NI Act- Sec 87, 138, putting cheque without consent of Maker dont make liability of payee-Bombey HC

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  • Опубликовано: 5 дек 2024

Комментарии • 644

  • @agarwalveena8796
    @agarwalveena8796 Год назад +56

    दूबे जी आपने अच्छी जानकारी दी, आप का धन्यवाद।🙏

  • @kapilnamdev9569
    @kapilnamdev9569 Год назад +21

    हृदय की गहराइयों से सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

  • @deviduttdhyani1551
    @deviduttdhyani1551 Год назад +7

    सर आप, समझाते बहुत अच्छा हैं,ऐसे ही लोगो की मदद करते रहिए ।धन्यवाद सर

  • @MangalKumar-wg4zi
    @MangalKumar-wg4zi Год назад +16

    लोग लोग बात बात में बदलते हैं जज साहेब जी इस लिए पुनः इस फैसले पर न्यायालय को विचार करना चाहिए जय हिंद जय भारत

    • @shankarraorajigare3030
      @shankarraorajigare3030 Год назад

      क्या ये जज मोदी का पिट्ठू है भाई ॽ

    • @AdvChauhan315
      @AdvChauhan315 9 месяцев назад +1

      Bhai finance company blank check leke bahut froud karti hai intrest rate barati kuchh hai aur laga kuchh deti hai
      Isliye ye judgement bahut achha hai

  • @shyamsoni8394
    @shyamsoni8394 Год назад +14

    बहुत महत्वपूर्ण बात है, सबकी हित का चीज़ है धन्यवाद

  • @RohitThakur-fh3zx
    @RohitThakur-fh3zx Год назад +39

    इस कानून में संशोधन होना जरूरी है। पैसा भरोसे पर दिया जाता है, और कई बार पैसा लेनेवाला डुबाने की तैयारी से ही लेता है।

    • @Aarifkhan-bs3do
      @Aarifkhan-bs3do Год назад +2

      Sahi bole thakur bhai

    • @RashidRashid-mm5lf
      @RashidRashid-mm5lf 5 месяцев назад

      Bank wale ho tm shyd isliye keh rahe ho

    • @UdaySingh-wt9yl
      @UdaySingh-wt9yl 3 месяца назад

      Koi jarurat nhi hai, aap paisa agar sach mein hakdaar hain to liability prove kriye , bank statement ya written agreement se

    • @pravinkamble2467
      @pravinkamble2467 3 месяца назад

      कोर्ट ने यह भी कहा है देनदार लगते हो तभी तो चेक दिए हो किसने क्या लिखा महत्वपूर्ण नही है

    • @mahatoboy6259
      @mahatoboy6259 3 месяца назад

      Check se bada agreement kya hoga

  • @hansrajrathee06.
    @hansrajrathee06. Год назад +28

    मेरा भी पैसा डूब गया है उधार दिया था, मांगने पर उसने बुरा व्यवहार किया था और घर गया तो उसकी पत्नी ने लठ दिखाया तो चेक बाउंस कराके केस दर्ज किया है और तारिक पे तारिक चल रही है,, धन्य है भारत माता का कानून

    • @karanveer501
      @karanveer501 9 месяцев назад +1

      Kabhi bhi paisa do to cheque ke sath video banao aur cheque hamesa uske ghar ki kisi mahila jaise Maa bahen biwi ke Naam Ki lo aur jo pen use kiya ho likhte time vo pen safe rakho jb tk paisa mil na jaye

    • @amansaxena2996
      @amansaxena2996 2 месяца назад +1

      Same bhai

  • @indragope8571
    @indragope8571 Год назад +12

    इस फैसले के बाद तो धोखाधड़ी करने वालों कि चांदी हो जायेगा। धन्य है वो जज साहेब जिसने धोखाधड़ी करने वालों कि चांदी कर दी। अब कोई भी किसी जरूरत मंद को चेक के बिना पर कोई भी लेन देन नहीं करेगा।

  • @pooranchandrapandey9486
    @pooranchandrapandey9486 Год назад +15

    Very useful for all of us and the excellent explaination and presented in a beautiful way thanks the learned scholars and lawyer

    • @moazzamali430
      @moazzamali430 Год назад

      Please give your valuable suggestion if trial court does not follow the authorities of Apex courts Apart from available remedies

  • @ashoksharma1629
    @ashoksharma1629 Год назад +8

    बहुत ही अच्छी जानकारी सर जी। धन्यवाद। 🙏

  • @imparesh
    @imparesh Год назад +11

    Very good video.
    I am in Bank and such judgement clarification makes our working more cautious.

