यही है ज्ञान जो मुक्तीका मार्ग खोल सकता है,धन्य भाग मेरे ऐसे शब्द सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है।बडे बडे महात्मा भी ऐसा ज्ञान खुला करके नही समझाते जो आप कर रहे हो।सब यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधी ऐसे कुट प्रश्न खडे करते है ताकी वे हमें और उलझनमें डालते है,हमे डर लगे और हम हीन दीन ही रहे ताकी वे बडे सिंहासन पर बैठकर हम उनकी सेवामें लगे।गुरु हमें गुरुत्व की और ले जाता है वही असली गुरु है।प्रणाम आपको बारंबार जो दिया है हमको अमृतसार!
@@LifeIsNowHere123 sir chetana bahar nahi jati balki chetana bodh ko jagrutv drushti yani observal (kalpanashakti ) pradan karata hai vyaktiastitv bodh shuny ho jane par observal kalpanashakti akriy ho jati hai jaise hi hamare dimagi urjasharir ko kuch bodh hota hai to observal kalpanashakti sakriy ho jati hai
वेदों और उपनिषदों के हिसाब से वह भी सही बोलते हैं। अपना-अपना तरीका होता है समझाने का, जो वेद शास्त्रों में है। वह भी तो मान्य होता आया है। अष्टांग योग को समझना पड़ता है 🙏यह भी तो सत्य है
वाह वाह वाह गुरूजी आपने इतने सरल तरीके से इतने जटिल विषय को समझाया कि कहना ही क्या आपकी प्रशंसा के लिए हर शब्द हल्के प्रतीत हो रहे है बहुत गूढ़ ज्ञान दिया निवण प्रणाम जी दिव्यात्मा👏👏 21:53
आपको असंख्य नमन आपने बहुत अच्छा वर्णन किया है जड़ और चेतन का स्वरुप का❤ लेकिन मनुष्य के पास इतना समय ही नहीं है जो खुद को जान पाए यह माया बहुत प्रबल है कोई कोई ही बच पाया है ❤संसार में
मूल बात कि आत्मा, चेतना अलग है, शरीर अलग है, में शरीर नहीं आत्मा हूँ - इस को बहुत अच्छे ढंग से समझाया है। लेकिन यह कहना कि बेहोश होने पर या सोते हुए आत्मा (चेतना) शरीर से चले जाती है, यह ठीक नहीं है। आत्मा इंद्रियों के द्वारा जानने का कार्य करती है जब इंद्रियां सो जाती हैं तो आत्मा तो वहीं होती है लेकिन सोई हुई इंद्री का काम रुक जाता है। जैसे खिड़की के अंदर खड़ा व्यक्ति खिड़की के द्वारा कमरे के बाहर का दृश्य देखता है लेकिन खिड़की बंद करने पर बाहर का दृश्य दिखाई नहीं देता हालांकि व्यक्ति वहीं है, बाहर का दृश्य भी वहीं है। यहां व्यक्ति को आत्मा, खिड़की को इंद्री मानने पर पर सब समझ मे आ जाता है कि इंद्री की सुप्तावस्था में देखने, महसूस करने की इंद्री का काम बाधित हुआ लेकिन मन का कार्य जारी रहता है इसीलिए स्वप्न आते हैं। आत्मा उस समय शरीर मे न रहे तो स्वप्न कैसे आता। आत्मा के निकलने पर शरीर निर्जीव अर्थात बिना जीव के हो जाता है। सोने को अवस्था को निर्जीव नहीं कहते। सुप्तावस्था कहते हैं अर्थात इंद्रियों की सुप्तावस्था।
आत्मा न कहीं जाती है न कहीं से आती है अचल है अविनाशी है सम्पूर्ण विश्व को एक धागा समझो और उसमें मणीऐ शरीर है मन भाव कर्म के अनुसार निश्चित समय पर मणीया टुट जाता है कर्म से फिर जन्म और ये चलता रहता है अगर कर्म न रहे या निश्काम कर्म हो। भक्ति हो गुरु से ज्ञान प्राप्त कोई भी तब मणीया टुट जाता है फिर धागा रह गया बस एक ही तो है अपने ही स्वरूप में । आत्मा ही परमात्मा।
