Sara jibon faida hi dhunte raho dalit dalit kahe,app khud hi khud ko nicha dikhate ho ,ek saman ho toh ek saman hi raho aarokshan kyu chahiye,aur dusre caste k logo ka kasur ,dusre caste k har bekti kya amir hi hoti hai, Aur aap logo k pass kya dimag nahi hai, kabiliyat nahi hai jo aarakshan mein naukri chahiye
@@priyaghosh1830agar baat samanta ki hai to samne aayo desh ko aazadi mile 78 varsh ho gye tab se desh bina constitution chal rha hai ekbaar apne bachon ko sarkari school mein education dilana phir govt job dilana vo bacche kitna struggle krke ek 4th class ya 3rd class ki naukri pate hai .bharat 16th census karayo ham bta denge kitne backwards mein h sc/st ye bharat hai to esko bharat hi rhne dijiye mat america China banayo nahi results negative hi aayenge . Gujarat mein hi devloped kyu ho rha hai kya desh ki Janta vahi nivas krti hai aur jagah nhi kyu .aur logon se kyu rojgar Cheena ja rha hai kya vo saksham nhi hai .desh ki govt. Ne halat kharab kr rakhe hai .sarkar par ungli uthane ka kaam khud sarkar kr rhi hai Desh ke netao ne politics itni gandi kr rkhi hai ki usse acha to sc/st behaviour mil Jayega. International index/award/ceremony/etc kisi mein bhi india ki ranking dekh lo very critical condition kr rkhi hai . Olympics result utha ke dekho .manzil hasil karne ke baad to en netao ki aankhe khul jati hai lekin vo bandha vha kitna struggle krke pahucha ye tab tak kisi ko nhi dikhta . population average nd other country population average medal nikal ke dekhna maloom chal jayega 71st ranks hai india ye desh mein developed education etc
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
समझ नहीं आ रहा हमें इतने समय से 21% आरक्षण मिल रहा है और फिर भी आज भी अगर IBPS PO ,CGL ,POLICE, and UPSC Exam में आज भी जब भर्तियां अगर 500 निकलती है तो आरक्षण का नाम देकर भी हमें 500 में से 50,60 सीट देखने को मिलती है ऐसा क्यों और जिनको कोई आरक्षण नही है UR category वालो को 400 सीटे यह कहां की बराबरी हुई बताए जरूर
@@manojparida7682 y bat koi nhi bolega sb eske hak dar nhi hai other cast me bhi aarkhsn ke hkdar log hai unko bhi milna chaye grib vese hi grib bna rhe or job na mile y kha ka nyay hai
@@DipakKumar-uh4pt nhi garib sc, st ko reservation milna chahiye sab ko nhi ... jai bhim jai savidhan walo ko yeah baat samjh thodhi aaye gi ..... revervation ke karan hi desh ka bantadhaar hoa hai
क्यों कलेक्टर का बेटा है क्या??? एक दलित कलेक्टर का बेटा और नाली साफ करने वाली दलित का बेटा... दोनों यूपीएससी में इंटरव्यू देते हैं बताओ किसका सिलेक्शन होगा?? ... अगर कलेक्टर इंटरव्यू में सिफारिश करेगा तो अपने बेटे के लिए सिफारिश करेगा या नाली साफ करने वाले दलित के लिए सिफारिश करेगा? ? सुप्रीम कोर्ट ने बस इतना कहा है की प्राथमिकता गरीब दलित को मिलनी चाहिए
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Excellent explanation by advocate sir❤🙏 aapke himat ko aapko Salam 🙏 The real hero 🙏🧿 proud of you sir 🙏 thank you so much hamarey liye itna ladne ke liye 🙏🙏🙏
अब समय आ गया है ब्राह्मणों, क्षत्रियों, बनिययो और दलितों को परसेन्टेज के आधार पर नौकरियों एवम अन्य जगहों में आरक्षण होना चाहिए अधिकांश लाभ ये ही उठा रहे हैं जिन्हें उच्च वर्ग कहते हैं
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
यह सब को 100 में 100% आरक्षण चाहिए और बिना पढ़े हुए यह सब को जज बना दे और वकील बना दे और जो पढ़े उसे से घास कटवा वे बस यह सब यही चाहता है और फॉरवर्ड विरोधी है
@@abcd12184 बाबा साहब के ससुराल वाले के चेहरे पर ऐसे ही मैं मुस्कान देखना चाहता हूं! ऐसे ही हंसते रहो ! और ऐसे ही मजाक करते रहो ये तो तुम्हारा अधिकार है!
