समस्त देशों की जैन समाज को आगे आना सम्मेद शिखर जी जैनियों का है अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ललित सर को धन्यवाद दीजिए कि उन्होंने सब को जागरूक करने के उद्देश्य वीडियो क्लिप बनाकर जो दूर दूर किस देश है वह सभी जैन समाज घर बैठकर देख सके और यहां आकर आंदोलन में भी सक्रिय रहे 🙏🙏🙏
अभी हमें सभी बड़े आयोजनों को रोक देना चाहिए। किसी भी रूप में किसी को केवल फायदा पहुंचाने के लिए हम नही हैं। आज वहाँ कोई भी आयोजन होता है तो सबसे ज्यादा फायदा वहाँ के स्थानीय नागरिकों को होता है। अगर वो हमारा साथ नही देंगे तो उनको हमें य़ाद दिलवाना होगा की वहाँ की तरक्की में हमारा कितना बड़ा हाथ है। वहाँ एक समिति का गठन होना चाहिए जिसमे जैन समाज और स्थानीय समाज के प्रतिनिधि भी हों, जिनका जिम्मेदारी होगी पर्वत की पवित्रता को बनाये रखने के नियम बनाना और उसपे अमल करवाना।
सकल जैन श्री संघ की अगुवाई में हमारे सम्मान, अभिमान, स्वाभिमान की इस बड़ी लड़ाई में हम भी जैन पत्रकार साथ साथ है सरकार के इस आदेश और कार्यनीति की पुरजोर भर्त्सना करते है ""अभी नहीं तो कभी नहीं"""" संदेश के साथ जैन पत्रकार एकता जिंदा बाद
आज शिखर जी में जो भी स्थिति पैदा हुई ह उसके सबसे बड़े ज़िम्मेदार वहा की शिखर जी कमेटी ह जिसने आज तक कोई ध्यान ही नहीं दिया पहले बहुत कम अजैन लोग पिकनिक बनाने जाते थे अगर कमेटी तभी रोक लगा देती तो आज असि स्तिथि पैदा नहीं होती असि सभी तीर्थ कमेटी को बदलना चाहिए झा अजैन कर्मचारी ह
अन्य समाज की सुनवाई क्यों जल्दी होती है इसके पीछे राजनीतिक दल चाहते है कि अन्य समाज की तरह जैन समाज भी हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम दे मगर जैन समाज को ऐसा काम करने में पाप के डर से नहीं करती है और इसीका फायदा अन्य समाज के लोग उठाने में सक्षम है
Jain Samaj Aaj Jago 30 30 December ho gaya hai cal ka din bacha Hai per 1 tarikh ko Apne Shri Sammed Shikharji Kshetra mein kya bibda Aaegi aap samajh Nahin Pa rahe hain Jago Jain
Mai hindu hoon aur mai bhi yeh chahahta hoon ki is tarah ki ghatna bahut dukhat hain aur aise jo log bhi karteee hain unko pe karwayie jarooor hona hayie....hmm jain samaj ka pura samarthan karte hain....
So many Samities exists boosting about their political and financial connections. But I think they use their political connections only for their personal gains.
