इतनी बडी गायिका पर दिल कितना छोटा था दूसरोंकी इज्जत करनाउसने शिका नही था इसलिए संविधान लिखनेवाला बाबासाहेब वो समज नही पाई खूद देवदासी होकर भी ईतना घमडं,वो जादा पढी लिखीनही थी सोच भी उतनी थी
स्तरीय जानकारी बेलाग;ब्राह्मणवाद की एक परत खुली कि हर प्रसिद्ध प्रतिभा ब्राह्मण ही नही होती।इसी तरह रवीन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार प्राप्ति के बाद ब्राह्मण कहा गया जबकि वो पीरल्ली जाति के शूद्र थे जिन्हे उङीसा के एक मंदिर मे ब्राह्मणो ने घुसने नही दिया था।
सही कहा टैगोर और ठाकुर एक उपाधि दी जो अंग्रजों द्वारा दी जाती थी उनके काम से खुश होकर अब आप समझ सकते हैं अंग्रेज कैसे खुश होते थे चापलूसी करवाकर या जासूसी करने वाले से 😂😂😂😂😂😂🎉🎉🎉
टैगोर जी शूद्र नहीं थे,वह ठाकुर ही थे।इसी ठाकुर को अंग्रेजों ने बार बार अपभ्रंश उच्चारण कर के टैगोर बना दिया। वैसे यह बात सही है कि तत्कालीन बंग समाज के लोग टैगोर परिवार को जातीय आधार पर हीन यानी कमतर मानते थे।यह बात टैगोर को पसन्द नहीं आती थी।इसी से प्रेरणा लेकर एक उपन्यास गोरा लिखा गया है जिसका हीरो "गोरा" उस विसंगति का शिकार है। आज टैगोर की बराबरी करने वाला पूरे बेंगाल में,पूरे भारत में,पूरे एशिया में,पूरे अमेरिका में पूरे दक्षिण अमेरिक और अफ्रीका में कोई नहीं है।योरोप के कुछ कवि है जो सर्वश्रेष्ठता में टेगोर के बराबरी या समकक्ष खड़ा होने के योग्य हैं। योरोप के कवि अति- क्लिष्टता,अति- दार्शनिकता के कारण ही बराबरी कर सकते है पर काव्य के अन्य पैमाने--- रस छंद और रागिनी में वे टैगोर की बराबरी करने में मिलों पीछे हैं।
इंसान चाहे कितनी भी दौलत और शोहरत कमा ले वह अपने बचपन की कुंठा से बाहर नही निकल पाता । क्योंकि बचपन मे जब वह मुसीबत भोग रहा होता है उस समय लोग उसे और अधिक दुखी बना रहे होते हैं उसे तरह तरह से यातना और प्रताड़ना दे रहे होते हैं । लेकिन जब वह इंसान मुसीबतों की आग मे तपकर चमचमाता सोना बन जाता है तो सब कोई उसे अपना बताने लगता है । लता मंगेशकर अपने साथ हुए गलत ब्यवहार को कभी नही भुलाया और उसे परोपकार या जन कल्याण से कोई मतलब नही था । किसी ने भी उसके बचपन की कठिनाइयों को आसान नही बनाया उसे उसके मेहनत से एक रूपया भी ज्यादा नही दिया गया । शायद बचपन मे ही लता मंगेशकर समझ गई थी कि इस दुनिया का प्रेम झूठा है और कोई भी प्यार करने लायक नही है ।
Apki baat hamare jiwan ka satya hai. 38 ki age tak aisi halat thi ki dushman ko bhi phul bante, kisi ki sahayta ko apna pet katkar bhi de diya, dusron ki tarakki par sadaiv shubheksha di. Fir 40 me pata chala badrang sansar ka sach. Aj kisi se nahi milte, man hi nahi karta, koyi bura mane ya bhala, hum apne kam se kam rakhte hain...bhad me jaye sansar aur iske log😢😢😢😢
लता मंगेशकर के बारे मे बहोत अच्छीऔर सच्ची जानकारी देकर अवगत कराया धन्यवाद.उसकी सोच दक्षिण पंथी थी यह बात सच है.दुख इस बात का भी है की खुद देवदासी परीवार से होने के बावजूद भी देवदासी की हित में कोई आवाज नहीं उठाया.या उनके प्रती सहानुभुती नहीं जतायी .अफसोस है.खैर.धन्यवाद.
