ॐश्री... अतिसुंदर विवेचन दैवी प्रवृत्ति और असुरी प्रवृत्ति के बीच. त्याग, सत्य और सहिष्णुता व भक्ति योग का अनुसरण करते हुए दैवी प्रवृत्ति को अंगीकार कर अपना जीवन उद्धरण कर सकता है. जय जय श्री राधेकृष्ण राधेकृष्ण राधेकृष्ण ॐ 🌹 🙏 🌹
सोलहवें अध्याय में भगवान ने दैवीय एवं आसुरी संपदवालों के लक्षण और उनकी गति का कथन किया है। हरि भैया के गायन और आवाज ने इस उपदेश को बहुत सरस सहज और सरल बना दिया है। धन्यवाद आदरणीय हरि भैया।
ॐश्री... अतिसुंदर विवेचन दैवी प्रवृत्ति और असुरी प्रवृत्ति के बीच. त्याग, सत्य और सहिष्णुता व भक्ति योग का अनुसरण करते हुए दैवी प्रवृत्ति को अंगीकार कर अपना जीवन उद्धरण कर सकता है.
जय जय श्री राधेकृष्ण राधेकृष्ण राधेकृष्ण ॐ 🌹 🙏 🌹
अति शोभनीय जय श्री कृष्णा ❤❤❤❤🎉🎉🎉
Vohut hi sunder
सोलहवें अध्याय में भगवान ने दैवीय एवं आसुरी संपदवालों के लक्षण और उनकी गति का कथन किया है। हरि भैया के गायन और आवाज ने इस उपदेश को बहुत सरस सहज और सरल बना दिया है।
धन्यवाद आदरणीय हरि भैया।
अति सुंदर जयश्री राम
हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर और अनुकरणीय
बहुत सुंदर श्रवणीय अनुकरणीय संदेश,जय श्री कृष्ण 🌹🙏
अति कर्णप्रिय मनमोहक 🎉❤
Bahut sundar
Ati sundar aur karnpriy
अतिउत्तम 🎉🎉❤❤