jain logo ko jagrut kare ye video, apna ghar hota toh ladte the sab kaam chorke , ye tirth haat se aise gaya toh jindagi vyarth aur aage bahut bura haal hoga hum jaino ka
Main aap Logon se ek vinati karna chahti hun jo Jain Samaj Ke Log hain vah abhi tak so rahe hain kya apne se mein Shri Sammed Shikhar Ji ko yah log apna Jo yah Aise kam kar rahe hain gande kam Inko rok Nahin rahe hain police ki team ko bulakar ine Logon Ko roka Ja sakta hai yah Jain Samaj Ke Log kar kya rahe hain vahan ke log jo apne aap ko Jain kah rahi hain vah Jain Nahin Hai Kya so rahe hain kya Aise Logon Ko Pahad per Jaani hi Kyon Diya ja raha hai police ko bulakar Guru ka bhi to ja sakta hai please ki team Mein Aakar ruk to sakti hai
Yah Mantri log hain na jo Unse bolo Ham Aapke Mandir Masjid mein agar jute chappal pahan ke Jaenge to aapko Kaisa lagega aapka Pavitra Sthal Hamara nahin hai kya Mantri Ho Jaag jao Nahin to dhikkar hai aapko Mantri hone per
प्रकरण : श्री सम्मेद शिखर जी *अतिवादी होने से भी बचें जैन* प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली एक बात है जो किस तरह कही जाय समझ नहीं आ रहा । क्यों कि हम लोग उभय अतिवाद के शिकार हैं । वर्तमान में श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण में आधे से अधिक जैन वहाँ की इस स्थिति का जिम्मेदार स्वयं जैनों को ठहराने में पूरी ताकत लगा कर महौल को हल्का करने की भी कोशिश कर रहे हैं । इसमें भी अधिकांश वे लोग भी हैं जिन्हें स्वयं सारी सुविधाएं चाहिए और दूसरों को त्याग तपस्या के उपदेश दे रहे हैं । ये वैसे समाधान बतला कर स्वयं को धन्य समझ रहे हैं जो अशक्य अनुष्ठान होता है । जैसे - 1.यदि देश के सभी नागरिक अपराध छोड़ दें तो पुलिस की आवश्यकता ही न पड़े । 2. यदि सभी लोग बहुत साफ सफाई से रहें तो मच्छर पैदा ही न हों । 3.यदि सभी लोग ब्रह्मचर्य का पालन करें तो जनसंख्या बढ़े ही नहीं । यदि ऐसा हो तो वैसा हो .... आदि आदि काल्पनिक ख्याली पुलाव पका कर आप अपना पेट भर लेते हैं और निश्चिंत हो जाते हैं । इस तरह के आलसी लोग जिन्हें सिर्फ बातें बनाना और अति आदर्श की वे बातें करना आता है जो वास्तव में यथार्थ में संभव ही नहीं है । वे ऐसी बातें करके मधुर भी बन जाते हैं और असली समाधान करने के पुरुषार्थ से भी बच जाते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि कुछ ऐसे ही समाधान हमारे रजाई में दुबके कुछ विचारक व्हाट्सएप्प वीर भी बता रहे हैं । *यदि सभी जैन पूरे पर्वत की वंदना के समय नींबू पानी भी न पिएं,उपवास रखें और इस पवित्र पर्वत पर मल मूत्र विसर्जन भी न करें , पैदल चलें - डोली भी न करें तो सभी समस्या का समाधान हो सकता है ।* इस तरह के समाधान कुछ महापुरुष निरंतर प्रेषित कर रहे हैं जो व्यावहारिक धरातल पर इसलिए संभव नहीं हैं कि यदि ऐसे कड़े और अव्यवहारिक नियम बना दिये जायें तो जितने वंदना करने जाते हैं उसके 10 प्रतिशत भी नहीं बचेंगे और यह शिखर जी की समस्या गिरनार से भी ज्यादा बढ़ जाएगी । भक्त श्रावक सभी प्रकार के होते हैं,लोग यथा शक्ति अपनी क्षमता के अनुसार यात्राएं करते हैं । उन्हें इस लंबी यात्रा में कम ज्यादा सुविधाओं की भी आवश्यकता पड़ती ही है ।जिन्हें आवश्यकता नहीं है वे सुविधा नहीं भी लेते हैं ।