  • @AnjaliKulkarni-y3b
    @AnjaliKulkarni-y3b Год назад +1

    Ek number guidance किया आपने. Eaisehi औंर vdos का wait करते है. धन्यवाद.

  • @anupkumar-rq3hz
    @anupkumar-rq3hz Год назад +33

    4 करोड़ मामले पेंडिग है। 200 साल पुराने कानून 4 पीढी तक फैसला नहीं आता है।

  • @InfotainmentNowIndia
    @InfotainmentNowIndia Год назад +28

    म्यूचुअल सहमति तो एग्रीमेंट के वक्त ही हो जाती है जब चैक देता ही इसलिए है। ये क्या फैसला देते हैं,इसे चैलेंज करना चाहिए ऊपरी अदालत में,ऐसे तो चेक की कोई वैल्यू नहीं रहेगी।

  • @anandsawhney4805
    @anandsawhney4805 Год назад +16

    By passing this order high court has rendered NI Act u/s 138 as almost useless ...it favours the defaulter

  • @ShivShankar-vv9sb
    @ShivShankar-vv9sb Год назад +6

    Jai Bharat... Bilkul sahmati hona jaruri hai..

  • @kapilprakashsharma9929
    @kapilprakashsharma9929 Год назад +17

    ऐसे judgement ही काॅलेजियम के दुष्परिणाम के रूप में सामने आते है।

    • @vinodkumaryadav584
      @vinodkumaryadav584 Год назад +2

      You are right

    • @teravya1301
      @teravya1301 Год назад

      ​@@vinodkumaryadav584हमारे लोकल लँग्वेज मे कहते है ' कायदा गाढव असतो '(Law is donkey) .मगर यह बहस ऑर कोर्ट डिसिजन सुंनने पर लागता हे Judge is donkey.😂

  • @rakeshsaxena4575
    @rakeshsaxena4575 Год назад +10

    सरकार ने बहुत अच्छा निर्णय लिया ब्याज वालों की ऐसी तैसी हो जाएगी। Shukaree बंद होने चाहिए साहूकार लोग ब्लैंक चेक लेकर गरीब लोगों को ब्लैकमेल करते हैं

    • @justfun6909
      @justfun6909 8 месяцев назад +1

      कर्ज फिर लेते क्यों हो fraud

    • @Rajansharma.0007
      @Rajansharma.0007 8 месяцев назад

      ​. Gnd fati hoti h faas jate h log es liye lete h majburi ho jati h kuch b ho sakti h

    • @NileshLanghe
      @NileshLanghe 4 месяца назад

      ​@@justfun6909चेक डेट लगाने के लिए दो ना फिर

    • @mahatoboy6259
      @mahatoboy6259 3 месяца назад

      Koi admi badmasi nhi karta h

  • @DineshGupta-wk8gk
    @DineshGupta-wk8gk Год назад +19

    जो बेगर तारीख के चेक दे रहा है उसका कोई कसूर नहीं वो ती साहूकार बन गया ।उसकी भी ती सहमति हे। तभी तो वह undated चेक दे रहा है। जज ने undated चेक दे रखे हे। जिससे भुगतान नहीं करना पड़े

  • @shivaji2225
    @shivaji2225 5 месяцев назад +2

    चेक लेन देन केवल धन हस्तानांतरण का सुगम साधन है न कि अपराधी बनाने का। आज चेक के कारण वैमनस्यता बढ़ी है

  • @pardeepduggal3431
    @pardeepduggal3431 Год назад +8

    Supreme court says accused sign on cheque is sufficient, for trial, if cheque is given blank,,

  • @kanhaiyakumardubey4729
    @kanhaiyakumardubey4729 Год назад +7

    You gave very useful and important information about NI Act, Dubey sir.
    Thank you so much sir

  • @sureshjadhao5703
    @sureshjadhao5703 Год назад +8

    भाई सुप्रीम कोर्ट अलग कहता है हायकोर्ट अलग कहता है कीसपर भरोसा करे सुप्रीमो कोन है सुप्रीम कोर्ट या हायकोर्ट कन्फ्युजन कन्फ्युजन कन्फ्युजन वकीलोने क्या करना चाहिये क्रमश......