सर शायद आपकी बताई स्टोरी में बहुत सच्चाई प्रतीत होती है लगता है आपने पूर्ण शोध के बाद ही वीडियो बनाया है इसलिए कुछ लोगों को बहुत कड़वा लगा उनके कमेंट से जाहिर होता है क्योंकि सच्चाई बहुत कड़वी होती है
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
इतनी महान गायिका ने कभी किसी अछि गायिका को सहन नहीं किया, जो बहुत बड़ा पाप है । किसी भी जाती की हो, जो अपनी बहन को भी सहन ना करती रही, इंसान बड़ा अपने करम से होता है।
I had the same opinion but when I put myself in her situation and time. I read lots of afair of Asha's. I feel her pain and proud on her all decisions. It was not easy
Latta mangeshkar age anese ghamand ho gaya hoga, ishiliye apne shamaj ko hi bhul gaey, aese shvarthhi, unho ne apne shvarthh ke liye Anuradha pondval, ko bhi nahi shhoda, badi jaty ke logone unka shvarthh ke liye hy rkha, latta, devdashi se hi aty haey vo bhul gaey, akhir jo thhi vo ye vidiyo se shabhi jan gaye honge,
जो खुद देवदासी समाज से आती हो उसने न जाने क्यूँ किसी दूसरी गायिकाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जबकि उन की अन्य बहनों की भी आवाज उनसे कहीं बेहतर थी अन्य गायिकाओं की तो बात ही अलग है जो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है
एक अविवाहित स्त्री के पिता का धर्म ही उसका भी धर्म होता है और लता ने वही पालन किया। प्रह्लाद शिंदे साहब के साथ गाने से मना करना कि बाबासाहेब पर नही गाऊँगी इतना काफी है लता की मानसिकता समझने के लिए। ।
कमलेश जैसवार :अबे लता दीदी ने मन कर दिया बाबा के लिए गाना तो कौनसा गुनाह किया,पहाड़ टूट पड़ा ।तुम जो ठेखा लेके बैठे हो बाबाजी का। दीदी हिंदू धर्म अभिमानी थी। कोई मानसिक ता वाली बात है।और ये जानकारी कहा से मिली की लताजी ने इंकार कियाथा?
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
सही है । मोगुबाई कुर्डुकर देवदासी ही थी और सुप्रसिद्ध गायिका किशोरी अमोणकरकी मां धोंडूताई कुलकर्णी भी एक देवदासी थी । स्वातंत्र्यपूर्व कालमे नृत्य और गायनकी कला देवदासी और तवायफ के पास ही थी। जद्दनबाई, गौहरजान भी कोठेपर गाती थी ।
I admire your confidence. Kishoritai’s Mother was Pandita Mogubaiji. Be it Kishoritaiji or Lataji, we are not even close to their foot nail. Their history apart.
@@2665ash , thought, being a Nagarkar, you would have known the truth. Please force it in to your head, Kishoritai was a daughter of Pandita Mogubaiji.
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.@@engineersunique8813
कुछ फर्क नही पडता किस जाति की थी । सारे समाज ने उदारता से ,सस्नेह उनके हुनर की कद्र की । सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुचने के बाद भी लताजी और उनके परिवार ने इस उदारता को नही अपनाया । नये गायक गायिकाओ को उभरने नही दिया । 'आपला मानूस ' वाली बालासाहब ठाकरे की राजनीति अपनाई ।
Bala saheb ठाकरे सावरकर से प्रेरित थे , इसीलिए उनमें भी वही राष्ट्रवाद अथार्थ कुछ , ‘‘अहम ब्रह्स्मी’’ वाले framule को मानते थे , जबकि बाला साहेब के पिताजी उद्धव ठाकरे के समान उदार हृदय और विचार वाले थे
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
@@sakshivishwakarma1526ye sahi jaankaari hai ye sab jante hein royal parivaar hone ke karan wah kewal royalty mein hi shaadi ho sakti thi unke gharwaale tayyar nahin thaiy isliye unki shaadi nahin huai woh BCCI ke president bhi thaiy
लता जी केवल कला की धनी थी और इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह हर क्षेत्र की अच्छी जानकार हो. उन्होंने अपने जीवन के लिए ही इतना संघर्ष किया तो बाकी बातों पर ध्यान देने का कितना मौका मिला होगा यह बात हम सभी जानते हैं. दूसरी बात यह भी समझने की है कि अगर वह एक पढ़ी-लिखी महिला होती तो उनका व्यक्तित्व शायद कुछ और ही होता. समय-समय पर संगीत की देवी को याद करने के लिए आपका धन्यवाद. हम भारतीय जाति और रंग रूप से ऊपर सोचने और समझने की क्षमता नहीं रखते हैं इसीलिए महानता भरी बातों पर ध्यान नहीं दे पाते.