*COURT KE COLLEGIUM SYSTEM KE AGAINST 21 AUGUST KO BHARAT BAND HONA HI CHAHIYE.....COLLEGIUM SYSTEM BAND KARO...TAKI BHAVISHY MEIN KOI BHI SC/ST/OBC KE LOGO KE ADHIKARO KO CHINNE KI KOSHISH NA KARE JAISE SUPREME COURT AUR SARKAR LAGATAR SC/ST/OBC KE LAWS KE SATH LAGATAR KHILWAD KAR RAHI HAI...COLLEGIUM SYSTEM KE KHILAF ANDOLAN HONA HI CHAHIYE*🙏🙏
अरे कब तक जातियों के नाम पर रोना रोना है भारत में, हम सब चाहते है की आरक्षण केवल गरीब या सारिरिक तोर पर अपंग लोगो को मिले | भारत के लोगो की मांसिकता बड़ी दयनीय है 😢
भाई साहब आप का कहना ठीक है लेकिन मन्दिर में भी 100%आरक्षण लेने वालों के लिऐ भी आरक्षण समाप्त होना चाहिए मंदिरों में भी सबको मौका मिलना चाहिए और प्रत्येक विभाग में जनसंख्या के आदर पर कर्मचारी रखना चाहिए आरक्षण स्वथः ही बंद हो जाएगा जाति व्यवस्था भी संपाप्त होनी चाहिए।।। सबको एक समान अधिकार मिलना चाहिए जनरल वाले मजे लेंगे एससी एसटी ओबीसी वाले कंहा जायेंगे भाई पांच अंगुलियों का दर्द बराबर समझना चाहिए।।
Reservation ko hta hi do na taki desh ka vikas ho km no. Lakar intelligent st/sc category ka ladka 50000 me job kr rha hai jayada no. Lakr general ladka 5000 me job kr rha hai
@@VikasKumar-lb5np I think you need to sharpen your wit. Who told you that general category enjoying 50% reservation that's open quota not reserved for anyone
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Aap to ऐसा बोल रहे है जैसे सारे सारे राजपूत ब्राह्मण के पास rolls Royce है आरक्षण rolls Royce kardne ke liye nhi garibi rekha se aage jane ke liye diya jata hai
😢😢😢 सबको क्या हो गया h ..... आरक्षण का क्या करेंगे जब हम work place pr सेफ ही भी h..... इज्जत से ज्यादा प्यारा आरक्षण h logo ko isiliye sab aage aaye😢🥺🥺😭😭
@@Azadbharat23 mere pass hai hi nhi mujhe kya dekhna hai. ..rahi baat SC st ki to court dekh raha aur har koi dekhega....creamy layer ke spelling sahi kr lo apni phir Gyan Dena
@@BollywoodRelative we are living according to law and order.....the ultimate power is in the hand of CJI chandrachud....he is a nyay murti of our nation why is not taking any action and make law and amendments against such rapist...that's why everybody is working on educating and bringing awareness to your kind of hypocrite....apko agar such ma chinta hoti to is vishay ma aapko Kam sa Kam basic jaankari to hoti.... don't spread hatred and misinformation just to defame others....😠
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
@@govindvaid3924 COPY OR PASTE KRNA AATA H BSS ? GOOGLE SE? KHUD KUCH KNOWLEDGE HAI YA NI ? nvm PADHAI LIKHAI HOTI NI SOCIAL MEDIA PR RESERVATION HATAO KE NARE LAGANE HAI INKO / ITNA TIME PADHAI M LAGTA TO AAJ YE NA KR RHA HOTA BHAI / PEACE OUT
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Sc st vich bhut de lok Sara family job krde m grib h eh bhut rich ne ehna india ne development nhi hundi 40 no nu job 60 no job nhi eh india di development nhi hundi 40 no foreign country vich 60 no do value 40 nhi Sade india vich 40 no value h
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
इन लोगों की मानसिकता देखिए, येलोग आपने समाज के गरीबलोगों को अपने बराबर आने नहीं देना चाहते और बात करते हैं। ब्राह्मण की ब्राह्मणों का नाम लेकर पूरे देश की आंखों में धूल झोंकना इनकी आदत बन चुकी है
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अभी भी वक्त है बहुजनो जागो और एक जुट रहो शिक्षा ही हमारा सबसे बड़ा हथियार इस लिए पढ़ना बहुत जरूरी है और यह वकील साहब का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जय भीम जय संविधान जय मूलनिवासी 🙏🙏
वकील साहब बहुत सही बाते किए है आप को कोटि कोटि धन्यवाद सर जी जय भीम आर्मी अब सही से जागो मेरे भाईयो बहनों जय जय भीम आर्मी जी जय संविधान जय हिन्द जय भारत जय वंदेमातरम जय हिन्द
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
जितने भी आरक्षण है यह सारे हटा देना चाहिए एक परिवार से एक ही को नौकरी मिलना चाहिए तभी तो भारत का गरीबी हटेगा किसी के परिवार में तो चार चार पांच लोग भी सर्विस वालेहैं जिस परिवार में सर्विस मिल गया उसका आरक्षण हटा देनाचाहिए जब चुनाव का टाइम आता है सारे नेता लोग बोलते हैं गरीबी हटाएंगे गरीबी कोई नहीं हटा रहे हैं जब एक परिवार से बहू का सर्विस है तो लड़के को नहीं मिलना चाहिए लड़का का सर्विस है तो बहू को नहीं मिलना चाहिए
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे। जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी। = 121 द्वितीय श्रेणी। = 368 तृतीय श्रेणी। = 16608 कुल योग। = 17097 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक प्रथम श्रेणी = 26 द्वितीय श्रेणी। = 31 तृतीय श्रेणी = 1848 कुल योग. = 1905 जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है। अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया। अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है। आंकड़े इस प्रकार है। चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी। = 36 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी। = 5781 कुल योग। = 6202 वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक प्रथम श्रेणी = 37 द्वितीय श्रेणी। = 385 तृतीय श्रेणी = 6013 कुल योग. = 6435 एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है तो समझिए। हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है। हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है। इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए। सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
@@namansharma7886 जी, धन्यवाद आपने समझा और कमेंट किया, लेकिन चमार समाज क्यों नही समझ रहा?? असल में अब हम मान रहे है बाबा साहेब आंबेडकर के विरोधी ब्राह्मण कम चमार ज्यादा थे, क्योंकि उन्होंने अपनी लेखनी में ये बोला है मेरा सबसे अधिक विरोध चमार समाज ने किया।
Samvidhan janta ke liye bana hai janta chahe to samvidhan badlega Aur yahan per baat hai ki Amir dalito ko reservation nhi milega to ye bilkul sahi hai We Support it
Sahi kaha bhai par sayad dalit logo ko such main problem Hoti hai abhi v log chua-chut Hota hai maine dekha hai abhi v gao main dalit logo nicha giraya jata hai main khud general Hu mare papa ki kirana ki dukan hai meri family main kisi v choti jaati ke logo Ko Ghar par bed mein bethne v nahi dete jameen par bitha kar baat karna, Pani v mang le Toh meri mummy usko palstic ki bottle hi de dedeti glass main nahi baad mein bottle dustbin mein daal deti hai 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
@@SumanKumari-l3r9gM tumhari baat से सहमत हु की आरक्षण खत्म नही होना चाइये पर आरक्षण मे सुधार होना चाइये आजकल आरक्षण वो भी ले रहे है जो आईएस। Patvari और भी पदों पर है और वही दूसरी तरफ general और obc m कुछ ऐसे भी जिनकी finicial conditions अच्छी नही है और उन्हे कोई regervation नही। और हम general wale hai हमे ना तो इस government ने कुछ दिया और ना ही किसी और government ne yrr Regervation आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाइये कोर्ट का फैसला सही है Job M fess का तो smjh aata hai पर cutoff M bhi regervation . Mind to sb M बराबर होता है 50 ℅ wala job krega और 90% wala बेरोजगार।।
Do waqt ki roti to bina reservation ke bhi mil jayegi. Waise reservation se koi fayda ho raha hai kya? Agar koi fayda ho raha hai to jise ek baar fayda ho gaya, ab uski jagah dusre ko fayda milna chahiye. Agar fayda nahi ho raha hai to, reservation ko band kar dena chahiye.
