियुक्ति पत्र डाक से ६ माह बाद प्राप्त हुआ। फिर कोर्ट के आदेश द्वारा २ साल बाद नियुक्ति मिली।
आपका प्रयास सफल रहा गुरुजी, आपको बहुत बहुत बधाई।
कौन-सा डीएम नाश्ता ही नहीं हिस्सेदारी भी नहीं मांगता है । हजारों से नीचे बाल से काम के ले लेता है समस्त लेखपालों की सम्पत्ति की जांच होनी चाहिए
जनता के खर्च पर , इस तरह के आयोजनो पर खर्च अवांछित है।
जनता तो कराधान से ही पहले से त्रस्त है।
जिला शाहजहांपुर में उच्च अधिकारी द्वारा सभी लेखपालों को आदेश दिया गया है कि अपनी धनराशि से बाढ़ प्रभावितो को भोजन उपलब्ध कराये और सभी लेखपाल ऐसा कर रहे हैं और उसके बाद भी जब बड़े अधिकारी, विधायक और सांसद बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में जाते हैं तो वह लेखपाल को ही डांट लगा रहे हैं।
बहुत बहुत साधुवाद आपको लेखपालों की तकलीफ को समझने के लिए।
ये खुद जम के नशता करगे इनको दूसरों का भूख महसूस नहीं होता है
आपके निष्पछ पत्रकारिता को दिल से प्रणाम
आइएएस अधिकारी में पागलपन का दौरा क्यों? विचारणीय विषय है।
ये मनुष्य क्यों नहीं बन पाते।
प्रमोशन कर दिया गया है।सचिव बना दिये गये हैं ।
Thanks for supporting lekhapal
इस समय हमारा लेखपाल संघ निश्चित रूप से पीड़ा से गुजर रहा है वर्कलोड पहले से बहुत ज्यादा है
@@amitshine1630 sahi baat h rishvat lete hi workload khatm ho jaata h
जो लोग DM से मिलने जाते हैं उनको भी TA, DA और वाशिंग एलाउंस भी दिला दिया करो।
और एक दिन का वेतन भी दिला दिया करो।
साहब पंचायत सहायक की भी आवाज बनो क्योंकि 6000 रुपए है मानदेय है
1 महीने में 10 मीटिंग रखते हैं ब्लाक पर
कोई ट्रांसपोर्ट नहीं मिलता
पूज्यनीय दूबे जी प्रणाम 🙏
आपकी ईमानदार पत्रकारिता के लिए सदर नमन वर्तमान समय में आप ही ऐसे पत्रकार हैं जो सही को सही और गलत को गलत कहने की क्षमता रखते हैं न पद का लालच न किसी चीज का भय लेखपाल को गाली देने वाले लोग तो बहुत हैं पर उनके जीवन की जटिलताओं को बिरले ही समझ पाते हैं पुनः सादर अभिवादन
बहुत ही अच्छी ग्राउंड रिपोर्टिंग🙏
लेखपाल गलत नहीं थे, डीएम अहंकारी है।।
Thanks so much Dubay sir... good Analysis
Sir aap jaise imandar aur nirbhik patrakar hi sahi logo ko is kalyug me jine ki aas deta h
आपका कार् बहुत अच्छा है उच्च अधिकारी हर जिले के कर्मचारियों के लिए शत्रु बन गए हैं केवल मुख्यमंत्री के चार्ट करता में लगे रहते हैं
Adhikari कितना भी अपनी लालफीताशाही नहीं छोड़ते।
भा ज पा की सरकार मे सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार हर काम का ढिंढोरा पीटती है लेकिन अपने भ्रष्टाचार का प्रदेश मे महगाई का प्रदेश मे हर पेपर लीक का बेरोजगारी का पुलिस थाना का तहसील मे भ्रष्टाचार का ऐसे तमाम समस्या का ढिंढोरा नही पीटती है
जांच का विषय यह भी है कि डी एम साहब जो नाश्ता कर रहे थे उसमे क्या क्या था और उसकी व्यवस्था किस मद से हुई थी?
