भगवान महावीर के निर्वाण के दृश्य और उसके बाद की पाट परम्परा को याद करना इतनी खूबसूरती से आसान और सुरमय बनाने के लिए इस गीत के रचयिता और थव थुई मंगलम की टीम की बारम्बार अनुमोदना 🙏
भंवर कवरजी महाराज साहेब के चरणों मे वंदन नमस्कार जिनोने परमात्मा और उनकी पाट परंपरा की इतनी सुंदर रचना कर आने वाली सदियों तक अजर अमर कर दिया तथा युवा पीढी को अपना धर्म समजाया, इस निर्वान कल्याण के दिन सभी जैन अपने घर मे परमात्मा के संमुख इस भजन का गायन करे....
Jai jinendra,lived through a myriad of feelings as we listened to each word of the bhajan। छत्तीसा सुनने की इच्छा गौतम स्वामी की पृच्छा पाट परंपरा की पंक्ति और.... आज विराजमान आचार्यश्री के स्वर्णिम चौमासे की झलकियां स्वयं ही प्रकटिभूत होते। जा रहे हैं।।।। गुरु कृपा बरसती रहे। Rise to great heights 🎉❤
Amazing song,My 4 year little boy loved this so much that he listened 100 of times jab tak use yaad nahi ho gaya. Beautiful voice and beautiful lyrics, thanku so much for this amazing feeling and calmness which received by this🙏♥️
बहुत ही शानदार प्रस्तुति, शासनपति,चरम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के २५५० वें वर्ष और इसी आनेवाली कार्तिक अमावस्या को प्रभु का परिनिर्वाण दिवस का शुभावसर को आपने साकार स्वरूप प्रदान किया है. हार्दिक साधुवाद । स्तवन बार-बार सुनने का मन कर रहा है 👌🎼
चरम तीर्थाधिपति - आसन्न उपकारी - श्रमण भगवान - वीर वर्धमान वीतरागी वीतद्वेष- जिनेश्वर परमेश्वर - परम कृपालु परमात्मा - त्रिशला नंदन - सिद्धार्थ कुल नभोमनी - प्रियदर्शना के पिता- यशोदा के भरधार - सभी के हृदय के धबकार - क्षत्रियकुंड मंडण ऐसे मारे श्री प्रभु महावीरस्वामी भगवान 🙏🏽
बहुत ही भावपूर्ण व कर्णप्रिय प्रस्तुति अलका बैद डागा व टीम द्वारा!! बहुत बधाई अलका को। 👍🩷 यह हमारे सर्वशक्तिमान तीर्थंकर भगवान महावीर की विनम्र आराधना है। यह तीर्थंकर की उत्कृष्ट, सर्वोच्च स्थिति और दिव्य गुणों की स्तुति है। अनुत्तर जैन धर्म दर्शन के प्रणेता प्रभु महावीर के प्रति समर्पण व अहोभाव की पराकाष्ठा है। तीर्थंकर भगवान महावीर के श्रीमुख से निर्वाण कल्याणक की रात्रि तक, पावापुरी के भगवान के अंतिम चातुर्मास के समय, अर्द्ध रात्रि तक, प्रभु की जो अंतिम वाणी खिरी वही 'उत्तराध्ययन सूत्र' के रूप में गुंफित होकर हमें मिली। श्रुतरूप यह आगम हम सभी के लिए स्तुत्य है। जीवन जीने की कला सिखाती भगवान की कल्याणकारी वाणी का अमृतपान दीपावली के दिनों में हम सभी करते हैं। इस स्तुति की प्रस्तुति *अलका बैद डागा एवं उनकी टीम* ने की है जो भक्ति से ओत-प्रोत है और उनका समर्पण भाव बहुत ही प्रशंसनीय है। अलका की आवाज़ की मधुरता ने चार चांद लगाये हैं, इस गीत में। टीम का भी सहयोग है। पुनः बधाई इस प्रस्तुति के लिए!🙏 प्रभु महावीर के निर्वाण की रात्रि को जब अपने प्रथम शिष्य गौतम स्वामी को देव शर्मा को प्रतिबोध देने के लिए भेजा जाता है.. प्रभु निर्वाण को प्राप्त हो जाते हैं,उस समय महावीर के ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ प्रथम शिष्य गणधर *गौतम गौतम स्वामी* की मन:स्थिति का वर्णन पहली पंक्ति बता रही है कि उन्हें दूर क्यों भेज दिया गया था, प्रभु महावीर द्वारा। यह उनका प्रशस्त मोह है महावीर के लिए,अपने आराध्य के लिए जिसे वे महसूस कर रहे हैं.. इस मोह से उभरते ही गणधर गौतम को भी केवल ज्ञान हो गया था। जय जिनशासन,जय महावीर गणधर गौतम स्वामी की जय हो। 🙏🙏🙏
Beautifullly sung melodious bhajan with perfect timing to coincide with Diwali! The articulation is so crisp and clear and music very very soothing and lilting !! Alka and team are doing a marvellous job Do keep up❤
Jai Jinendra ,wow thank you so much pls get more soulful bhajans , I really needs this type of bhajans , I like dhanya dhanya also a lot , pls get more soulful bhajans thnx
टीम थव्व थुई मंगलम् को हार्दिक बधाई 🎊 🎉 आज आपके चैनल के कुल वीव्स पच्चीस लाख पार कर गये हैं, भक्ति का ये सफ़र और भी मील के पत्थर पार करे ❤हार्दिक शुभकामनाएँ 🤞
