Jata shanker temple- जहां शिवजी की जटाओं में बहती है गंगा

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • Jata shanker temple- जहां शिवजी की जटाओं में बहती है गंगा
    भक्तों, भगवान् भोलेनाथ को समर्पित जटाशंकर धाम मध्य प्रदेश राज्य के बुन्देलखण्ड के छतरपुर जिला के अंतर्गत बिजावर तहसील से मात्र 15 किलो मीटर की दूर और छतरपुर से 50 किलो मीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ एक प्राचीन मंदिर है। खूबसूरत शीतल झरनों, पहाड़ियों एवं पेंड़ पौधों से सुशोभित प्रकृति की गोद में स्थित महादेव का यह स्थान बहुत ही मनमोहक एवं सैकड़ो वर्षों से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. पहाड़ों के बीच स्थित इस मंदिर में पहुँचने के लिए श्रधालुओं को बहुत ऊँची सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है इस मंदिर का आकर्षण है यहाँ स्थित गौमुख से निकलने वाली पानी की धरा से निरंतर भोलेनाथ का जलाअभिषेक होता रहता है. बुंदेलखंड के केदारनाथ के रूप में विख्यात इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है की यहाँ विराजित महादेव का स्वरुप स्वयंभू हैं.
    मंदिर परिसर:
    भक्तों, जटाशंकर धाम सिर्फ धार्मिक रूप से ही नहीं पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत ही मनमोहक स्थल है. मंदिर के रास्ते में चारों और लगे सागौन के पेंड़ एवं खूबसूरत शीतल झरनों को छू कर आने वाली वायु श्रधालुओं की थकान दूर कर उन्हें सुखद एहसास देती है. भक्त मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले यहाँ समीप में ही स्थित भोग प्रसाद, फूल-फल, पूजा सामग्री की दुकानों से पूजा का सामान खरीदकर मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं...परिसर व इसके आस पास बंदरों की अच्छी खासी फ़ौज आपको देखने को मिलेगी अतः आप सावधानीपूर्वक भोग प्रसाद की सामग्री को लेकर आगे बढे.
    जटाशंकर धाम के मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही सामने आपको नंदी जी के साथ शिव जी की विशाल प्रतिमा के दर्शन होते है | इस प्रतिमा के नीचे बहुत से देवी देवताओं के छोटे छोटे मंदिर विद्धमान है | जहाँ भक्तगण दर्शन करते हैं.. इसके समीप ही एक बहुत बड़ा धर्मशाला है ,जहा पर समय समय पर भजन कीर्तन का आयोजन होता रहता है | फिर श्रद्धालु मंदिर में पहुंचने के लिए सैकड़ो सीढ़ियों से चढ़ कर ऊपर जाते है| वैसे मंदिर तक पहुँचने के दो रास्ते हैं एक रास्ते से कई सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है और दूसरे रास्ते से सीढ़ियों को उतरकर मंदिर पहुंचना होता है. जहाँ से प्रकृति का बहुत सुन्दर नजारा देखने को मिल जाता है
    बारिश के मौसम में पहाड़ों में कई झरने बन जाने से कभी कभी भरी मात्रा में पानी सीढ़ियों पर कल कल के बहने लगता है | उस समय यहाँ का दृश्य बहुत सुन्दर होता है।
    मंदिर का मुख्य द्वार पर बहुत खूबसूरत रंगीन कलाकारी की गयी है जिससे अंदर प्रवेश करते ही एक विशाल बरामदा है जहाँ भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है तथा साथ ही मुंडन, छेदन, शिवलिंग पूजन इत्यादि धार्मिक आयोजन देखने को मिलते हैं प्रांगण में राधा कृष्णा का भी मंदिर हैं और इनके अतिरिक्त दुसरे अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर हैं. तथा यहाँ बनी लोहे की कई रेलिंग में से लोग पंक्तियों में आगे बढ़ते हैं. और अंदर कुंडों में स्नान ध्यान के बाद मंदिर के गर्भग्रह में जटाशंकर महादेव का दर्शन पूजन करते हैं...जहाँ पर बहुत से घंटे बंधे हुए देखने को मिलते हैं.. यहीं पर एक हवनकुंड भी है जहाँ पर धुना जलता रहता है. श्रद्धालु इस धूने की राख लेकर घर जाते हैं कहते हैं इस भभूत को लगाने से हर प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. हर तरफ बम बम भोले के जयघोष के साथ पूरा वातावरण पवित्र एवं मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है.
    चमत्कारी जलकुंड:
    भक्तों, जटाशंकर महादेव अपने स्वयंभू होने के साथ - साथ इस मंदिर में स्थित चमत्कारिक प्राचीन तीन जल कुंडों की वजह से यहाँ आने वाले भक्तों के बीच मजबूत आस्था का केंद्र माना जाता है. जटाशंकर धाम में स्थित जल कुंडों का जल कभी न ख़त्म होता है और न खराब होता है.. आश्चर्य की बात यह है की इनका पानी हमेशा मौसम के तापमान के विपरीत पाया जाता हैं। सर्दी में कुंड का पानी गर्म और गर्मियों में यह पानी स्वतः ही ठंडा रहता है. कई बार वैज्ञानिकों की टीम ने भी इसके रहस्‍य को जानने की कोशिश की मगर नतीजा सिफर ही निकला। लोगो की मान्यताओं एवं आस्था के अनुसार इन जल कुंडों में स्नान करने से सभी प्रकार की रोग बाधाएं दूर हो जाती हैं। श्रद्धालु इस जल को अपने साथ घर भी ले जाते हैं।
    भक्तों यहाँ स्थित इन जल कुंडों में स्नान करने का एक अनूठा तरीका है सबसे पहले कुंड में पीठ के बल लेट कर स्नान किया जाता है। इसके बाद दूसरे चरण में मंदिर में मौजूद बड़े से झरने के नीचे स्नान करते है , क्योकि झरने के जल में पहाडों पर मौजूद सैकडों जड़ी बूटी और औषधीय तत्वों वाला जल शरीर की आंतरिक शुद्धि करता है।
    तृतीय चरण में मंदिर के पास बने छोटे छोटे कुंडों से जल निकल कर बारी बारी से स्नान करते है | इस तरह तृतीय ,चतुर्थ ,और पंचम स्नान पूर्ण हो जाता है। इसके बाद भक्तगण जटाशंकर महादेव के दर्शन को आगे बढ़ते है।
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