लोग एक ही पक्ष पर बोलते है लेकिन आपने दोनो पक्षों का विश्लेषण किया । ईमानदारी पारदर्शिता ये एक पक्ष है आपने दूसरा पक्ष बताया कम भत्ते का ।धन्यवाद🙏
Brajbhushan Dube ji,
मौलिक अधिकार के साथ ही साथ राष्ट्र के लिए अपने स्वयं का अनुशासन भी अपेक्षित है। हम भारतीयों को यह घर से भी शिक्षा दी जाती है कि हमें खाने के लिए नहीं बल्कि जीने के लिए खाने चाहिएं। खाने के लिए शिकायत करना और वो भी कुछ लमहे के दौरान,........ इंसानियत को भी झकझोर कर रख देती है। बाकी अपनी-अपनी सोच।
बहुत शोषण होता है लेखपालों का आज घुस के मामले मे लेखपाल बदनाम है ये घूसखोरी को बढ़ावा अधिकारी /शासन के लोग ही अप्रत्यक्ष रूप से देते है
*ये dm शिक्षा विभाग में सचिव बन गया है।*
*टकलू चचा का dm है।*
यदि लेखपाल बिना पैसे के काम नहीं कर ते तो किसकी जिम्मेदारी बनती है इस सिस्टम को कौन ठीक करेगा
मास्टर लोगो को बिना किसी काम का 60-70 हजार वेतन दिया जाता है तब आप लोग कुछ नही बोलते, लेकिन लेखपाल को 10 गुना वेतन कम मिलता है उनके काम के अपेक्षा तब आपके मुंह में दही जम जाता है
लेखपाल नामक सरकारी कर्मचारी समाज में *महाभ्रष्ट और घूसखोर* माना जाता है, ऐसी धारणा है।
गुरु जी थाने बिक रहे है, चंदौली का saiyedraja thana प्रभारी 40-50 lakh mounthly निकाल रहा है, ट्रक वालो से बहुत लंबी वसूली हो रही है, मेरे भी 20 truck hai 🙏🙏🙏🙏 इसपर video करे
ओके
आदरणीय!
सादर नमन।
आपके समाचार वाचन की शैली मौलिक,रोचक शब्द सौष्ठव तथा प्रभावकता अद्वितीय है।
DM को बड़ा दिल दिखाना था बेचारे को खाना खिला देते ये नैतिकता है लेकिन हिम्मत तो देखिए जो आदमी अपने सुपर बॉस से खाना मांग सकता है वो जनता का काम बिना मोटी रकम के कैसे करेगा ।
You are great thanks
दुबे जी आप जैसे लोग मुद्दा उठाने और सिस्टम पर बोलने वाले कुछ लोग होना चाहिए चुके देश में सिस्टम पर बोलने वाले की संख्या दहाई में भी नही है?
