मेरा भी पैसा डूब गया है उधार दिया था, मांगने पर उसने बुरा व्यवहार किया था और घर गया तो उसकी पत्नी ने लठ दिखाया तो चेक बाउंस कराके केस दर्ज किया है और तारिक पे तारिक चल रही है,, धन्य है भारत माता का कानून
Kabhi bhi paisa do to cheque ke sath video banao aur cheque hamesa uske ghar ki kisi mahila jaise Maa bahen biwi ke Naam Ki lo aur jo pen use kiya ho likhte time vo pen safe rakho jb tk paisa mil na jaye
इस फैसले के बाद तो धोखाधड़ी करने वालों कि चांदी हो जायेगा। धन्य है वो जज साहेब जिसने धोखाधड़ी करने वालों कि चांदी कर दी। अब कोई भी किसी जरूरत मंद को चेक के बिना पर कोई भी लेन देन नहीं करेगा।
म्यूचुअल सहमति तो एग्रीमेंट के वक्त ही हो जाती है जब चैक देता ही इसलिए है। ये क्या फैसला देते हैं,इसे चैलेंज करना चाहिए ऊपरी अदालत में,ऐसे तो चेक की कोई वैल्यू नहीं रहेगी।
कोर्ट का यह फैसला कर्जदार के पक्ष में बहुत ही चमत्कारी है क्योंकि अधिकांश कर्जदार उधार लिए गए धन को चुकाना नहीं चाहते हैं तो वह चेक भुगतान की दिनांक और समय पर अपनी सहमति क्यों देगा। इस फैसले से क़र्ज़ देने वाली संस्था को क़र्ज़ वसूली में बहुत अधिक कष्ट होगा।
भाई सुप्रीम कोर्ट अलग कहता है हायकोर्ट अलग कहता है कीसपर भरोसा करे सुप्रीमो कोन है सुप्रीम कोर्ट या हायकोर्ट कन्फ्युजन कन्फ्युजन कन्फ्युजन वकीलोने क्या करना चाहिये क्रमश......
जो बेगर तारीख के चेक दे रहा है उसका कोई कसूर नहीं वो ती साहूकार बन गया ।उसकी भी ती सहमति हे। तभी तो वह undated चेक दे रहा है। जज ने undated चेक दे रखे हे। जिससे भुगतान नहीं करना पड़े
दुबे जी वहीं से बैठकर बता दिए दूसरी चेक मिल जाएगी ? एकाध बार चल चलते पार्टियों से चेक दिलवाने के लिए जब चेक की वैलिडिटी खत्म हो जाती है। दुबे जी कह रहे हैं 3 महीने तक पैसा नहीं देगा तो दूसरी चेक ले लीजिए और उसकी सहमति से डेट डलवा कर चेक लगाइए ऐसे जिंदगी में कभी चेक नहीं लगता जिंदगी भर टहलते रहिएगा
सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट है जिसमें उन्होंने कहा है कि सिर्फ सिग्नेचर महत्त्व रखते हैं तो क्या हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से बड़ी हो गई आप में सिग्नेचर करके अगर कोई चेक दे दिया है मन अब आप लोगों को आज कर दिया है
इन्स्टूमैंट एक्ट एक फ्राड कानून है, जो चीटर को ही मौका प्रदान करता है। हां एक बात समझ में आई कि किसी को भी किसी हालात में उधार ना दें क्योंकि कानून ही उसकी मदद करता है। फैसला आने में दशक या दशकों लग सकते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, धन्यवाद, लेकिन हमारे देश में यह बीमारी पुरानी ही है, अभी पठानों की जगह फायनांस कंपनी ने ली है, मुझे लगा देश को अच्छे दिन आने के बाद यह बीमारी खत्म होगी, ___वैसे ही १९८० दरम्यान खाने पीने से लोग सुखी हो गए, लेकिन यह थोड़े दिन के लिए रहा__(क्या गड़बड़ी है)____
नहीं ऐसा नहीं है।केवल हस्ताक्षर करने वाला चेक बैंक से इश्यू हीं क्यों कराता है। इसका अर्थ है केवल हस्ताक्षर करने वाला निश्चित रूप से दूसरों से चेक भरा कर अपने खाता से रुपया निकालता है। बैंक चेक पर हस्ताक्षर को हीं जांच करता है। चेक किसके द्वारा भरा गया इससे बैंक को कोई मतलब नहीं है। बहुत से लोग पढ़ा लिखा नहीं है फिर भी बैंक ग्राहक को एटीएम कार्ड और चेक देता है।
5 से 10 लोग को व्याज का लालच देके पैसे लेने वाला गुनेगार या देने वाला गुनेगार ? पैसे देने वाला जबरजस्ती पैसा देता नहीं लेने वाला हाथ जोड़ के ब्याज की लालच देके कई लोगो से पैसा लेता है ।
सभी भाईयों को ये भी जानकारी होनी चाहिए कि नोटबंधी के बाद पुराने चेक सभी बैंकों के रद्द कर दिए गए थे उसके बाद नई चेकबुक जारी कि गई थी उन पुराने चेको की कोई वेल्यू नहीं रही अब अगर ये चेक लगाते भी हैं तो सिस्टम स्वीकार नहीं करेगा बाउंस कैसे होगा क्यों आप देखना नए चेक में एक काली पट्टी लाइट होती है उसमे बारकोट नंबर भी होते हैं ये नियम सबके लिए लागू होते हैं आपके पास अगर पुराना चेक पड़ा है भर कर लेजाओ बैंक नहीं लेगा बोलेगा नया चेक लेकर आओ ये चेक पुराना है रद्द कर दिए गए ये चेक????