*अन्तिम चौमासा* अन्तिम चौमासा वीर प्रभुने, पावापुरी फुरमाया, पावापुरी फुरमाया, हस्तीपाल का भाग्य सवायाजी ॥ टेर ॥ 1. नौ मल्ली नौ लच्छी राजा, आये वीर शरण में, देशना अन्तिम छट्ट भक्त से, सुनते वीर चरण में, उत्तराध्ययन छत्तीसजी, फरमाये जगदीश जी, सतत वांचना सोलह प्रहर की, सुनकर आनन्द पायाजी, 2. अस्थि वाणिज्य आलम्बिका, सावत्थी नगरी जाणो, अनार्य देश अपापानगरी, पावापुरी पहिचानो, एक-एक चौमासजी, षट् मिथिला में खासजी, दो भद्रिका तीन विशाला, दश चम्पा में सुहायाजी । 3. चौदह राजगृही नालन्दी, पाड़ कल्पता करके, वर्ष 42 संयम पाला, 30 वर्ष केवली विचरते, किया धर्मोद्योत जी, आत्मा पाई ज्योतजी, तीर्थपति जब मोक्ष पधारे, गौतम मन मुरझायाजी । 4. देव श्रमण प्रतिबोधित करने, भेजा मुझको ज्ञानी, मुक्ति आपकी फिर भी स्वामी, रही न मुझसे छानी, होते खूब उदासजी, रखा क्यों नहीं पास जी, रह-रह करके गौतमजी को, वीर विरह ने सताया जी। 5. नहीं देता अन्तराय प्रभु में, नहीं मैं पांव पकड़ता, जी भर-भर के है स्वामी, मैं दर्श आपके करता, सदा चरण में ध्यानजी, मिलता अद्भुत ज्ञान जी, प्रभु अकेला रहूंगा कैसे, गौतम नाद सुनाया जी। 6. प्रश्न कहां पर जाकर पूछें, शंका किससे मेटू, छोड़ अकेला आप पधारे, चरण कहां पर भेटू, मन में अति संतापजी, करके पश्चातापजी, मोह हटाते कर्म खपाते, केवल झट प्रगटायाजी । 7. केवली होकर बारह वर्ष तक, भूमण्डल पे विचरते, जिस दिन मोक्ष पधारे गौतम, सुधर्मा केवली वरते, आठ वर्ष प्रमाणजी, पाये मोक्ष निधानजी, उसी वर्ष में जम्बू पाया, केवलज्ञान मन चायाजी । 8. वर्ष 44 जम्बू केवली, भारत भू पे विचरते, सुधर्म पट्टधर जम्बूस्वामी, अन्तिम केवली वरते, प्रभव स्वयं भव जान जी, यशोभद्र महानजी, संभूति विजय और भद्रबाहुजी 14 पूर्व पायाजी। 9. दस बोलों का छेद हुआ, जब जम्बू मोक्ष पधारे, श्रुत केवली भरत में विचरे, भव्यात्मा तारे, हुए हैं युग प्रधान जी, पाट सताईस महानजी, 21 हजार वर्ष तक चाले, शासन आगम गायाजी ॥
जय जिनेंद्र। बहुत सुंदर प्रयास है पुराने भजनों को पुनः लाँच करने का। हमारे पास भी इसी प्रकार के आध्यात्मिक भजनों का अद्भुत संग्रह है और हम चाहते हैं की आप उसका अवलोकन अवश्य करे एवं उसकी रिकॉर्डिंग करा कर रिलीज़ करें जिससे आपका चैनल भी बढ़ेगा और हमारे भजन भी पुनः प्रकाशित होंगे। आपसे बात करने के लिए कोई email आईडी या अन्य संपर्क सूत्र हो तो भेज दीजिए । 😊 जिनशासन जयवंत वर्ते ।
Vah Vahi Puja Pratishtha dhima Meetha Jahar Jal Bina machli Tadapti iska Aisa Kar Hai Naam Hari ki chahana ko Apne dil se Ne De nikal aagya Pran aur Pran
जय जिनेंद्र सा आज पहली बार मैने आपका *"अंतिम चौमासा"* भजन, प्रस्तुति सुना। आपको मैं शब्दों में बता नई सकता, की मुझे कितना हर्ष और आनंद मिला ये सुन कर। तीर्थंकर परमात्मा *श्री भगवान महावीर स्वामी के २५५० वे* निर्वाण वर्ष पर आपने जो ये भजन प्रस्तुत किया वो बहुत ही *सुंदर और मंत्रमुग्ध* करने वाला है। नए पीढ़ी के लिए वीर प्रभु का *अन्तिम चौमासा* जो आपने सबके सामने प्रस्तुत किया है वो सच में सराहनीय है। आपकी आवाज और म्यूजिक इतना अच्छा है, की बार बार आपका ये भजन सुनने का मन करता है। आपको दिल से सच में बहुत बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद।🙏 *वीर प्रभु का श्रावक और आपका साधर्मिक भाई -* *धिरजकुमार सुराणा.*
@@namangolchha6626 अन्तिम चौमासा वीर प्रभुने, पावापुरी फुरमाया, पावापुरी फुरमाया, हस्तीपाल का भाग्य सवायाजी ॥ टेर ॥ 1. नौ मल्ली नौ लच्छी राजा, आये वीर शरण में, देशना अन्तिम छट्ट भक्त से, सुनते वीर चरण में, उत्तराध्ययन छत्तीसजी, फरमाये जगदीश जी, सतत वांचना सोलह प्रहर की, सुनकर आनन्द पायाजी, 2. अस्थि वाणिज्य आलम्बिका, सावत्थी नगरी जाणो, अनार्य देश अपापानगरी, पावापुरी पहिचानो, एक-एक चौमासजी, षट् मिथिला में खासजी, दो भद्रिका तीन विशाला, दश चम्पा में सुहायाजी । 3. चौदह राजगृही नालन्दी, पाड़ कल्पता करके, वर्ष 42 संयम पाला, 30 वर्ष केवली विचरते, किया धर्मोद्योत जी, आत्मा पाई ज्योतजी, तीर्थपति जब मोक्ष पधारे, गौतम मन मुरझायाजी । 