कोई दिव्य शक्ति है क्योंकि मुझे ऐसे वीडियो देखने के लिए मिल जाते हैं बस में विचार करता हूं इसी तरह से मुझे ज्ञान मिलने आ रहा है ❤❤ प्रणाम गुरुवरधन्यवाद
।।अखण्ड सारशबद मार्ग दर्शन-संतो की वाणी।।खूब पढी,रामायण गीता, खूब सुना वेदो का ज्ञान, जबसे पहचाना शबद गुरु परमात्मा, वही मेरा भगवान।।00।।हे जग वालो जरा गौर से शबद भेदी सद्गुरु की, गुरु वाणी को सुन समझ लो। आत्मा परमात्मा की सुसंगत से, सतधाम की राह पकड लो।।सारशबद अखण्ड सुपात्र जीव हंसो को, विदेही सतगुरु परमात्मा खुद ही लखाते है। लखचौरासी का चक्र छुडा कर, काल की जेल से मुक्त कराते है।।01।।हर मानव को है जग वालो, खास जरूरत पिता परमेश्वर की। इसीलिए भाई अरुण जी रोज सतसंग सुनाते है, और विदेही बेहदी परमपिता जी सारशबद चित्त मे लखाते है।।सुरति को शबद से मिलालो मेरे भाई बहनो, तुम्हे मानव जीवन का ईनाम मिलेगा। भेदी गुरु संत सुजान हंस का सतसंग सुनलो, तुम्हे परम प्रगट प्रत्यक्ष परमपिता सतखंडी का साथ मिलेगा।।02।।लिखे सारशब्दानंद अपने भजनो मे, भवसागर तर जाओगे पल मे। गजब की शक्ती है सारशबद मे, सतधाम लेकर जाऐगा अंतिम क्षण मे।।नही जाना शबद गुरु सा कोई विदेही प्रभू सृष्टी मे, सारशबद अखण्ड अविनाशी की दया होगई पल मे। सारशबद अखण्ड तो सकल समाया, जाननहारा सीधा परममोक्ष को पाया।।03।।,,भाई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सारशब्दानंद,,🙏🏻🌹
Lol tera kabir ek aur information ki duniya me le jayega tujhe mujhe astitv se 0 hona hai duniya ko observ karate karate thak gaya hu pata nahi kitane janmo se observal ban ke ghum raha hu ab bas ho gaya ab mujhe shant hona hai mujhe chahiye observal se mukti
Ankhe khol di..apne.. beautiful..sakshi bhav..drishta each moments kaise bane rahe? Apne Ghar vapas kaise Jaye? Sirf me bramh hu kah ke par ho sakte hai?
प्रकृति पार प्रभु सब उरबासी। हम ,मन बुद्धी सरीरा इन्द़ी नहीं हैं हम आत्मा हैं।आत्मा ही परमात्मा। है। आपके ज्ञान से आत्म साक्षात्कार होता है परमात्मा प्राप्ती के क्या स्वरूप है ।
कथन अच्छा लगा। लेकिन अकाश को आप ने खाली जगह कहा।जब कि अकाश वायु से सूक्ष्म और निराकार ब्रह्म से स्थूल एक तत्त्व है।जिसका गुण शब्द है।ऐसे मेरुः सग्यान में है ।
परम् ब्रम्ह परमेश अपारा. केवल कृष्णसकल संसारा. दृस्ट्रा लोकन सकल अपारा. दृस्टि न ओझल कहुँ संसारा. गीता ज्ञान कहा पहचाना. नाम कृष्ण का नाहि बखाना. जय परम् ब्रम्ह महेश्वर कृष्ण. 🌹🙏.
संत जी को नमन । आप जौ बता रहै हो वह बहुत ऊपर की बात है । लैकीन आज कल कै लोगो को राम राम बोलनै मै ही दिक्कत हो रही हे।
Yes
सूरज वाला उदाहरण बहुत ही उपयुक्त है....
यही है ज्ञान जो मुक्तीका मार्ग खोल सकता है,धन्य भाग मेरे ऐसे शब्द सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है।बडे बडे महात्मा भी ऐसा ज्ञान खुला करके नही समझाते जो आप कर रहे हो।सब यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधी ऐसे कुट प्रश्न खडे करते है ताकी वे हमें और उलझनमें डालते है,हमे डर लगे और हम हीन दीन ही रहे ताकी वे बडे सिंहासन पर बैठकर हम उनकी सेवामें लगे।गुरु हमें गुरुत्व की और ले जाता है वही असली गुरु है।प्रणाम आपको बारंबार जो दिया है हमको अमृतसार!