Very good judgement. लोन देने वाली कम्पनी अपने हिसाब से चार्ज ले लेती है और उसका कैलकुलेशन भी नही बताती। बाद में दिया हुआ चेक पर तारीख डाल कर पैसे काट लेती है। आम आदमी उस पर कुछ करता भी नहीं। अगर पैसे की इतनी पड़ी है तो डेट डलवा दो ना। उस तारीख को निकाल लेना। दोनो को पता रहेगा की इस तारीख को पैसे बैंक से निकलेंगे। वेरी गुड कोर्ट। इस एक्ट में सुधार कर के चेक अल्टरेशन करने वाले को ही जेल में डाल देना चाहिए।
It is radiculous law. If one has to follow such law it will be impossible to secure your payment. Why is is not mendetory for issuer to give new cheque. Issuer knows that he has given cheque towards his obligations. All laws are in favour of criminals.
@@jigyasuarun1729 इस संबंध माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा न्याय दृष्टांत.-Vijender Singh vs M/S Eicher Motors Limited & Anr. on CRL. M.C. No. 1454 / 2011 on 5 May, 2011
जज लोग बेइमानी को प्रोत्साहन देने वाला ही फैसला क्यों देते हैं? अपराधी, आतंकी के बचाव में। Encroachement, घुसपैठ के पक्ष में। यह प्रतिभा पीड़ित को न्याय दिलाने में कम और अपराधी को बचाने में ज्यादा प्रयोग हो रही है। कारण?
मेरी क्रेडिटर बँक ने प्रो -नोट में मेरे कॅनसेन्ट के बिना कॉन्ट्रॅटेड रेट युनिल्टेराल बदल दी. केस सिविल कोर्ट में गयी. मैंने बिना मेरे कॉन्सेन्ट मटेरियल चेंज को चॅलेंज किया. आखिर मै केस जीत गया. 👍
It is nice video. The reason behind dec. 87 is that such alteration makes the instrument un reasonable. The provision relating to reasonability is attracted in respect of time and date. That makes the alteration doubly unreasonable..
Consent of drawer must be necessary on the date of presentation. Drawer may not give his consent for his presentation and in that case the drawee well knows the non consent.
Indian law is full of loop hole. Most of the time on same case higher court judgement are inconsistent. In the absent of clear cut guidelines Judges give judgement as they wish. In india judiciary and traffic department requires urgently complete overhauling.
Jai shree Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai
दूबे सर, प्लीज रिप्लाई कीजिए... यदि कोई कर्ज लेते समय चेक दे लेकिन कर्ज अदायगी की कोई डेट फिक्स न करे और बाद में न तो डेट के लिए सहमति दे और न ही नई डेट का चेक दे.... (आमतौर पर जिनको कर्ज वापस न करना हो वे डिफॉल्टर ऐसा ही करते हैं) तो उनसे कैसे डील की जाए.... क्या शुरू में कर्ज देते समय इतना लिखवाना काफी नहीं है की इस चेक को कभी भी रकम अदायगी के लिए उपयोग किया जा सकता है?
