*मैं भी राजकीय इंटर कॉलेज मासी का खुशकिस्मत विद्यार्थी रहा हूं।मैंने सन 1971-72 में कक्षा 6 यहां से ही पढ़ा है। सभी गुरु जनों को शत शत नमन। @श्री रमेश चंद्र चतुर्वेदी सर का विशेष आभार। 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 🎉🎉 डा.के.सी जोशी,वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ,संजीवनी हॉस्पिटल,रामनगर,नैनीताल,उत्तराखंड। 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻👍🏻👌 सादर प्रणाम। हार्दिक अभिनंदन।। बहुत सुन्दर। आपके वीडियो को कल भी दो-दो बार मैंने अपने पूरे परिवार के साथ टीवी के बड़े स्क्रीन पर देखा बहुत अच्छा लगा। पूरा कार्यक्रम ही बहुत सुन्दर और प्रभावी रहा है। बच्चों के गीत-नृत्य और प्रिय बिटिया मेघा जोशी की कुमाउनी कविता ने व पूजनीय श्री कबडवाल जी व तारा दत्त फुलोरिया जी के साथ ही पूजनीय श्री रमेश चन्द्र चतुर्वेदी गुरु जी का वक्तव्य और गीत-कविता मन को छू गया। चिरंजीवी प्रिय मेघा जोशी की कविता से जहाँ पुराने ग्रामीण जीवन व रहन-सहन की याद आती है वहीं पर चतुर्वेदी जी की कविता से पुराने विद्यालय व विद्यार्थी जीवन की याद आ गई। बीच-बीच में मंच पर संचालन करने वाले सज्जनों का आना या मंच पर वक्ताओं के ही पास बने रहना उचित नहीं लगा। मंच जब किसी को सौप दिया गया है तो मर्यादा होती है कि मंच पर वक्ताओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाए... समय जितना देना हो पहले ही बता दिया जाए... बीच में आना या वहीं पर बना रहना ठीक नहीं है.. समय के अनुसार वक्तव्य समेटने के लिए हाथ पर चिट में लिखकर देना चाहिए... ताकि वक्ता अपने वक्तव्य को शीघ्र समेट ले...। आपने आदरणीय श्री चतुर्वेदी जी ने जब पहली बार वार्षिकोत्सव होने पर दो-तीन गीतिनाट्य बनाए व मंचित किए जिनमें सबसे बढ़िया गीत, नाटक थे- यौ सुर-शराबल् हायि हमरि मौ लाल कैदी हो। छन डबलै ठनठन गोपाल कैदी हो। परिवार नियोजन पर गीत - ओ हो रे बचुदा कां है रै दौड़ा... दहेजप्रथा पर नाटक बहुत सुख संपत्ति आ गई तुम्हारे आने से.... रजनी व प्रधानाचार्य जी की लड़की और अन्य छात्रों ने भूमिका निभाई थी। यह नाटक करवाया। "देशभक्ति और रक्षाबंधन" पर आधारित गीत करवाया जिसमें मुझे गीत गा रही बहिनों का "भाई" बनाया था। इसी प्रकार १९८९ में सरदार "भगत सिंह" नाटक में आपने सांडर्स की भूमिका निभाई थी। जिसमें बहुत से शिक्षकों व छात्रों ने भूमिका निभाई थी। शिक्षकों के साथ मैंने भी बटुकेश्वर दत्त की भूमिका निभाई थी। पूजनीय श्री गिरीश जोशी जी भगत सिंह, शिवदत्त मासीवाल जी राजगुरु, श्री नारायण दत्त मासीवाल जी सुखदेव व पूजनीय श्री बाला दत्त पंत जी चंद्रशेखर आजाद बने थे आप गुरूजनों के साथ ही मेरी बटुकेश्वर दत्त की भूमिका थी। मेरी तो उस दिन सचमुच की फांसी लगने वाली थी यदि मैं ऊपर पोल व रस्सी से हाथ छोड़ देता तो... पूजनीय गुरु जी श्री गिरीश जोशी जी व श्री शिवदत्त मालीवाल गुरु जी ने पर्दा बंद होते ही तुरंत मुझे पकड़ कर नीचे उतार दिया। आपके द्वारा पढ़ाई गईं सभी कक्षाओं की भी पूरी यादें मुझे आज भी गुदगुदातीं हैं, आनंद, उत्साह और प्रेरणा से भर देतीं हैं। मैं आज भी अपनी कक्षाओं में अपने शिष्यों को अपने विद्यालय व विद्यार्थी जीवन की, गुरूजनों की बातें आनंदित होकर बताता हूँ और आप जैसे गुरूजनों की प्रेरणा से प्रेरित होकर वैसी ही भूमिका कक्षा व विभाग में निःस्वार्थ सेवा भाव से प्रस्तुत करता हूँ। यह दृश्य दिखाया है जिसने, वह है गुरूदेव की पुण्य दया।। पुनः सभी वीडियो के लिए हार्दिक धन्यवाद व सादर प्रणाम। डा प्रवेश चंद्र जोशी 'सत्यप्रेमी'
Bhut sunder program school ka program karne aap sabhi logo ka abhinandan
Bahut sunder
अति सुंदर प्रोग्राम🎉🎉
Bahut acha program ❤
बहुत खुब
Bahut sundar
बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🙏🙏🙏🙏
5bhut sunadar
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ददा आप के द्वारा आज हमने भी यह सब देखा बहुत अच्छा लगा हम भी इसी स्कूल के विद्यार्थि है 2001 मैं बारहवीं की थी ❤से धन्यवाद 🙏