सत्य तो सदैव ही सरल है। जहां सत्य को जटिल बनाकर प्रस्तुत किया जाता है, वहां सत्य नहीं है, ऐसा ही जानिए।🌹
@@LifeIsNowHere123 sir chetana bahar nahi jati balki chetana bodh ko jagrutv drushti yani observal (kalpanashakti ) pradan karata hai vyaktiastitv bodh shuny ho jane par observal kalpanashakti akriy ho jati hai jaise hi hamare dimagi urjasharir ko kuch bodh hota hai to observal kalpanashakti sakriy ho jati hai
100% सही बात
वेदों और उपनिषदों के हिसाब से वह भी सही बोलते हैं। अपना-अपना तरीका होता है समझाने का, जो वेद शास्त्रों में है। वह भी तो मान्य होता आया है। अष्टांग योग को समझना पड़ता है 🙏यह भी तो सत्य है
In ni.
By the XD
वाह्ह्ह वाह्ह्ह्ह....क्या कहूं...शब्द कम पड़ जाते हैँ.....🌹कितनी सरल सहज व्याख्या........कितना भी सुनो मन नहीं भरता......🌹
अद्भुत.... आप निःशब्द कर देते हैँ.... This is my favourite video...
🌹
Parnam 🙏
Har Har mahadev bahut achha guruji
वाह वाह वाह गुरूजी आपने इतने सरल तरीके से इतने जटिल विषय को समझाया कि कहना ही क्या आपकी प्रशंसा के लिए हर शब्द हल्के प्रतीत हो रहे है बहुत गूढ़ ज्ञान दिया निवण प्रणाम जी दिव्यात्मा👏👏 21:53
आपको असंख्य नमन आपने बहुत अच्छा वर्णन किया है जड़ और चेतन का स्वरुप का❤ लेकिन मनुष्य के पास इतना समय ही नहीं है जो खुद को जान पाए यह माया बहुत प्रबल है कोई कोई ही बच पाया है ❤संसार में
बेहतरीन❤
Advait se davait ka safer bahut sulabh tarikase samazaya
Dhanyavad .
Thank you Guruji
बहुत ही अच्छा लगा आपका विडियो
Jar(Matter) Consusness (Chetanya) Explain very clear.Awesome❤
Thanks guruji for valuable information
बहुत अच्छा उद्बोधन
,🙏🙏🙏🙏🙏🚩 dhanyvad Guruji aapane Jo Gyan sikhayen bahut bahut dhanyvad aapko koti koti pranam, 🙏🙏🚩🌿 1:42
Bahut sunder guru jee
Bahut achha laga dhanyawad
वेदांत के गूढ़ रहस्य की सरल सहज व्याख्या....
Excellent wow Gurudev 🙏🙏🙏
Super explaination .. I am grateful to u.. guruji 🙏🙏🙏❤️🙏
बहुत बहुत धन्यवाद आभार !
महात्मा जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for enlightening us ❤🎉🎉🙏🏻
Adbhut deep knowledge📚 manyver ❤
मूल बात कि आत्मा, चेतना अलग है, शरीर अलग है, में शरीर नहीं आत्मा हूँ - इस को बहुत अच्छे ढंग से समझाया है। लेकिन यह कहना कि बेहोश होने पर या सोते हुए आत्मा (चेतना) शरीर से चले जाती है, यह ठीक नहीं है। आत्मा इंद्रियों के द्वारा जानने का कार्य करती है जब इंद्रियां सो जाती हैं तो आत्मा तो वहीं होती है लेकिन सोई हुई इंद्री का काम रुक जाता है। जैसे खिड़की के अंदर खड़ा व्यक्ति खिड़की के द्वारा कमरे के बाहर का दृश्य देखता है लेकिन खिड़की बंद करने पर बाहर का दृश्य दिखाई नहीं देता हालांकि व्यक्ति वहीं है, बाहर का दृश्य भी वहीं है। यहां व्यक्ति को आत्मा, खिड़की को इंद्री मानने पर पर सब समझ मे आ जाता है कि इंद्री की सुप्तावस्था में देखने, महसूस करने की इंद्री का काम बाधित हुआ लेकिन मन का कार्य जारी रहता है इसीलिए स्वप्न आते हैं। आत्मा उस समय शरीर मे न रहे तो स्वप्न कैसे आता। आत्मा के निकलने पर शरीर निर्जीव अर्थात बिना जीव के हो जाता है। सोने को अवस्था को निर्जीव नहीं कहते। सुप्तावस्था कहते हैं अर्थात इंद्रियों की सुप्तावस्था।