वकील साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने दलितों के लिए आवाज उठाई आपको सादर जय भीम 🙏
Are bhai hm khud apne aap ko dalit smnj te tbhi to log hme dalit kahte h 😢
Sara jibon faida hi dhunte raho dalit dalit kahe,app khud hi khud ko nicha dikhate ho ,ek saman ho toh ek saman hi raho aarokshan kyu chahiye,aur dusre caste k logo ka kasur ,dusre caste k har bekti kya amir hi hoti hai,
Aur aap logo k pass kya dimag nahi hai, kabiliyat nahi hai jo aarakshan mein naukri chahiye
In India, neither the Supreme Court nor the President has the power to remove reservation👍🇮🇳
@@priyaghosh1830resources nahi hai ye baat hai
@@priyaghosh1830agar baat samanta ki hai to samne aayo desh ko aazadi mile 78 varsh ho gye tab se desh bina constitution chal rha hai ekbaar apne bachon ko sarkari school mein education dilana phir govt job dilana vo bacche kitna struggle krke ek 4th class ya 3rd class ki naukri pate hai .bharat 16th census karayo ham bta denge kitne backwards mein h sc/st ye bharat hai to esko bharat hi rhne dijiye mat america China banayo nahi results negative hi aayenge .
Gujarat mein hi devloped kyu ho rha hai kya desh ki Janta vahi nivas krti hai aur jagah nhi kyu .aur logon se kyu rojgar Cheena ja rha hai kya vo saksham nhi hai .desh ki govt. Ne halat kharab kr rakhe hai .sarkar par ungli uthane ka kaam khud sarkar kr rhi hai
Desh ke netao ne politics itni gandi kr rkhi hai ki usse acha to sc/st behaviour mil Jayega. International index/award/ceremony/etc kisi mein bhi india ki ranking dekh lo very critical condition kr rkhi hai .
Olympics result utha ke dekho .manzil hasil karne ke baad to en netao ki aankhe khul jati hai lekin vo bandha vha kitna struggle krke pahucha ye tab tak kisi ko nhi dikhta . population average nd other country population average medal nikal ke dekhna maloom chal jayega 71st ranks hai india ye desh mein developed education etc
ये है दलित और गरीबों की मसीहा इन वकील साहब को मेरा दिल से बहुत बहुत धन्यवाद जय संविधान❤❤🙏
Unity is the force 🙏
Thanks sir ji
We are always with you
Hak k liye ham ladhenge
jb general k sath creamy layer hai tb kha mr gya tha ye
Bhai mujhe ek baat btao kya uske paas kami hai ki wo nhi krega
Wo khud gairibo ka hak kha rha hai yrr
एडवोकेट साहब आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो sc/st के लिए आवाज़ उठाए जय भीम जय संविधान 💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
🎉🎉❤❤❤❤
Jai bhim jai savidhan
अगर ये सब तुम लोगो की बहनों के साथ हो गया तो कभी😢.....खुदा ना करे ..... isliye abhi uske न्याय के लिए आवाज उठाओ😢🙏🙏😭😭😭😭😭
Jai bhim 🙏👏
यहां सविधान कहां है वकील साहब तो यह कह रहे हैं की आरक्षण पहले आया है संविधान बाद में आया है
वकील साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद
एडवोकेट साहब आपका बहुत - बहुत आभार ! जयभीम, जय संविधान, जयभारत !!!
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
समझ नहीं आ रहा हमें इतने समय से 21% आरक्षण मिल रहा है और फिर भी आज भी अगर IBPS PO ,CGL ,POLICE, and UPSC Exam में आज भी जब भर्तियां अगर 500 निकलती है तो आरक्षण का नाम देकर भी हमें 500 में से 50,60 सीट देखने को मिलती है ऐसा क्यों और जिनको कोई आरक्षण नही है UR category वालो को 400 सीटे यह कहां की बराबरी हुई बताए जरूर
re bewkuf sc/st ke gareeb logo ka hee ghaata hai isme ye lawyer bat ko ghuma rha hai samvidhan ke nam par
❤❤❤😂
Jai bhim jai savidhan 🎉
एडवोकेट साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप महान हैं 🙏❣️
आरक्षण केवल उन्हीं को मिलना चाहिए जो इसका हकदार है
Right bro
@@manojparida7682 y bat koi nhi bolega sb eske hak dar nhi hai other cast me bhi aarkhsn ke hkdar log hai unko bhi milna chaye grib vese hi grib bna rhe or job na mile y kha ka nyay hai
और वो हकदार तमाम sc st वर्ग है🌠 ✊❤
जय भीम
@@DipakKumar-uh4pt nhi garib sc, st ko reservation milna chahiye sab ko nhi ... jai bhim jai savidhan walo ko yeah baat samjh thodhi aaye gi ..... revervation ke karan hi desh ka bantadhaar hoa hai
L h@@DipakKumar-uh4pt
Real super hero "Jai bheem Jai sanvidhan" 🙏🏻🙏🇭🇺🇭🇺🇭🇺🇭🇺🇭🇺
Sc st आरक्षण को बांटना यह बहुत गलत है।मैं इसका विरोध करता हूं।
General is always at the top. Still they want to snatch the reservation of sc and St.
❤❤❤❤
Mai .....bhi ....virodh karta hun....❤
क्यों कलेक्टर का बेटा है क्या???
एक दलित कलेक्टर का बेटा और नाली साफ करने वाली दलित का बेटा... दोनों यूपीएससी में इंटरव्यू देते हैं बताओ किसका सिलेक्शन होगा?? ... अगर कलेक्टर इंटरव्यू में सिफारिश करेगा तो अपने बेटे के लिए सिफारिश करेगा या नाली साफ करने वाले दलित के लिए सिफारिश करेगा? ?