बेहतरीन प्रयाश सभी प्रबुद्ध जनों द्वारा....👏
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉बहुत ही सुंदर
बहुत बहुत सुंदर
🎉🎉🎉 bhut sunder
Nice thanks sir
Super
Nice
Bahut sunder ❤❤❤
बहुत सुंदर ❤❤❤
जय हौ
*मैं भी राजकीय इंटर कॉलेज मासी का खुशकिस्मत विद्यार्थी रहा हूं।मैंने सन 1971-72 में कक्षा 6 यहां से ही पढ़ा है।
सभी गुरु जनों को शत शत नमन।
@श्री रमेश चंद्र चतुर्वेदी सर का विशेष आभार।
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
🎉🎉
डा.के.सी जोशी,वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ,संजीवनी हॉस्पिटल,रामनगर,नैनीताल,उत्तराखंड।
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👌
🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻👍🏻👌
सादर प्रणाम। हार्दिक अभिनंदन।।
बहुत सुन्दर।
आपके वीडियो को कल भी दो-दो बार मैंने अपने पूरे परिवार के साथ टीवी के बड़े स्क्रीन पर देखा बहुत अच्छा लगा। पूरा कार्यक्रम ही बहुत सुन्दर और प्रभावी रहा है। बच्चों के गीत-नृत्य और प्रिय बिटिया मेघा जोशी की कुमाउनी कविता ने व पूजनीय श्री कबडवाल जी व तारा दत्त फुलोरिया जी के साथ ही पूजनीय श्री रमेश चन्द्र चतुर्वेदी गुरु जी का वक्तव्य और गीत-कविता मन को छू गया। चिरंजीवी प्रिय मेघा जोशी की कविता से जहाँ पुराने ग्रामीण जीवन व रहन-सहन की याद आती है वहीं पर चतुर्वेदी जी की कविता से पुराने विद्यालय व विद्यार्थी जीवन की याद आ गई।
बीच-बीच में मंच पर संचालन करने वाले सज्जनों का आना या मंच पर वक्ताओं के ही पास बने रहना उचित नहीं लगा। मंच जब किसी को सौप दिया गया है तो मर्यादा होती है कि मंच पर वक्ताओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाए... समय जितना देना हो पहले ही बता दिया जाए... बीच में आना या वहीं पर बना रहना ठीक नहीं है.. समय के अनुसार वक्तव्य समेटने के लिए हाथ पर चिट में लिखकर देना चाहिए... ताकि वक्ता अपने वक्तव्य को शीघ्र समेट ले...।
आपने आदरणीय श्री चतुर्वेदी जी ने जब पहली बार वार्षिकोत्सव होने पर दो-तीन गीतिनाट्य बनाए व मंचित किए जिनमें सबसे बढ़िया गीत, नाटक थे-
यौ सुर-शराबल् हायि हमरि मौ लाल कैदी हो।
छन डबलै ठनठन गोपाल कैदी हो।
परिवार नियोजन पर गीत -
ओ हो रे बचुदा कां है रै दौड़ा...
दहेजप्रथा पर नाटक बहुत सुख संपत्ति आ गई तुम्हारे आने से.... रजनी व प्रधानाचार्य जी की लड़की और अन्य छात्रों ने भूमिका निभाई थी। यह नाटक करवाया।
"देशभक्ति और रक्षाबंधन" पर आधारित गीत करवाया जिसमें मुझे गीत गा रही बहिनों का "भाई" बनाया था।
इसी प्रकार १९८९ में सरदार "भगत सिंह" नाटक में आपने सांडर्स की भूमिका निभाई थी। जिसमें बहुत से शिक्षकों व छात्रों ने भूमिका निभाई थी। शिक्षकों के साथ मैंने भी बटुकेश्वर दत्त की भूमिका निभाई थी। पूजनीय श्री गिरीश जोशी जी भगत सिंह, शिवदत्त मासीवाल जी राजगुरु, श्री नारायण दत्त मासीवाल जी सुखदेव व पूजनीय श्री बाला दत्त पंत जी चंद्रशेखर आजाद बने थे आप गुरूजनों के साथ ही मेरी बटुकेश्वर दत्त की भूमिका थी। मेरी तो उस दिन सचमुच की फांसी लगने वाली थी यदि मैं ऊपर पोल व रस्सी से हाथ छोड़ देता तो... पूजनीय गुरु जी श्री गिरीश जोशी जी व श्री शिवदत्त मालीवाल गुरु जी ने पर्दा बंद होते ही तुरंत मुझे पकड़ कर नीचे उतार दिया।
आपके द्वारा पढ़ाई गईं सभी कक्षाओं की भी पूरी यादें मुझे आज भी गुदगुदातीं हैं, आनंद, उत्साह और प्रेरणा से भर देतीं हैं।
मैं आज भी अपनी कक्षाओं में अपने शिष्यों को अपने विद्यालय व विद्यार्थी जीवन की, गुरूजनों की बातें आनंदित होकर बताता हूँ और आप जैसे गुरूजनों की प्रेरणा से प्रेरित होकर वैसी ही भूमिका कक्षा व विभाग में निःस्वार्थ सेवा भाव से प्रस्तुत करता हूँ।
यह दृश्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरूदेव की पुण्य दया।।
पुनः सभी वीडियो के लिए हार्दिक धन्यवाद व सादर प्रणाम।
डा प्रवेश चंद्र जोशी 'सत्यप्रेमी'
आप सभी के सहयोग से ही हमें प्रेरणा मिलती है। हौसला बढ़ता है।🙏🙏🙏🙏
सभी गुरुजनो को नमन 🙏
❤🐣
Bahut khub
Bahut sundar