Perfactly said
हा जब ऑपरेशन k वक्त b आत्मा शरीर k बाहर नहीं जाती बस इंद्रिय को महसुस नहीं होता
Are bhai bodh shuny ho janepar vyaktiastitv observal bhi 0 ho jata hai jaise urjasharir ko bodh hota hai observal kalpashakti sakriy ho jati hai
आत्मा न कहीं जाती है न कहीं से आती है अचल है अविनाशी है सम्पूर्ण विश्व को एक धागा समझो और उसमें मणीऐ शरीर है मन भाव कर्म के अनुसार निश्चित समय पर मणीया टुट जाता है कर्म से फिर जन्म और ये चलता रहता है अगर कर्म न रहे या निश्काम कर्म हो। भक्ति हो गुरु से ज्ञान प्राप्त कोई भी तब मणीया टुट जाता है फिर धागा रह गया बस एक ही तो है अपने ही स्वरूप में ।
आत्मा ही परमात्मा।
विषयों से आसक्ति न रहने पर इन्द्रियां मन में ओर मन अहं तत्व में लीन हो जाता है
अहंकार से ही संसार होता है।
Thanks guru ji
Excellent... easily understandable
कोई दिव्य शक्ति है क्योंकि मुझे ऐसे वीडियो देखने के लिए मिल जाते हैं बस में विचार करता हूं इसी तरह से मुझे ज्ञान मिलने आ रहा है
❤❤ प्रणाम गुरुवरधन्यवाद
समझाने का तरीका सुन्दर है ।Excellent 🎉😂🎉
❤❤❤❤❤
Very nice
।।अखण्ड सारशबद मार्ग दर्शन-संतो की वाणी।।खूब पढी,रामायण गीता, खूब सुना वेदो का ज्ञान, जबसे पहचाना शबद गुरु परमात्मा, वही मेरा भगवान।।00।।हे जग वालो जरा गौर से शबद भेदी सद्गुरु की, गुरु वाणी को सुन समझ लो। आत्मा परमात्मा की सुसंगत से, सतधाम की राह पकड लो।।सारशबद अखण्ड सुपात्र जीव हंसो को, विदेही सतगुरु परमात्मा खुद ही लखाते है। लखचौरासी का चक्र छुडा कर, काल की जेल से मुक्त कराते है।।01।।हर मानव को है जग वालो, खास जरूरत पिता परमेश्वर की। इसीलिए भाई अरुण जी रोज सतसंग सुनाते है, और विदेही बेहदी परमपिता जी सारशबद चित्त मे लखाते है।।सुरति को शबद से मिलालो मेरे भाई बहनो, तुम्हे मानव जीवन का ईनाम मिलेगा। भेदी गुरु संत सुजान हंस का सतसंग सुनलो, तुम्हे परम प्रगट प्रत्यक्ष परमपिता सतखंडी का साथ मिलेगा।।02।।लिखे सारशब्दानंद अपने भजनो मे, भवसागर तर जाओगे पल मे। गजब की शक्ती है सारशबद मे, सतधाम लेकर जाऐगा अंतिम क्षण मे।।नही जाना शबद गुरु सा कोई विदेही प्रभू सृष्टी मे, सारशबद अखण्ड अविनाशी की दया होगई पल मे। सारशबद अखण्ड तो सकल समाया, जाननहारा सीधा परममोक्ष को पाया।।03।।,,भाई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सारशब्दानंद,,🙏🏻🌹
Lol tera kabir ek aur information ki duniya me le jayega tujhe mujhe astitv se 0 hona hai duniya ko observ karate karate thak gaya hu pata nahi kitane janmo se observal ban ke ghum raha hu ab bas ho gaya ab mujhe shant hona hai mujhe chahiye observal se mukti
आपकी ज्ञान अनुभूति धन्य है
Saheb bandagi 🚩SATNAAM 🚩🙏🙏🙏🙏🙏
Jai sri ram
अड़ा अच्छा ढंग है जी समझने का शुक्रिय
बहुत अच्छा ज्ञान दिया है आपने हमने आपको अपना गुरु मान लिया हैं
Excellent explanation
Bahut sunder dhang se samjhaya gaya hai ki atma or permatma me kya bher hai.
🙏🙏
Excellent ❤❤
Atmabodhi ko naman🙏💐
🙏🙏👍
Life changing video 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही अच्छे ज्ञान आप मुझे दिऐ। युगल परसाद। बिहार।
Aap mahaan ho...sir ji...aap jo bata rahe hai....purna satya hai.