ऐसे भी श्रावक हैं जो पूरी वंदना में कहीं बैठते भी नहीं हैं और पानी भी नहीं पीते हैं,यह उनकी उत्कृष्ट साधना है - लेकिन जो ऐसा करते हैं उन्हें आप पापी और सारी समस्याओं का जिम्मेदार ठहराने लग जाएं तो अति हो जाएगी । फिर बच्चे ,बुजुर्ग, रोगी अशक्त आदि श्रावक चाहते हुए भी वंदना को जाएंगे ही नहीं । यदि समाज संस्था द्वारा ही स्थान स्थान पर शुद्ध सात्विक पदार्थ उपलब्ध हों , अन्य सुविधाएं भी हों तो श्रावक मजबूरी में उनकी दुकानों से चीजें न लें ,जहाँ चिप्स,कुरकुरे,कोल्डड्रिंक आदि अशुद्ध चीजें भी सहज उपलब्ध हो जाती हैं। खुद को समस्या का मूल कहना छोड़िए । ये कानून की लड़ाई है । यदि ये पर्यटन क्षेत्र बन गया तो आप पालते रहना अपने नियम और देते रहना उपदेश । होटल और रेस्टोरेंट खुलेंगे ,जब अन्य लोग साधना और पूजा को नहीं ,हनीमून,पिकनिक और सैर सपाटे को आएंगे तो आपके बच्चे भी आएंगे और इन्हीं होटलों में रुकेंगे ,धर्मशालाओं में नहीं । आपकी आंखों के सामने वो मंजर होगा जिसे आप भुगतने के लिए मजबूर होंगे ,क्यों कि उनके पास कानूनी अधिकार होंगे । आप आपस में लड़ते रहना ,वहाँ अन्य धर्मावलंबियों के धर्मायतन विकसित होंगें जो लाखों की संख्या में जूते चप्पल पहनकर ,खाते पीते यात्राएं करेंगे और आपके इक्के दुक्के यात्री पिटेंगे । जैसे गिरनार और पावागढ़ में स्थिति है कि आपकी औकात तलहटी तक ही रह जायेगी। इसलिए अतिरेक से बचें ,अभी यह सोचें कि इस तरह का नोटिफिकेशन रद्द हो और आगे से किसी की इस तरह की हिम्मत न हो । पहले अपना अस्तित्त्व बचाएं और समस्या का सही समाधान बताएं ,कोरे आदर्श बता कर मुद्दे से न खुद भटकें और न दूसरों को भटकाये । *यदि अब भी न संभले तो मिट जाएंगे खुद ही* *दास्तां तक भी न होगी हमारी दास्तानों में*
समस्त देशों की जैन समाज को आगे आना सम्मेद शिखर जी जैनियों का है अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ललित सर को धन्यवाद दीजिए कि उन्होंने सब को जागरूक करने के उद्देश्य वीडियो क्लिप बनाकर जो दूर दूर किस देश है वह सभी जैन समाज घर बैठकर देख सके और यहां आकर आंदोलन में भी सक्रिय रहे 🙏🙏🙏
अभी हमें सभी बड़े आयोजनों को रोक देना चाहिए। किसी भी रूप में किसी को केवल फायदा पहुंचाने के लिए हम नही हैं।
आज वहाँ कोई भी आयोजन होता है तो सबसे ज्यादा फायदा वहाँ के स्थानीय नागरिकों को होता है। अगर वो हमारा साथ नही देंगे तो उनको हमें य़ाद दिलवाना होगा की वहाँ की तरक्की में हमारा कितना बड़ा हाथ है।
वहाँ एक समिति का गठन होना चाहिए जिसमे जैन समाज और स्थानीय समाज के प्रतिनिधि भी हों, जिनका जिम्मेदारी होगी पर्वत की पवित्रता को बनाये रखने के नियम बनाना और उसपे अमल करवाना।
Nice presentation thanks.
सकल जैन श्री संघ की अगुवाई में हमारे सम्मान, अभिमान, स्वाभिमान की इस बड़ी लड़ाई में हम भी जैन पत्रकार साथ साथ है सरकार के इस आदेश और कार्यनीति की पुरजोर भर्त्सना करते है ""अभी नहीं तो कभी नहीं"""" संदेश के साथ जैन पत्रकार एकता जिंदा बाद
Businessman ,lawyers,political, sabhi samrdaya ko ek hona padega jay jinendra
थैंक यू अंकल सच्चाई से अवगत कराने के लिये
देखकर बहुत ही दुख हुआ सभी समाज को आगे आना चाहिए क्योंकि नही तो यह क्षेत्र चला जावेगा
Thanku so much sir 🙏🙏
न्यूज चैनल टीवी पर कुछ नहीं दिखा रहे हैं ????
