اللهم ارزقنا صلاة الفجر في المسجد الحرام والمسجد النبوي الشريف وصلي الله وسلم وبارك على سيدنا ونبينا وحبيبنا محمد وعلى اله وصحبه اجمعين والطواف في المسجد الحرام
32:1 الم. 32:2 بلاشبہ اس کتاب کا اتارنا تمام جہانوں کے پروردگار کی طرف سے ہے. 32:3 کیا یہ کہتے ہیں کہ اس نے اسے گھڑ لیا ہے۔ (نہیں نہیں) بلکہ یہ تیرے رب تعالیٰ کی طرف سے حق ہے تاکہ آپ انہیں ڈرائیں جن کے پاس آپ سے پہلے کوئی ڈرانے واﻻ نہیں آیا۔ تاکہ وه راه راست پر آجائیں. 32:4 اللہ تعالیٰ وه ہے جس نے آسمان وزمین کو اور جو کچھ ان کے درمیان ہے سب کو چھ دن میں پیدا کر دیا پھر عرش پر قائم ہوا، تمہارے لئے اس کے سوا کوئی مددگار اور سفارشی نہیں۔ کیا پھر بھی تم نصیحت حاصل نہیں کرتے. 32:5 وه آسمان سے لے کر زمین تک (ہر) کام کی تدبیر کرتا ہے۔ پھر (وه کام) ایک ایسے دن میں اس کی طرف چڑھ جاتا ہے جس کا اندازه تمہاری گنتی کے ایک ہزار سال کے برابر ہے. 32:6 یہی ہے چھپے کھلے کا جاننے واﻻ، زبردست غالب بہت ہی مہربان. 32:7 جس نے نہایت خوب بنائی جو چیز بھی بنائی اور انسان کی بناوٹ مٹی سے شروع کی. 32:8 پھر اس کی نسل ایک بے وقعت پانی کے نچوڑ سے چلائی. 32:9 جسے ٹھیک ٹھاک کر کے اس میں اپنی روح پھونکی، اسی نے تمہارے کان آنکھیں اور دل بنائے (اس پر بھی) تم بہت ہی تھوڑا احسان مانتے ہو. 32:10 انہوں نے کہا کیا جب ہم زمین میں مل جائیں گے کیا پھر نئی پیدائش میں آجائیں گے؟ بلکہ (بات یہ ہے) کہ وه لوگ اپنے پروردگار کی ملاقات کے منکر ہیں. 32:11 کہہ دیجئے! کہ تمہیں موت کا فرشتہ فوت کرے گا جو تم پر مقرر کیا گیا ہے. پھر تم سب اپنے پروردگار کی طرف لوٹائے جاؤ گے. 32:12 کاش کہ آپ دیکھتے جب کہ گناه گار لوگ اپنے رب تعالیٰ کے سامنے سر جھکائے ہوئے ہوں گے، کہیں گے اے ہمارے رب! ہم نے دیکھ لیا اور سن لیا اب تو ہمیں واپس لوٹا دے ہم نیک اعمال کریں گے ہم یقین کرنے والے ہیں. 32:13 اگر ہم چاہتے تو ہر شخص کو ہدایت نصیب فرما دیتے، لیکن میری یہ بات بالکل حق ہو چکی ہے کہ میں ضرور ضرور جہنم کو انسانوں اور جنوں سے پر کردوں گا. 32:14 اب تم اپنے اس دن کی ملاقات کے فراموش کر دینے کا مزه چکھو، ہم نے بھی تمہیں بھلا دیا اور اپنے کیے ہوئے اعمال (کی شامت) سے ابدی عذاب کا مزه چکھو. 32:15 ہماری آیتوں پر وہی ایمان ﻻتے ہیں جنہیں جب کبھی ان سے نصیحت کی جاتی ہے تو وه سجدے میں گر پڑتے ہیں اور اپنے رب کی حمد کے ساتھ اس کی تسبیح پڑھتے ہیں اور تکبر نہیں کرتے ہیں. 32:16 ان کی کروٹیں اپنے بستروں سے الگ رہتی ہیں اپنے رب کو خوف اور امید کے ساتھ پکارتے ہیں اور جو کچھ ہم نے انہیں دے رکھا ہے وه خرچ کرتے ہیں. 32:17 کوئی نفس نہیں جانتا جو کچھ ہم نے ان کی آنکھوں کی ٹھنڈک ان کے لئے پوشیده کر رکھی ہے، جو کچھ کرتے تھے یہ اس کا بدلہ ہے. 32:18 کیا وه جو مومن ہو مثل اس کے ہے جو فاسق ہو؟ یہ برابر نہیں ہو سکتے. 32:19 جن لوگوں نے ایمان قبول کیا اور نیک اعمال بھی کیے ان کے لئے ہمیشگی والی جنتیں ہیں، مہمانداری ہے ان کے اعمال کے بدلے جو وه کرتے تھے. 32:20 لیکن جن لوگوں نے حکم عدولی کی ان کا ٹھکانا دوزخ ہے۔ جب کبھی اس سے باہر نکلنا چاہیں گے اسی میں لوٹا دیئے جائیں گے۔ اور کہہ دیا جائے گا کہ اپنے جھٹلانے کے بدلے آگ کا عذاب چکھو. 32:21 بالیقین ہم انہیں قریب کے چھوٹے سے بعض عذاب اس بڑے عذاب کے سوا چکھائیں گے تاکہ وه لوٹ آئیں. 32:22 اس سے بڑھ کر ﻇالم کون ہے جسے اللہ تعالیٰ کی آیتوں سے وعﻆ کیا گیا پھر بھی اس نے ان سے منھ پھیر لیا، (یقین مانو) کہ ہم بھی گناه گاروں سے انتقام لینے والے ہیں. 32:23 بیشک ہم نے موسیٰ کو کتاب دی، پس آپ کو ہرگز اس کی ملاقات میں شک نہ کرنا چاہئے اور ہم نے اسے بنی اسرائیل کی ہدایت کا ذریعہ بنایا. 32:24 اور جب ان لوگوں نے صبر کیا تو ہم نے ان میں سے ایسے پیشوا بنائے جو ہمارے حکم سے لوگوں کو ہدایت کرتے تھے، اور وه ہماری آیتوں پر یقین رکھتے تھے. 32:25 آپ کا رب ان (سب) کے درمیان ان (تمام) باتوں کا فیصلہ قیامت کے دن کرے گا جن میں وه اختلاف کر رہے ہیں. 32:26 کیا اس بات نے بھی انہیں ہدایت نہیں دی کہ ہم نے ان سے پہلے بہت سی امتوں کو ہلاک کر دیا جن کے مکانوں میں یہ چل پھر رہے ہیں۔ اس میں تو (بڑی) بڑی نشانیاں ہیں۔ کیا پھر بھی یہ نہیں سنتے؟ 32:27 کیا یہ نہیں دیکھتے کہ ہم پانی کو بنجر (غیر آباد) زمین کی طرف بہا کر لے جاتے ہیں پھر اس سے ہم کھیتیاں نکالتے ہیں جسے ان کے چوپائے اور یہ خود کھاتے ہیں، کیا پھر بھی یہ نہیں دیکھتے؟ 32:28 اور کہتے ہیں کہ یہ فیصلہ کب ہوگا؟ اگر تم سچے ہو (تو بتلاؤ). 32:29 جواب دے دو کہ فیصلے والے دن ایمان ﻻنا بے ایمانوں کو کچھ کام نہ آئے گا اور نہ انہیں ڈھیل دی جائے گی. 32:30 اب آپ ان کا خیال چھوڑ دیں اور منتظر رہیں۔ یہ بھی منتظر ہیں.