आपने बहुत ही सुन्दर वी.डी.ओ.बनाया है!!. मै आपके अधिकांश विचारो से सहमत हून. वास्तविक मनुष्य की कोई जाती होती ही नही यह सब तो प्राचीन अर्वाचीन वरण व्यवस्था से सम्बन्धित है. सामाजिक व्यवस्था सुचारू रूप से चले एवम स्थायी शांती बनी रहे एकमेव इसी कारण से,किनतू पश्चात भूतकाल मे कुछ विशिष्ट समुदाय के स्वार्थी/लोभी/अहंकारी एवम महत्वाकांक्षी लोगो ने इस संपूर्ण ढाचे को ही धराशायी करदिया. तत्कालीन व्यवस्थानुसार समकालीन कुछ सुख संपन्न इने गुने काम लंपट लोग निम्न वर्ग समुदाय की स्त्रियाओ के साथ शारीरिक संबंध बनाये जाने के कारण उनसे पैदा हुयी अनौरस संतानो को भगवान के मंदिर मे छोड दिया करते जिनका पालन पोषण करने के लिए उस समय के मंदिर पुजारी को बाध्य होना ही पडता था. एक दुसरा कारण पुरूष प्रधान समाज मे कन्या का जन्म ही एक प्रकार से अभिशाप माना जाता रहा है आज के वरतमान तक!!? इस प्रकार देवदासी प्रथा का आरभ हुवा. लता एक मेरी दरषटी मे शापित गान गंधर्व अप्सरा थी. एक अपुषट जानकारी नुसार लता का विवाह डूगरपुर महाराजा के साथ इसी कारण न हो सका. एक दुसरे प्रसंग मे उस व्यक्ती का निधन होने के कारण प्रेम अधुरा रह गया. यह बात तो निर्विवाद सत्य है की वह एक आत्मकेंद्रित महिला थी. देश के विभाजन होने पर ही जब मलिका ए तरंनुम नूरजहा दुश्मन देश चली गयी तभी लता/दीदी का अभ्युदय काल प्रारंभ हुवा!!. और कदाचित आपके कथनानुसार लता ने जो नाम/पद/ख्याती/कीर्ती/धन/वैभव प्राप्त किया था वह सब उसे खोना नही चाहती थी. अपुषट जानकारी अनुसार एक लोक भ्रांती यह भी है की ..... पार्टी नागपूर अधिवेशन साठ के दशक मे लता का शीलभंग एवम उसे सिंदूर खिलाने का भी एक असफल प्रयास किया गया था. लता को किसी उसके हितैषी ने ही यह सूचना देने पर लता हवाई तल से ही लौट गयी. एक और प्रसंग मे उनका एक अगयात रसोइया उन्हे भोजन मे रोज जहर/विष खिलाया करता था जो कुछ दिनो के बाद लापता हो गया. कंजूस किस्म के कारण ही शायद उनहोने सामाजिक रुण दायित्व नही निभाया. थालनेर गाव मे दोनो बहनो के बारे मे यह भी एक लोक भ्रांती सुनी है....