सुप्रीम कोर्ट ने बस इतना कहा है की प्राथमिकता गरीब दलित को मिलनी चाहिए
@@My_school-My_pride-82dalit ki bap dm ho to o kuchh nehi karega. Only general lok hai jo suparish karke apna betaa beti ko dm job diladegaa
वकील साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने आवाज उठाई जय भीम जय भारत बीजेपी भगाओ देश बचाओ
इस आदोंलन को बहुत बहुत समर्थन करते हैं जय भीम जय भारत छ ग
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Excellent explanation by advocate sir❤🙏 aapke himat ko aapko Salam 🙏 The real hero 🙏🧿 proud of you sir 🙏 thank you so much hamarey liye itna ladne ke liye 🙏🙏🙏
अब समय आ गया है ब्राह्मणों, क्षत्रियों, बनिययो और दलितों को परसेन्टेज के आधार पर नौकरियों एवम अन्य जगहों में आरक्षण होना चाहिए अधिकांश लाभ ये ही उठा रहे हैं जिन्हें उच्च वर्ग कहते हैं
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Correct 💯 @@govindvaid3924
Ab samay ki mang ha Reservation sirf economic base par hona chaiya pure desh me
यह सब को 100 में 100% आरक्षण चाहिए और बिना पढ़े हुए यह सब को जज बना दे और वकील बना दे और जो पढ़े उसे से घास कटवा वे बस यह सब यही चाहता है और फॉरवर्ड विरोधी है
1No
छेरोगे तो छोड़ेंगे नहीं! जय गुरु रविदास जय भीम
Right sir
Right 🙏
kya krloge 😅😅
@@abcd12184 बाबा साहब के ससुराल वाले के चेहरे पर ऐसे ही मैं मुस्कान देखना चाहता हूं!
ऐसे ही हंसते रहो ! और
ऐसे ही मजाक करते रहो ये तो तुम्हारा अधिकार है!
@@DharamveerKumar-zp9xiआरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था। extend करते करते इतने साल हो गई। अब और नही। पढ़ाई करो और नोकरी लो। its simple
वाह जी वकील साहब क्या जोश है आप सबका गरीबों की लड़ाई के लिए आगे दिल से सेल्यूट सभी वकील भाइयों बहुत बहुत धन्यवाद आरक्षण बचाओ गरीबों को बचाओ
बहुजन शिक्षित बनो संगठित रहो संघर्ष करो // शिक्षा हमारा हथियार है !🌄
Ye hi ambedkar ji bole thy
Andolan ko support kare
Jai bheem jai ambedkar jai savidhan
Shiksha le na reservation kyu hona
Bahujan Samaj jindabad
To jake pdh l bhai 😂😂😂😂
यही तो बात है पढ़ लिख कर आगे बढ़ो आरक्षण की उम्मीद क्योंलगा रखी है आरक्षण मतलब 30 अंक लेकर नौकरी
सुप्रीम कोर्ट।के। सभी।जज। मनुवादी।है।कोलोजीयम। बन्द।हो।जय। भीम 🌹🌹🌹🌹
*COURT KE COLLEGIUM SYSTEM KE AGAINST 21 AUGUST KO BHARAT BAND HONA HI CHAHIYE.....COLLEGIUM SYSTEM BAND KARO...TAKI BHAVISHY MEIN KOI BHI SC/ST/OBC KE LOGO KE ADHIKARO KO CHINNE KI KOSHISH NA KARE JAISE SUPREME COURT AUR SARKAR LAGATAR SC/ST/OBC KE LAWS KE SATH LAGATAR KHILWAD KAR RAHI HAI...COLLEGIUM SYSTEM KE KHILAF ANDOLAN HONA HI CHAHIYE*🙏🙏
एक जूट का विजय होता है
और खैरात पर जज बन जाएं 😂😂
Tu mere bete ko bna me tere bete ko banata hu, aisa band hona chaiye
Aur tum kya ho...
वकील हो तो ऐसा. सॅल्यूड आपको,वकील साहेब. जय संविधान.
Jay bhim jay samdhan
Jai savidhan. Jai bheem
Ye Andolan ko support kare
Jai bheem
Yaha waha ki bat kr rha hai, point ki bat kr n
अरे कब तक जातियों के नाम पर रोना रोना है भारत में, हम सब चाहते है की आरक्षण केवल गरीब या सारिरिक तोर पर अपंग लोगो को मिले | भारत के लोगो की मांसिकता बड़ी दयनीय है 😢
Tujhe Aarakshan dikh raha hai lekin sale tujhe jaate ke naam per bhedbhav karte hain vah nahin dikh raha
Right ❤
मंदिर मस्चिद का आरक्षण भी
समाप्त होना चाहिए
भाई साहब आप का कहना ठीक है लेकिन मन्दिर में भी 100%आरक्षण लेने वालों के लिऐ भी आरक्षण समाप्त होना चाहिए मंदिरों में भी सबको मौका मिलना चाहिए और प्रत्येक विभाग में जनसंख्या के आदर पर कर्मचारी रखना चाहिए आरक्षण स्वथः ही बंद हो जाएगा जाति व्यवस्था भी संपाप्त होनी चाहिए।।। सबको एक समान अधिकार मिलना चाहिए जनरल वाले मजे लेंगे एससी एसटी ओबीसी वाले कंहा जायेंगे भाई पांच अंगुलियों का दर्द बराबर समझना चाहिए।।
@@NSCLASH24लेकीन मंदिरों का आरक्षण भी समाप्त होने की बात भी तो करो सर जाति व्यवस्था बंद करो उज्ज्वल भारत के बारे में सोचो
जय भीम बहुत बहुत धन्यवाद आभार एडवोकेट बकील साहब
Jay Bhim 🙏 Jay Samvidhan 🖊️📖 BSP जिन्दाबाद 💙💙💙🐘🐘🐘🐘🐘
💙💙बार बार बोलूंगा जय Bhim जय भीम 💙💙
बहुत बहुत धन्यवाद सर इतने अच्छे बाते कहने के लिए
Jai bhim
Jai bhim 💙
@@youcandoit.-oz6sx 💙
Mc ambedakar 😂😂😂
❤❤🎉🎉
वोकिल साहेब आपका बहुत बहुत साधुवाद बहुजन समाज के लिए आवाज उठाने के लिए 🙏🙏 बाबा साहेब जिंदाबाद , जय भीम जय सविधान 🙏🙏💙💙💙🇪🇺🇪🇺🇪🇺✍️✍️✍️💯💯💯💯
Adv.sahab ji apko sat sat naman or jindabad छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं जय भीम जय संविधान
वाह जियो मेरे शेर, समाज को ऐसे ही लोगो की जरूरत हे जो खुल के बोल सके, जय भीम
Jay bhim
Yes ❤
Reservation ko hta hi do na taki desh ka vikas ho km no. Lakar intelligent st/sc category ka ladka 50000 me job kr rha hai jayada no. Lakr general ladka 5000 me job kr rha hai
@@navinji0थोड़ी अपनी बुद्धि तेज करो 50% जॉब जनरल वाले ले लेते है जो बेवकूफ है
Sc/st को सिर्फ 18% जॉब मिलती है
