Kabir bhajan: प्रताब भाई द्वारा आदिवासी भाषा मैं उनके विचार जरूर सुने आपकी ज़िंदगी बदल जायेगी।
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- Опубликовано: 15 окт 2024
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कबीर भजन । मालवी लोकशैली मैं
स्वर-प्रहलाद सिंह टिपानिया जी।
1.साहेब ने भांग पिलाई।
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2. हर हर मानवा चोट है अभिमान की
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3.यो बोले है नर कौन पुरूष बोले हरे हरे
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13.मीरा जहर को प्यालो
• मीरा जहर को प्यालो || ...
15.क्यों भूलिगी थारो देश
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16.साथी सारे जागे तू ना जागा
• साथी सारे जगे तू ना जा...
5.म्हारी राम बाग गुलजार।
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6.कालुराम जी बामनिया।
• भगवान करे सो होई रे मन...
8.रंग महल मैं अजब शहर मैं
• रंग महल मैं अजब शहर मै...
9.प्रहलाद सिंह टिपानिया जी
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10.प्रहलाद जी यो मन पावणौ
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11. मेली चादर
• मेली चादर साधु भाई धोई...
1.सब घट नाम साधु एक है रे।
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2.यो मन पावणों दिन चार-टिपानिया जी
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3. म्हारी स्यानी सुरता
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4.कई हेरती फिर म्हारी हेली।
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5.रंग महल मैं अजब शहर मैं।
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6.धन्य तेरी करतार कला का
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7.कहा से आया कहा जाओगा।
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8.तंबूरा सुन लो साधु भाई।
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9.हेली म्हारी बहार भटके काई।
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10.बताऊ तने भाव नगरी-प्रहलाद सिंह जी।
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