  • @RoyalG39
    @RoyalG39 Год назад +129

    जिस का पैसा डूबता है वही परेशान होता है जज को कोई फर्क नही पड़ता है।

    • @mastitimekids3132
      @mastitimekids3132 Год назад +1

      Koi dhake se jyada paise dalte hai
      Private financer jaise

    • @rameshchandak5698
      @rameshchandak5698 Год назад +1

      Korechi leke sahukar log majburi ka fayda utha rahe hain

    • @naveenkumar9924
      @naveenkumar9924 Год назад +2

      V good decision .

    • @surajshukla2254
      @surajshukla2254 Год назад +1

      Ha Bhai deje 10000 hajar aur blank check le kar 100000 bana dega tab Dubey ga he na bhaiya

    • @shailajadhule2
      @shailajadhule2 Год назад +1

      Thank you Sir, for the valuable legai
      information. Jay Hind

  • @shilwantsankhla1461
    @shilwantsankhla1461 Год назад +4

    कोर्ट का यह फैसला कर्जदार के पक्ष में बहुत ही चमत्कारी है क्योंकि अधिकांश कर्जदार उधार लिए गए धन को चुकाना नहीं चाहते हैं तो वह चेक भुगतान की दिनांक और समय पर अपनी सहमति क्यों देगा।
    इस फैसले से क़र्ज़ देने वाली संस्था को क़र्ज़ वसूली में बहुत अधिक कष्ट होगा।

  • @sandeshrathod5701
    @sandeshrathod5701 23 дня назад +1

    Police station ki investigation hona zaruri hai

  • @YuvarajShamraoLahutePatil
    @YuvarajShamraoLahutePatil 11 месяцев назад +2

    Very nice general knowledge and gross explanation. Thanks 👍

  • @uttamnarayansharma7622
    @uttamnarayansharma7622 Год назад +1

    नमस्ते सदा वत्सले मातृभू में। जय भारत वंदेमातरम।

  • @tejbirdalal4517
    @tejbirdalal4517 Год назад +1

    Kafi mehant ki apne smjhane m...Very good

  • @dilipbajaj1714
    @dilipbajaj1714 Год назад +2

    दुबे जी वहीं से बैठकर बता दिए दूसरी चेक मिल जाएगी ?
    एकाध बार चल चलते पार्टियों से चेक दिलवाने के लिए जब चेक की वैलिडिटी खत्म हो जाती है।
    दुबे जी कह रहे हैं 3 महीने तक पैसा नहीं देगा तो दूसरी चेक ले लीजिए और उसकी सहमति से डेट डलवा कर चेक लगाइए ऐसे जिंदगी में कभी चेक नहीं लगता जिंदगी भर टहलते रहिएगा

  • @narharimore8657
    @narharimore8657 Год назад +5

    महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, धन्यवाद, लेकिन हमारे देश में यह बीमारी पुरानी ही है, अभी पठानों की जगह फायनांस कंपनी ने ली है, मुझे लगा देश को अच्छे दिन आने के बाद यह बीमारी खत्म होगी, ___वैसे ही १९८० दरम्यान खाने पीने से लोग सुखी हो गए, लेकिन यह थोड़े दिन के लिए रहा__(क्या गड़बड़ी है)____

  • @shrianiltiwaritiwari1403
    @shrianiltiwaritiwari1403 Год назад +2

    सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट है जिसमें उन्होंने कहा है कि सिर्फ सिग्नेचर महत्त्व रखते हैं तो क्या हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से बड़ी हो गई आप में सिग्नेचर करके अगर कोई चेक दे दिया है मन अब आप लोगों को आज कर दिया है