चेक बाउंस हुवा तो गुनाह गार ही है,एक महीने में पैसा देना ही होगा,अगर नही है तो दो महीने में ब्याज के साथ पैसा देना पड़ेगा,नहीतो जेल,पक्की बस कुछ लिखावट करनी पड़ेगी,चेक के पीछे ,दस्तखत,अनघुठेका निसान,ओर चेक पास करने की गेरंती लिखकर देनी होगी,साथ में पान नंबर
1988 के आसपास तो सभी एक्ट विवेकहीनता से बने है। Negotiable instruments act जो 1866 में बन गया था वह भारतीय लेन देन के लिये भी सही था। सियासिओं ने CPC को कमज़ोर कर दिया और सिविल कोर्ट्स को नकारा कर दिया।
बहुत सही कहा आपने , जैसा कि इसका एक और उदाहरण दिखाई देता है , भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ में बनाया गया जिसकी धारा ३१द्वारा भारतीय दंड संहिता की १६१ से लेकर धारा १६५ को खत्म कर दिया , जिसके कारण स्थानीय थानों में भ्रष्टाचार के अपराध दर्ज नहीं हो पाते , सिर्फ लोकायुक्त पुलिस थानों को मामला दर्ज करने का अधिकार दिया गया है हर व्यक्ति प्रदेश में स्थित एक लोकायुक्त पुलिस थाने में , एवं संभागों में स्थित लोकायुक्त कारयालयों में शिकायत करने नहीं जा पाता और जिलों में लोग भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं , इसीलिए भारतीय दंड संहिता की धारा १६१ से लेकर १६५ तक को फिर से संशोधन करके लागू कर देना चाहिए ।
@@krishnaswaroopkhare6462 सचमुच ही बहुत बड़ा अनदेखा पहलू है। यह रहते तो CBI, ED जैसे टूल दुरुपयोग करने के लिये न पनपते। अब वो खाई खोदने वाले अपनी ही खोदी खाई में गिरा गिरा कर दफन किये जा रहे हैं। इस जन्म का लेखा इसी जन्म में दिया जा रहा है। टारगेट कांग्रेस का भी उम्र भर सत्ता में बने रहने का था। अब इनका भी वही टारगेट है।
Unless & until default in repayment is made a criminal offence, bad debts of banks will go on increasing unabated. The said case is clear cut case of wilful default. Such cases should be treated as criminal cases without any time bar limit.
Data says around 4.2 % loans are NPA. But while you deeply analyse the data, 3.9% are due to Corporate debts ( big loans like 1000 Crore to 100000 Crores of Rupees- Generally thease are protected by Politicians like Subhash Chandra, Sunny Deol are recently exposed example, Many more remains unexposed) . The common person borrowing between few thousands to 5 crores defaults non wilful (My personal Example: I lost everything in treatment , No assets or source of Income as children are students - My spouse have to teach tuition for earning some 4000-5000 for food etc). But its India boss, Subhash chandra have no case and I am facing a criminal case of NI 138 under wilful defaulter- Expecting Jail next month because I can't afford a lawyer, nor I can take bail as court decided the bail amount Rs. 2.50 L ( Which I wont be able to earn during my remaining entire life as I became permanently disabled after Covid Sufferings and its side effects.
हृदय की गहराइयों से सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
दूबे जी आपने अच्छी जानकारी दी, आप का धन्यवाद।🙏
सर आप, समझाते बहुत अच्छा हैं,ऐसे ही लोगो की मदद करते रहिए ।धन्यवाद सर
लोग लोग बात बात में बदलते हैं जज साहेब जी इस लिए पुनः इस फैसले पर न्यायालय को विचार करना चाहिए जय हिंद जय भारत
क्या ये जज मोदी का पिट्ठू है भाई ॽ
Bhai finance company blank check leke bahut froud karti hai intrest rate barati kuchh hai aur laga kuchh deti hai
Isliye ye judgement bahut achha hai
इस कानून में संशोधन होना जरूरी है। पैसा भरोसे पर दिया जाता है, और कई बार पैसा लेनेवाला डुबाने की तैयारी से ही लेता है।
Sahi bole thakur bhai
Bank wale ho tm shyd isliye keh rahe ho
Koi jarurat nhi hai, aap paisa agar sach mein hakdaar hain to liability prove kriye , bank statement ya written agreement se
कोर्ट ने यह भी कहा है देनदार लगते हो तभी तो चेक दिए हो किसने क्या लिखा महत्वपूर्ण नही है
Check se bada agreement kya hoga
बहुत महत्वपूर्ण बात है, सबकी हित का चीज़ है धन्यवाद
मेरा भी पैसा डूब गया है उधार दिया था, मांगने पर उसने बुरा व्यवहार किया था और घर गया तो उसकी पत्नी ने लठ दिखाया तो चेक बाउंस कराके केस दर्ज किया है और तारिक पे तारिक चल रही है,, धन्य है भारत माता का कानून
Kabhi bhi paisa do to cheque ke sath video banao aur cheque hamesa uske ghar ki kisi mahila jaise Maa bahen biwi ke Naam Ki lo aur jo pen use kiya ho likhte time vo pen safe rakho jb tk paisa mil na jaye
Same bhai
इस फैसले के बाद तो धोखाधड़ी करने वालों कि चांदी हो जायेगा। धन्य है वो जज साहेब जिसने धोखाधड़ी करने वालों कि चांदी कर दी। अब कोई भी किसी जरूरत मंद को चेक के बिना पर कोई भी लेन देन नहीं करेगा।
4 करोड़ मामले पेंडिग है। 200 साल पुराने कानून 4 पीढी तक फैसला नहीं आता है।
🤣🤣🤣🤣😄
रोजगार मत बनाओ
@@arvindkumarrathor5393❤
@vinodgarg337
बहुत ही अच्छी जानकारी सर जी। धन्यवाद। 🙏
Ek number guidance किया आपने. Eaisehi औंर vdos का wait करते है. धन्यवाद.