32:1 अलिफ़, लाम, मीम। 32:2 इस पुस्तक का अवतरण, जिसमें कोई संदेह नहीं, पूरे संसार के पालनहार की ओर से है। 32:3 क्या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वही आपके पालनहार की ओर से सत्य है, ताकि आप उन लोगों को सावधान करें, जिनके पास आपसे पहले कोई सावधान करने वाला नहीं आया। ताकि वे सीधी राह पर आ जाएँ। 32:4 अल्लाह वह है, जिसने आकाशों तथा धरती तथा उन दोनों के बीच मौजूद सारी चीज़ों को छः दिनों में पैदा किया। फिर वह अर्श पर मुस्तवी (बुलंद) हुआ। उसके सिवा तुम्हारा न कोई संरक्षक है और न कोई सिफ़ारिश करने वाला। तो क्या तुम उपदेश ग्रहण नहीं करते? 32:5 वह आकाश से धरती तक (प्रत्येक) कार्य का प्रबंध करता है। फिर वह (कार्य) उसकी ओर एक ऐसे दिन में ऊपर जाता है, जिसकी मात्रा तुम्हारे हिसाब के अनुसार एक हज़ार वर्ष है। 32:6 वही परोक्ष और प्रत्यक्ष का जानने वाला, अत्यंत प्रभुत्वशाली, अति दयावान है। 32:7 जिसने अच्छा बनाया हर चीज़ को जो उसने पैदा की और उसने मनुष्य की रचना मिट्टी से शुरू की। 32:8 फिर उसके वंश को एक तुच्छ पानी के निचोड़ (वीर्य) से बनाया। 32:9 फिर उसे ठीक-ठाक किया, और उसमें अपनी एक आत्मा (प्राण) फूँकी, तथा तुम्हारे लिए कान और आँखें तथा दिल बनाए। तुम बहुत कम ही शुक्र करते हो। 32:10 तथा उन्होंने कहा : क्या जब हम धरती में खो जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में नए सिरे से पैदा किए जाएँगे? बल्कि वे अपने पालनहार से मिलने का इनकार करने वाले लोग हैं। 32:11 आप कह दें कि मौत का फ़रिश्ता तुम्हारे प्राण निकाल लेगा, जो तुमपर नियुक्त किया गया है, फिर तुम अपने पालनहार ही की ओर लौटाए जाओगे। 32:12 और यदि आप देखें, जब अपराधी लोग अपने पालनहार के सामने अपने सिर झुकाए (खड़े) होंगे। (वे कहेंगे :) ऐ हमारे पालनहार! हमने देख लिया और सुन लिया। अतः हमें (दुनिया में) वापस भेज दे कि हम अच्छे कार्य करें। निःसंदेह हम विश्वास करने वाले हैं। 32:13 और यदि हम चाहते, तो प्रत्येक प्राणी को उसका मार्गदर्शन प्रदान कर देते। लेकिन मेरी ओर से बात प्रमाणित (निश्चित) हो चुकी कि मैं जहन्नम को जिन्नों तथा इनसानों, सबसे से ज़रूर भरूँगा। 32:14 तो (अब यातना) चखो, इस कारण कि तुमने अपने इस दिन के मिलने को भुला दिया। निःसंदेह हमने तुम्हें भुला दिया। और जो तुम किया करते थे उसके कारण शाश्वत यातना का मज़ा चखो। 32:15 हमारी आयतों पर तो केवल वही लोग ईमान लाते हैं कि जब उन्हें उन (आयतों) के साथ नसीहत की जाती है, तो वे सजदा करते हुए गिर जाते हैं, और अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करते हैं, और वे अभिमान नहीं करते।
32:16 उनके पहलू बिस्तरों से अलग रहते हैं। वे अपने पालनहार को भय तथा आशा के साथ पुकारते हैं। तथा हमने जो कुछ उन्हें प्रदान किया है, उसमें से खर्च करते हैं। 32:17 तो कोई प्राणी नहीं जानता कि उनके लिए आँखों की ठंढक में से क्या कुछ छिपाकर रखा गया है, उसके बदले के तौर पर, जो वे (दुनिया में) किया करते थे। 32:18 तो क्या वह व्यक्ति जो ईमान वाला हो, वह उसके समान है, जो अवज्ञाकारी हो? वे समान नहीं हो सकते। 32:19 लेकिन जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, तो उनके लिए रहने के बाग़ हैं, उन कार्यों के बदले में आतिथ्य स्वरूप, जो वे किया करते थे। 32:20 और रहे वे लोग, जिन्होंने अवज्ञा की, तो उनका ठिकाना आग है। जब भी वे उससे निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे, तथा उनसे कहा जाएगा कि उस आग की यातना चखो, जिसे तुम झुठलाया करते थे। 32:21 और निश्चय हम उन्हें (आख़िरत की) सबसे बड़ी यातना से पहले (दुनिया की) निकटतम यातना अवश्य चखाएँगे, ताकि वे पलट आएँ। 32:22 और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसे उसके पालनहार की आयतों द्वारा नसीहत की गई, फिर वह उनसे विमुख हो गया। निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेने वाले हैं। 32:23 तथा निःसंदेह हमने मूसा को पुस्तक प्रदान की। तो आप उससे मिलने के बारे में किसी संदेह में न रहें। तथा हमने उस (तौरात) को इसराईल की संतान के लिए मार्गदर्शन बनाया। 32:24 और हमने उनमें से कई अगुवे (इमाम) बनाए, जो हमारे आदेश से मार्गदर्शन करते थे, जब उन्होंने धैर्य से काम लिया, तथा वे हमारी आयतों पर विश्वास करते थे। 32:25 निःसंदेह आपका पालनहार ही क़ियामत के दिन उनके बीच उस बारे में निर्णय करेगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे। 32:26 और क्या उनके लिए यह स्पष्ट नहीं हुआ कि हमने उनसे पहले कितने ही समुदायों को विनष्ट कर दिया, जिनके रहने-सहने की जगहों में वे चलते-फिरते हैं? निश्चय इसमें बहुत-सी निशानियाँ (शिक्षाएँ) हैं। तो क्या वे सुनते नहीं? 32:27 और क्या उन्होंने नहीं देखा कि हम पानी को सूखी (बंजर) भूमि की ओर बहा ले जाते हैं, फिर हम उसके द्वारा खेती निकालते हैं, जिसमें से उनके चौपाये तथा वे स्वयं भी खाते हैं। तो क्या वे देखते नहीं? 32:28 तथा वे कहते हैं : यह निर्णय कब होगा, यदि तुम सच्चे हो? 32:29 आप कह दें : निर्णय के दिन काफ़िरों को उनका ईमान लाना लाभ नहीं देगा और न उन्हें मोहलत दी जाएगी। 32:30 अतः आप उनसे मुँह फेर लें तथा प्रतीक्षा करें। निश्चय वे (भी) प्रतीक्षा करने वाले हैं।