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
नारी और SC ST OBC समाज के मुक्तिदाता भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हैं और बुद्ध मार्ग दाता उन पर कभी गीत नहीं गाया। जो धर्म हक अधिकार छीन कर पशु बनाता है उसी का गुण गान करती रही जीवन भर लता मंगेशकर जी।
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
Lataji ne bahot logoko madat ki hai, ye bat sabko pata nahi hai, nam kamaya apne balbutepe, jab unki paristhiti acchi nahi thi to kisne meherbani nahi ki Agar unse beheter ganevali koi milti to lataji kabki bahar ho jati Rona to isi bat ka ye
हमारे छत्तीसगढ में , देवदासी जाती क़ो देवारिन कहते हैं ,इनका खानदानी काम ,नाचना ,गाना था । अब समय परिवर्तन होने से ,अब विडियो फिल्म ,नाटक आदी में अच्छे कलाकार हैं , और यह कला प्रधान समुदाय हैं । मैं इस जाती को नमन करता हूं ।।
Hemalatha is Latha Mangesher's original name. Asha Burman claimed she belonged to prist - brahmin religion (mangeshi temple). It is interesting to know the other side of the rest of the mangeshkers.
जब इतनी प्रसिद्धि मिल जाये तो इंसान उसको खोना नही चाहेगा। लता जी को ये मालूम था कि उनकी योग्यता तभी तक है जब तक उनको गाने के लिये कहा जायेगा। कही न कही पूरी फिल्म इंडस्ट्री बाल ठाकरे से प्रभावित थी। उनके इशारे पर फ़िल्म इंडस्ट्री में बहुत कुछ होता था इसीलिए उनकी कृपा दृष्टि के लिये लता जी उनके चरण छूती थी। अगर ब्राह्मण होती तो चरण कदापि नही छूती। इससे भी पता चलता है कि उनका मनोबल कमजोर था। और देवदासी परिवार से ही थी। बाकी उन्होंने अपना काम अच्छे से कर लिया यही उनकी उपलब्धि है और देश दुनिया को कभी न भूलने वाले गाने दिए उसके लिए मैं उनका बहुत आदर करता हूं ।सैल्यूट करता हूं।
जो गुजर गया वह अध्याय वहींपर समाप्त हो जाता है ! क्या लता या बाबासाहेब! हर ईंन्सान अपने जिंदगीमें कुछ ना कुछ गलती तो कर बैठा होता है.! कोयला रगडो उतना काला !
I don't know how far this story is true. If it's so then it's an excellent and beautiful video. It's other side of the screen. Lataji is a legend but this fact cannot change her iconic singing charisma. Thanks for uploading this informative video.
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
This is absurdity. Why media has to dig out dark side of the luminaries? Just for the sake of reporting and TRP? Lata is Lata and she is legend. Why the hell then you want to pollute the minds public who put her in highest esteem? Same thing for Nehruji and so on.
ब्राम्हण वाद का शिकार वो हो न जाये इसलीये वो चुप रहती थी उसके कामका उसको समज मे आता था बाकी से कोई लेना देना नही महान गाइका महान गाइका भारत मे ऐसे भी लोग महान हो जाते है
लता मंगेशकर एक महान गायका है। उनका सम्मान करो। हजारो सालो के बाद माॅ सरस्वती रुप में उन का जन्म हुआ है।उन्हे भारत की स्वर कोकिला उपाधी से नवाजा गया है ।इसलिए यह सब बेकार की बाते कहकर उन्हे अपमान मत करो।
Aapne sach kaha ki "Lata ji ki ek awaj devdasiyon ki jindagi badal Sakti thi" per Lata ji ke pas na dil tha na ichchha na hi devdasiyon ke hit ka khayal. Ve aatm kendrit thi & ese hi is duniya se bida ho gai. Sirf khud ke liye jiye to kya jiye..., Ishwar unki aatma ko shanti de.
Sir jee, jankari bahut achhi lagi. Kya karen jatibad hi toh! India ko rasatal ley jati hai. Aaj bhi wohi dasa hai. Jo bhi ho, lata didi hamara hira, moti, mankya aur jewel hain.
खुद को सुवर,र्ण समझती थी और माफीवीर,शेंडूलकर जैसे खुद की जातीवालो का समर्थन करती थी और स्वार्थ के लीए सगी बहनो से लेकर कयीसारी समकालीन महान गायीकाओ को फिल्मी राजनीती से खुद से आगे जाने ही नही दिया !