बहुत-बहुत dhanyvad aadarniy aapane hakikat se logon Ko avgat karaya
ईमानदार आदमी हर परिस्थिति में ईमानदार ही रहता है चाहे उसको पैसा मिले या भूखा रहे, ये कोई बात नहीं कि साईकिल भत्ता कम है तो घूसखोरी जायज है। उसके लिए धरना प्रदर्शन का रास्ता खुला है और कोर्ट का भी।
अगर कोई किसान हाईकोर्ट में रिट याचिका डालता है तो उसे रिट याचिका का जवाब बनवाने की प्रति लेखपाल को 5000 से 10000 का खर्चा आता है
महोदय
आपको को अवगत कराना चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश के समस्त लेखपालों से जितना काम लिया जाता है वह बहुत ही अधिक है उनकी सैलरी की अपेक्षा
@@shailendrachauhanr.s.i5821 salary leta kaun h sab haram par pal rhe hai
शानदार दुबे जी ❤
Your impartial and genuin journalism wins the heart everytime
शानदारपत्रकारिता
दुबे जी हर गांव व क्षेत्र में लेखपालों के द्वारा भोले भाले किसान व नागरिक से पैसा लेकर झगड़ा लगाने का काम करते हैं एक लेखपाल है जो मुहम्मदपुर कुसुम उसका हलका है जो गाजीपुर कासिमाबाद में पड़ता है बहुत ही धन उगाही काम करता है उसका नाम त्रिपुरारी पांडेय है उसको सस्पेंड कर देना चाहिए उससे वहां की जनता तंग आ गई है
Apko pata hona chahiye agr lekhpal doshi h to doshi adhikari b h jo majbur krte h kabhi system k bare m janna aur ha kuchh hote h jo jyada shoshan krte h lekhpal un per jarur karywahi honi chahiye
तहसील एवं रजिस्ट्री आफिस में छोटे से छोटे काम के लिए 10 हजार से 5 हजार आफिस खर्चा के नाम पर वसूली होती है। इस विषय में भी सरकार को कार्य वाही करनी चाहिए
वरिष्ठ पदाधिकारियों का भ्रष्टाचार और दबंगई सिर चढकर बोलता है। कोई देखने पुछने वाला नहीं है।
Sahab aap to poora system hi khol diye
Gazab
बहुत बहुत धन्यवाद सर , आप ने जो इस मुद्दे को उठाया आप किसी लेखपाल से मिलकर लेखपालों की समस्या तथा कार्य के अनुसार जो सुविधा व भत्ते है को जानकर एक वीडियो बनाये तब जाकर ये समझ मे आएगा कि लेखपाल अधिकारी व सरकार के शोषण से ग्रसित होकर जनता के बीच किस प्रकार कार्य करता है और जिसका दंश स्वयं झेलता है व बदनामी की चादर ओढ़कर कार्य करता है साथ ही जनता भी झेलती है । यदि सरकार पदों के सापेक्ष नियुक्ति कर दे तथा कार्य के अनुसार वेतन व भत्ते दे दे तथा अनावश्यक दूसरे विभागों का काम लेखपाल के ऊपर न थोपा जय तो अधिकांश जनता का काम समय से पूरा हो जाएगा तथा जनता को अनावश्य भाग दौड़ से मुक्ति मिल जाएगी । तथा भ्रष्टाचार भी लगभग पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
Bhut shi kha❤
Very good Sir, Salute aapko
Aise discourse ke liye
Bhut hi umda baat khi aapne sir
तहे दिल दे धन्यवाद ❤
Leckhpal 5000ke Bina jareef Nahin rakhte
छोटे-छोटे कर्मचारियों के साथ चाहे वे किसी भी बिभाग में हो ऐसा ही होता है उन्हें अपनें ही जेब से भी खाने को नंही मिलता
लेखपाल खुद को राज्यपाल समझते हैं, अभी नौकरी के शुरुआत में यह हाल है तो उसे लेखपाल का आगे क्या होता है, बर्खास्त की का कदम बहुत उचित है
ऊपर वाले के पद को देखकर ही नीचे के लोग भ्रष्टाचार की ओर उन्मुख होते हैं।
आपके अथक प्रयास और वीडियो ने आखिर कार इस दोषी और सत्ता के नशे में चूर डीएम को सस्पेंड कर ही दिया और उस लेखपाल के साथ न्याय में आपकी भागीदारी भी अतुलनीय है। जय हिंद
Aisa kuch N hua suspend kuch ni hua kai ias K transfer huy h
लेखपाल सबसे सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। भ्रष्टाचार को रोका जानाचाहिए इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती खुले आम पैसे लेते हैं और किसानों का काम नहीं करते हैं आज दिन तहसील के चक्कर लगाते रहते हैं
थाने में पुलिस कार्मिकों के लिए खाने की व्यवस्था नहीं है और होना चाहिए
भृष्टाचार की जड़ें ऊपर होती हैं यदि ऊपर वाले ईमानदार हों तो नीचे वाले की मजाल कि दो रुपए भी किसी से माँग ले,
पुराने समय के बने पुल, इमारतें आज भी अच्छी हालत में हैं जबकि नये निर्माण किया जा रहे उदघाट्न से पहले या बाद में गिर जाते हैं.