@@VikasKumar-lb5np I think you need to sharpen your wit. Who told you that general category enjoying 50% reservation that's open quota not reserved for anyone
इनमे से कोन कोन Sc or ST है मिलकर सामना करेंगे और मुहतोड़ जवाब देगे Support
सुप्रीम कोर्ट भी बिकाऊ हो चुका है ।
Cji bhi bhand ban gya h ab
सुप्रीम कोर्ट में सब मनुवादी मानसिकता के लोग बैठे है।कोलिजियम सिस्टम की मेहरबानी है, नहीं तो तहसील में बैठ कर नोटरी कर रहे होते ।
Ha ye chamar hi h jo unke faisele ka virodh kar rhe h
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Cji v rupee ye k leye kaam karte hai
मैं OBC वर्ग से आता हूं और मैं चाहता हूं आरक्षण जाति के नाम पर नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति के आधार पर मिलना चाहिए
Tumhre chahne se nhe hoga
@@ajitrawvlogs2.0to ky tere chahne se hoga
@@abhimishra7808 mere ya tere chahne se nhe janta ho chahegi wo hoga
Right bro ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️@@ajitrawvlogs2.0
Yahi chez soch ke bolte to apne ko obc nhi kahte
Aapke jajbe ko salam sabhi bahujan samaj me ye jajba hona bahut jaruri hai ❤❤❤❤❤❤ jai bhim
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Very good sir ji ❤❤❤
आरक्षण विरोधी सरकार होस मे आओ
@@prempalsingh8031 lagta h is sarkar ko v hasina banana padega
कोई सवर्ण पत्रकार हे याह आया आप को बाइट लेने अगर 10 % सवर्ण आरक्षण खतम होता तो अभी तक मनुवादी पत्रकार आया हुआ होता बाइट लेने
@@thepravinfact tere me dm h to protest to kr Ghar na tuta to khiyo
@@KaliBhai-pr9ii thik hai काली भाई Mai v shant tu v shant ,jisko jo karna h ,karne do 😀😀😀😂
10 % bhi nahi hai tumhari aabadi, agar jung hui to kitne bachoge tum log @@KaliBhai-pr9ii
बहुत सही जवाब दिए हैं आदरणीय एडवोकेट साहब आप को बारम्बार जय भीम जय भीम 💐💐🙏🙏
I proud of you Sir 🙏🙏🙏
Aapne bilkul thik kaha sir. Jay Bheem 🙏 Namo Buddhay
बिल्कुल सही कहा आपने,अब के प्रधानमंत्री कुछ ज्यादा ही तेज हो गया है.........
Aap to ऐसा बोल रहे है जैसे सारे सारे राजपूत ब्राह्मण के पास rolls Royce है आरक्षण rolls Royce kardne ke liye nhi garibi rekha se aage jane ke liye diya jata hai
Bat m dam h beta
Bharat ek hai bolte hai or ye log sc st Wale special sare obc general kya Amir hai kya
Sahi baat h
Bhai inn logo ko history bata kar life time bheek chaiye
👍 @@statusking2063right
आरक्षण आर्थिक आधार पर हो 🙏 जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
आपकी बात उचित है लेकिन धार्मिक पदों पर भी योग्यता के अनुसार हो जाती के आधार पर नहीं
Jo bhedbhav kiya h tm logo ne arthik adhar pe ya jati k adhar pe
Chup be😂
@@ajeetkushwaha9722kyu Tera dada kisi ka murder karde or tereko fasi ho chalega ?
EWS आर्थिक आधार पर दिया तो है। अभि भी संतोष नहीं हो रहा लगता है। कितना जलोगे ।
कॉलेजियम सिस्टम तुरंत खत्म होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति परीक्षा के माध्यम से होना चाहिए
Bss Us Pariksha Me Reservation Nahi Hona Chahiye 😂
Jo bhi exam ho usme reservation nhi hona chahiye
Education ke dam par clear karo or judge ban jaao
Reservation hatao desh ko sasakt banao
Collegium system galat h
वकिल साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने दलितों के लिए आवाज उठाई
Dalit Ambani v ban jay tab v aarakshan chahiye ,Kota me daal ,chawal gehu chahiye 😂😂😂😂 ajib ho yaar
इस वकील को 100 तोफो की सलामी हमारे देश के sc. St के उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद जय भीम जय भारत
Aur sare top ke muh iski taraf😂
@@Swn540 😀
Aapko kya fayada mele raha h bhai
😂😂😂😂
😢😢😢 सबको क्या हो गया h ..... आरक्षण का क्या करेंगे जब हम work place pr सेफ ही भी h..... इज्जत से ज्यादा प्यारा आरक्षण h logo ko isiliye sab aage aaye😢🥺🥺😭😭
Ji,bilkul 100% correct, आप बोल रहे हैं गौतम साहब,जय भीम जय संविधान जय BSP
मैं जाटव जाति से हूं, हम अपनी जाति में भी काफी पिछड़े हुए हैं, हम तो यही चाहते हैं, हमें अपनी जाति में अधिक कोटा मिले, और पूरा कोटा का दायरा भी बढ़े
Apki jati ke Ameer log apko kuch nhi dena chahte
@@prashantdixit4667 ab cremolare , कोलेजियम जैसी सुविधा बंद कर देने की मांग उठेगी , पहले अपना बचाओ एससी / st ko baad me dekhna ।
@baklol0982baklol
@@Azadbharat23 mere pass hai hi nhi mujhe kya dekhna hai. ..rahi baat SC st ki to court dekh raha aur har koi dekhega....creamy layer ke spelling sahi kr lo apni phir Gyan Dena
@baklol0982 yahi umeed thi apse
वकील साहब जी बहुत बहुत धन्यवाद जो आप आरक्षण बचाने लगे तो तह दिल से आपका स्वागत।।
एक नंबर वकील साहब आपकी जज्बे और सच्चाई के लिए दिल से सैल्यूट जय भीम साहब 🙏💐
😢😢😢😢
Good brother 😂😂😂😂😂😂😂😂😂hum log aap logo ke sath
बहुजन समाज की लड़ाई आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डाला जाय
आज मुझे बहुत अच्छा लगा कि आप लोग अपने शिक्षा का भरपूर उपयोग कर रहे बस ऐसे ही करते रहे ❤
वकील साहब आपका बहुत बहुत वंदन अभिनंदन करता हूं जय भीम नमो बुद्धाय जय भारत के संविधान