  • @rajendrakarekar9796
    @rajendrakarekar9796 Год назад +3

    Very important and knowledgeable information Sir

  • @bjhonusa
    @bjhonusa Год назад +5

    Very good judgement.
    लोन देने वाली कम्पनी अपने हिसाब से चार्ज ले लेती है और उसका कैलकुलेशन भी नही बताती। बाद में दिया हुआ चेक पर तारीख डाल कर पैसे काट लेती है।
    आम आदमी उस पर कुछ करता भी नहीं।
    अगर पैसे की इतनी पड़ी है तो डेट डलवा दो ना। उस तारीख को निकाल लेना। दोनो को पता रहेगा की इस तारीख को पैसे बैंक से निकलेंगे।
    वेरी गुड कोर्ट। इस एक्ट में सुधार कर के चेक अल्टरेशन करने वाले को ही जेल में डाल देना चाहिए।

  • @inderjitsharma8057
    @inderjitsharma8057 Год назад +2

    इन्स्टूमैंट एक्ट एक फ्राड कानून है, जो चीटर को ही मौका प्रदान करता है।
    हां एक बात समझ में आई कि किसी को भी किसी हालात में उधार ना दें क्योंकि कानून ही उसकी मदद करता है।
    फैसला आने में दशक या दशकों लग सकते हैं।

  • @rajshreeanandk1099
    @rajshreeanandk1099 Год назад +1

    Ram Ram Ji
    Achchhi jaankari di hai. Dhanyawad Ji.

  • @DineshGupta-wk8gk
    @DineshGupta-wk8gk Год назад +28

    बेकार का नियम फिर चेक का मतलब ही किया रहा।

  • @RamRam-vs3dz
    @RamRam-vs3dz Год назад +4

    चेक जारीकर्ता अपने साइन करके किसी को चेक देता है तो आपने सारे अधिकार जैसे चेक अमाउंट दिनांक भरने का अधिकार भी धारक को दे देता है।

    • @jigyasuarun1729
      @jigyasuarun1729 Год назад

      Ye ruelings kahan milengi sir

    • @RamRam-vs3dz
      @RamRam-vs3dz Год назад

      @@jigyasuarun1729 इस संबंध माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा न्याय दृष्टांत.-Vijender Singh vs M/S Eicher Motors Limited & Anr. on CRL. M.C. No. 1454 / 2011 on 5 May, 2011

  • @AmitMishra-rg8rt
    @AmitMishra-rg8rt Год назад +3

    Bahut he useful information.

  • @PankajPandey-he1pt
    @PankajPandey-he1pt 7 месяцев назад +1

    पैसे लेने वाला कभी सहमति नहीं देगा कोर्ट यह फैसला अन्याय पूर्ण है

  • @hkbjpss
    @hkbjpss Год назад +12

    कई जज बिना दिमाग़ वाले होते हे, ऐसे जजमेंट के बाद कोन पैसा देगा?
    जब किसीने समय पर पैसा नहीं लौटाया तब तो दूसरे ने चेक डिपोसिट किया होगा।

  • @brijendrasingh4749
    @brijendrasingh4749 Год назад +3

    नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

  • @shyamsundersharma6231
    @shyamsundersharma6231 Год назад +3

    As a retired banker, I will say,"उस कस्टमर को चेक बुक जारी नहीं की जानी चाहिए जो अनपढ़ होऔर सिर्फ सिग्नेचर करना जानता हो। कोर्ट में जाकर मुकर जाएगा।"

    • @yusufpaik2768
      @yusufpaik2768 Год назад

      Yes

    • @lovechannel2866
      @lovechannel2866 Год назад

      नहीं ऐसा नहीं है।केवल हस्ताक्षर करने वाला चेक बैंक से इश्यू हीं क्यों कराता है। इसका अर्थ है केवल हस्ताक्षर करने वाला निश्चित रूप से दूसरों से चेक भरा कर अपने खाता से रुपया निकालता है। बैंक चेक पर हस्ताक्षर को हीं जांच करता है। चेक किसके द्वारा भरा गया इससे बैंक को कोई मतलब नहीं है। बहुत से लोग पढ़ा लिखा नहीं है फिर भी बैंक ग्राहक को एटीएम कार्ड और चेक देता है।

  • @sureshjoshi6701
    @sureshjoshi6701 Год назад +2

    5 से 10 लोग को व्याज का लालच देके पैसे लेने वाला गुनेगार या देने वाला गुनेगार ? पैसे देने वाला जबरजस्ती पैसा देता नहीं लेने वाला हाथ जोड़ के ब्याज की लालच देके कई लोगो से पैसा लेता है ।

  • @moonshinebags
    @moonshinebags Год назад +2

    Aap ne bahut hi achcha Gyan Diya shukriya

  • @maheshshah1314
    @maheshshah1314 Год назад +4

    It is radiculous law. If one has to follow such law it will be impossible to secure your payment.
    Why is is not mendetory for issuer to give new cheque.
    Issuer knows that he has given cheque towards his obligations.
    All laws are in favour of criminals.