पूरी संभावना है कि वो मुम्बई के बाल ठाकरे को नाराज नही करना चाहती होंगी। जो बाल ठाकरे के पैर छूती हो और पॉलिटिशियन भी हो तो ये मुद्दा राजनीति से भी प्रेरित है। बाबा साहब के पक्ष में बोलने के लिए कलेजा चाहिए। जो डर गया समझो मर गया।
@@sanjayjadhav3981 ये भडव्या जास्त शहाणपणा करतो का रे आंम्ही उच्चवर्णीय आहोत व तु गावा बाहेरची घाण आहेस आणि घाणच राहणार, मशिदीत जा फुकनिच्या, जय भवानी जय शिवाजी।
नकली ब्राह्मण बन चुकी थी इसलिए अगर पता चल जाता तो समाज में जैसा बाबा साहेब के साथ हुआ उसे कोई महान व्यक्ति ही डटकर मुकाबला कर सकता था। लता एक औरत थी जो कभी भी अम्बेडकर नहीं बन सकती।अगर वह अपने बारे में ऐसी जानकारी दे देती तो पंडित नहीं बन पाती। ठाकरे साहब भी कायस्थ (शूद्र) समाज के होते हुए भी सम्मानित रहे। शूद्र इसलिए कि डा राजेन्द्र प्रसाद महामहिम राष्ट्रपति बनने से पहले काशी के ब्राह्मण मण्डली द्वारा उन्हें शूद्र बताकर राष्ट्रपति नहीं बनाने का स्वांग किया था।फिर किस तरह से उनको राष्ट्रपति बनने दिया गया? सभी को जानकारी होनी चाहिए।
लता मंगेशकर, बेशक एक महान गायिका थीं, मगर,वो एक जातीवादी मानसिकता वाली महिला थी, जैसा आप बता रहे हैं,वैसा उनके उपर जातीगत अन्याय हुआ था यह सरासर ग़लत है। अपनी मोनापली स्थापित करते हुए,किसी दुसरी प्रतिभा को उभरने नहीं दिया।
Symbol of knowledge ka sanman America ne diya do ambedkar ko sari duniya ki Mahan vibhuti thi do ambedkar usako dislik kar lata ne apana gamand dikhaya.
नि:संदेह लता जी देश की एक सशक्त हस्ताक्षर थी उन्हें युगों युगों तक याद किया जाता रहेगा। लेकिन एक जबरदस्त साक्षीयत होने के बाबजूद उनके अंदर कुछ अभीष्ट कमियां भी देखने में आती रहती थीं: a. गरीब विरोधी थीं b. कमजोर वर्ग का साथ देने के बजाय उनका उपहास उड़ाने में अपने को सबल होने की मिशाल देती रहती थीं जैसे: #रेलवे स्टेशन पर एक महिला ( मैडम मंडल) के बारे अप्रिय बयान देना।# .देश के मूर्धन्य राजनीतिज्ञों के प्रति आदर के भाव का अभाव ।
Aise kehte hai ki Rushi ka kul& nadi ka mul nhi dekha jata, Lataji ki surili Manmohini awaz& Sangeet ke kshetr me unke diye contribution ke karan unhe Bharatratn award mila vo hi yaad rakhne ki baat hai! Jai Hind!
लताजी सिर्फ एक गायिकाही नही एक सुसंस्कृत वैचारीक विचारधारा थी.ईन्सान का जन्म ऊसके हातमे नही होता.आर्थिक परिस्थिती ऊसे कोई पेशा स्विकारने मजबुर करता है रही दिनानाथजीके साथ हुआ.लेकीन अपनी कला कष्ट और ऊच्चसोच के कारण ये परिवार ऊचाई तक पहुचा.और रही ऊनका असली धर्म है.लताजी को शतशः प्रणाम!
Kiya fayda? Whole life, she did nothing to uplif Dassi System and even her sister, still never heard. It was Baba Sahib who sacrificed his life fir the upliftment of depressed society even women fir their rights. It
All here, please understand, we can’t even go close to her foot nail. Just feel sorry people here are enjoying the post. Surely,won’t contest their knowledge about music. God Bless our India.