32:1 Alif, Lām, Meem. 32:2 [This is] the revelation of the Book about which there is no doubt from the Lord of the worlds. 32:3 Or do they say, "He invented it"? Rather, it is the truth from your Lord, [O Muḥammad], that you may warn a people to whom no warner has come before you [so] perhaps they will be guided. 32:4 It is Allāh who created the heavens and the earth and whatever is between them in six days; then He established Himself above the Throne. You have not besides Him any protector or any intercessor; so will you not be reminded? 32:5 He arranges [each] matter from the heaven to the earth; then it will ascend to Him in a Day, the extent of which is a thousand years of those which you count. 32:6 That is the Knower of the unseen and the witnessed, the Exalted in Might, the Merciful, 32:7 Who perfected everything which He created and began the creation of man from clay. 32:8 Then He made his posterity out of the extract of a liquid disdained. 32:9 Then He proportioned him and breathed into him from His [created] soul and made for you hearing and vision and hearts [i.e., intellect]; little are you grateful. 32:10 And they say, "When we are lost [i.e., disintegrated] within the earth, will we indeed be [recreated] in a new creation?" Rather, they are, in the meeting with their Lord, disbelievers. 32:11 Say, "The angel of death who has been entrusted with you will take you. Then to your Lord you will be returned." 32:12 If you could but see when the criminals are hanging their heads before their Lord, [saying], "Our Lord, we have seen and heard, so return us [to the world]; we will work righteousness. Indeed, we are [now] certain." 32:13 And if We had willed, We could have given every soul its guidance, but the word from Me will come into effect [that] "I will surely fill Hell with jinn and people all together. 32:14 So taste [punishment] because you forgot the meeting of this, your Day; indeed, We have [accordingly] forgotten you. And taste the punishment of eternity for what you used to do." 32:15 Only those believe in Our verses who, when they are reminded by them, fall down in prostration and exalt [Allāh] with praise of their Lord, and they are not arrogant. 32:16 Their sides part [i.e., they arise] from [their] beds; they supplicate their Lord in fear and aspiration, and from what We have provided them, they spend. 32:17 And no soul knows what has been hidden for them of comfort for eyes [i.e., satisfaction] as reward for what they used to do. 32:18 Then is one who was a believer like one who was defiantly disobedient? They are not equal. 32:19 As for those who believed and did righteous deeds, for them will be the Gardens of Refuge as accommodation for what they used to do. 32:20 But as for those who defiantly disobeyed, their refuge is the Fire. Every time they wish to emerge from it, they will be returned to it while it is said to them, "Taste the punishment of the Fire which you used to deny." 32:21 And We will surely let them taste the nearer punishment short of the greater punishment that perhaps they will return [i.e., repent]. 32:22 And who is more unjust than one who is reminded of the verses of his Lord; then he turns away from them? Indeed We, from the criminals, will take retribution. 32:23 And We certainly gave Moses the Scripture, so do not be in doubt over his meeting. And We made it [i.e., the Torah] guidance for the Children of Israel. 32:24 And We made from among them leaders guiding by Our command when they were patient and [when] they were certain of Our signs. 32:25 Indeed, your Lord will judge between them on the Day of Resurrection concerning that over which they used to differ. 32:26 Has it not become clear to them how many generations We destroyed before them, [as] they walk among their dwellings? Indeed in that are signs; then do they not hear? 32:27 Have they not seen that We drive water [in clouds] to barren land and bring forth thereby crops from which their livestock eat and [they] themselves? Then do they not see? 32:28 And they say, "When will be this conquest, if you should be truthful?" 32:29 Say, [O Muḥammad], "On the Day of Conquest the belief of those who had disbelieved will not benefit them, nor will they be reprieved." 32:30 So turn away from them and wait. Indeed, they are waiting.