  • @rakeshkardam5644
    @rakeshkardam5644 Год назад +3

    Jay bhim sir aap ne bahut accha bola thanks so much 🙏

  • @jitubhaipatel5367
    @jitubhaipatel5367 Год назад +1

    Bahot badiya jaankari dedi
    Dhanyavad

  • @vijayr5778
    @vijayr5778 Год назад +2

    सभी भाईयों को ये भी जानकारी होनी चाहिए कि नोटबंधी के बाद पुराने चेक सभी बैंकों के रद्द कर दिए गए थे उसके बाद नई चेकबुक जारी कि गई थी उन पुराने चेको की कोई वेल्यू नहीं रही अब अगर ये चेक लगाते भी हैं तो सिस्टम स्वीकार नहीं करेगा बाउंस कैसे होगा क्यों आप देखना नए चेक में एक काली पट्टी लाइट होती है उसमे बारकोट नंबर भी होते हैं ये नियम सबके लिए लागू होते हैं आपके पास अगर पुराना चेक पड़ा है भर कर लेजाओ बैंक नहीं लेगा बोलेगा नया चेक लेकर आओ ये चेक पुराना है रद्द कर दिए गए ये चेक????

  • @nashhavi22
    @nashhavi22 Год назад +1

    It is nice video. The reason behind dec. 87 is that such alteration makes the instrument un reasonable.
    The provision relating to reasonability is attracted in respect of time and date.
    That makes the alteration doubly unreasonable..

  • @nandchauhan8448
    @nandchauhan8448 Год назад +20

    Nonsense judgement

  • @RD-ij2sz
    @RD-ij2sz Год назад +1

    Thanks for your informative video on the very important matter .

  • @sureshgoenka6197
    @sureshgoenka6197 Год назад +7

    Consent of drawer must be necessary on the date of presentation. Drawer may not give his consent for his presentation and in that case the drawee well knows the non consent.

  • @HarishankarDixit-s1m
    @HarishankarDixit-s1m Месяц назад

    Very good information sir ji, pranam

  • @rajendrachauhan9842
    @rajendrachauhan9842 Год назад +2

    *🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳 जय महाराष्ट्र 🇮🇳*

  • @raman9482
    @raman9482 Год назад +7

    एक बार किसीने चेक दिया मतलब उसने पैसा देना है l भले ही तारीख कोई भी डाले l ऐसे मुर्ख जज है इसलिए। कोर्ट में लाखो केस पेंडिंग है l

    • @dineshkm7832
      @dineshkm7832 Год назад

      Shi kha aapne

    • @bharatarora6865
      @bharatarora6865 Год назад

      सहमत हैं
      इन कानून बनाने वालों का अपना पैसा डूबे तो अहसास हो

  • @pmshah1946
    @pmshah1946 Год назад +26

    From my experience over 50+years of doing business and handling such transactions the practice is to ALWAYS take a "post dated cheque" and never an "undated cheque". Only way to avoid this situation is to date the instrument with a rubber stamp that has numbers that can be changed as needed. Banks use this all the time for stamping of deposit slip counterfoil or documents /papers receipt acknowledgements. Then it can't be disputed as to when or who by was the instrument "date stamped".

    • @sudeshsankhwar8642
      @sudeshsankhwar8642 Год назад

      Respect sir...if any person picks money on interest in favour of without mention date cheque but mentioned signed/ammount...and giving interest regularly
      For long periods the basic amount is less than paid interest value..or may not be able to pay the basic amount...in this cond. what happened if the cheque bounced by the money provider...while mentioned date on instrument by another pen and hand writing..?

    • @mikesheth5370
      @mikesheth5370 Год назад +1

      Also both debtor and creditor should agree what amount should be filled which has ball park figure of principal plus interests or a separate document. Looks like here debtor is pretty needy and creditor greedy . This is the reason blank check is given and interest is usurious about 25% a month . NIA act is pretty handy for both!
      Or it’s misused by both.