जहाँ तक मुझे मालुम है लतजी कलावंत समाज हे है इसे गोवा मेॱ कलवता कहते हैं इन लोगो का काम पुजा के समय नाच गान करना था । देवदासी का काम मॱदिर का साफसफाई करना और उच्च लोगो का हरतरह की सेवा करना था जिसे देवळी कहते हैं।
No doubt as a singer ,lataji is great. लेकीन ओ घमेंडी थी. मैने खुद अनुभव किया हैं. उनकी 75 सलकी साळगिरा मे शिवाजी पार्कमे प्रोग्राम रखा था. लाखो लोगोणकी भिड थी. उनके सन्मान मे कविता कृष्मूर्तीने गाने गाये. लास्टमे
मे एक तो गायेगि ऐसा लोगोणको लगा, इतनेमे हल्किसी बारिश सुरू हुईं लोग खडे हूये लेकीन जा नेका कोई नाम नही लिया. लोग देर तक खडे हुए बाद मे मालूम हुआ की o चली गई. बिना बोलके. गानां तो गाया नहीं ,लेकीन लोगोंके आभार भी माना नहि.
From Pandit Neharu to Vajpayee all were Brahmin Prime Minister of India but they have maintained secular democracy of India and never demanded anything from government for their caste.
Either you are very innocent or very cunning fellow. The Two Prime ministers you mentioned are of the same caste and they are highly united, organised. The caste they belong to can do anything. Kill anybody, have criminal conspiracy to eliminate any one or many at a time. I cannot enlist here.
Devdasi pratha brahmano ka paapi Mansikta ki upaj thi ki unhone gareeb aur neechi jati ki ladkiyon ko Iss tarah se dharam ki rassiyon mein jakad kar Apni havas poori karte thay. ye kalankit itihas hai . We are ashamed of this !!
Does not make any difference whether she belonged to low or high caste.Yes she had many shortcomings and she always felt insecure whenever some new female singer emerged.Human nature! On the issue of royalty she was right.Rafi was a saintly person, he was not practical.For royalty did help singers monetarily when they were no longer in circulation.
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
मनुष्य की पहचान उसकी मानवता से होती है ठीक है लेकिन लता जी की पहचान उनकी सुरीली आवाज से है उनके सीने में दिल छोटा है या बड़ा वो अलग बात है लेकिन अपनी सुरीली आवाज से संगीत प्रेमियों के दिल को भावुक कर देती थी इनके अलावा जो भी गायिकाएं है सभी अपनी जगह पर फिट है इसमें कोई शक नहीं लेकिन लता जी जवाब नहीं न ही उनका कोई सानी है लेडीज गायिकाओ में
Devdasi parivar ki thi.fir bhi wo jati bhed kar ti thi. Jab unke ghar ki light off ho gai thi. Tab best workar Kable banne gay thy tab lata ji ni une ghar se nikal diya.😢jitni awaz unki acchi thi.utni wo buri thi.
Lataji buri nahi thi..yeah sab bakwass bandh karo..she took all responsibility of her family at the age of 13 after her father was died.. she struggled for them..and for lataji all female singers get royalty,filmfare award..give credit to all female singers..and she was best daughter, best sister,best singer..
Lekin ek suman kalyanji best singer thee jinki awaj lata di se bhee super duper thaa film industry ka sikar bani suman kalyanji bhee besak great singer thee dono
इतनी बडी गायिका पर दिल कितना छोटा था दूसरोंकी इज्जत करनाउसने शिका नही था इसलिए संविधान लिखनेवाला बाबासाहेब वो समज नही पाई खूद देवदासी होकर भी ईतना घमडं,वो जादा पढी लिखीनही थी सोच भी उतनी थी
सही है नमो बुद्धाय जयभीम
1 stree hokar, itni badi gayika ke liye itna dvesh....dusaro-ko jab hum chhote dil ka bolte hai,to hum bade dil ke hote nahi hai! Aur aap jaise log hamesha dr.ambedkar aur lataji ki tulna kyu karte hai?.....lata sangeet kshetr-se thi,dr.ambedkar alag kshetr ke the,.....