बहुत सुंदर
Nice post
आज शिखर जी में जो भी स्थिति पैदा हुई ह उसके सबसे बड़े ज़िम्मेदार वहा की शिखर जी कमेटी ह जिसने आज तक कोई ध्यान ही नहीं दिया पहले बहुत कम अजैन लोग पिकनिक बनाने जाते थे अगर कमेटी तभी रोक लगा देती तो आज असि स्तिथि पैदा नहीं होती
असि सभी तीर्थ कमेटी को बदलना चाहिए झा अजैन कर्मचारी ह
we can do anything to protect shikharji
अन्य समाज की सुनवाई क्यों जल्दी होती है इसके पीछे राजनीतिक दल चाहते है कि अन्य समाज की तरह जैन समाज भी हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम दे मगर जैन समाज को ऐसा काम करने में पाप के डर से नहीं करती है और इसीका फायदा अन्य समाज के लोग उठाने में सक्षम है
सम्मेद शिखर को बचाओ। सभी जैनी एक हो जाओ। अभी भी वक्त है, दिगंबर और श्वेतांबर एक हो जाओ।
please come all jain samaj to save samed shikherji 🙏🙏
🙏🙏🙏
कोई बीच का रास्ता नहीं चलेगा, पूरा फैसला वापस हो।।
सभी रास्तों पर सीढ़ी बनवा दो तो बाइक एवम गाड़ी तो बंद हो ही जाएंगी
Jain are in minority so government is not listen to us. #SaveShikharji #SavePalitanaTirth
Serkar kya ker rahi hai
Jain Samaj Aaj Jago 30 30 December ho gaya hai cal ka din bacha Hai per 1 tarikh ko Apne Shri Sammed Shikharji Kshetra mein kya bibda Aaegi aap samajh Nahin Pa rahe hain Jago Jain
सरकार की नियत ठीक नहीं है l
जैन समाज की कोई गलती नहीं है l
We jain will win
Mai hindu hoon aur mai bhi yeh chahahta hoon ki is tarah ki ghatna bahut dukhat hain aur aise jo log bhi karteee hain unko pe karwayie jarooor hona hayie....hmm jain samaj ka pura samarthan karte hain....
Thanks
So many Samities exists boosting about their political and financial connections. But I think they use their political connections only for their personal gains.
Jaino ko population badni cahiye
Jo shikher ji ki pavitrata ko nahi samaj shakta vo kabhi Jeet na nahi chahiya, vo khabhi manmani nahi kar sakta.
jain logo ko jagrut kare ye video, apna ghar hota toh ladte the sab kaam chorke , ye tirth haat se aise gaya toh jindagi vyarth aur aage bahut bura haal hoga hum jaino ka
hadtal kar do
30 march se 2 April
Main aap Logon se ek vinati karna chahti hun jo Jain Samaj Ke Log hain vah abhi tak so rahe hain kya apne se mein Shri Sammed Shikhar Ji ko yah log apna Jo yah Aise kam kar rahe hain gande kam Inko rok Nahin rahe hain police ki team ko bulakar ine Logon Ko roka Ja sakta hai yah Jain Samaj Ke Log kar kya rahe hain vahan ke log jo apne aap ko Jain kah rahi hain vah Jain Nahin Hai Kya so rahe hain kya Aise Logon Ko Pahad per Jaani hi Kyon Diya ja raha hai police ko bulakar Guru ka bhi to ja sakta hai please ki team Mein Aakar ruk to sakti hai
Bahar se log laao kaam krne ban Jharkhandi and bihari their
Yah Mantri log hain na jo Unse bolo Ham Aapke Mandir Masjid mein agar jute chappal pahan ke Jaenge to aapko Kaisa lagega aapka Pavitra Sthal Hamara nahin hai kya Mantri Ho Jaag jao Nahin to dhikkar hai aapko Mantri hone per
प्रकरण : श्री सम्मेद शिखर जी
*अतिवादी होने से भी बचें जैन*
प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली
एक बात है जो किस तरह कही जाय समझ नहीं आ रहा । क्यों कि हम लोग उभय अतिवाद के शिकार हैं ।
वर्तमान में
श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण में आधे से अधिक जैन वहाँ की इस स्थिति का जिम्मेदार स्वयं जैनों को ठहराने में पूरी ताकत लगा कर महौल को हल्का करने की भी कोशिश कर रहे हैं ।
