4. रामायण बालकाण्ड। क्या श्री राम विष्णु के अवतार थे?
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- Опубликовано: 15 окт 2024
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हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🚩 कृण्वन्तो विश्वामार्यम । चरैवेति चरैवेति… । जय आर्य जय आर्यावर्त भरतखण्ड । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम्…… ।🇮🇳
गुरुजी हृदय से सादर प्रणाम गुरुजी अपराधक्षमा करें आप अनजाने में दशरथ जी हाल चला रहे थे यह निकल गया है मुंह से वैसे आपने बिल्कुल तत्व रूप में सही प्रकाश डाला है हम आपके हृदय से नमन करते हैं गुरुजी इस ध्र,ष्यटतआ के लिए मुझेक्षमा करें
ओम् जी😊😊
😊😊
Ram
गुरू जी खंडन शूरू करे
😂😂😂 हम
जरूर
लोमं लोमड़ 🦊आचार्य जी 🙏🙏🙏
लोमं लोमड़ 🦊आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
ओ३म सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
लोमं लोमड़ आचार्य जी 🙏
बहुत सुंदर
❤❤❤❤❤🎉🎉❤❤❤❤❤
🙏🙏
🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🚩🚩
नमस्ते आचार्य जी
Om
बहुत अच्छा लगा आपका प्रकरण। इतनी अच्छी हिंदी आप इतनी स्पष्टता से बोलते हैं, एक हिंदीभाषी होने के नाते मैं मंत्रमुग्ध हो गया!
जय श्री राम
Thanks guru dev
खंडन करे 😢😢
Bahut achchhe vishisht drashtikon ke sath ap Sri ram ke gun vaishishtya ka varnan kar rahe hain
Naste.guruji
श्री राम जी कौन है इस प्रश्न का उत्तर राम चरित मानस में महात्मा तुलसी दास जी ने स्पष्ट लिखा है जैसा कि,
बिष्णु बिरंचि शंभु भगवाना उपजहि जासु अंश ते नाना।।
माता सीता जी के बारे में भी है,
अगणित लक्षि उमा ब्रहमाणी ।
उपजहि जासु अंश गुण खानी।।
अब आप स्वयं सोचिए कि राम और माता सीता जी किसके अवतार थे, इधरउधर भटकने की जरूरत ही नहीं है।
हाँ आजकल बुद्धि विद्वान और ऐसे महात्मा वेषभूषा सम्पन्न कथा बाचक है जो आध्यात्मिक जगत में जानते तो कुछ भी नही लेकिन अपनी वेषभूषा के बल पर समाज में अपनी अज्ञानता को धर्म के रूप में स्थापित करने में सफल रहे है।
इन लोगों को केवल धर्म शब्द याद है धर्म क्या है, ओ समाज की रक्षा कैसे करता है यह बात उन लोगों से बहुत बहुत दूर है
अब पद प्रतिष्ठा बनी रहे तो कुछ न कुछ जोड़ तोड़ कर इतिहास बनाकर समाज में व्यक्त करते हैं और तालियां दो घंटे तक बजवाते है फिर बैताल उसी डाल पर ( वाली कहावत बन गयी)
आप के जितने भी आध्यत्मिक और पौराणिक ग्रन्थ है ये सन्त सिरोमणी महापुरुषों द्वारा रचित है उसमें छिपे हुए भेद को बुद्धिजीवी वर्ग या साधु महात्मा जैसा स्वरूप धारी ब्यक्ति नहीं बता सकता। ओ सच्चे अर्थ से कोसों दूर है।
