विनोद ढौंडियाल जी का डौंर थाली मन्नाण ।। घडियाला।। गांव में जागर
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- Опубликовано: 19 сен 2024
- घड़ियाला यानि कि डौंर-थाली मन्नाण उत्तराखंड की पारंपरिक लोक संस्कृति है और इसमें बजने वाला डौंर उत्तराखंड का पारंपरिक वाद्य यंत्र है। शिव के डमरू से उत्पन्न यह वाद्य यंत्र साधारणतया ब्राह्मणों द्वारा ही बजाया जाता है जिन्हे जागर्या या डौंर्या कहते हैं। वैसे अन्य जाति के लोगों के बजाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है इसलिए क्षत्रिय और औजी लोगों में भी इसके जानकार मिलते हैं। डौंर के साथ एक कांसा की थाली जिसे कंसासुरी थाली भी कहते हैं बजती है और डौंर्या के जागारों के कोरस के लिए ढौलेर भी होते हैं।
डौंर सांदण या खमेर की लकड़ी का बनता है जिसपर घ्वीड़ और काखड़ यानि कि हिरण की खाल की पूडे़ं लगती हैं। इसे पैंया की लाकुड़ से बजाया जाता है।
वार्षिक पिंडदान पर प्रत्येक घर में पित्रों की इच्छा जानने के लिए कि उन्हें किस चीज की कमी है और उन्हें क्या चाहिए यहां तक कि पितृ की मृत्यु कैसे हुई है यह जानने के लिए भूत घडियाला लगाया जाता है।
पहली बार पितृ भूत रूप में नाचते हैं और अपनी जरूरतें बताते हैं । जरूरतें पूरे होने पर जब वे संतुष्ट हो जाते हैं और उनकी आत्मा को पूर्णतया शांति मिल जाती है तो वे इसके बाद सदैव देव रूप में नाचने लगते हैं और समय समय पर सबका सही मार्गदर्शन करते हैं। निसंतान को संतान, निर्धन को धन, दुखी को सुख, कुंवारों को जीवन साथी, .....का आशीर्वाद देते हैं।
प्रत्येक पूजा में देव मन्नाण लगता है जिसमें नर रूपी शरीर में देव आत्मा प्रकट होती है और सही मार्गदर्शन कर सबको आशीष वचन के साथ जो मांगो वह वरदान देती है।
जय हो राधे राधे 🙏
nice
Bahut badhiya
Bhut sundar 👍
बहुत सुंदर गुरुदेव को प्रणाम
Jai Naagraj Devta Jai Narsingh Devta🙏🙏🙏
Jai ho🙏🙏🙏🙏🙏
daur thali really nice
जय पितर देवताओं की
Harish singh Nige rakhrd
Gjb सुपर
Jagri Dhaundiyal Ji Garhwal K Kaon Se Ariya Se Hain.
Hamare gaw pauri garhwal sirtoli gaw ke
🙏🙏
Guru ji ka no milega please Pooja k liye
Ji bilkul. Instagram pe hi likhiye. gaun_ki_khud
Good
Contact no nagri ji ka mil jayega
No mil jaye
Say hi me on instagram at gaun_ki_khud . Yaha private message ka option nahi hai. Wha se apko number de dunga
nice