4. देव श्रमण प्रतिबोधित करने, भेजा मुझको ज्ञानी, मुक्ति आपकी फिर भी स्वामी, रही न मुझसे छानी, होते खूब उदासजी, रखा क्यों नहीं पास जी, रह-रह करके गौतमजी को, वीर विरह ने सताया जी। 5. नहीं देता अन्तराय प्रभु में, नहीं मैं पांव पकड़ता, जी भर-भर के है स्वामी, मैं दर्श आपके करता, सदा चरण में ध्यानजी, मिलता अद्भुत ज्ञान जी, प्रभु अकेला रहूंगा कैसे, गौतम नाद सुनाया जी। 6. प्रश्न कहां पर जाकर पूछें, शंका किससे मेटू, छोड़ अकेला आप पधारे, चरण कहां पर भेटू, मन में अति संतापजी, करके पश्चातापजी, मोह हटाते कर्म खपाते, केवल झट प्रगटायाजी । 7. केवली होकर बारह वर्ष तक, भूमण्डल पे विचरते, जिस दिन मोक्ष पधारे गौतम, सुधर्मा केवली वरते, आठ वर्ष प्रमाणजी, पाये मोक्ष निधानजी, उसी वर्ष में जम्बू पाया, केवलज्ञान मन चायाजी । 8. वर्ष 44 जम्बू केवली, भारत भू पे विचरते, सुधर्म पट्टधर जम्बूस्वामी, अन्तिम केवली वरते, प्रभव स्वयं भव जान जी, यशोभद्र महानजी, संभूति विजय और भद्रबाहुजी 14 पूर्व पायाजी। 9. दस बोलों का छेद हुआ, जब जम्बू मोक्ष पधारे, श्रुत केवली भरत में विचरे, भव्यात्मा तारे, हुए हैं युग प्रधान जी, पाट सताईस महानजी, 21 हजार वर्ष तक चाले, शासन आगम गायाजी ॥
@@dheerajkumarsurana4050 *अन्तिम चौमासा* अन्तिम चौमासा वीर प्रभुने, पावापुरी फुरमाया, पावापुरी फुरमाया, हस्तीपाल का भाग्य सवायाजी ॥ टेर ॥ 1. नौ मल्ली नौ लच्छी राजा, आये वीर शरण में, देशना अन्तिम छट्ट भक्त से, सुनते वीर चरण में, उत्तराध्ययन छत्तीसजी, फरमाये जगदीश जी, सतत वांचना सोलह प्रहर की, सुनकर आनन्द पायाजी, 2. अस्थि वाणिज्य आलम्बिका, सावत्थी नगरी जाणो, अनार्य देश अपापानगरी, पावापुरी पहिचानो, एक-एक चौमासजी, षट् मिथिला में खासजी, दो भद्रिका तीन विशाला, दश चम्पा में सुहायाजी । 3. चौदह राजगृही नालन्दी, पाड़ कल्पता करके, वर्ष 42 संयम पाला, 30 वर्ष केवली विचरते, किया धर्मोद्योत जी, आत्मा पाई ज्योतजी, तीर्थपति जब मोक्ष पधारे, गौतम मन मुरझायाजी । 4. देव श्रमण प्रतिबोधित करने, भेजा मुझको ज्ञानी, मुक्ति आपकी फिर भी स्वामी, रही न मुझसे छानी, होते खूब उदासजी, रखा क्यों नहीं पास जी, रह-रह करके गौतमजी को, वीर विरह ने सताया जी। 5. नहीं देता अन्तराय प्रभु में, नहीं मैं पांव पकड़ता, जी भर-भर के है स्वामी, मैं दर्श आपके करता, सदा चरण में ध्यानजी, मिलता अद्भुत ज्ञान जी, प्रभु अकेला रहूंगा कैसे, गौतम नाद सुनाया जी। 6. प्रश्न कहां पर जाकर पूछें, शंका किससे मेटू, छोड़ अकेला आप पधारे, चरण कहां पर भेटू, मन में अति संतापजी, करके पश्चातापजी, मोह हटाते कर्म खपाते, केवल झट प्रगटायाजी । 7. केवली होकर बारह वर्ष तक, भूमण्डल पे विचरते, जिस दिन मोक्ष पधारे गौतम, सुधर्मा केवली वरते, आठ वर्ष प्रमाणजी, पाये मोक्ष निधानजी, उसी वर्ष में जम्बू पाया, केवलज्ञान मन चायाजी । 8. वर्ष 44 जम्बू केवली, भारत भू पे विचरते, सुधर्म पट्टधर जम्बूस्वामी, अन्तिम केवली वरते, प्रभव स्वयं भव जान जी, यशोभद्र महानजी, संभूति विजय और भद्रबाहुजी 14 पूर्व पायाजी। 9. दस बोलों का छेद हुआ, जब जम्बू मोक्ष पधारे, श्रुत केवली भरत में विचरे, भव्यात्मा तारे, हुए हैं युग प्रधान जी, पाट सताईस महानजी, 21 हजार वर्ष तक चाले, शासन आगम गायाजी ॥
@@rajsurana8241 Thank you so much for bringing this to our attention and sharing this valuable information about the bhajan. 🙏 Actually, we were ourselves searching for the original author, as we received the content in its current form and were curious to know who had composed it. We would be extremely grateful if you could kindly share the original version or the lyrics where Bhavarkavarji Maharaj Sahib's name is mentioned. It would help us preserve and honor the true essence of the bhajan. Once again, thank you for informing us. Your support means a lot to us! Warm regards, Alka Daga Founder, Thavva-Thhui Mangalam