يارب الاسبوع اللي بيجي يصلي ماهر المعيقلي اشتقنا لقراءتو وصوتو
موجود في صلاة العشاء له ٢اسابيع
الفجر مع الشيخ عبدالله عواد الجهني روعه
اللهم ارزقنا صلاة الفجر في المسجد الحرام والمسجد النبوي الشريف وصلي الله وسلم وبارك على سيدنا ونبينا وحبيبنا محمد وعلى اله وصحبه اجمعين والطواف في المسجد الحرام
انا الحمدلله صليت صلاة الفجر بالحرم المكي بالصلاة هذي
ماشاءالله
ماشاءالله تبارك الله حفظكم الله
سبحان من وهبك هذا الصوت الجميل حفطك الله يا رب واطال عمرك
جزى الله الشيخ عبد الله عواد الجهني خيرا
مشاء الله تبارك الرحمان❤❤
ما شاء الاه عليك حفظك الله
لا إله الا الله محمدا رسول الله ❤
ما شاء الله عليك حفظك الله
سبحان الله الحمد لله لا آله إلا الله الله اكبر
اللهم صل وسلم وبارك على نبينا محمد
32:1
الٓمٓ ١
32:2
تَنزِيلُ ٱلْكِتَـٰبِ لَا رَيْبَ فِيهِ مِن رَّبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ ٢
32:3
أَمْ يَقُولُونَ ٱفْتَرَىٰهُ ۚ بَلْ هُوَ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ لِتُنذِرَ قَوْمًۭا مَّآ أَتَىٰهُم مِّن نَّذِيرٍۢ مِّن قَبْلِكَ لَعَلَّهُمْ يَهْتَدُونَ ٣
32:4
ٱللَّهُ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِى سِتَّةِ أَيَّامٍۢ ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ ۖ مَا لَكُم مِّن دُونِهِۦ مِن وَلِىٍّۢ وَلَا شَفِيعٍ ۚ أَفَلَا تَتَذَكَّرُونَ ٤
32:5
يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ إِلَى ٱلْأَرْضِ ثُمَّ يَعْرُجُ إِلَيْهِ فِى يَوْمٍۢ كَانَ مِقْدَارُهُۥٓ أَلْفَ سَنَةٍۢ مِّمَّا تَعُدُّونَ ٥
32:6
ذَٰلِكَ عَـٰلِمُ ٱلْغَيْبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ٦
32:7
ٱلَّذِىٓ أَحْسَنَ كُلَّ شَىْءٍ خَلَقَهُۥ ۖ وَبَدَأَ خَلْقَ ٱلْإِنسَـٰنِ مِن طِينٍۢ ٧
32:8
ثُمَّ جَعَلَ نَسْلَهُۥ مِن سُلَـٰلَةٍۢ مِّن مَّآءٍۢ مَّهِينٍۢ ٨
32:9
ثُمَّ سَوَّىٰهُ وَنَفَخَ فِيهِ مِن رُّوحِهِۦ ۖ وَجَعَلَ لَكُمُ ٱلسَّمْعَ وَٱلْأَبْصَـٰرَ وَٱلْأَفْـِٔدَةَ ۚ قَلِيلًۭا مَّا تَشْكُرُونَ ٩
32:10
وَقَالُوٓا۟ أَءِذَا ضَلَلْنَا فِى ٱلْأَرْضِ أَءِنَّا لَفِى خَلْقٍۢ جَدِيدٍۭ ۚ بَلْ هُم بِلِقَآءِ رَبِّهِمْ كَـٰفِرُونَ ١٠
32:11
۞ قُلْ يَتَوَفَّىٰكُم مَّلَكُ ٱلْمَوْتِ ٱلَّذِى وُكِّلَ بِكُمْ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّكُمْ تُرْجَعُونَ ١١
32:12
وَلَوْ تَرَىٰٓ إِذِ ٱلْمُجْرِمُونَ نَاكِسُوا۟ رُءُوسِهِمْ عِندَ رَبِّهِمْ رَبَّنَآ أَبْصَرْنَا وَسَمِعْنَا فَٱرْجِعْنَا نَعْمَلْ صَـٰلِحًا إِنَّا مُوقِنُونَ ١٢
32:13
وَلَوْ شِئْنَا لَـَٔاتَيْنَا كُلَّ نَفْسٍ هُدَىٰهَا وَلَـٰكِنْ حَقَّ ٱلْقَوْلُ مِنِّى لَأَمْلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ أَجْمَعِينَ ١٣
32:14
فَذُوقُوا۟ بِمَا نَسِيتُمْ لِقَآءَ يَوْمِكُمْ هَـٰذَآ إِنَّا نَسِينَـٰكُمْ ۖ وَذُوقُوا۟ عَذَابَ ٱلْخُلْدِ بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ ١٤
32:15
إِنَّمَا يُؤْمِنُ بِـَٔايَـٰتِنَا ٱلَّذِينَ إِذَا ذُكِّرُوا۟ بِهَا خَرُّوا۟ سُجَّدًۭا وَسَبَّحُوا۟ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُونَ ۩ ١٥
32:16
تَتَجَافَىٰ جُنُوبُهُمْ عَنِ ٱلْمَضَاجِعِ يَدْعُونَ رَبَّهُمْ خَوْفًۭا وَطَمَعًۭا وَمِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ يُنفِقُونَ ١٦
32:17
