जल समाधी : स्वामी करपात्रीजी महाराज Part 08 (Last)
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- Опубликовано: 14 окт 2024
- धर्मसम्राट स्वामी करपात्रीजी महाराज भारत के एक सबसे महान साधको में एक थें |उनका मूल नाम हरि नारायण ओझा था। वे दशनामी परम्परा के संन्यासी थे। दीक्षा के उपरान्त उनका नाम 'हरिहरानन्द सरस्वती' हुआ किन्तु वे 'करपात्री' नाम से ही प्रसिद्ध थे क्योंकि वे अपने अंजुलि का उपयोग खाने के बर्तन की तरह करते थे (कर = हाथ , पात्र = बर्तन, करपात्री = हाथ ही बर्तन हैं जिसके) । उन्होने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद नामक राजनैतिक दल भी बनाया था। धर्मशास्त्रों में इनकी अद्वितीय एवं अतुलनीय विद्वता को देखते हुए इन्हें 'धर्मसम्राट' की उपाधि प्रदान की गई।
स्वामी जी की स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि एक बार कोई चीज पढ़ लेने के वर्षों बाद भी बता देते थे कि ये अमुक पुस्तक के अमुक पृष्ठ पर अमुक रूप में लिखा हुआ है। आज जो रामराज्य सम्बन्धी विचार गांधी दर्शन तक में दिखाई देते हैं, धर्म संघ, रामराज्य परिषद्, राममंदिर आन्दोलन, धर्म सापेक्ष राज्य, आदि सभी के मूल में स्वामी जी ही हैं।
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Credit :
Voice: Pankaj (Myself)
#BharatkeMahanyogi #siddhsant #Karpatriji
परम पूज्य महापुरुष भगवान शिवा अवतार गुरुदेव धर्मसमाट भगवान के चरण कमल पर साष्टांग दण्ड वत प्रणाम हर हर महादेव
👌🌷🙏
महाराज श्री के श्री चरणों में अनन्त दण्डवत निवेदित है।
Sita ram sita ram
Param shradhey swami shree karpatriji maharaj ko koti koti Pranam. Prabhu muje aashirvad kare ki jald se jald aatmunnaty ho prabhu ki kripa to hai hi fir bhi prabhu ki anany bhakti mile.
Jaya paramhans ji
जय श्री कृष्ण।
जय हर हर महादैव जी ❤
jai jai shri sitaram ji
Jai Radhamadhav 🙏🙏🙏
श्री सीता राम
श्री सीताराम
जय श्री राम
राम राम राम
जल समाधि