@@chiragbafna5593 हमारा चैनल हमेशा यह जानने का प्रयास करता है कि भजन या गीत के लेखक कौन हैं, और हम हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं कि लेखक को पूरा श्रेय दिया जाए। हमें गर्व है कि हमारा कंटेंट महान लेखकों की वजह से संजोया गया है, जिनके लेखन से ये सुंदर पंक्तियाँ रची जाती हैं। इस विशेष मामले में, हमें पता नहीं था कि इस भजन की रचना किसने की है। हमें पूज्य भंवरकवरजी महाराज साहेब के प्रति गहरा सम्मान है, और चूँकि वीडियो अब बन चुका है, हम पूरे वीडियो को हटाने में असमर्थ हैं। लेकिन हम निश्चित रूप से क्रेडिट सेक्शन में पूज्य श्री भंवरकवरजी महाराज साहेब का नाम सम्मिलित करेंगे और यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि ‘अन्तिम चौमासा’ जैसी गहन भावनाओं से परिपूर्ण रचना उनके द्वारा रची गई है, जो हमें गहन ज्ञान से लाभान्वित कर रही है।
Yah bhajan Gyan gutch samprday ke pujniya maha sati ji bhanwar Kunwar ji Maharaj Sahab dwara banaya Gaya hai aapane bhajan ki antim line mein se unka Naam Katkar nikal kar galat kara hai baki prastuti acchi hai
"Thank you for bringing this to our attention. When we received this beautiful bhajan, the name of the original writer, Bawar Kavarji Marasaheb, was not provided to us, which is why it was not initially included. At Thavva-Thhui Mangalam Mangalam, we deeply value all creators, and we make every effort to credit the hard work and artistry of each writer. Marasaheb’s contributions are invaluable, and as soon as we learned she authored this bhajan, we promptly updated our description to honor her. You’ll find her name in the very first line of the bhajan description now. We appreciate your passion and support for our work. Jai Jinendra!"
भगवान महावीर के निर्वाण के दृश्य और उसके बाद की पाट परम्परा को याद करना इतनी खूबसूरती से आसान और सुरमय बनाने के लिए इस गीत के रचयिता और थव थुई मंगलम की टीम की बारम्बार अनुमोदना 🙏
वीतराग धर्म उपदेश सुनकर ह्रदय में हिलोरे लेता है उस उपदेश की ह्रदय पर अमिट छाप पड़ती है
आपके इस भजन ने मुझे प्रभु के अन्तिम समय की साक्षात अनुभुति करा दी। में आपको जितना भी धन्यवाद दु वो नाकाफ़ी होगा। बहुत बहुत साधुवाद
Right bro mujhe bhi
सुनने में ही मन एकदम भावुक हो गया।
जो धन्य आत्माएं वहां उपस्थित रही होगी उनकी मनःस्थिति क्या रही होगी उस समय जब प्रभु मोक्ष पधारे।
भंवर कवरजी महाराज साहेब के चरणों मे वंदन नमस्कार जिनोने परमात्मा और उनकी पाट परंपरा की इतनी सुंदर रचना कर आने वाली सदियों तक अजर अमर कर दिया तथा युवा पीढी को अपना धर्म समजाया,
इस निर्वान कल्याण के दिन सभी जैन अपने घर मे परमात्मा के संमुख इस भजन का गायन करे....
सादर जय जिनेंद्र सा,
क्या आप बता सकते हैं कि श्री भँवर कँवर जी महाराज का इतिहास कितने वर्षों पूर्व का है?
धन्यवाद ।
So melodious 😍👌👌Veer prabhu ki jai ho🙏🙏
अभिनन्दनीय प्रस्तुतीकरण। सहृदय
अभिनन्दन।
Anando anando ati sundar mahaveer prabhu ko namo jinanam Gautam swamy ko vandan
kesa samay rha hoga wo dhany dhany wo आंखे जिसने वो समय देखा।
Jai mahaveer aur unki vaani
bahut sunder prastuti
Jai jinendra,lived through a myriad of feelings as we listened to each word of the bhajan।
छत्तीसा सुनने की इच्छा
गौतम स्वामी की पृच्छा
पाट परंपरा की पंक्ति और....
आज विराजमान आचार्यश्री के स्वर्णिम चौमासे की झलकियां स्वयं ही प्रकटिभूत होते। जा रहे हैं।।।।
गुरु कृपा बरसती रहे।
Rise to great heights 🎉❤
Bhahut sundar shabd
Bar bar sunte rahe
Amazing song,My 4 year little boy loved this so much that he listened 100 of times jab tak use yaad nahi ho gaya. Beautiful voice and beautiful lyrics, thanku so much for this amazing feeling and calmness which received by this🙏♥️
So beautifully depicted whole scene of nirvana of Bhagwan Mahavir 🙏🙏🙏🙏
Excellent work by the entire team… Kya Rachna hai
Song and singer's Voice is so mesmerizing that I actually started imagining and visualising .