म्यूचुअल सहमति तो एग्रीमेंट के वक्त ही हो जाती है जब चैक देता ही इसलिए है। ये क्या फैसला देते हैं,इसे चैलेंज करना चाहिए ऊपरी अदालत में,ऐसे तो चेक की कोई वैल्यू नहीं रहेगी।
Missuse bhi kar dete hai log mere sath bhi hua hai
सरकार ने बहुत अच्छा निर्णय लिया ब्याज वालों की ऐसी तैसी हो जाएगी। Shukaree बंद होने चाहिए साहूकार लोग ब्लैंक चेक लेकर गरीब लोगों को ब्लैकमेल करते हैं
कर्ज फिर लेते क्यों हो fraud
. Gnd fati hoti h faas jate h log es liye lete h majburi ho jati h kuch b ho sakti h
@@justfun6909चेक डेट लगाने के लिए दो ना फिर
Koi admi badmasi nhi karta h
By passing this order high court has rendered NI Act u/s 138 as almost useless ...it favours the defaulter
Very useful for all of us and the excellent explaination and presented in a beautiful way thanks the learned scholars and lawyer
Please give your valuable suggestion if trial court does not follow the authorities of Apex courts Apart from available remedies
ऐसे judgement ही काॅलेजियम के दुष्परिणाम के रूप में सामने आते है।
You are right
@@vinodkumaryadav584हमारे लोकल लँग्वेज मे कहते है ' कायदा गाढव असतो '(Law is donkey) .मगर यह बहस ऑर कोर्ट डिसिजन सुंनने पर लागता हे Judge is donkey.😂
Very good video.
I am in Bank and such judgement clarification makes our working more cautious.
कोर्ट का यह फैसला कर्जदार के पक्ष में बहुत ही चमत्कारी है क्योंकि अधिकांश कर्जदार उधार लिए गए धन को चुकाना नहीं चाहते हैं तो वह चेक भुगतान की दिनांक और समय पर अपनी सहमति क्यों देगा।
इस फैसले से क़र्ज़ देने वाली संस्था को क़र्ज़ वसूली में बहुत अधिक कष्ट होगा।
Sahi bole bhai
भाई सुप्रीम कोर्ट अलग कहता है हायकोर्ट अलग कहता है कीसपर भरोसा करे सुप्रीमो कोन है सुप्रीम कोर्ट या हायकोर्ट कन्फ्युजन कन्फ्युजन कन्फ्युजन वकीलोने क्या करना चाहिये क्रमश......
जो बेगर तारीख के चेक दे रहा है उसका कोई कसूर नहीं वो ती साहूकार बन गया ।उसकी भी ती सहमति हे। तभी तो वह undated चेक दे रहा है। जज ने undated चेक दे रखे हे। जिससे भुगतान नहीं करना पड़े
Q
Many a times such cheques are given as Security cheques
@@SumeetKrTyagiqqqqqqqqqqqq
चेक लेन देन केवल धन हस्तानांतरण का सुगम साधन है न कि अपराधी बनाने का। आज चेक के कारण वैमनस्यता बढ़ी है
दुबे जी वहीं से बैठकर बता दिए दूसरी चेक मिल जाएगी ?
