मैं तुम्हारी होना चाहती हूं। by sadhana gupta

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  • Опубликовано: 29 дек 2024

Комментарии • 11

  • @saifmahmoodpersonel
    @saifmahmoodpersonel 2 дня назад

    amazing superb mam., thanku for this.

  • @harivanshnegi3431
    @harivanshnegi3431 9 дней назад +1

    Nice❤❤❤❤

  • @bihariadventure5653
    @bihariadventure5653 13 дней назад +1

    Fantastic ❤❤❤❤❤❤

  • @Meet7021
    @Meet7021 14 дней назад +1

    Wow 🎉

  • @BaatonKiRangoli
    @BaatonKiRangoli 17 дней назад +1

    👌👌👌

  • @Aniketraj
    @Aniketraj 17 дней назад +1

    Good one!🫶🏻✨

  • @usara686
    @usara686 16 дней назад +1

    Hi,,,👍🏻 साधना
    रिप्लाई आपकी poem का,,,
    तुम कल कल थी cute जितनी,, आज भी हो मेरी जान,,,
    मैं जनता हु तुझे प्यार आज भी है,, जितना कल था,,
    तेरे दिल वो ख़्याल आज भी है,,
    वो ख़्वाब भी जिंदा हैं
    तू उड़ता परिंदा है
    तूने ही तो कहा था
    अब फंख फैला के,,जब में बाज़ बना
    तेरे से कब ,किसने कहा,,मेरी जान
    की मेरे तेरे से अनजान बना,,,
    पहले मैं भी शायर था
    आज तोड़ा जंग में हु, किताबों के साथ
    यकीन है कल जीत लूंगा उसे भी
    जिसे लोग मंजिल कहते है
    पिर तुझे आवाज दूंगा
    तू मेरे दिल में है
    मुझसे दूर तोड़ी न है,,,,,
    Sorry for use जान शब्द,,,, it's poet लाइन,,,i always respect,,,,femel and art' of word

  • @shailendrarajawat7790
    @shailendrarajawat7790 3 дня назад

    Nayaab midha kyu sound ho rhi hai

  • @usara686
    @usara686 16 дней назад +1

    2nd वाली अच्छी थी 1st se,,,
    Reply
    वक्त बेवक्त तुझे परेशान नहीं करना
    तुझ से अनजान बन के ,मुझे भी नहीं रहना
    ये मजबूरी है कि ,में मजदूरी से बच जाऊ
    कुछ मेरी नजरों में,, कुछ समाज की में
    कुछ न कुछ हो जाऊ में
    यू लोग मुझे वेला वेला कहेंगे
    कुछ वक्त बाद मुझसे,,नजरें चुरा लेंगे
    इससे तो अच्छा है,,
    तोड़ा समझदार हो जाऊ में,,
    अपने ओर अपने परिवार के लिए
    सबसे बढ़कर तेरे लिए मेरी जान
    कुछ न कुछ कीमती हो जाऊ में,,,।।
    Sorry for use jaan,,, it's work or word or art's,,,
    It's usara from Kota Rajasthan
    Fart time poet full time'
    Mathas teacher,,,

  • @usara686
    @usara686 16 дней назад +1

    कुछ न कुछ पहचान है हमारी
    कविता की दुनिया में
    ऐसे ही मेरे शब्दों में यू ,, हजारी जवाबी नहीं आती
    हर कवित सुन के ,,मुझे शायरी नहीं आती
    मैं लेखक हु ही नहीं,, बस शब्दों जो जोड़ना सिख रहा हु,,
    मैथ्स का टीचर हु,
    जोड़ बाकी गुना भाग करना ,,
    आजकल शब्दों से सिख रहा हूं,,
    पर कभी कभी अच्छा लगता है
    कुछ कुछ तो है,,,इन शब्दों की गणित में
    ऐसे ही कोई,,किसी किसी लेखक
    तारीफ़ करता हूं
    शब्द अच्छे हैं बस तोड़े उर्दू के,, जोड़ सिख के
    शब्दों के तोड़ मरोड़ में,,
    कुछ न कुछ अज़ीब,,लिखने की सोच ले
    तोड़ा हट के,,
    थोड़ा रुक के
    ठहर के
    किसी अनजान को तक के
    उसके बारे में अच्छा,,लिखने को सिख के
    कुछ सच्चा or kuch कच्चा,,
    कुछ कट्टा कुछ मीठा,,तो कुछ। नमकीन का। टेस्ट कर ले,,
    अच्छा लिखना अच्छा,, पड़ने का नाम है
    सच्चाई हो न हो शेर में,,
    शेर सी दहाड़ होनी चाहिए
    दर्द न भी हो दिल तो भी,, आंखों में आसू,दिखने चाहिए
    सर्फ जहरीला न हो तो भी,, जहरीला दिखना चाहिए
    आपकी कविता में ,, कशिश की कमी न हो,,, चाहे जिंदगी में,चाहे जितनी ख़ुशी हो
    Jaani ki तरह दर्द बेदर्द,, झूठे ही सही,, समुद्र के बराबर पानी हो,, चाहे रंग उनका नीला न हो,,,
    पर शब्दों की आत्मा में,,, भरपूर दर्द ये दरिया,,,, राहिल है रेगिस्तान,, का इश्क हो,,
    प्यास हो,,
    आस हो
    जबरदस्त प्रयास हो,,,
    राधे राधे,,,,