प्यारे साथ जी नव वर्ष में श्रावण मास की शुभ घड़ी में श्री बीतक साहिब के शुभारंभ में सर्व सुंदर साथ को शत शत प्रेम भरा प्रणाम जी। प्यारे साथ जी ऐसी शुभ घड़ी में कुछ प्रेम भरा सहूर करना चाहेंगे। श्री नेत्रपाल महाराज जी ने जुगल किशोर के जाप का वर्णन किया है। वास्तव में बहुत अच्छा किया है। उसी जुगल किशोर के जाप का वर्णन परमहंस श्री श्री 108 श्री राम रतन दास जी महाराज के तारतम भवन के खुदा हुआ है। लेकिन वहां हमारा ध्यान नहीं जाता। फिर भी कुछ सभी को तो नहीं कहता। राधेश्याम राधेश्याम करते फिरते हैं। परम धाम की संपूर्ण ब्रह म वाणी में कहीं भी सिंहासन पर श्री कृष्ण राधा नहीं आया। क्योंकि श्री कृष्णा राधा गोलोक धाम में अखंड हैं। परमधाम में श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जी स्वर्ण जड़ित सिंहासन पर मूल मिलावा में विराजमान है। श्री महेश्वर तंत्र में इसका वर्णन है। श्री राज कहो श्री कृष्ण जी का हो श्री जी साहिब जी कहो कुछ भी अंतर नहीं है। परमधाम की वाणी में जहां भी कुरान का प्रसंग आया है। वहां साहिब नाम आया। प्यारे साथ जी यही आशा करता हूं हिना थोड़ी सी वचनों जरूर प्रेम भरा सहूर करेंगे। प्रणाम जी
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प्यारे साथ जी नव वर्ष में श्रावण मास की शुभ घड़ी में श्री बीतक साहिब के शुभारंभ में सर्व सुंदर साथ को शत शत प्रेम भरा प्रणाम जी।
प्यारे साथ जी ऐसी शुभ घड़ी में कुछ प्रेम भरा सहूर करना चाहेंगे।
श्री नेत्रपाल महाराज जी ने जुगल किशोर के जाप का वर्णन किया है। वास्तव में बहुत अच्छा किया है। उसी जुगल किशोर के जाप का वर्णन परमहंस श्री श्री 108 श्री राम रतन दास जी महाराज के तारतम भवन के खुदा हुआ है। लेकिन वहां हमारा ध्यान नहीं जाता। फिर भी कुछ सभी को तो नहीं कहता। राधेश्याम राधेश्याम करते फिरते हैं।
परम धाम की संपूर्ण ब्रह म वाणी में कहीं भी सिंहासन पर श्री कृष्ण राधा नहीं आया। क्योंकि श्री कृष्णा राधा गोलोक धाम में अखंड हैं।
परमधाम में श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जी स्वर्ण जड़ित सिंहासन पर मूल मिलावा में विराजमान है।
श्री महेश्वर तंत्र में इसका वर्णन है।
श्री राज कहो श्री कृष्ण जी का हो श्री जी साहिब जी कहो कुछ भी अंतर नहीं है।
परमधाम की वाणी में जहां भी कुरान का प्रसंग आया है। वहां साहिब नाम आया।
प्यारे साथ जी यही आशा करता हूं हिना थोड़ी सी वचनों जरूर प्रेम भरा सहूर करेंगे। प्रणाम जी