एकाध बार चल चलते पार्टियों से चेक दिलवाने के लिए जब चेक की वैलिडिटी खत्म हो जाती है।
दुबे जी कह रहे हैं 3 महीने तक पैसा नहीं देगा तो दूसरी चेक ले लीजिए और उसकी सहमति से डेट डलवा कर चेक लगाइए ऐसे जिंदगी में कभी चेक नहीं लगता जिंदगी भर टहलते रहिएगा
Jai Bharat... Bilkul sahmati hona jaruri hai..
Police station ki investigation hona zaruri hai
नमस्ते सदा वत्सले मातृभू में। जय भारत वंदेमातरम।
सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट है जिसमें उन्होंने कहा है कि सिर्फ सिग्नेचर महत्त्व रखते हैं तो क्या हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से बड़ी हो गई आप में सिग्नेचर करके अगर कोई चेक दे दिया है मन अब आप लोगों को आज कर दिया है
Very nice general knowledge and gross explanation. Thanks 👍
Supreme court says accused sign on cheque is sufficient, for trial, if cheque is given blank,,
पैसे लेने वाला कभी सहमति नहीं देगा कोर्ट यह फैसला अन्याय पूर्ण है
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
Can you please give reference of this decision
Kafi mehant ki apne smjhane m...Very good
बेकार का नियम फिर चेक का मतलब ही किया रहा।
Bahut he useful information.
Ram Ram Ji
Achchhi jaankari di hai. Dhanyawad Ji.
इन्स्टूमैंट एक्ट एक फ्राड कानून है, जो चीटर को ही मौका प्रदान करता है।
हां एक बात समझ में आई कि किसी को भी किसी हालात में उधार ना दें क्योंकि कानून ही उसकी मदद करता है।
फैसला आने में दशक या दशकों लग सकते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, धन्यवाद, लेकिन हमारे देश में यह बीमारी पुरानी ही है, अभी पठानों की जगह फायनांस कंपनी ने ली है, मुझे लगा देश को अच्छे दिन आने के बाद यह बीमारी खत्म होगी, ___वैसे ही १९८० दरम्यान खाने पीने से लोग सुखी हो गए, लेकिन यह थोड़े दिन के लिए रहा__(क्या गड़बड़ी है)____
Bahot badiya jaankari dedi
Dhanyavad
As a retired banker, I will say,"उस कस्टमर को चेक बुक जारी नहीं की जानी चाहिए जो अनपढ़ होऔर सिर्फ सिग्नेचर करना जानता हो। कोर्ट में जाकर मुकर जाएगा।"
Yes
नहीं ऐसा नहीं है।केवल हस्ताक्षर करने वाला चेक बैंक से इश्यू हीं क्यों कराता है। इसका अर्थ है केवल हस्ताक्षर करने वाला निश्चित रूप से दूसरों से चेक भरा कर अपने खाता से रुपया निकालता है। बैंक चेक पर हस्ताक्षर को हीं जांच करता है। चेक किसके द्वारा भरा गया इससे बैंक को कोई मतलब नहीं है। बहुत से लोग पढ़ा लिखा नहीं है फिर भी बैंक ग्राहक को एटीएम कार्ड और चेक देता है।
5 से 10 लोग को व्याज का लालच देके पैसे लेने वाला गुनेगार या देने वाला गुनेगार ? पैसे देने वाला जबरजस्ती पैसा देता नहीं लेने वाला हाथ जोड़ के ब्याज की लालच देके कई लोगो से पैसा लेता है ।
सभी भाईयों को ये भी जानकारी होनी चाहिए कि नोटबंधी के बाद पुराने चेक सभी बैंकों के रद्द कर दिए गए थे उसके बाद नई चेकबुक जारी कि गई थी उन पुराने चेको की कोई वेल्यू नहीं रही अब अगर ये चेक लगाते भी हैं तो सिस्टम स्वीकार नहीं करेगा बाउंस कैसे होगा क्यों आप देखना नए चेक में एक काली पट्टी लाइट होती है उसमे बारकोट नंबर भी होते हैं ये नियम सबके लिए लागू होते हैं आपके पास अगर पुराना चेक पड़ा है भर कर लेजाओ बैंक नहीं लेगा बोलेगा नया चेक लेकर आओ ये चेक पुराना है रद्द कर दिए गए ये चेक????
कई जज बिना दिमाग़ वाले होते हे, ऐसे जजमेंट के बाद कोन पैसा देगा?