    • @pmshah1946
      @pmshah1946 Год назад +3

      @@mikesheth5370 I think you are way off. The situation you describe will NEVER reach the court. There would be no cheques. It is called loansharking and the first missed /delayed instalment may result in only a blackeye but the second one will land the borrower in hospital with both tibias broken.

    • @mikesheth5370
      @mikesheth5370 Год назад

      @@pmshah1946 That’s called using arm and leg as collateral! Many time debtor pays interest even after paying agreed amount and then gets beaten up if he stops!

    • @mikesheth5370
      @mikesheth5370 Год назад

      @@pmshah1946 Even loan sharks do use NIA ! All legal and can charge as much as they like with blank check!

  • @dileepjaiswaljaiswal6962
    @dileepjaiswaljaiswal6962 Год назад +63

    भारतीय कानून हमेशा अपराधी का ही अधिकांश साथ देने जैसा फैसला देता है 😭😭

  • @RoyalG39
    @RoyalG39 Год назад +5

    🙏नमस्कार जी🙏
    खुद ही चेक लगवा कर बाउंस करवाते है और बाद में कोर्ट में जाकर मुकर जाते है ऐसे में तो बईमान लोगो की हिमत और बढ़ जाएगी।
    फिर कोर्ट से किया उमीद की जाए।

  • @Sunil74-j2n
    @Sunil74-j2n Год назад +2

    Useful information

  • @rajendrapurohit8941
    @rajendrapurohit8941 Год назад +8

    चैक ही बद कर देना चाहिये बैको को डिजिटल पेमेट करो या की न्यायालय जज वकीलों की दुकानें बद हो करोडो केस का निपटारा हो जाये और चेक देनदेन बद हो

  • @bhattadevsarma3389
    @bhattadevsarma3389 Год назад +4

    Thanks for the valuable information sir 👍

    • @DKDUBEY
      @DKDUBEY  Год назад +1

      Always welcome

  • @navinambastha1253
    @navinambastha1253 Год назад +5

    Indian law is full of loop hole. Most of the time on same case higher court judgement are inconsistent. In the absent of clear cut guidelines Judges give judgement as they wish. In india judiciary and traffic department requires urgently complete overhauling.

  • @bherulalsuthar5749
    @bherulalsuthar5749 4 месяца назад

    Jai shree Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai Ram ji Jai Sai

  • @ashokkumaraneja4299
    @ashokkumaraneja4299 Год назад +1

    रॉयल गुरूजी ने बिल्कुल सही लिखा है, कि जिसका पैसा डूबता है, उसके दिल से पूछो, जज को क्या फर्क पड़ता है,कानून में संशोधन होना चाहिए।

  • @rajendrakumaar3800
    @rajendrakumaar3800 Год назад +9

    Unless & until default in repayment is made a criminal offence, bad debts of banks will go on increasing unabated.
    The said case is clear cut case of wilful default. Such cases should be treated as criminal cases without any time bar limit.

    • @AC-en2oz
      @AC-en2oz Год назад +1

      Banks should avoid giving unsecured loans. Simple

    • @rajendrakumaar3800
      @rajendrakumaar3800 Год назад

      @@AC-en2oz Even a fully secured loan can't be recovered due to erosion of value.

    • @DisclosedbittertruthWhileAlive
      @DisclosedbittertruthWhileAlive 10 месяцев назад

      Data says around 4.2 % loans are NPA. But while you deeply analyse the data, 3.9% are due to Corporate debts ( big loans like 1000 Crore to 100000 Crores of Rupees- Generally thease are protected by Politicians like Subhash Chandra, Sunny Deol are recently exposed example, Many more remains unexposed) .
      The common person borrowing between few thousands to 5 crores defaults non wilful (My personal Example: I lost everything in treatment , No assets or source of Income as children are students - My spouse have to teach tuition for earning some 4000-5000 for food etc). But its India boss, Subhash chandra have no case and I am facing a criminal case of NI 138 under wilful defaulter- Expecting Jail next month because I can't afford a lawyer, nor I can take bail as court decided the bail amount Rs. 2.50 L ( Which I wont be able to earn during my remaining entire life as I became permanently disabled after Covid Sufferings and its side effects.