فَلَا تَعْلَمُ نَفْسٌۭ مَّآ أُخْفِىَ لَهُم مِّن قُرَّةِ أَعْيُنٍۢ جَزَآءًۢ بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ ١٧
32:18
أَفَمَن كَانَ مُؤْمِنًۭا كَمَن كَانَ فَاسِقًۭا ۚ لَّا يَسْتَوُۥنَ ١٨
32:19
أَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَلَهُمْ جَنَّـٰتُ ٱلْمَأْوَىٰ نُزُلًۢا بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ ١٩
32:20
وَأَمَّا ٱلَّذِينَ فَسَقُوا۟ فَمَأْوَىٰهُمُ ٱلنَّارُ ۖ كُلَّمَآ أَرَادُوٓا۟ أَن يَخْرُجُوا۟ مِنْهَآ أُعِيدُوا۟ فِيهَا وَقِيلَ لَهُمْ ذُوقُوا۟ عَذَابَ ٱلنَّارِ ٱلَّذِى كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ ٢٠
32:21
وَلَنُذِيقَنَّهُم مِّنَ ٱلْعَذَابِ ٱلْأَدْنَىٰ دُونَ ٱلْعَذَابِ ٱلْأَكْبَرِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ ٢١
32:22
وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِۦ ثُمَّ أَعْرَضَ عَنْهَآ ۚ إِنَّا مِنَ ٱلْمُجْرِمِينَ مُنتَقِمُونَ ٢٢
32:23
وَلَقَدْ ءَاتَيْنَا مُوسَى ٱلْكِتَـٰبَ فَلَا تَكُن فِى مِرْيَةٍۢ مِّن لِّقَآئِهِۦ ۖ وَجَعَلْنَـٰهُ هُدًۭى لِّبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٢٣
32:24
وَجَعَلْنَا مِنْهُمْ أَئِمَّةًۭ يَهْدُونَ بِأَمْرِنَا لَمَّا صَبَرُوا۟ ۖ وَكَانُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا يُوقِنُونَ ٢٤
32:25
إِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَفْصِلُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ فِيمَا كَانُوا۟ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ ٢٥
32:26
أَوَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ أَهْلَكْنَا مِن قَبْلِهِم مِّنَ ٱلْقُرُونِ يَمْشُونَ فِى مَسَـٰكِنِهِمْ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍ ۖ أَفَلَا يَسْمَعُونَ ٢٦
32:27
أَوَلَمْ يَرَوْا۟ أَنَّا نَسُوقُ ٱلْمَآءَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلْجُرُزِ فَنُخْرِجُ بِهِۦ زَرْعًۭا تَأْكُلُ مِنْهُ أَنْعَـٰمُهُمْ وَأَنفُسُهُمْ ۖ أَفَلَا يُبْصِرُونَ ٢٧
32:28
وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا ٱلْفَتْحُ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ ٢٨
32:29
قُلْ يَوْمَ ٱلْفَتْحِ لَا يَنفَعُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ إِيمَـٰنُهُمْ وَلَا هُمْ يُنظَرُونَ ٢٩
32:30
فَأَعْرِضْ عَنْهُمْ وَٱنتَظِرْ إِنَّهُم مُّنتَظِرُونَ ٣٠
ربى إنى مغلوب فأنتصر
❤
ما شا ءالله
كنت اصلي هناك هذه الصلاة اللهم اكتبها لكل مسلم
انا كنت هناك بعد ، وقت سجود التلاوة صارت لخبطة عند بعض المصلين يفكروه ركع
@@Abdulaziz_Abdullah انا تلخبطت 🤣
لا اله إلا أنت سبحانك إنى كنت من الظالمين
نريد كله الجهني حفظه الله
لا حول ولا قوة إلا بالله العلى العظيم
وفقك الله
يا صاحب القناة ❤
❤❤
لا حول ولا قوة إلا بالله
32:1
الم.
32:2
بلاشبہ اس کتاب کا اتارنا تمام جہانوں کے پروردگار کی طرف سے ہے.
32:3
کیا یہ کہتے ہیں کہ اس نے اسے گھڑ لیا ہے۔ (نہیں نہیں) بلکہ یہ تیرے رب تعالیٰ کی طرف سے حق ہے تاکہ آپ انہیں ڈرائیں جن کے پاس آپ سے پہلے کوئی ڈرانے واﻻ نہیں آیا۔ تاکہ وه راه راست پر آجائیں.
32:4
اللہ تعالیٰ وه ہے جس نے آسمان وزمین کو اور جو کچھ ان کے درمیان ہے سب کو چھ دن میں پیدا کر دیا پھر عرش پر قائم ہوا، تمہارے لئے اس کے سوا کوئی مددگار اور سفارشی نہیں۔ کیا پھر بھی تم نصیحت حاصل نہیں کرتے.