😊1Very verry nice inter knowledge s thanks
Sat, sat, vandan🎉
Very good explanation of Vedanta philophy .Thank you .
Bahut sundar samjaya
Beautiful Discussion on Advaita Vedanta
Thanks a lot.Hari Om.Pronam
बहुत सुंदर,, अंतरआत्मा को छूँ गया
બહું ત સુંદર જ્ઞાન છે તમારા વીડીયા હું પણ બધા જાવું મને સાંભળીને બહુ જ આનંદ મળે છે
Bahut achha. 🙏🙏🙏🙏
Koti 2 pranam Guru jee sat 2 naman 🙏🙏🙏
Sat sat vandan
Ankhe khol di..apne.. beautiful..sakshi bhav..drishta each moments kaise bane rahe? Apne Ghar vapas kaise Jaye? Sirf me bramh hu kah ke par ho sakte hai?
Sadar naman
समझाने की कला सहज और बढ़िया है
Sat 2bandam shi
Satya Vachan❤❤❤
😂❤. Om. Jai 🕉️Jai Sachidanand 🙏Jee 🙏🌞🙏 Om Prakash Malkoti 🌞Ek Atma Parmatma Swaroop Jai Ho 🌞Jee 🙏🙏🙏🙏🙏🌞🙏........
Guruji sat sat naman
🙏🙇♀️❤🙇♀️
आपने वास्तविक जीवन के प्रति हमारी आँख खोल दी
Good knowledge sir best important life story
Thanks
जय हो आपके ज्ञान तथा आपके गुरुदेव प्रणाम
Dhanyawad.Happy thoughts
शत शत प्रणाम गुरूदेव
ॐ राम ॥
❤
Thanks guruji 🙏❤️🙏
प्रणाम गुरु जी🙏 आपने बहुत अच्छे से जीवात्मा के बारे में समझाया , आज तक किसी ने भी इतना सरल तरीके से नहीं समझाया
आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🌹🙏🌹🙏
हरि ॐ तत्सत् 🌻
Nice video
बहुत अच्छा
Bahut achha gian hai.
Dhanyavad ji 🙏
Easily understandable and achievable 🙏🙏🙏🙏
Very good stopic
Aapki chetna ko sat sat naman hai gurudev ji
वाह्ह्ह्ह 🙏🏻🙏🏻
Aap ne aakhen khol di
धन्यवाद
Hey manyavar aap bahut Uttam raste per ja rahe hai aap atm Anubhav ke bahut Kareeb hai.
Jai Ho Bala Ji ki
प्रकृति पार प्रभु सब उरबासी।
हम ,मन बुद्धी सरीरा इन्द़ी नहीं हैं
हम आत्मा हैं।आत्मा ही परमात्मा। है।
आपके ज्ञान से आत्म साक्षात्कार होता है
परमात्मा प्राप्ती के क्या स्वरूप है ।
Bahut achha samjhaya🙏
कथन अच्छा लगा। लेकिन अकाश को आप ने खाली जगह कहा।जब कि अकाश वायु से सूक्ष्म और निराकार ब्रह्म से स्थूल एक तत्त्व है।जिसका गुण शब्द है।ऐसे मेरुः सग्यान में है ।
Thanks good
I am writing on this 'consciousness' theme.
I want to meet you Sir ji.
निद्रा अवस्था में चेतना हृदय में रहती है जिसको susupati कहते हैं बाकी समझने का तरीका बड़ी सुंदर है प्रणाम
Kuch bhi ek adami bina heart ke machine ke sahare ek mahina jinda raha 😂😂
परम् ब्रम्ह परमेश अपारा. केवल कृष्णसकल संसारा. दृस्ट्रा लोकन सकल अपारा. दृस्टि न ओझल कहुँ संसारा. गीता ज्ञान कहा पहचाना. नाम कृष्ण का नाहि बखाना. जय परम् ब्रम्ह महेश्वर कृष्ण. 🌹🙏.
Right guru ji 🙏🙏🙏🌹🌹♥️
ईश दुनियामे लाखौ बुद्ध हे सबका ज्ञान अलग अलग हे किसेका ज्ञान किसिसे नहि मिलखाता येहि बुद्धतो हे हरहर माहादेब
Deep deep gratitudes divine great master.
Very nice ❤, thanks Guru ji
Top class explainstion
AAP ke prachanon ko hum dusare mobile par khoj nahi pate. Kripaya aapaka nam bataye.
Life Is Now Here search karen.