फैसले पर टिपण्णी तो नहीं कर सकता। हां आज कल कुछ जज ऐसे पाए जाते हैं जिन की रुचि धर्म में अधिक होती है, फैसले में भी वह दिखने लगता है। एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए यह गलत है। जज संविधान की व्याख्या के लिए होते हैं, इस लिए संविधान की आत्मा को तो जरूर समझते होंगे। लेकिन उन लोगों की कुछ टिपण्णी इसके विरोध देख कर निराशा होती है।
एक बार सब अपनी आंखों से नफरती चश्मा हटाओ और जरा सोचो - बात ये नहीं है की HC ने जो टिप्पणी की वो मॉरली कैसी थी, क्या लोगों को वास्तव में लगता है कि 1985 के बिहार में भारत का समाज वास्तव में किसी विधवा को मेकअप करने देगा? मैं मानता हूं की ये एक कोर्ट प्रोसिडिंग है, लेकिन हर एक छोटी चीज किसी सबूत से साबित नहीं हो सकती, विवेक नाम की भी कोई चीज होती है । अन्यथा जज की जरूरत ही क्या है, रोबोट/कंप्यूटर बैठा दो फैसला करने के लिए । कंप्यूटर में इनपुट डालो सारे सबूत और एक झटके में फैसला आउटपुट में । फिर 1985 के केस 30 साल तक लटके भी नहीं रहेंगे
Collegium system band karo nhi to aise jatiwadi or rudhiwadi log h sare highcourt or supreme court dono me hi 99% judge aise hi hote h jo log ab samajhne lage h kyu ki ab news tv or mobile me aane lagi h isliye
पंडत जी गिरे धड़ाम और मुँह से निकला हाय राम Pandat ji giray DHADDAAM Aur muh se nikla hai ram Ab zaroori ho gaya hai I was never like this in my life Insaan ki izzat apne hath mein ho Boht ho gayi teri izzat Beemta ni kehne ka tu bkl Sub inspector bandmaster chikk chikk bumm😂🐊🍅 ? बगुला भगत की कहानी अवश्य पढ़ें और पुलिस की कहानी पर कभी विश्वास न करें
Jab Supreme Court CBI jaisi imandari se kam karne wali agency ke khilaf galat bat bolti hai tab supreme court ko nahi lagta ki ham kisi ka Apman kr rahe hai
सारा judge pagal हो गया।
हर संघी
Since 1985 !!!! RIP justice system 🙏
The ingreity of Judges are now in Question ❓ ❓ mark
HC aur district court ke 80% se zyada corrupt aur chindi hote hain professionalism bilkul v nahi...jo staff hai wo ye baat acchi trh jaante hain.
Nepotism junior judge bharti
@@SadiktyagiSadiktyagi-k3j to ky bhimte ko judge bna denge
जब जज RSS के programme में शामिल होगा तो ऐसे विचार मन में उत्पन्न होगा ही।
रिश्तेदारी है क्या जो नाराज़गी दिखा रहे है ।
आपस में इनके पनिशमेंट का रीति रिवाज नही है क्या ।
Judges must understand the human values.
Pandat ji highly caste
सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी करके बात खत्म कर देता है
फैसले पर टिपण्णी तो नहीं कर सकता। हां आज कल कुछ जज ऐसे पाए जाते हैं जिन की रुचि धर्म में अधिक होती है, फैसले में भी वह दिखने लगता है। एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए यह गलत है। जज संविधान की व्याख्या के लिए होते हैं, इस लिए संविधान की आत्मा को तो जरूर समझते होंगे। लेकिन उन लोगों की कुछ टिपण्णी इसके विरोध देख कर निराशा होती है।
एक बार सब अपनी आंखों से नफरती चश्मा हटाओ और जरा सोचो -
बात ये नहीं है की HC ने जो टिप्पणी की वो मॉरली कैसी थी, क्या लोगों को वास्तव में लगता है कि 1985 के बिहार में भारत का समाज वास्तव में किसी विधवा को मेकअप करने देगा?
मैं मानता हूं की ये एक कोर्ट प्रोसिडिंग है, लेकिन हर एक छोटी चीज किसी सबूत से साबित नहीं हो सकती, विवेक नाम की भी कोई चीज होती है । अन्यथा जज की जरूरत ही क्या है, रोबोट/कंप्यूटर बैठा दो फैसला करने के लिए । कंप्यूटर में इनपुट डालो सारे सबूत और एक झटके में फैसला आउटपुट में । फिर 1985 के केस 30 साल तक लटके भी नहीं रहेंगे
Patna hi court not good is bad court
Collegium system band karo nhi to aise jatiwadi or rudhiwadi log h sare highcourt or supreme court dono me hi 99% judge aise hi hote h jo log ab samajhne lage h kyu ki ab news tv or mobile me aane lagi h isliye
पंडत जी गिरे धड़ाम
और मुँह से निकला हाय राम
Pandat ji giray DHADDAAM
Aur muh se nikla hai ram
Ab zaroori ho gaya hai
I was never like this in my life
Insaan ki izzat apne hath mein ho
Boht ho gayi teri izzat
Beemta ni kehne ka tu bkl
Sub inspector bandmaster chikk chikk bumm😂🐊🍅
?
बगुला भगत की कहानी अवश्य पढ़ें और पुलिस की कहानी पर कभी विश्वास न करें
Pandat chala jung pe
😮
Jab Supreme Court CBI jaisi imandari se kam karne wali agency ke khilaf galat bat bolti hai tab supreme court ko nahi lagta ki ham kisi ka Apman kr rahe hai
Supreme court jab galat tippri karta hai. Tab kya