Singer is superb
बहुत ही शानदार प्रस्तुति,
शासनपति,चरम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के २५५० वें वर्ष और इसी आनेवाली कार्तिक अमावस्या को प्रभु का परिनिर्वाण दिवस का शुभावसर को आपने साकार स्वरूप प्रदान किया है.
हार्दिक साधुवाद ।
स्तवन बार-बार सुनने का मन कर रहा है 👌🎼
Unbelievable really great song
Khub Khub Anumodna 🙏 ⚘ 🙏
चरम तीर्थाधिपति - आसन्न उपकारी - श्रमण भगवान - वीर वर्धमान वीतरागी वीतद्वेष- जिनेश्वर परमेश्वर - परम कृपालु परमात्मा - त्रिशला नंदन - सिद्धार्थ कुल नभोमनी - प्रियदर्शना के पिता- यशोदा के भरधार - सभी के हृदय के धबकार - क्षत्रियकुंड मंडण ऐसे मारे श्री प्रभु महावीरस्वामी भगवान 🙏🏽
Absolutely mesmerizing voice ❤️🥰 feeling so blessed
The soothing voice and top-notch music composition, giving emotional touch. Truly, a masterpiece. Wonderful work!
Bahut hi sunder🙏🙏🙏👌👌
Heart teaching ❤
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मन को छूने वाला भजन ❤❤
अन्तर्मन् को प्रसन्न करने वाला।सच्ची मन को अंदर से खुश करने वाला❤😊
Soulful voice
Super song gaya hai
Jai Mahavir swami ki,Jai guru ram
Soulful.💕
Jai ho bhagwaan Mahaveer swami ki 🙏
So nice stavan and melodious voice ❤
मन को शांति प्रदान करने वाला 🙏🌿🌄
Very nice🎉😊😊😊
bahut sunder
Bahut Sundar ❤
Great👌👌
बहुत ही सुन्दर दिल क़ो छूने वाला 👌👌गाया भी बहुत ही सुन्दर ❤❤
Jai shree Mahaveer jai jinendra
Bht hi sundar 🙏🏼💯👌🏼
Blissful 😍😍😍
म्हारे नैना में आओ बस जाओ महावीर .....
Song aapki aavaj me..
बहुत ही भावपूर्ण व कर्णप्रिय प्रस्तुति अलका बैद डागा व टीम द्वारा!!
बहुत बधाई अलका को।
👍🩷
यह हमारे सर्वशक्तिमान
तीर्थंकर भगवान महावीर की विनम्र आराधना है। यह तीर्थंकर की उत्कृष्ट, सर्वोच्च स्थिति और दिव्य गुणों की
स्तुति है। अनुत्तर जैन धर्म दर्शन के प्रणेता प्रभु महावीर के प्रति समर्पण व अहोभाव की पराकाष्ठा है। तीर्थंकर भगवान महावीर के श्रीमुख से निर्वाण कल्याणक की रात्रि तक, पावापुरी के भगवान के अंतिम चातुर्मास के समय, अर्द्ध रात्रि तक, प्रभु की जो अंतिम वाणी खिरी
वही 'उत्तराध्ययन सूत्र' के रूप में गुंफित होकर हमें मिली। श्रुतरूप यह आगम हम सभी के लिए स्तुत्य है। जीवन जीने की कला सिखाती भगवान की कल्याणकारी वाणी का अमृतपान दीपावली के दिनों में हम सभी करते हैं।
इस स्तुति की प्रस्तुति *अलका बैद डागा एवं उनकी टीम* ने की है जो भक्ति से ओत-प्रोत है और उनका समर्पण भाव बहुत ही प्रशंसनीय है। अलका की आवाज़ की मधुरता ने चार चांद लगाये हैं, इस गीत में। टीम का भी सहयोग है।
पुनः बधाई इस प्रस्तुति के लिए!🙏
प्रभु महावीर के निर्वाण की रात्रि को जब अपने प्रथम शिष्य गौतम स्वामी को
देव शर्मा को प्रतिबोध देने के लिए भेजा जाता है..
प्रभु निर्वाण को प्राप्त हो जाते हैं,उस समय महावीर के ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ प्रथम शिष्य गणधर *गौतम गौतम स्वामी* की मन:स्थिति का वर्णन
पहली पंक्ति बता रही है कि उन्हें दूर क्यों भेज दिया गया था, प्रभु महावीर द्वारा।
यह उनका प्रशस्त मोह है महावीर के लिए,अपने आराध्य के लिए जिसे वे महसूस कर रहे हैं..
इस मोह से उभरते ही गणधर गौतम को भी केवल ज्ञान हो गया था।
जय जिनशासन,जय महावीर
गणधर गौतम स्वामी की जय हो।
🙏🙏🙏
Bahut achcha varnan hain sa. Aur raag bhi bahut sahi hain. Bahut achcha laga sunkar.
अत्यंत भावपूर्ण भजन और सुरम्य प्रस्तुति। आपकी टीम को बहुत बहुत बधाई, ऐसी रचनाएँ इतने अद्भुत ढंग से पहुंचाने के लिए।
Beautifullly sung melodious bhajan with perfect timing to coincide with Diwali! The articulation is so crisp and clear and music very very soothing and lilting !!