एडवोकेट शाहब बहुत बहुत आपका स्वागत है आपने इतना बड़ा कदम उठाया बहुजनो के लिए
❤❤❤❤❤❤
😢😢😢😢😢 .....Rape cese ke liye tere ye vakil kyu nahi aage aaye .....kyu saja nhi milti kisi ko😢😢😢
@@BollywoodRelative we are living according to law and order.....the ultimate power is in the hand of CJI chandrachud....he is a nyay murti of our nation why is not taking any action and make law and amendments against such rapist...that's why everybody is working on educating and bringing awareness to your kind of hypocrite....apko agar such ma chinta hoti to is vishay ma aapko Kam sa Kam basic jaankari to hoti.... don't spread hatred and misinformation just to defame others....😠
दलित विरोधी भाजपा सरकार होश में आओ
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
@@govindvaid3924😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
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Gawar khi ke bhim bhim krta hai knowledge jhat bhar ni h
🎉@@govindvaid3924
@@govindvaid3924 COPY OR PASTE KRNA AATA H BSS ? GOOGLE SE? KHUD KUCH KNOWLEDGE HAI YA NI ? nvm PADHAI LIKHAI HOTI NI SOCIAL MEDIA PR RESERVATION HATAO KE NARE LAGANE HAI INKO / ITNA TIME PADHAI M LAGTA TO AAJ YE NA KR RHA HOTA BHAI / PEACE OUT
Nice sir
Sureme Court ne bilkul sahi kiya, creamy layer ka concept SC/ST mein zaroor hona chahiye
Bikul hona chaiye
बिल्कुल सही कह रहे हैं सर जय भीम जय संविधान
अति उत्तम सर ❤❤❤❤❤❤❤🎉अभी तो समाज उठा है ।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Right sir
भीम भाई अंबेडकर जी ने हमें उठाया था और यह लोग हमें नीचे गिराना चाहते हैं इन लोगों की यही थिंकिंग है
देश हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। भाजपा हटाओ, देश बचाओ। जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान।
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
@@govindvaid3924saf saf.. bolo kya kehna . .. chhate ho
Bharat unka h jo bhart ke lia khun bhahate h
आज भाजप हटाव का नारा, क्यू देते है,भाय,आठवलेजी तो पहिले से भाजप के दोस्त है.
Le saaf saaf sun bahut saal mil liya tumhe aarakshan ab valmiki samaj ki baari hai dalit sirf tum nahi @@rahulhansda5022
सुप्रीम कोर्ट मनुवाद व्यवस्था के विरोध में कयो नहीं बोलता है
EWS आरक्षण में भी बदलाव करे
EWS आरक्षण वाले अरबो खरबो वाले थे
तो यह आरक्षण कयो लागू हुआ
Sc st vich bhut de lok Sara family job krde m grib h eh bhut rich ne ehna india ne development nhi hundi 40 no nu job 60 no job nhi eh india di development nhi hundi 40 no foreign country vich 60 no do value 40 nhi Sade india vich 40 no value h
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
@@tazinderkalra7230good
JayBhim JaySavidhan JayShivray
इन लोगों की मानसिकता देखिए, येलोग आपने समाज के गरीबलोगों को अपने बराबर आने नहीं देना चाहते और बात करते हैं। ब्राह्मण की ब्राह्मणों का नाम लेकर पूरे देश की आंखों में धूल झोंकना इनकी आदत बन चुकी है
छेडोगे तो छोडेंगे नहीं,Jay Bhim,jay shivaray,jay hind
Accha ji
@@sonusaini2781bhag
खूद के दम पर कोई काम करो तुम लोग आरक्षण का लाभ उठा लिया
Aa gae free ka khane wale nange
वाह क्या बात है । ए तो सबकी धोती खोल रहा है । जय संविधान।
शिक्षा वो शेरनी का दूध है जो पियेगा वो दहाड़े 🇮🇳💪💪💙💙🦁🦁..आज देख भी लिया # जाय भीम साथियो 💙💙
Fr dood piyo n reservation ka roona kyu ro rhe
जय भीम🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Phir thoda or pdh le n reservation ki jrurt e nh pde 🤣
@@kabaddi_zone77 ekdam shi 👍
@@kabaddi_zone77क्यू बे लोरे जमीन रखने का रिजर्वेशन सालो से तुम्हारे पास है मंदिर जाने का 😂 और जलते रहो छोटी जातियों से
मनुवाद को बढ़ावा देना सरकार का पहला एजेंटा है ये सरकार नही चलेगी
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Very nice ओकिल Sahab सभी अंबेटकर वादियों को सत सत नमन नमो बुढा Jai bhim jai vigyan Jai smvidhan janta newz
Jai bhim 💙💙💙
Dhanyawad साहब हम आपके साथ
जय भीम जय संविधान जय भारत
OBC SC ST Minority किसान एकता जिंदाबाद ❤
Obc ko mt gasit
सर ने बिल्कुल सही बोला हम सहमत है
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Thanks
वहां हमारे बाबासाहेब के संघर्षों पर चलकर अपने जीवन को एक वकील के रूप में आज विपक्षों के पसिने टपकाते,सलुट सर जय भीम नमो बुद्धाय साहेब बन्दगी
Sat saheb bandagi 🙏
जय भीम जय संबिधान 🙏🙏🙏
कुछ नहीं होने वाला है
जय भीम साथियों 💙💙💙💙💙ऐसे ही एकजुट रहना 💙तो हमारे समाज का कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं पाएगा 💙💙💙💙💙
एक बार फिर से 💙💙💙💙💙💙
जय भीम साथियों💙💙💙💙💙💙
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Namo Buddha Jay bhim Kamp tee
👎👎👎👎👎👎👎
अभी भी वक्त है बहुजनो जागो और एक जुट रहो शिक्षा ही हमारा सबसे बड़ा हथियार इस लिए पढ़ना बहुत जरूरी है और यह वकील साहब का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जय भीम जय संविधान जय मूलनिवासी 🙏🙏
♥️💖