  • @biceps2007
    @biceps2007 Год назад +9

    Looks as if the judgement is customised to suit the defaulter. Was the issuer forced to issue undated cheque? If not the consent is proved.

  • @jogendrashekhawat3052
    @jogendrashekhawat3052 Год назад +4

    बहुत अच्छा निर्णय किया है

    • @manojpri2002
      @manojpri2002 Год назад

      Bakwas, jisko pesa lautana hi nahi hai,wo consent Kyo dega

  • @MaheshKumar-ek5ie
    @MaheshKumar-ek5ie Год назад +4

    Cort k design ka Matlab h koi bhi vyakti Jyada se jyada lone lo ro mat chukao

  • @dharmendrapurohit6596
    @dharmendrapurohit6596 Год назад +1

    Pese ka risk only khud dene vale par hona chahiye bas usme sarkar or court ka koi lena dena nahi hona chahiye kyu ki dene vala pagal nahi hota hai

  • @KrishnaSrivastav-g3p
    @KrishnaSrivastav-g3p Год назад +1

    Sir, Plz. See the arrogant, indecent,detrimental attitude of Kapil Sibal , He is threading SG Sir before CJI Sir, which law protects -empowers him to do so. It appears KSibal is is in the hand &gloves with anti Nationals.
    H'nble SC must take conginizance of this fact & decide what to do to with KSibal &other alike him. So that dignity of rule of be uphold.

  • @parsottambhairangapariya9156
    @parsottambhairangapariya9156 Год назад +2

    Badi mehant se police millatry criminal ko apni jan jokham me dal ke pakdtihai unko supreme our high court riha kar deti hai

  • @surendraburad2479
    @surendraburad2479 Год назад

    सबसे कठिन कार्य न्याय पन्ना

  • @kumarrajendra800
    @kumarrajendra800 Год назад +4

    यदि हम चेक के 1 साल की जगह पर एक्स्ट्रा समय 2 साल वाली तारीख डलवा दें तो उसमें क्या आपत्ति है, हमें बार बार चेक लेन-देन भी नहीं करने पड़ेंगे

  • @manojsoni7810
    @manojsoni7810 Год назад +1

    Great suggestion, thanku so much sir ji 🙏

  • @hhhhh3354da
    @hhhhh3354da Год назад +37

    भाई मुंबई को फॉलो करना है या सुप्रीम को ? सुप्रीम का जजमेंट कहता है की डेट चेक ऑनर ने ना लिखी हो फिर भी वैध है

    • @vinodkumaryadav584
      @vinodkumaryadav584 Год назад +2

      You are right

    • @bharatarora6865
      @bharatarora6865 Год назад

      Is it so. Dear

    • @DODEEWANE
      @DODEEWANE Год назад

      Kiski baat maane ??

    • @purushottamr.maradia9723
      @purushottamr.maradia9723 Год назад

      In SC all judges r committed to save his Godfather and order to save

    • @JaagoBhaarat
      @JaagoBhaarat Год назад +2

      Bhai aapki aadhi baat sahi hai. Date agar owner ne nahi likhi ho aur cheque lene wala likhta hai date to owner se puch kar likha jana chahiye.

  • @kishanwaldia7388
    @kishanwaldia7388 Год назад +2

    Dube ji ap hamesha nai nai information dete hain kripaya yah bhawishya m bhi dete rahiyega Dhanyawad.

  • @deadmind1181
    @deadmind1181 Год назад +1

    भारत में व्यापार तथा लेनदेन को खत्म कर भारत की तरक्की में ऱुकावट अथवा व्यापार को धीमा करने का प्रयास है। अब कोई डर के कारण लेन देन नहीं करेगा।

  • @varinderbhardwaj7559
    @varinderbhardwaj7559 Год назад +1

    Good judgement

  • @shahnajstudy
    @shahnajstudy Год назад +3

    जज का फैसला बिल्कुल ठीक है।

  • @vickyshevade9456
    @vickyshevade9456 4 месяца назад +1

    Pahle. cheque. . Ka. ..time ( date) khatm .ho ..gaya..aur ..samnewala. .ne ..dusara ..naya cheque ..nahi dega. .to ..kya kare?