32:5
وه آسمان سے لے کر زمین تک (ہر) کام کی تدبیر کرتا ہے۔ پھر (وه کام) ایک ایسے دن میں اس کی طرف چڑھ جاتا ہے جس کا اندازه تمہاری گنتی کے ایک ہزار سال کے برابر ہے.
32:6
یہی ہے چھپے کھلے کا جاننے واﻻ، زبردست غالب بہت ہی مہربان.
32:7
جس نے نہایت خوب بنائی جو چیز بھی بنائی اور انسان کی بناوٹ مٹی سے شروع کی.
32:8
پھر اس کی نسل ایک بے وقعت پانی کے نچوڑ سے چلائی.
32:9
جسے ٹھیک ٹھاک کر کے اس میں اپنی روح پھونکی، اسی نے تمہارے کان آنکھیں اور دل بنائے (اس پر بھی) تم بہت ہی تھوڑا احسان مانتے ہو.
32:10
انہوں نے کہا کیا جب ہم زمین میں مل جائیں گے کیا پھر نئی پیدائش میں آجائیں گے؟ بلکہ (بات یہ ہے) کہ وه لوگ اپنے پروردگار کی ملاقات کے منکر ہیں.
32:11
کہہ دیجئے! کہ تمہیں موت کا فرشتہ فوت کرے گا جو تم پر مقرر کیا گیا ہے. پھر تم سب اپنے پروردگار کی طرف لوٹائے جاؤ گے.
32:12
کاش کہ آپ دیکھتے جب کہ گناه گار لوگ اپنے رب تعالیٰ کے سامنے سر جھکائے ہوئے ہوں گے، کہیں گے اے ہمارے رب! ہم نے دیکھ لیا اور سن لیا اب تو ہمیں واپس لوٹا دے ہم نیک اعمال کریں گے ہم یقین کرنے والے ہیں.
32:13
اگر ہم چاہتے تو ہر شخص کو ہدایت نصیب فرما دیتے، لیکن میری یہ بات بالکل حق ہو چکی ہے کہ میں ضرور ضرور جہنم کو انسانوں اور جنوں سے پر کردوں گا.
32:14
اب تم اپنے اس دن کی ملاقات کے فراموش کر دینے کا مزه چکھو، ہم نے بھی تمہیں بھلا دیا اور اپنے کیے ہوئے اعمال (کی شامت) سے ابدی عذاب کا مزه چکھو.
32:15
ہماری آیتوں پر وہی ایمان ﻻتے ہیں جنہیں جب کبھی ان سے نصیحت کی جاتی ہے تو وه سجدے میں گر پڑتے ہیں اور اپنے رب کی حمد کے ساتھ اس کی تسبیح پڑھتے ہیں اور تکبر نہیں کرتے ہیں.
32:16
ان کی کروٹیں اپنے بستروں سے الگ رہتی ہیں اپنے رب کو خوف اور امید کے ساتھ پکارتے ہیں اور جو کچھ ہم نے انہیں دے رکھا ہے وه خرچ کرتے ہیں.
32:17
کوئی نفس نہیں جانتا جو کچھ ہم نے ان کی آنکھوں کی ٹھنڈک ان کے لئے پوشیده کر رکھی ہے، جو کچھ کرتے تھے یہ اس کا بدلہ ہے.
32:18
کیا وه جو مومن ہو مثل اس کے ہے جو فاسق ہو؟ یہ برابر نہیں ہو سکتے.
32:19
جن لوگوں نے ایمان قبول کیا اور نیک اعمال بھی کیے ان کے لئے ہمیشگی والی جنتیں ہیں، مہمانداری ہے ان کے اعمال کے بدلے جو وه کرتے تھے.
32:20
لیکن جن لوگوں نے حکم عدولی کی ان کا ٹھکانا دوزخ ہے۔ جب کبھی اس سے باہر نکلنا چاہیں گے اسی میں لوٹا دیئے جائیں گے۔ اور کہہ دیا جائے گا کہ اپنے جھٹلانے کے بدلے آگ کا عذاب چکھو.
32:21
بالیقین ہم انہیں قریب کے چھوٹے سے بعض عذاب اس بڑے عذاب کے سوا چکھائیں گے تاکہ وه لوٹ آئیں.
32:22
اس سے بڑھ کر ﻇالم کون ہے جسے اللہ تعالیٰ کی آیتوں سے وعﻆ کیا گیا پھر بھی اس نے ان سے منھ پھیر لیا، (یقین مانو) کہ ہم بھی گناه گاروں سے انتقام لینے والے ہیں.
32:23
بیشک ہم نے موسیٰ کو کتاب دی، پس آپ کو ہرگز اس کی ملاقات میں شک نہ کرنا چاہئے اور ہم نے اسے بنی اسرائیل کی ہدایت کا ذریعہ بنایا.
32:24
اور جب ان لوگوں نے صبر کیا تو ہم نے ان میں سے ایسے پیشوا بنائے جو ہمارے حکم سے لوگوں کو ہدایت کرتے تھے، اور وه ہماری آیتوں پر یقین رکھتے تھے.
32:25
آپ کا رب ان (سب) کے درمیان ان (تمام) باتوں کا فیصلہ قیامت کے دن کرے گا جن میں وه اختلاف کر رہے ہیں.
32:26
کیا اس بات نے بھی انہیں ہدایت نہیں دی کہ ہم نے ان سے پہلے بہت سی امتوں کو ہلاک کر دیا جن کے مکانوں میں یہ چل پھر رہے ہیں۔ اس میں تو (بڑی) بڑی نشانیاں ہیں۔ کیا پھر بھی یہ نہیں سنتے؟
32:27
کیا یہ نہیں دیکھتے کہ ہم پانی کو بنجر (غیر آباد) زمین کی طرف بہا کر لے جاتے ہیں پھر اس سے ہم کھیتیاں نکالتے ہیں جسے ان کے چوپائے اور یہ خود کھاتے ہیں، کیا پھر بھی یہ نہیں دیکھتے؟
32:28
اور کہتے ہیں کہ یہ فیصلہ کب ہوگا؟ اگر تم سچے ہو (تو بتلاؤ).