दूवेजी सादर प्रणाम 200 रुपए बिजली विभाग के टेक्निशियन को भी दिया जाता है और 20से25 किलोमीटर तक का फाल्ट सही करवाया जाता है और राजस्व वसूली कराया जाता है कभी इस पर भी आवाज उठाइये
Sadar pranam 🙏
100%right
आप लोगों की कृपा से बच गया अन्यथा कार्यवाही तो हो ही गई थी दुबे जी
पत्रकार महोदय आजकल के हल्का लेखपाल को पुराने समय के लेखपाल अब पुराने के समय के लेखपाल नहीं रह गए हैं आज के समय के लेखपाल भूमाफिया संगठित आपराधिक गिरोह के सरगना हो गए हैं इन लेखपालों से और इलाका थाना प्रभारी दोनों मिलकर इलाका में भूमाफिया आपराधिक संगठित गिरोह के सरगना होकर इलाका के गरीब निरीह बेसहारा भोली भाली इज्जतदार शरीफ इज्जतदार परिवारों के लोग तरह तरह से तंग परेशान होकर इंसाफ के लिए दर दर भटकते हैं लेकिन पुलिस विभाग के इलाका थाना प्रभारी सहित सी ओ पुलिस और पुलिस अधीक्षक और राजस्व विभाग के हल्का लेखपाल कानूनगो तहसीलदार एस डी एम राजस्व और जिलाधिकारी पीड़ित को न्याय नहीं मिलने देते हैं बार बार मुख्य मंत्री पोर्टल पर गलत रिपोर्ट पेश करके पीड़ित को न्याय नहीं मिलने देते हैं और लोवर कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट इलाहाबाद मे भी राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग के अधिकारीयों द्वारा गलत रिपोर्ट पेश करके पीड़ित को न्याय नहीं मिलने देते हैं और अपराधियो के खिलाफ एफ आई आर दर्ज नहीं होने देते 4और यदि एफ आई आर दर्ज कोर्ट के आदेश से हो जाता है तो विवेचना का रिपोर्ट गलत तरीके से पेश करके फाइनल रिपोर्ट पेश करके एफ आई आर खत्म करा दिया जाता है किसी अपराधी को गंभीर संज्ञेय अपराध में संज्ञेय धाराओं मे गिरफ्तारी नहीं किया जाता है पुलिस सरकार के मुकदमे की सरकारी कोर्ट इंस्पेक्टर से मुकदमे की पैरवी नहीं करने के लिए थाना प्रभारी पैरवी नहीं करते है इस प्रकार से पीड़ित गरीब निरीह बेसहारा भोली भाली इज्जतदार शरीफ पुरुष महिलाओं को थाना प्रभारी सहित पुलिस अधीक्षक और हल्का लेखपाल कानूनगो तहसीलदार एस डी एम राजस्व और जिलाधिकारी न्याय नहीं मिलने देते हैं हर जगह की कहानी है
आप देश में हर सरकारी विभाग में बिना रिश्वत के काम करा सकते हैं राजस्व विभाग को छोड़कर ।
एक रजिस्ट्री
रजिस्टार 4000से 6000
नायाब/तहसीलदार 3500
लेखपाल 2000
अपलोड 2000
ज्ञान न बाटे
लेखपाल सबसे भ्रष्ट पोस्ट है राजस्व मामले के विवादों के 90 प्रतिशत मामले लेखपाल के कारण ही बने हुए हैं..इस पोस्ट को ही समाप्त करना होगा
द्विवेदी जी आप को ❤️ से सैल्यूट 🙋
Jai ho patrakar mahoday
धूर्तता और मक्कारी रग रग में बसी होती है बातें आदर्शवादी करते हैं और काम वही करते हैं जो नहीं करना चाहिए।
लेखपाल 200 रू साईकिल भत्ता में पूरे महीने भर तहसील और क्षेत्र का भ्रमण करता है अब क्या ही कहा जाय कि क्या करे ।