  • @rohitrai9327
    @rohitrai9327 6 месяцев назад

    Sir ji bahut bahut dhanybad ye jankari dene ke liye

  • @Sukenderkaluwala
    @Sukenderkaluwala 11 месяцев назад +1

    Jayada case mein dekhne ko aata h ki log cheq ka miss karte h jayada amount dalte h or laga dete h😂

  • @cryptonewindia
    @cryptonewindia Год назад

    बहुत अच्छा डिसीजन लिया हाईकोर्ट ने

  • @ghanshyambhaipatel4829
    @ghanshyambhaipatel4829 Год назад +1

    👍 Nice 👍 information 👍,Sir 👍 please 👍 Go 👍 ahead 👍 👍👍

  • @chunilal7311
    @chunilal7311 Год назад +1

    Check date dal kr hi lena chahiye,date khatam hote hi dubara check lena chahiye.

  • @shreekantrathore8186
    @shreekantrathore8186 Год назад

    Very good judgement in case of forgery in india.

  • @dineshnavalakhanavlakha765
    @dineshnavalakhanavlakha765 Год назад +3

    हमारे वसई पालघर महाराष्ट्र 13 साल से जज साहेब डेट पर डेट दे रहे खाली 138 चेक बाउंस केस में टोटल टाइम वेस्ट ओन्ली व्यापारी भारत का सबसे बेस्ट कानून है जहां अदालत में चक्कर काटते रहो

  • @jayeshmistry4221
    @jayeshmistry4221 Год назад +11

    Now, no one will dare to lend money anymore, as there are greater chances that the maker will never give his consent to use the cheques.

    • @ravishah033
      @ravishah033 Год назад +3

      Yes law is protecting debtors.i hv filed several cases but did not recover any money only recd injustice n date after date

    • @jayeshmistry4221
      @jayeshmistry4221 Год назад +3

      @@ravishah033 sad but this is the reality of the judiciary.

  • @rajarameshmachkuri6044
    @rajarameshmachkuri6044 Год назад +2

    Nice explanation sir,
    Seeking from you for some more judgements regarding Ni act, Sir..
    Thank you..

  • @omkarpromotions7718
    @omkarpromotions7718 Год назад +1

    Koi chor bhi hote hai , jaise cheque advance cheque lekar goods supply nahi karte aur cheque bhi deposit karke bounced cheque ke against case fraud case karte hai, bechara cheque Dene wala fas jata hai. Aur court ke chakkar lagate rahte hai, this happened with me.

  • @सोमनैथानी
    @सोमनैथानी Год назад

    धन्यवाद जानकारी हेतु 🙏🕉️

  • @bijendersingh7862
    @bijendersingh7862 Год назад

    कोर्ट पर विस्वास ही नहीं है
    कल अपने कहे पर ही पलट जाएंगे सिफारिश से लगे जज

  • @dharadave3399
    @dharadave3399 10 месяцев назад

    बहुत ही शानदार बात बताई सर जी

  • @ranapratap3781
    @ranapratap3781 Год назад +5

    Very Good Information

  • @sushiltiwari2779
    @sushiltiwari2779 Год назад +2

    Jai shree Ram 🙏 pranam sir 🙏

  • @vijayrokde2790
    @vijayrokde2790 Год назад +1

    जीसको पैसे देणे नही वोतो कभी मान्य नही करेगा तारीख खुद नही डालेगा.

  • @preetichaudhary1192
    @preetichaudhary1192 Год назад

    Bahut badhiya knowledge aapney di.

  • @tyagifitnessclub4759
    @tyagifitnessclub4759 Год назад

    कोर्ट में तो तारीख पर तारीख पर तारीख पर तारीख पर तारीख पर,,,,,रकम नहीं मिलती ।जिन्दगी बेकार ।

  • @vinaydeora2466
    @vinaydeora2466 Год назад +2

    138 act cheque bounce is 3rd rd grade law.
    Cheque should be like demand draft .bank will be responsible to pay amount to .avoid such cases in court.

    • @meetshah6792
      @meetshah6792 Год назад +1

      Are bhai case to banega magar agar unke pass pesa hi nahi to court kya karega. Vo bhi to aapko time hi dega .or ese hi samjota hoga .