वकील साहब बहुत सही बाते किए है आप को कोटि कोटि धन्यवाद सर जी जय भीम आर्मी अब सही से जागो मेरे भाईयो बहनों जय जय भीम आर्मी जी जय संविधान जय हिन्द जय भारत जय वंदेमातरम जय हिन्द
Very great spikingwork ham,app,ka,sath,ha,sir,ji
Well said Sir. All of us are with you and your mission
थैंक्यू वकील साहब जय भीम
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Gay bhem tum choti caste wale itne gande or kale kyu hote hoo
Excellent explanation by advocate sir. 🙏
जय भीम नामों बुद्धाय जय-संविधान। सम्पूर्ण बहुजन समाज संघर्ष करों हम सब साथ हैं।
जय भीम संविधान
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
Good 👍👍👍👍👍👍
वकील साहब ने तो हिला दिया ❤
जितने भी आरक्षण है यह सारे हटा देना चाहिए एक परिवार से एक ही को नौकरी मिलना चाहिए तभी तो भारत का गरीबी हटेगा किसी के परिवार में तो चार चार पांच लोग भी सर्विस वालेहैं जिस परिवार में सर्विस मिल गया उसका आरक्षण हटा देनाचाहिए जब चुनाव का टाइम आता है सारे नेता लोग बोलते हैं गरीबी हटाएंगे गरीबी कोई नहीं हटा रहे हैं जब एक परिवार से बहू का सर्विस है तो लड़के को नहीं मिलना चाहिए लड़का का सर्विस है तो बहू को नहीं मिलना चाहिए
Sc. St. Jindabad 👍
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
सब मानव जाति से हैं सबको एक समान सम्मान व अधिकार मिलन चाहिए
❤❤❤
Kya tumhari behen ki height tumse barabar hai, aur agar nehi hai toh kya karna chahiye tumhare barabar karne k liye?
@@DTC577height natural hai, reservation natural nhhi hain
@@DTC577 jali na teri
सही बोला
Great sir ji, संविधान की रक्षा करने की जो कोशिश आप कर रहे हैं, बाबा साहब से ऊपर कोई नहीं है संविधान से ऊपर कोई नहीं है सुप्रीम कोर्ट भी नहीं
अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण होगा न्यायकारी : गोविंद वैद
विदित है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बैंच ने छह एक से अनुसूचित जातियों में आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को सही ठहराया है। ज्ञात है कि पंजाब में 1975 से ही वाल्मिकी और मजहबी सिख के लिए अलग से एससी आरक्षण का 50% हिस्सा लागू था क्योंकि इन दोनो जातियों को पंजाब में अति दलित माना गया था सरकार द्वारा,
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी इसी तरह की आरक्षण व्यवस्था की मांग वाल्मिकी, धानक समाज द्वारा की गई, सरकार ने बात की गंभीरता को समझते हुए एक आयोग का गठन किया जो जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग के नाम से जाना गया और 1992 में इस आयोग द्वारा जो आंकड़े पेश किए वो बड़े ही गंभीर और चौंकाने वाले थे जो जमीनी स्तर की हालत पर स्टिक थे।
जस्टिस गुरनाम आयोग की रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए वो निम्न प्रकार से थे
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी। = 121
द्वितीय श्रेणी। = 368
तृतीय श्रेणी। = 16608
कुल योग। = 17097
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1992 तक
प्रथम श्रेणी = 26
द्वितीय श्रेणी। = 31
तृतीय श्रेणी = 1848
कुल योग. = 1905
जस्टिस गुरनाम आयोग द्वारा पेश आंकड़ों से सरकार और लोगो को समझ आया की अनुसूचित जाति में जाति विशेष को छोड़कर 36 जातियां अभी समता मूलक समाज निर्माण से बहुत दूर है।
अतः तत्कालीन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल द्वारा 9 नवंबर 1994 को जस्टिस गुरनाम आयोग के आंकड़ों के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जाति में दो श्रेणी बना दी गई एससी ए और एससी बी अनुसूचित जाति के कुल आरक्षण का 50% एससी ए श्रेणी और 50% एससी बी श्रेणी के लिए आरक्षित कर दिया गया, एससी ए श्रेणी में वाल्मिकी खटीक धानक समेत 36 जातियों को रखा गया और एससी बी श्रेणी में अकेले चमार सहित उसकी 5-6 उप जातियां को रखा गया।
अब जस्टिस गुरनाम आयोग अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में एससी A और एससी B लागू होने के बाद क्या बदला हरियाणा में देखते है , आंकड़े बड़े ही चौकाने वाले थे जिन जातियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर था अब वो अनुसूचित जातियां भी चमार जाति और उसकी उपजातियों के बराबर सरकारी नौकरियों में काबिज हो जाती है।
आंकड़े इस प्रकार है।
चमार और उसकी 5-6 उपजातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी। = 36
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी। = 5781
कुल योग। = 6202
वाल्मिकी,धानक, खटीक सहित 36 जातियों का प्रतिनिधित्व नौकरियों में 1994-2005 तक
प्रथम श्रेणी = 37
द्वितीय श्रेणी। = 385
तृतीय श्रेणी = 6013
कुल योग. = 6435
एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें अब ये है की किस जाति की कितनी जन है
तो समझिए।
हरियाणा में कुल जाति में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग 21% है 2011 की जनसंख्या गिनती अनुसार
इस 21% में अकेले चमार और उसकी उपजातियों लगभग 11% है और 10% वाल्मिकी धानक खटीक सहित 36 जातियां है।
हमने ऊपर समझा 1994 से पहले जब तक अनुसूचित जाति में वर्गीकरण नही था तो एससी ए श्रेणी के लोगो का प्रतिनिधित्व नौकरियों में जनसंख्या के हिसाब से नाममात्र ही तो जैसे ही 1994 में वर्गीकरण लागू किया गया तो मात्र 10 वर्षो में ही एससी ए श्रेणी और एससी बी श्रेणी की संख्या नौकरियों में लगभग बराबर आ जाति है।