जब किसीने समय पर पैसा नहीं लौटाया तब तो दूसरे ने चेक डिपोसिट किया होगा।
Sahi baat...Wokes
क्लोजियम सिस्टम
Very important and knowledgeable information Sir
Very good judgement.
लोन देने वाली कम्पनी अपने हिसाब से चार्ज ले लेती है और उसका कैलकुलेशन भी नही बताती। बाद में दिया हुआ चेक पर तारीख डाल कर पैसे काट लेती है।
आम आदमी उस पर कुछ करता भी नहीं।
अगर पैसे की इतनी पड़ी है तो डेट डलवा दो ना। उस तारीख को निकाल लेना। दोनो को पता रहेगा की इस तारीख को पैसे बैंक से निकलेंगे।
वेरी गुड कोर्ट। इस एक्ट में सुधार कर के चेक अल्टरेशन करने वाले को ही जेल में डाल देना चाहिए।
सही बात
Useful information
Good judgement
Aap ne bahut hi achcha Gyan Diya shukriya
Very good information sir ji, pranam
It is radiculous law. If one has to follow such law it will be impossible to secure your payment.
Why is is not mendetory for issuer to give new cheque.
Issuer knows that he has given cheque towards his obligations.
All laws are in favour of criminals.
You gave very useful and important information about NI Act, Dubey sir.
Thank you so much sir
चेक जारीकर्ता अपने साइन करके किसी को चेक देता है तो आपने सारे अधिकार जैसे चेक अमाउंट दिनांक भरने का अधिकार भी धारक को दे देता है।
Ye ruelings kahan milengi sir
@@jigyasuarun1729 इस संबंध माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा न्याय दृष्टांत.-Vijender Singh vs M/S Eicher Motors Limited & Anr. on CRL. M.C. No. 1454 / 2011 on 5 May, 2011
भाई मुंबई को फॉलो करना है या सुप्रीम को ? सुप्रीम का जजमेंट कहता है की डेट चेक ऑनर ने ना लिखी हो फिर भी वैध है
You are right
Is it so. Dear
Kiski baat maane ??
In SC all judges r committed to save his Godfather and order to save
Bhai aapki aadhi baat sahi hai. Date agar owner ne nahi likhi ho aur cheque lene wala likhta hai date to owner se puch kar likha jana chahiye.
Jay bhim sir aap ne bahut accha bola thanks so much 🙏
Nonsense judgement
चैक ही बद कर देना चाहिये बैको को डिजिटल पेमेट करो या की न्यायालय जज वकीलों की दुकानें बद हो करोडो केस का निपटारा हो जाये और चेक देनदेन बद हो
यदि हम चेक के 1 साल की जगह पर एक्स्ट्रा समय 2 साल वाली तारीख डलवा दें तो उसमें क्या आपत्ति है, हमें बार बार चेक लेन-देन भी नहीं करने पड़ेंगे
जज का फैसला बिल्कुल ठीक है।
सबसे कठिन कार्य न्याय पन्ना
भारत में व्यापार तथा लेनदेन को खत्म कर भारत की तरक्की में ऱुकावट अथवा व्यापार को धीमा करने का प्रयास है। अब कोई डर के कारण लेन देन नहीं करेगा।
Looks as if the judgement is customised to suit the defaulter. Was the issuer forced to issue undated cheque? If not the consent is proved.
जज लोग बेइमानी को प्रोत्साहन देने वाला ही फैसला क्यों देते हैं?
अपराधी, आतंकी के बचाव में। Encroachement, घुसपैठ के पक्ष में। यह प्रतिभा पीड़ित को न्याय दिलाने में कम और अपराधी को बचाने में ज्यादा प्रयोग हो रही है। कारण?
मेरी क्रेडिटर बँक ने प्रो -नोट में मेरे कॅनसेन्ट के बिना कॉन्ट्रॅटेड रेट युनिल्टेराल बदल दी. केस सिविल कोर्ट में गयी. मैंने बिना मेरे कॉन्सेन्ट मटेरियल चेंज को चॅलेंज किया. आखिर मै केस जीत गया. 👍
Sir ji bahut bahut dhanybad ye jankari dene ke liye
बहुत ही शानदार बात बताई सर जी
बहुत अच्छा निर्णय किया है
Bakwas, jisko pesa lautana hi nahi hai,wo consent Kyo dega
It is nice video. The reason behind dec. 87 is that such alteration makes the instrument un reasonable.