संविधान अंबेडकर ने लिखा? गूगल करो। नारसिस्ट मत बनो। हमेशा इसी भरम में रहते हो कि उन्होंने लिखी।उन्होंने सिर्फ draft किया। grow up man
@@sanskritaursanskriti8787 अच्छा तू भी जल गया बाबा साहब से तेरे भी संस्कार दिखाई दे रहे है ऐसे ही जलते रहो
लतादीदी मनुवादी बनी उसकी सोच गांधीही थी
स्तरीय जानकारी बेलाग;ब्राह्मणवाद की एक परत खुली कि हर प्रसिद्ध प्रतिभा ब्राह्मण ही नही होती।इसी तरह रवीन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार प्राप्ति के बाद ब्राह्मण कहा गया जबकि वो पीरल्ली जाति के शूद्र थे जिन्हे उङीसा के एक मंदिर मे ब्राह्मणो ने घुसने नही दिया था।
पर रविन्द्र नाथ को ठाकुर भी कहते हैं
अच्छी जानकारी । धन्यवाद।
सही कहा टैगोर और ठाकुर एक उपाधि दी जो अंग्रजों द्वारा दी जाती थी उनके काम से खुश होकर अब आप समझ सकते हैं अंग्रेज कैसे खुश होते थे चापलूसी करवाकर या जासूसी करने वाले से 😂😂😂😂😂😂🎉🎉🎉
धन्यवाद अच्छी जानकरी
टैगोर जी शूद्र नहीं थे,वह ठाकुर ही थे।इसी ठाकुर को अंग्रेजों ने बार बार अपभ्रंश उच्चारण कर के टैगोर बना दिया।
वैसे यह बात सही है कि तत्कालीन बंग समाज के लोग टैगोर परिवार को जातीय आधार पर हीन यानी कमतर मानते थे।यह बात टैगोर को पसन्द नहीं आती थी।इसी से प्रेरणा लेकर एक उपन्यास गोरा लिखा गया है जिसका हीरो "गोरा" उस विसंगति का शिकार है।
आज टैगोर की बराबरी करने वाला पूरे बेंगाल में,पूरे भारत में,पूरे एशिया में,पूरे अमेरिका में पूरे दक्षिण अमेरिक और अफ्रीका में कोई नहीं है।योरोप के कुछ कवि है जो सर्वश्रेष्ठता में टेगोर के बराबरी या समकक्ष खड़ा होने के योग्य हैं। योरोप के कवि अति- क्लिष्टता,अति- दार्शनिकता के कारण ही बराबरी कर सकते है पर काव्य के अन्य पैमाने--- रस छंद और रागिनी में वे टैगोर की बराबरी करने में मिलों पीछे हैं।
इंसान चाहे कितनी भी दौलत और शोहरत कमा ले वह अपने बचपन की कुंठा से बाहर नही निकल
पाता । क्योंकि बचपन मे जब वह मुसीबत भोग रहा होता है उस समय लोग उसे और अधिक दुखी
बना रहे होते हैं उसे तरह तरह से यातना और प्रताड़ना दे रहे होते हैं । लेकिन जब वह इंसान मुसीबतों
की आग मे तपकर चमचमाता सोना बन जाता है तो सब कोई उसे अपना बताने लगता है । लता मंगेशकर
अपने साथ हुए गलत ब्यवहार को कभी नही भुलाया और उसे परोपकार या जन कल्याण से कोई
मतलब नही था । किसी ने भी उसके बचपन की कठिनाइयों को आसान नही बनाया उसे उसके
मेहनत से एक रूपया भी ज्यादा नही दिया गया । शायद बचपन मे ही लता मंगेशकर समझ गई थी
कि इस दुनिया का प्रेम झूठा है और कोई भी प्यार करने लायक नही है ।
Apki baat hamare jiwan ka satya hai. 38 ki age tak aisi halat thi ki dushman ko bhi phul bante, kisi ki sahayta ko apna pet katkar bhi de diya, dusron ki tarakki par sadaiv shubheksha di. Fir 40 me pata chala badrang sansar ka sach. Aj kisi se nahi milte, man hi nahi karta, koyi bura mane ya bhala, hum apne kam se kam rakhte hain...bhad me jaye sansar aur iske log😢😢😢😢
लता मंगेशकर के बारे मे बहोत अच्छीऔर सच्ची जानकारी देकर अवगत कराया धन्यवाद.उसकी सोच दक्षिण पंथी थी यह बात सच है.दुख इस बात का भी है की खुद देवदासी परीवार से होने के बावजूद भी देवदासी की हित में कोई आवाज नहीं उठाया.या उनके प्रती सहानुभुती नहीं जतायी .अफसोस है.खैर.धन्यवाद.