Alka and team are doing a marvellous job
Do keep up❤
Jai Jinendra ,wow thank you so much pls get more soulful bhajans , I really needs this type of bhajans , I like dhanya dhanya also a lot , pls get more soulful bhajans thnx
Bhut badiya aap ki bahut bahut anomodana sa🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत सुंदर
Bilkul sahi likha aapane
Melowficious😌
Gajab
Bahut sundar
Ati sunder
Ati sundar bohat hi bhav purn 6:53 👋👋👋
Beautiful 😍😍 hats off to the team for producing such beautiful song 👏🏻👏🏻✨✨
अत्यंत सुखद भजन
Atma prafullit huva.🙏🙏🙏🙏🙏
Adbhut!
Very nise song
अति सुंदर सा
Jai jinendra jai guru dev ki ji 😷😷🙏🙏👏👏
Very nice creativity.... The lines touch the heart ❤...
टीम थव्व थुई मंगलम् को हार्दिक बधाई 🎊 🎉
आज आपके चैनल के कुल वीव्स
पच्चीस लाख पार कर गये हैं,
भक्ति का ये सफ़र और भी मील के पत्थर पार करे ❤हार्दिक शुभकामनाएँ 🤞
Super
Superb
Voice❤
So melodious
Very nice ❤ can you share Hindi pdf of this bhajan
*अन्तिम चौमासा*
अन्तिम चौमासा वीर प्रभुने, पावापुरी फुरमाया,
पावापुरी फुरमाया, हस्तीपाल का भाग्य सवायाजी ॥ टेर ॥
1. नौ मल्ली नौ लच्छी राजा, आये वीर शरण में,
देशना अन्तिम छट्ट भक्त से, सुनते वीर चरण में,
उत्तराध्ययन छत्तीसजी, फरमाये जगदीश जी,
सतत वांचना सोलह प्रहर की, सुनकर आनन्द पायाजी,
2. अस्थि वाणिज्य आलम्बिका, सावत्थी नगरी जाणो,
अनार्य देश अपापानगरी, पावापुरी पहिचानो,
एक-एक चौमासजी, षट् मिथिला में खासजी,
दो भद्रिका तीन विशाला, दश चम्पा में सुहायाजी ।
3. चौदह राजगृही नालन्दी, पाड़ कल्पता करके,
वर्ष 42 संयम पाला, 30 वर्ष केवली विचरते,
किया धर्मोद्योत जी, आत्मा पाई ज्योतजी,
तीर्थपति जब मोक्ष पधारे, गौतम मन मुरझायाजी ।
4. देव श्रमण प्रतिबोधित करने, भेजा मुझको ज्ञानी,
मुक्ति आपकी फिर भी स्वामी, रही न मुझसे छानी,
होते खूब उदासजी, रखा क्यों नहीं पास जी,
रह-रह करके गौतमजी को, वीर विरह ने सताया जी।
5. नहीं देता अन्तराय प्रभु में, नहीं मैं पांव पकड़ता,
जी भर-भर के है स्वामी, मैं दर्श आपके करता,
सदा चरण में ध्यानजी, मिलता अद्भुत ज्ञान जी,
प्रभु अकेला रहूंगा कैसे, गौतम नाद सुनाया जी।
6. प्रश्न कहां पर जाकर पूछें, शंका किससे मेटू,
छोड़ अकेला आप पधारे, चरण कहां पर भेटू,
मन में अति संतापजी, करके पश्चातापजी,
मोह हटाते कर्म खपाते, केवल झट प्रगटायाजी ।
7. केवली होकर बारह वर्ष तक, भूमण्डल पे विचरते,
जिस दिन मोक्ष पधारे गौतम, सुधर्मा केवली वरते,
आठ वर्ष प्रमाणजी, पाये मोक्ष निधानजी,
उसी वर्ष में जम्बू पाया, केवलज्ञान मन चायाजी ।
8. वर्ष 44 जम्बू केवली, भारत भू पे विचरते,
सुधर्म पट्टधर जम्बूस्वामी, अन्तिम केवली वरते,
प्रभव स्वयं भव जान जी, यशोभद्र महानजी,
संभूति विजय और भद्रबाहुजी 14 पूर्व पायाजी।
9. दस बोलों का छेद हुआ, जब जम्बू मोक्ष पधारे,
श्रुत केवली भरत में विचरे, भव्यात्मा तारे,
हुए हैं युग प्रधान जी, पाट सताईस महानजी,
21 हजार वर्ष तक चाले, शासन आगम गायाजी ॥
Thanks 🙏
@@thavvathhuimangalam-anodet9035very beautiful song. bahut bahut Anumodana❤
🙏🙏🙏🙏
सुनकर जैसे आत्मा को सुख और शांति की अनुभूति होती है ।
अद्भुत गायन ❤
👏👏
इस भजन को सुनने से महावीर प्रभु को सामने पता हुआ ऐसा प्रतीत होता है, गाने वालो का नाम क्या है कृपया बताएं😊❤🙏🙏 गाने वालों को कोटि कोटि नमन
कृपया गीत शुरू होते ही स्क्रीन देखें,सब डिटेलिंग मिल जायेगी 🙏
जय जिनेंद्र। बहुत सुंदर प्रयास है पुराने भजनों को पुनः लाँच करने का।
हमारे पास भी इसी प्रकार के आध्यात्मिक भजनों का अद्भुत संग्रह है और हम चाहते हैं की आप उसका अवलोकन अवश्य करे एवं उसकी रिकॉर्डिंग करा कर रिलीज़ करें जिससे आपका चैनल भी बढ़ेगा और हमारे भजन भी पुनः प्रकाशित होंगे।
आपसे बात करने के लिए कोई email आईडी या अन्य संपर्क सूत्र हो तो भेज दीजिए । 😊
जिनशासन जयवंत वर्ते ।
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Vah Vahi Puja Pratishtha dhima Meetha Jahar Jal Bina machli Tadapti iska Aisa Kar Hai Naam Hari ki chahana ko Apne dil se Ne De nikal aagya Pran aur Pran