32:29
جواب دے دو کہ فیصلے والے دن ایمان ﻻنا بے ایمانوں کو کچھ کام نہ آئے گا اور نہ انہیں ڈھیل دی جائے گی.
32:30
اب آپ ان کا خیال چھوڑ دیں اور منتظر رہیں۔ یہ بھی منتظر ہیں.
32:1
अलिफ़, लाम, मीम।
32:2
इस पुस्तक का अवतरण, जिसमें कोई संदेह नहीं, पूरे संसार के पालनहार की ओर से है।
32:3
क्या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वही आपके पालनहार की ओर से सत्य है, ताकि आप उन लोगों को सावधान करें, जिनके पास आपसे पहले कोई सावधान करने वाला नहीं आया। ताकि वे सीधी राह पर आ जाएँ।
32:4
अल्लाह वह है, जिसने आकाशों तथा धरती तथा उन दोनों के बीच मौजूद सारी चीज़ों को छः दिनों में पैदा किया। फिर वह अर्श पर मुस्तवी (बुलंद) हुआ। उसके सिवा तुम्हारा न कोई संरक्षक है और न कोई सिफ़ारिश करने वाला। तो क्या तुम उपदेश ग्रहण नहीं करते?
32:5
वह आकाश से धरती तक (प्रत्येक) कार्य का प्रबंध करता है। फिर वह (कार्य) उसकी ओर एक ऐसे दिन में ऊपर जाता है, जिसकी मात्रा तुम्हारे हिसाब के अनुसार एक हज़ार वर्ष है।
32:6
वही परोक्ष और प्रत्यक्ष का जानने वाला, अत्यंत प्रभुत्वशाली, अति दयावान है।
32:7
जिसने अच्छा बनाया हर चीज़ को जो उसने पैदा की और उसने मनुष्य की रचना मिट्टी से शुरू की।
32:8
फिर उसके वंश को एक तुच्छ पानी के निचोड़ (वीर्य) से बनाया।
32:9
फिर उसे ठीक-ठाक किया, और उसमें अपनी एक आत्मा (प्राण) फूँकी, तथा तुम्हारे लिए कान और आँखें तथा दिल बनाए। तुम बहुत कम ही शुक्र करते हो।
32:10
तथा उन्होंने कहा : क्या जब हम धरती में खो जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में नए सिरे से पैदा किए जाएँगे? बल्कि वे अपने पालनहार से मिलने का इनकार करने वाले लोग हैं।
32:11
आप कह दें कि मौत का फ़रिश्ता तुम्हारे प्राण निकाल लेगा, जो तुमपर नियुक्त किया गया है, फिर तुम अपने पालनहार ही की ओर लौटाए जाओगे।
32:12
और यदि आप देखें, जब अपराधी लोग अपने पालनहार के सामने अपने सिर झुकाए (खड़े) होंगे। (वे कहेंगे :) ऐ हमारे पालनहार! हमने देख लिया और सुन लिया। अतः हमें (दुनिया में) वापस भेज दे कि हम अच्छे कार्य करें। निःसंदेह हम विश्वास करने वाले हैं।
32:13
और यदि हम चाहते, तो प्रत्येक प्राणी को उसका मार्गदर्शन प्रदान कर देते। लेकिन मेरी ओर से बात प्रमाणित (निश्चित) हो चुकी कि मैं जहन्नम को जिन्नों तथा इनसानों, सबसे से ज़रूर भरूँगा।
32:14
तो (अब यातना) चखो, इस कारण कि तुमने अपने इस दिन के मिलने को भुला दिया। निःसंदेह हमने तुम्हें भुला दिया। और जो तुम किया करते थे उसके कारण शाश्वत यातना का मज़ा चखो।
32:15
हमारी आयतों पर तो केवल वही लोग ईमान लाते हैं कि जब उन्हें उन (आयतों) के साथ नसीहत की जाती है, तो वे सजदा करते हुए गिर जाते हैं, और अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करते हैं, और वे अभिमान नहीं करते।
32:16
उनके पहलू बिस्तरों से अलग रहते हैं। वे अपने पालनहार को भय तथा आशा के साथ पुकारते हैं। तथा हमने जो कुछ उन्हें प्रदान किया है, उसमें से खर्च करते हैं।
32:17
तो कोई प्राणी नहीं जानता कि उनके लिए आँखों की ठंढक में से क्या कुछ छिपाकर रखा गया है, उसके बदले के तौर पर, जो वे (दुनिया में) किया करते थे।
32:18
तो क्या वह व्यक्ति जो ईमान वाला हो, वह उसके समान है, जो अवज्ञाकारी हो? वे समान नहीं हो सकते।
32:19
लेकिन जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, तो उनके लिए रहने के बाग़ हैं, उन कार्यों के बदले में आतिथ्य स्वरूप, जो वे किया करते थे।
32:20
और रहे वे लोग, जिन्होंने अवज्ञा की, तो उनका ठिकाना आग है। जब भी वे उससे निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे, तथा उनसे कहा जाएगा कि उस आग की यातना चखो, जिसे तुम झुठलाया करते थे।
32:21
और निश्चय हम उन्हें (आख़िरत की) सबसे बड़ी यातना से पहले (दुनिया की) निकटतम यातना अवश्य चखाएँगे, ताकि वे पलट आएँ।
32:22
और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसे उसके पालनहार की आयतों द्वारा नसीहत की गई, फिर वह उनसे विमुख हो गया। निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेने वाले हैं।
32:23
तथा निःसंदेह हमने मूसा को पुस्तक प्रदान की। तो आप उससे मिलने के बारे में किसी संदेह में न रहें। तथा हमने उस (तौरात) को इसराईल की संतान के लिए मार्गदर्शन बनाया।
32:24
और हमने उनमें से कई अगुवे (इमाम) बनाए, जो हमारे आदेश से मार्गदर्शन करते थे, जब उन्होंने धैर्य से काम लिया, तथा वे हमारी आयतों पर विश्वास करते थे।
32:25
निःसंदेह आपका पालनहार ही क़ियामत के दिन उनके बीच उस बारे में निर्णय करेगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे।
32:26
और क्या उनके लिए यह स्पष्ट नहीं हुआ कि हमने उनसे पहले कितने ही समुदायों को विनष्ट कर दिया, जिनके रहने-सहने की जगहों में वे चलते-फिरते हैं? निश्चय इसमें बहुत-सी निशानियाँ (शिक्षाएँ) हैं। तो क्या वे सुनते नहीं?