The provision relating to reasonability is attracted in respect of time and date.
That makes the alteration doubly unreasonable..
जिस का पैसा डूबता है वही परेशान होता है जज को कोई फर्क नही पड़ता है।
Koi dhake se jyada paise dalte hai
Private financer jaise
Korechi leke sahukar log majburi ka fayda utha rahe hain
V good decision .
Ha Bhai deje 10000 hajar aur blank check le kar 100000 bana dega tab Dubey ga he na bhaiya
Thank you Sir, for the valuable legai
information. Jay Hind
अति सुंदर जानकारी
Thanks for your informative video on the very important matter .
रॉयल गुरूजी ने बिल्कुल सही लिखा है, कि जिसका पैसा डूबता है, उसके दिल से पूछो, जज को क्या फर्क पड़ता है,कानून में संशोधन होना चाहिए।
Consent of drawer must be necessary on the date of presentation. Drawer may not give his consent for his presentation and in that case the drawee well knows the non consent.
What is to be done in the case.
इस फैसले पर पुनः विचार होना चाहिये
Indian law is full of loop hole. Most of the time on same case higher court judgement are inconsistent. In the absent of clear cut guidelines Judges give judgement as they wish. In india judiciary and traffic department requires urgently complete overhauling.
Most corrupt department
Jai shree Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai
एक बार किसीने चेक दिया मतलब उसने पैसा देना है l भले ही तारीख कोई भी डाले l ऐसे मुर्ख जज है इसलिए। कोर्ट में लाखो केस पेंडिंग है l
Shi kha aapne
सहमत हैं
इन कानून बनाने वालों का अपना पैसा डूबे तो अहसास हो
बहुत अच्छा डिसीजन लिया हाईकोर्ट ने
सर चेक देकर लोग मुकर रहा है लोग परेशान है इतना जानकारी लोगों को क्या पता न्यायालय अपने फैसले पर एक बार पुनः विचार करना चाहिए सर जी
बहुत सही कहा आपने 👍
धन्यवाद जानकारी हेतु 🙏🕉️
Jai shree Ram 🙏 pranam sir 🙏
Great suggestion, thanku so much sir ji 🙏
Badi mehant se police millatry criminal ko apni jan jokham me dal ke pakdtihai unko supreme our high court riha kar deti hai
Cort k design ka Matlab h koi bhi vyakti Jyada se jyada lone lo ro mat chukao
Pahle. cheque. . Ka. ..time ( date) khatm .ho ..gaya..aur ..samnewala. .ne ..dusara ..naya cheque ..nahi dega. .to ..kya kare?
Very Good Information
Thanks
भारतीय कानून हमेशा अपराधी का ही अधिकांश साथ देने जैसा फैसला देता है 😭😭
Kya apradhi, byaj khor ke sath aesa hee hona chahiye
13:21 people
Sahi
@@anshuljain1038tu bhi paise khaye baitha hai kya logo ke 😂😂😂
उसके बगैर उनकी दुकान नही चलेगी |
👍 Nice 👍 information 👍,Sir 👍 please 👍 Go 👍 ahead 👍 👍👍
Thanks for the valuable information sir 👍
Always welcome
कोर्ट पर विस्वास ही नहीं है
कल अपने कहे पर ही पलट जाएंगे सिफारिश से लगे जज
दूबे सर, प्लीज रिप्लाई कीजिए...
यदि कोई कर्ज लेते समय चेक दे लेकिन कर्ज अदायगी की कोई डेट फिक्स न करे और बाद में न तो डेट के लिए सहमति दे और न ही नई डेट का चेक दे.... (आमतौर पर जिनको कर्ज वापस न करना हो वे डिफॉल्टर ऐसा ही करते हैं) तो उनसे कैसे डील की जाए.... क्या शुरू में कर्ज देते समय इतना लिखवाना काफी नहीं है की इस चेक को कभी भी रकम अदायगी के लिए उपयोग किया जा सकता है?
Yes mere saath bhi esa hi huwa h
बहुत ही अच्छा प्रश्न है
Jise paisa nahi Dena hoga ..wo baat me muh mod lete hai sign kaha karte hai..jiski niyat me khot a Jaye wo sign kaha karke dega dubara..