इसके कारण क्या हो सकते है? सोचिए और हमे भी बताइए।
सन 2005 में हरियाणा के इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया जाता है और पहले वाली आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाती है , और एससी ए श्रेणी की जातियां फिर से नौकरियों में पिछड़ जाती है।
@@govindvaid3924bhot hi achhe se btaya apne
@@namansharma7886 जी, धन्यवाद आपने समझा और कमेंट किया, लेकिन चमार समाज क्यों नही समझ रहा?? असल में अब हम मान रहे है बाबा साहेब आंबेडकर के विरोधी ब्राह्मण कम चमार ज्यादा थे, क्योंकि उन्होंने अपनी लेखनी में ये बोला है मेरा सबसे अधिक विरोध चमार समाज ने किया।
@@govindvaid3924 smjhna jruri h unko smjhna chahiye
@@namansharma7886 जी बिल्कुल
Jay Hindu rashtra,, Jay Shri Ram
संविधान बदलने वालों को ही हम बदलदेंगे अच्छी तरहसमझ लेना संविधान के साथ छेड़छाड़ ही करना बर्दाश्त नहीं होगा जय भीम जयसंविधान
Jis sarkar ne samvidhan sabse jyada sansodhan kara usi sarkar ke sath de rahe ho or bol rahe ho ki samvidhan bachaoge wahhh
Samvidhan janta ke liye bana hai janta chahe to samvidhan badlega
Aur yahan per baat hai ki Amir dalito ko reservation nhi milega to ye bilkul sahi hai
We Support it
Kitne saal arakshan lega khud k dum p aage badh
Ha Bhai unhe mana kr do har 10 saal baad amendments lane ke liye 🙂🙂
Ham tumhare sath h 🙂🙂
Arakshan kisi ko nahi dena chahiye sabhi ko samantar kar dena chahiye
Jai Bhim
धन्यवाद, वकील साहब आप हमारी आवाज़ हो। जय भीम।
Thanks Advocate sirji
जब तक इस देश में आप जैसे विद्वान लोग रहेंगे और सामाजिक ज्ञान भी रखने वाले लोग रहेंगे तब तक कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता जय भीम
सत्य प्रकाश जी को दिल से सलाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
संविधान और आरक्षण को कोई बदल नहीं सकता....जो बदलने की कोशिश करेगा हम उनको बदल देंगे!
आरक्षण आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए जाति के आधार पर नहीं
Bahut bahut dhanyawad sir 💙💙💙💙
जय भीम, जय संविधान, जय मूलनिवासी 💙💙🩵💙💙
Bhim ne ds sal k lie diya tha jiwan bhr k lie nhi
@@bravokasvideostudynaturelo2548 EWS me 10% क्यों ले रहे हो भिखारियों
Jai Bhim, namo Buddhay.
वक्त आने दे बता देंगे तुझे आस्वा हम अभी से क्या बताए कि क्या हमारे दिल में क्या है .......
Jay Bhim ❤❤
आरक्षण किसी को नहीं देना चाहिए सभी को बराबर रखनाचाहिए
Sahi kaha bhai par sayad dalit logo ko such main problem Hoti hai abhi v log chua-chut Hota hai maine dekha hai abhi v gao main dalit logo nicha giraya jata hai main khud general Hu mare papa ki kirana ki dukan hai meri family main kisi v choti jaati ke logo Ko Ghar par bed mein bethne v nahi dete jameen par bitha kar baat karna, Pani v mang le Toh meri mummy usko palstic ki bottle hi de dedeti glass main nahi baad mein bottle dustbin mein daal deti hai 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
तो तुम इतने दिनों से आरक्षण le kr क्या kr रहे हो😂😂 ये सिर्फ बहना है फ्री की जो aadat ho गयी है
@@SumanKumari-l3r9gM tumhari baat से सहमत हु की आरक्षण खत्म नही होना चाइये पर आरक्षण मे सुधार होना चाइये आजकल आरक्षण वो भी ले रहे है जो आईएस। Patvari और भी पदों पर है और वही दूसरी तरफ general और obc m कुछ ऐसे भी जिनकी finicial conditions अच्छी नही है और उन्हे कोई regervation नही।
और हम general wale hai हमे ना तो इस government ने कुछ दिया और ना ही किसी और government ne yrr
Regervation आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाइये कोर्ट का फैसला सही है
Job M fess का तो smjh aata hai पर cutoff M bhi regervation . Mind to sb M बराबर होता है
50 ℅ wala job krega और 90% wala बेरोजगार।।
जमीन के हिसाब से monthly मिलता है।
Madam equity or equality में डिफरेंस देखो पहले सर्च करो pta lgao or फिर बोलो
Bahut hi khubsurat bat bola apne ham sc ki liye apko tahe Dil se sukriya jay bheem 🙏😊 😊😊❤❤
Or tumhari bahano ki liye aawaz nhi uthai uska kya😢.....आरक्षण इज्ज़त से ज्यादा जरूरी h ....ek जिंदगी से ज्यादा जरूरी h😢😢😢😢
Jay bhim
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण उपवर्गीकरण का फैसला साक्ष आधार दिया है इसलिए देश में आरक्षण उपवर्गीकरण का फैसला लागू होना चाहिए
बहुजन समाज को दो वक्त कि रोटी क्या मिल गई, स्वर्ण समाज के पेट मे दर्द सुरु हो गई, और Hindu people बनाने की बात करते हो
Do waqt ki roti to bina reservation ke bhi mil jayegi.
Waise reservation se koi fayda ho raha hai kya?
Agar koi fayda ho raha hai to jise ek baar fayda ho gaya, ab uski jagah dusre ko fayda milna chahiye.
Agar fayda nahi ho raha hai to, reservation ko band kar dena chahiye.
❤❤❤bahut gajab
पूरे भारत के लोगों को समर्थन करना चाहिए वकील सर का, जय भीम नमो बुद्धाय🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