32:27
और क्या उन्होंने नहीं देखा कि हम पानी को सूखी (बंजर) भूमि की ओर बहा ले जाते हैं, फिर हम उसके द्वारा खेती निकालते हैं, जिसमें से उनके चौपाये तथा वे स्वयं भी खाते हैं। तो क्या वे देखते नहीं?
32:28
तथा वे कहते हैं : यह निर्णय कब होगा, यदि तुम सच्चे हो?
32:29
आप कह दें : निर्णय के दिन काफ़िरों को उनका ईमान लाना लाभ नहीं देगा और न उन्हें मोहलत दी जाएगी।
32:30
अतः आप उनसे मुँह फेर लें तथा प्रतीक्षा करें। निश्चय वे (भी) प्रतीक्षा करने वाले हैं।
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32:1
Alif, Lām, Meem.
32:2
[This is] the revelation of the Book about which there is no doubt from the Lord of the worlds.
32:3
Or do they say, "He invented it"? Rather, it is the truth from your Lord, [O Muḥammad], that you may warn a people to whom no warner has come before you [so] perhaps they will be guided.
32:4
It is Allāh who created the heavens and the earth and whatever is between them in six days; then He established Himself above the Throne. You have not besides Him any protector or any intercessor; so will you not be reminded?
32:5
He arranges [each] matter from the heaven to the earth; then it will ascend to Him in a Day, the extent of which is a thousand years of those which you count.
32:6
That is the Knower of the unseen and the witnessed, the Exalted in Might, the Merciful,
32:7
Who perfected everything which He created and began the creation of man from clay.
32:8
Then He made his posterity out of the extract of a liquid disdained.
32:9
Then He proportioned him and breathed into him from His [created] soul and made for you hearing and vision and hearts [i.e., intellect]; little are you grateful.
32:10
And they say, "When we are lost [i.e., disintegrated] within the earth, will we indeed be [recreated] in a new creation?" Rather, they are, in the meeting with their Lord, disbelievers.
32:11
Say, "The angel of death who has been entrusted with you will take you. Then to your Lord you will be returned."
32:12
If you could but see when the criminals are hanging their heads before their Lord, [saying], "Our Lord, we have seen and heard, so return us [to the world]; we will work righteousness. Indeed, we are [now] certain."
32:13
And if We had willed, We could have given every soul its guidance, but the word from Me will come into effect [that] "I will surely fill Hell with jinn and people all together.
32:14
So taste [punishment] because you forgot the meeting of this, your Day; indeed, We have [accordingly] forgotten you. And taste the punishment of eternity for what you used to do."
32:15
Only those believe in Our verses who, when they are reminded by them, fall down in prostration and exalt [Allāh] with praise of their Lord, and they are not arrogant.
32:16
Their sides part [i.e., they arise] from [their] beds; they supplicate their Lord in fear and aspiration, and from what We have provided them, they spend.
32:17
And no soul knows what has been hidden for them of comfort for eyes [i.e., satisfaction] as reward for what they used to do.
32:18
Then is one who was a believer like one who was defiantly disobedient? They are not equal.
32:19
As for those who believed and did righteous deeds, for them will be the Gardens of Refuge as accommodation for what they used to do.
32:20
But as for those who defiantly disobeyed, their refuge is the Fire. Every time they wish to emerge from it, they will be returned to it while it is said to them, "Taste the punishment of the Fire which you used to deny."
32:21
And We will surely let them taste the nearer punishment short of the greater punishment that perhaps they will return [i.e., repent].
32:22
And who is more unjust than one who is reminded of the verses of his Lord; then he turns away from them? Indeed We, from the criminals, will take retribution.
32:23
And We certainly gave Moses the Scripture, so do not be in doubt over his meeting. And We made it [i.e., the Torah] guidance for the Children of Israel.
32:24
And We made from among them leaders guiding by Our command when they were patient and [when] they were certain of Our signs.
32:25
Indeed, your Lord will judge between them on the Day of Resurrection concerning that over which they used to differ.
32:26
Has it not become clear to them how many generations We destroyed before them, [as] they walk among their dwellings? Indeed in that are signs; then do they not hear?
32:27
Have they not seen that We drive water [in clouds] to barren land and bring forth thereby crops from which their livestock eat and [they] themselves? Then do they not see?
32:28
And they say, "When will be this conquest, if you should be truthful?"
32:29
Say, [O Muḥammad], "On the Day of Conquest the belief of those who had disbelieved will not benefit them, nor will they be reprieved."
32:30
So turn away from them and wait. Indeed, they are waiting.
مشاء الله تبارك الرحمن ❤❤