इस समय इन लोगों की भरमार है ऐसे लोगों ने अपनी जिविका का साधन बना दिया है और कुछ नहीं। प्रमाण है कि महापुरुषों ने कोई एक बात कही ले वे उसका अनेक अरथ बतायेंगे। तो भ्रम ही तो फैला रहे हैं। आज आप को मानस मार्तण्ड, मनस महारथी मानस मर्मज्ञ न जाने क्या क्या उपाधि को लेकर समाज को असली ज्ञान से दूर करने मे लगे हुए हैं। आन्धा गुरु बहरा चेला दोनों नरक में ठेलम ठेला। भाइयों, सच्चे अर्थ को वही महापुरुष कह सकते है जो उस अवस्था को प्राप्त कर लिए है। अध कचरा ज्ञान रखनेवाले नहीं। ओ एक भी अक्षर ना पढ़े हो किन्तु आप को सरलता पूर्वक हृदयंगम करा देगें क्यों की वह उन्हीं का विषय है, विद्वानों का नहीं।
अगर किसी भाई को ये बात बुरी लगी हो तो क्षमा प्रर्थना के साथ उनकी संकाओं का समाधान है।
गुरू जी रामपाल का खंडन करे और उसकी किताब का भी 🎉🎉🎉 यहा बहुत चेले है🎉🎉🎉🎉🎉
😊😊
मै समरथन करता हू🎉
करो तो अचछा😊😊
नियोग आज भी बंद नहीं हुआ है हिंदुओं में आज भी होता है लेकिन इसको कोई बताता नहीं क्योंकि अगर वह बता देगा मेरे बच्चे नियोग से पैदा हुए हैं तो उसकी मर्दंगी पर सवाल खड़े होंगे या बात सिर्फ उसकी पत्नी पति और पंडित को पता होती है
Pakhandi rampal 😂😂
Pranam acharya ji 🙏
🙏🕉️🙏
नमस्ते जी क्या त्रेता युग में हिमालय पर्वत था।
shubh ratri
वो उपनिषदाचार्य आचार्य प्रशान्त आर्य समाज के विद्वानों के परिश्रम को अपने नाम से लोगों को बताता रहता है। और कभी कृतज्ञता भी ज्ञापित नहीं करता है।
हा सही कहा😊
उसके चेले दूसरों के चैनल पर जाकर प्रचार करते हैं कि तुम लोग हमारे आचार्य प्रशान्त की नकल करते हो।
वह वामपंथी को दुकान चलानी तो वह क्यों ऐसा करेगा
वह तो अपने को कुछ समय बाद ईश्वर साबित करना है
वह जब ईश्वर को मानता ही नहीं
क्या रामायण में गदा शब्द नहीं है?
आचार्य जी, जो बालकांड की ये रामायण की सूची को आपने मिश्रित माना है, वाल्मीकि जी के द्वारा नही लिखा प्रमाणिक नही माना, तो फिर सीता माता के जनक कुल की पुत्री होने की लिखी बात को कैसे प्रामाणिक माने?
राम साक्क्षात विष्णु है।
नियोग आज भी बंद नहीं हुआ है हिंदुओं में आज भी होता है लेकिन इसको कोई बताता नहीं क्योंकि अगर वह बता देगा मेरे बच्चे नियोग से पैदा हुए हैं तो उसकी मर्दंगी पर सवाल खड़े होंगे या बात सिर्फ उसकी पत्नी पति और पंडित को पता होती है
नियोग को हलाला से मत जोड़ो
@TURKsaab212 अरे जाहिल नियोग हिन्दुओ का नहीं आर्य नमाज़ियों का है जो हिन्दू नहीं है... 18 वीं सदी के अंत में पैगम्बर दयानंद मुसलमानो को अपने नव वैदिक कल्ट में शामिल करने के लिए हलाला को नियोग का नाम दे कर उसे वेद सम्मत बता आर्य समाज के परम्पराओं में शामिल किया था और ऐसे ही कई इस्लामिक रिवाज़ों को भी आर्य समाज में शामिल किया था और मुसलमान उस झूठे पैग़म्बर के जाल में फंस गए और बड़ी संख्या में आर्य समाज का झंडा उठा लिए थे
लोमं लोमड़ 🦊आचार्य जी 🙏
लोमं लोमड़ 🦊आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏
लोमं लोमड़ 🦊आचार्य जी 🙏🙏