जय जिनेंद्र सा
आज पहली बार मैने आपका *"अंतिम चौमासा"* भजन, प्रस्तुति सुना।
आपको मैं शब्दों में बता नई सकता, की मुझे कितना हर्ष और आनंद मिला ये सुन कर।
तीर्थंकर परमात्मा *श्री भगवान महावीर स्वामी के २५५० वे* निर्वाण वर्ष पर आपने जो ये भजन प्रस्तुत किया वो बहुत ही *सुंदर और मंत्रमुग्ध* करने वाला है।
नए पीढ़ी के लिए वीर प्रभु का *अन्तिम चौमासा* जो आपने सबके सामने प्रस्तुत किया है वो सच में सराहनीय है।
आपकी आवाज और म्यूजिक इतना अच्छा है, की बार बार आपका ये भजन सुनने का मन करता है।
आपको दिल से सच में बहुत बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद।🙏
*वीर प्रभु का श्रावक और आपका साधर्मिक भाई -*
*धिरजकुमार सुराणा.*
How can we get lyrics?? Please share if possible 🙏🏻😀
@@namangolchha6626 अन्तिम चौमासा वीर प्रभुने, पावापुरी फुरमाया,
पावापुरी फुरमाया, हस्तीपाल का भाग्य सवायाजी ॥ टेर ॥
1. नौ मल्ली नौ लच्छी राजा, आये वीर शरण में,
देशना अन्तिम छट्ट भक्त से, सुनते वीर चरण में,
उत्तराध्ययन छत्तीसजी, फरमाये जगदीश जी,
सतत वांचना सोलह प्रहर की, सुनकर आनन्द पायाजी,
2. अस्थि वाणिज्य आलम्बिका, सावत्थी नगरी जाणो,
अनार्य देश अपापानगरी, पावापुरी पहिचानो,
एक-एक चौमासजी, षट् मिथिला में खासजी,
दो भद्रिका तीन विशाला, दश चम्पा में सुहायाजी ।
3. चौदह राजगृही नालन्दी, पाड़ कल्पता करके,
वर्ष 42 संयम पाला, 30 वर्ष केवली विचरते,
किया धर्मोद्योत जी, आत्मा पाई ज्योतजी,
तीर्थपति जब मोक्ष पधारे, गौतम मन मुरझायाजी ।
4. देव श्रमण प्रतिबोधित करने, भेजा मुझको ज्ञानी,
मुक्ति आपकी फिर भी स्वामी, रही न मुझसे छानी,
होते खूब उदासजी, रखा क्यों नहीं पास जी,
रह-रह करके गौतमजी को, वीर विरह ने सताया जी।
5. नहीं देता अन्तराय प्रभु में, नहीं मैं पांव पकड़ता,
जी भर-भर के है स्वामी, मैं दर्श आपके करता,
सदा चरण में ध्यानजी, मिलता अद्भुत ज्ञान जी,
प्रभु अकेला रहूंगा कैसे, गौतम नाद सुनाया जी।
6. प्रश्न कहां पर जाकर पूछें, शंका किससे मेटू,
छोड़ अकेला आप पधारे, चरण कहां पर भेटू,
मन में अति संतापजी, करके पश्चातापजी,
मोह हटाते कर्म खपाते, केवल झट प्रगटायाजी ।
7. केवली होकर बारह वर्ष तक, भूमण्डल पे विचरते,
जिस दिन मोक्ष पधारे गौतम, सुधर्मा केवली वरते,
आठ वर्ष प्रमाणजी, पाये मोक्ष निधानजी,
उसी वर्ष में जम्बू पाया, केवलज्ञान मन चायाजी ।
8. वर्ष 44 जम्बू केवली, भारत भू पे विचरते,
सुधर्म पट्टधर जम्बूस्वामी, अन्तिम केवली वरते,
प्रभव स्वयं भव जान जी, यशोभद्र महानजी,
संभूति विजय और भद्रबाहुजी 14 पूर्व पायाजी।
9. दस बोलों का छेद हुआ, जब जम्बू मोक्ष पधारे,
श्रुत केवली भरत में विचरे, भव्यात्मा तारे,
हुए हैं युग प्रधान जी, पाट सताईस महानजी,
21 हजार वर्ष तक चाले, शासन आगम गायाजी ॥
Shooting voice
Please can u share lyrics
A
Can you please share lyrics of this bhajan 🙏
@@dheerajkumarsurana4050 *अन्तिम चौमासा*
अन्तिम चौमासा वीर प्रभुने, पावापुरी फुरमाया,
पावापुरी फुरमाया, हस्तीपाल का भाग्य सवायाजी ॥ टेर ॥
1. नौ मल्ली नौ लच्छी राजा, आये वीर शरण में,
देशना अन्तिम छट्ट भक्त से, सुनते वीर चरण में,
उत्तराध्ययन छत्तीसजी, फरमाये जगदीश जी,
सतत वांचना सोलह प्रहर की, सुनकर आनन्द पायाजी,
2. अस्थि वाणिज्य आलम्बिका, सावत्थी नगरी जाणो,
अनार्य देश अपापानगरी, पावापुरी पहिचानो,
एक-एक चौमासजी, षट् मिथिला में खासजी,
दो भद्रिका तीन विशाला, दश चम्पा में सुहायाजी ।
3. चौदह राजगृही नालन्दी, पाड़ कल्पता करके,
वर्ष 42 संयम पाला, 30 वर्ष केवली विचरते,
किया धर्मोद्योत जी, आत्मा पाई ज्योतजी,
तीर्थपति जब मोक्ष पधारे, गौतम मन मुरझायाजी ।
4. देव श्रमण प्रतिबोधित करने, भेजा मुझको ज्ञानी,
मुक्ति आपकी फिर भी स्वामी, रही न मुझसे छानी,
होते खूब उदासजी, रखा क्यों नहीं पास जी,
रह-रह करके गौतमजी को, वीर विरह ने सताया जी।
5. नहीं देता अन्तराय प्रभु में, नहीं मैं पांव पकड़ता,
जी भर-भर के है स्वामी, मैं दर्श आपके करता,
सदा चरण में ध्यानजी, मिलता अद्भुत ज्ञान जी,
प्रभु अकेला रहूंगा कैसे, गौतम नाद सुनाया जी।
6. प्रश्न कहां पर जाकर पूछें, शंका किससे मेटू,