Pehle court se ak notice bhej dijiye
Pese ka risk only khud dene vale par hona chahiye bas usme sarkar or court ka koi lena dena nahi hona chahiye kyu ki dene vala pagal nahi hota hai
चेक बाउंस हुवा तो गुनाह गार ही है,एक महीने में पैसा देना ही होगा,अगर नही है तो दो महीने में ब्याज के साथ पैसा देना पड़ेगा,नहीतो जेल,पक्की
बस कुछ लिखावट करनी पड़ेगी,चेक के पीछे ,दस्तखत,अनघुठेका निसान,ओर चेक पास करने की गेरंती लिखकर देनी होगी,साथ में पान नंबर
चेक देते waqut कर्जदार को जाणकारि थी की उसने चेक दिया है और किसलीये दिया है,इसलीये उसें पुच्छनेकीं क्या आवश्यकता?consent नही थी तो चेक दिये क्यू?
Right 👍🏽 chq Dene wala pesa na Dene ka tarika dhundh leta he jutha bolke paresani me padta he. Or sahe aadme sahe bat kare to thode Rahat ho jate he.
Maine gadi per 130000 ka loan liya 80000 de chuka gadi gadi bhi utha Li hai check bounce ka case Laga deya h kya ye shi h
Achchhi bat batai hai aapne.
Cheque is useless. Court favouring defaulters. It is very bad. Govt take action, change cheque bounce. Cheque is now no value
Very good judgement in case of forgery in india.
Bahut badhiya knowledge aapney di.
Check date dal kr hi lena chahiye,date khatam hote hi dubara check lena chahiye.
Jise paisa nahi dena hai vah Sahmati Kyoun dega court chor Bhrstachari Beimanon ke sath Judiciary bhi khadi hogi kya
1988 के आसपास तो सभी एक्ट विवेकहीनता से बने है। Negotiable instruments act जो 1866 में बन गया था वह भारतीय लेन देन के लिये भी सही था। सियासिओं ने CPC को कमज़ोर कर दिया और सिविल कोर्ट्स को नकारा कर दिया।
बहुत सही कहा आपने , जैसा कि इसका एक और उदाहरण दिखाई देता है , भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ में बनाया गया जिसकी धारा ३१द्वारा भारतीय दंड संहिता की १६१ से लेकर धारा १६५ को खत्म कर दिया , जिसके कारण स्थानीय थानों में भ्रष्टाचार के अपराध दर्ज नहीं हो पाते , सिर्फ लोकायुक्त पुलिस थानों को मामला दर्ज करने का अधिकार दिया गया है हर व्यक्ति प्रदेश में स्थित एक लोकायुक्त पुलिस थाने में , एवं संभागों में स्थित लोकायुक्त कारयालयों में शिकायत करने नहीं जा पाता और जिलों में लोग भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं , इसीलिए भारतीय दंड संहिता की धारा १६१ से लेकर १६५ तक को फिर से संशोधन करके लागू कर देना चाहिए ।
@@krishnaswaroopkhare6462
सचमुच ही बहुत बड़ा अनदेखा पहलू है। यह रहते तो CBI, ED जैसे टूल दुरुपयोग करने के लिये न पनपते। अब वो खाई खोदने वाले अपनी ही खोदी खाई में गिरा गिरा कर दफन किये जा रहे हैं। इस जन्म का लेखा इसी जन्म में दिया जा रहा है। टारगेट कांग्रेस का भी उम्र भर सत्ता में बने रहने का था। अब इनका भी वही टारगेट है।
Unless & until default in repayment is made a criminal offence, bad debts of banks will go on increasing unabated.
The said case is clear cut case of wilful default. Such cases should be treated as criminal cases without any time bar limit.
Banks should avoid giving unsecured loans. Simple
@@AC-en2oz Even a fully secured loan can't be recovered due to erosion of value.
Data says around 4.2 % loans are NPA. But while you deeply analyse the data, 3.9% are due to Corporate debts ( big loans like 1000 Crore to 100000 Crores of Rupees- Generally thease are protected by Politicians like Subhash Chandra, Sunny Deol are recently exposed example, Many more remains unexposed) .
The common person borrowing between few thousands to 5 crores defaults non wilful (My personal Example: I lost everything in treatment , No assets or source of Income as children are students - My spouse have to teach tuition for earning some 4000-5000 for food etc). But its India boss, Subhash chandra have no case and I am facing a criminal case of NI 138 under wilful defaulter- Expecting Jail next month because I can't afford a lawyer, nor I can take bail as court decided the bail amount Rs. 2.50 L ( Which I wont be able to earn during my remaining entire life as I became permanently disabled after Covid Sufferings and its side effects.
*🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳 जय महाराष्ट्र 🇮🇳*