इसमें भी अधिकांश वे लोग भी हैं जिन्हें स्वयं सारी सुविधाएं चाहिए और दूसरों को त्याग तपस्या के उपदेश दे रहे हैं ।
ये वैसे समाधान बतला कर स्वयं को धन्य समझ रहे हैं जो अशक्य अनुष्ठान होता है ।
जैसे -
1.यदि देश के सभी नागरिक अपराध छोड़ दें तो पुलिस की आवश्यकता ही न पड़े ।
2. यदि सभी लोग बहुत साफ सफाई से रहें तो मच्छर पैदा ही न हों ।
3.यदि सभी लोग ब्रह्मचर्य का पालन करें तो जनसंख्या बढ़े ही नहीं ।
यदि ऐसा हो तो वैसा हो .... आदि आदि काल्पनिक ख्याली पुलाव पका कर आप अपना पेट भर लेते हैं और निश्चिंत हो जाते हैं ।
इस तरह के आलसी लोग जिन्हें सिर्फ बातें बनाना और अति आदर्श की वे बातें करना आता है जो वास्तव में यथार्थ में संभव ही नहीं है । वे ऐसी बातें करके मधुर भी बन जाते हैं और असली समाधान करने के पुरुषार्थ से भी बच जाते हैं।
मुझे ऐसा लगता है कि कुछ ऐसे ही समाधान हमारे रजाई में दुबके कुछ विचारक व्हाट्सएप्प वीर भी बता रहे हैं ।
*यदि सभी जैन पूरे पर्वत की वंदना के समय नींबू पानी भी न पिएं,उपवास रखें और इस पवित्र पर्वत पर मल मूत्र विसर्जन भी न करें , पैदल चलें - डोली भी न करें तो सभी समस्या का समाधान हो सकता है ।*
इस तरह के समाधान कुछ महापुरुष निरंतर प्रेषित कर रहे हैं जो व्यावहारिक धरातल पर इसलिए संभव नहीं हैं कि यदि ऐसे कड़े और अव्यवहारिक नियम बना दिये जायें तो जितने वंदना करने जाते हैं उसके 10 प्रतिशत भी नहीं बचेंगे और यह शिखर जी की समस्या गिरनार से भी ज्यादा बढ़ जाएगी ।
भक्त श्रावक सभी प्रकार के होते हैं,लोग यथा शक्ति अपनी क्षमता के अनुसार यात्राएं करते हैं । उन्हें इस लंबी यात्रा में कम ज्यादा सुविधाओं की भी आवश्यकता पड़ती ही है ।जिन्हें आवश्यकता नहीं है वे सुविधा नहीं भी लेते हैं ।
ऐसे भी श्रावक हैं जो पूरी वंदना में कहीं बैठते भी नहीं हैं और पानी भी नहीं पीते हैं,यह उनकी उत्कृष्ट साधना है - लेकिन जो ऐसा करते हैं उन्हें आप पापी और सारी समस्याओं का जिम्मेदार ठहराने लग जाएं तो अति हो जाएगी ।
फिर बच्चे ,बुजुर्ग, रोगी अशक्त आदि श्रावक चाहते हुए भी वंदना को जाएंगे ही नहीं ।
यदि समाज संस्था द्वारा ही स्थान स्थान पर शुद्ध सात्विक पदार्थ उपलब्ध हों , अन्य सुविधाएं भी हों तो श्रावक मजबूरी में उनकी दुकानों से चीजें न लें ,जहाँ चिप्स,कुरकुरे,कोल्डड्रिंक आदि अशुद्ध चीजें भी सहज उपलब्ध हो जाती हैं।
खुद को समस्या का मूल कहना छोड़िए । ये कानून की लड़ाई है । यदि ये पर्यटन क्षेत्र बन गया तो आप पालते रहना अपने नियम और देते रहना उपदेश ।
होटल और रेस्टोरेंट खुलेंगे ,जब अन्य लोग साधना और पूजा को नहीं ,हनीमून,पिकनिक और सैर सपाटे को आएंगे तो आपके बच्चे भी आएंगे और इन्हीं होटलों में रुकेंगे ,धर्मशालाओं में नहीं ।
आपकी आंखों के सामने वो मंजर होगा जिसे आप भुगतने के लिए मजबूर होंगे ,क्यों कि उनके पास कानूनी अधिकार होंगे ।
आप आपस में लड़ते रहना ,वहाँ अन्य धर्मावलंबियों के धर्मायतन विकसित होंगें जो लाखों की संख्या में जूते चप्पल पहनकर ,खाते पीते यात्राएं करेंगे और आपके इक्के दुक्के यात्री पिटेंगे । जैसे गिरनार और पावागढ़ में स्थिति है कि आपकी औकात तलहटी तक ही रह जायेगी।
इसलिए अतिरेक से बचें ,अभी यह सोचें कि इस तरह का नोटिफिकेशन रद्द हो और आगे से किसी की इस तरह की हिम्मत न हो ।
पहले अपना अस्तित्त्व बचाएं और समस्या का सही समाधान बताएं ,कोरे आदर्श बता कर मुद्दे से न खुद भटकें और न दूसरों को भटकाये ।
*यदि अब भी न संभले तो मिट जाएंगे खुद ही*
*दास्तां तक भी न होगी हमारी दास्तानों में*
Bhut shi bat 🙏
Picnickers. Mustbe.stopped