🙏🏻नमस्कारः 🙏🏻 प्रणाम 🙏🏻
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- Опубликовано: 29 ноя 2024
- कहाँ गईं वो किताबों की बातें,
ख्वाबों ने तोड़ दीं नींदों की रातें।
हर पन्ना जलता है, हर शब्द रोता है,
दिल पूछे बस, मंज़िल कहाँ है?
सारी दुनिया से लड़कर, जो खड़ा था यहाँ,
आज खुद से हार के, ये सवाल है वहाँ।
कभी मां की ममता, कभी बाप का सहारा,
अब वो साए भी लगते हैं दुबारा।
जो दिन थे रंगीन, अब हैं बेरंग से,
खुशियों की स्याही, खो गई जंग से।
कहाँ गईं वो किताबों की बातें,
ख्वाबों ने तोड़ दीं नींदों की रातें।
हर पन्ना जलता है, हर शब्द रोता है,
दिल पूछे बस, मंज़िल कहाँ है?
क्लास की खामोशी, और दोस्तों की हंसी,
अब दोनों ही लगते हैं अधूरे किसी।
पढ़ाई का दबाव, और सपनों का बोझ,
हर सुबह बस, एक दर्द का रोज़।
राहें ये पत्थर सी, मंज़र भी धुंधला है,
क्या ये सब संघर्ष, मेरी किस्मत का हिस्सा है?
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