छोड़ अकेला आप पधारे, चरण कहां पर भेटू,
मन में अति संतापजी, करके पश्चातापजी,
मोह हटाते कर्म खपाते, केवल झट प्रगटायाजी ।
7. केवली होकर बारह वर्ष तक, भूमण्डल पे विचरते,
जिस दिन मोक्ष पधारे गौतम, सुधर्मा केवली वरते,
आठ वर्ष प्रमाणजी, पाये मोक्ष निधानजी,
उसी वर्ष में जम्बू पाया, केवलज्ञान मन चायाजी ।
8. वर्ष 44 जम्बू केवली, भारत भू पे विचरते,
सुधर्म पट्टधर जम्बूस्वामी, अन्तिम केवली वरते,
प्रभव स्वयं भव जान जी, यशोभद्र महानजी,
संभूति विजय और भद्रबाहुजी 14 पूर्व पायाजी।
9. दस बोलों का छेद हुआ, जब जम्बू मोक्ष पधारे,
श्रुत केवली भरत में विचरे, भव्यात्मा तारे,
हुए हैं युग प्रधान जी, पाट सताईस महानजी,
21 हजार वर्ष तक चाले, शासन आगम गायाजी ॥
@@thavvathhuimangalam-anodet9035 Thank You So Much ☺️🙏
Hello can you share the lyrics of this song please.
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अनुमोदना अनुमोदना
ये भजन ज्ञान गच्छ से भंवर कंवर जी महाराज साहेब ने लिखा था , आपने अंतिम लाइन से उनका नाम हटाया है ।
@@rajsurana8241
Thank you so much for bringing this to our attention and sharing this valuable information about the bhajan. 🙏
Actually, we were ourselves searching for the original author, as we received the content in its current form and were curious to know who had composed it. We would be extremely grateful if you could kindly share the original version or the lyrics where Bhavarkavarji Maharaj Sahib's name is mentioned. It would help us preserve and honor the true essence of the bhajan.
Once again, thank you for informing us. Your support means a lot to us!
Warm regards,
Alka Daga
Founder, Thavva-Thhui Mangalam
Last line was
ये शासन भंवर ने गाया जी
1985 se pahle ka Bhajan he , mere pas 20 sal pahle meri mummy ka likha hua he .
Any way lovly voice ❤
@@rajsurana8241ज्ञानगच में संतो के नाम से प्रवचन भजन आदि नहीं छपते ना इसलिए भी दिया
You are absolutely right, name hatana pap lagata hai, abhi janke bhi sudhar nahi Kiya to pap ki tivrata bad jave
@@chiragbafna5593 हमारा चैनल हमेशा यह जानने का प्रयास करता है कि भजन या गीत के लेखक कौन हैं, और हम हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं कि लेखक को पूरा श्रेय दिया जाए। हमें गर्व है कि हमारा कंटेंट महान लेखकों की वजह से संजोया गया है, जिनके लेखन से ये सुंदर पंक्तियाँ रची जाती हैं। इस विशेष मामले में, हमें पता नहीं था कि इस भजन की रचना किसने की है। हमें पूज्य भंवरकवरजी महाराज साहेब के प्रति गहरा सम्मान है, और चूँकि वीडियो अब बन चुका है, हम पूरे वीडियो को हटाने में असमर्थ हैं। लेकिन हम निश्चित रूप से क्रेडिट सेक्शन में पूज्य श्री भंवरकवरजी महाराज साहेब का नाम सम्मिलित करेंगे और यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि ‘अन्तिम चौमासा’ जैसी गहन भावनाओं से परिपूर्ण रचना उनके द्वारा रची गई है, जो हमें गहन ज्ञान से लाभान्वित कर रही है।
Yah bhajan Gyan gutch samprday ke pujniya maha sati ji bhanwar Kunwar ji Maharaj Sahab dwara banaya Gaya hai aapane bhajan ki antim line mein se unka Naam Katkar nikal kar galat kara hai baki prastuti acchi hai
"Thank you for bringing this to our attention. When we received this beautiful bhajan, the name of the original writer, Bawar Kavarji Marasaheb, was not provided to us, which is why it was not initially included. At Thavva-Thhui Mangalam Mangalam, we deeply value all creators, and we make every effort to credit the hard work and artistry of each writer. Marasaheb’s contributions are invaluable, and as soon as we learned she authored this bhajan, we promptly updated our description to honor her. You’ll find her name in the very first line of the bhajan description now. We appreciate your passion and support for our work. Jai Jinendra!"
Superb
bahut sundar
bahut sunder
बहुत सुंदर
❤
अति सुंदर