जो गुरु शास्त्रों अनुकूल सत भक्ति बताते हैं उनसे दीक्षा लेकर नियम मर्यादा में रहकर भक्ति करने से मोक्ष प्राप्त होगा। विश्व में एक मात्र गुरु संत रामपाल जी महाराज ही सर्व धर्म ग्रंथ शास्त्रों को खोलकर दिखाते हैं और अपने शिष्यों को शास्त्रों अनुकूल सत भक्ति करवाते है।
आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया। फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:- आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
पाप नाशक परमात्मा ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
संत भगवान को त्रय बार साहेब बंदगी साहेब
एवं जन्मदिन की बधाई ।
त्रीरिवार साहेब बंदगी
जो गुरु शास्त्रों अनुकूल सत भक्ति बताते हैं उनसे दीक्षा लेकर नियम मर्यादा में रहकर भक्ति करने से मोक्ष प्राप्त होगा।
विश्व में एक मात्र गुरु संत रामपाल जी महाराज ही सर्व धर्म ग्रंथ शास्त्रों को खोलकर दिखाते हैं और अपने शिष्यों को शास्त्रों अनुकूल सत भक्ति करवाते है।
आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।