She was selfish lallchi mahila kisi ko chance nahi deti thee
कुछ लोग होते h ,, जो खुद को गरीब बताते h लें n कामयाब होने के लिए गरीबों को दबाने से गुरेज नहीं करते
बहुत ही अच्छी जानकारी दी। धन्यवाद।
सर शायद आपकी बताई स्टोरी में बहुत सच्चाई प्रतीत होती है लगता है आपने पूर्ण शोध के बाद ही वीडियो बनाया है
इसलिए कुछ लोगों को बहुत कड़वा लगा उनके कमेंट से जाहिर होता है क्योंकि सच्चाई बहुत कड़वी होती है
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
लता तबी दिदी बनी जबी सविधान में महिलाओं को अधिकार मिला
इतनी महान गायिका ने कभी किसी अछि गायिका को सहन नहीं किया, जो बहुत बड़ा पाप है । किसी भी जाती की हो, जो अपनी बहन को भी सहन ना करती रही, इंसान बड़ा अपने करम से होता है।
I had the same opinion but when I put myself in her situation and time. I read lots of afair of Asha's. I feel her pain and proud on her all decisions. It was not easy
Noone like Lata Mangeshkar
लता मंगेशकर से भी अच्छी आवाज हेमलता जी की थी । अनुराधा पौडवाल की थी।
Latta mangeshkar age anese ghamand ho gaya hoga, ishiliye apne shamaj ko hi bhul gaey, aese shvarthhi, unho ne apne shvarthh ke liye Anuradha pondval, ko bhi nahi shhoda, badi jaty ke logone unka shvarthh ke liye hy rkha, latta, devdashi se hi aty haey vo bhul gaey, akhir jo thhi vo ye vidiyo se shabhi jan gaye honge,
जो खुद देवदासी समाज से आती हो उसने न जाने क्यूँ किसी दूसरी गायिकाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जबकि उन की अन्य बहनों की भी आवाज उनसे कहीं बेहतर थी अन्य गायिकाओं की तो बात ही अलग है जो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है
एक अविवाहित स्त्री के पिता का धर्म ही उसका भी धर्म होता है और लता ने वही पालन किया। प्रह्लाद शिंदे साहब के साथ गाने से मना करना कि बाबासाहेब पर नही गाऊँगी इतना काफी है लता की मानसिकता समझने के लिए। ।
इतनी पागल मानसिकता थी लता जी की
Nakali brahaman thi, isiliye ye noutanki kar rahi thi, ki log jaan na paaye ki ye vaishyaa samudaay thaa
बिल्कुल सही सर ,यही बात कहना चाहता था ।
कमलेश जैसवार :अबे लता दीदी ने मन कर दिया बाबा के लिए गाना तो कौनसा गुनाह किया,पहाड़ टूट पड़ा ।तुम जो ठेखा लेके बैठे हो बाबाजी का। दीदी हिंदू धर्म अभिमानी थी। कोई मानसिक ता वाली बात है।और ये जानकारी कहा से मिली की लताजी ने इंकार कियाथा?
@@dipakvanikar6254 तुम झंडू कौनसी मानसिकता के हो रे? भगवानके नामसे देवदासी मतलब वेश्या बनवाना होता था.
उंची / निची जात नही मानना चाहीए . मानवता यही जात मानना सबको अच्छा है .
Jabtak bharat mein Brahmins rahengay. Bharat mein jatti zinda rahaygee. Brahmins he jativad ko chalatay hain.
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
लता ने कहा था कि वो अगले जन्म में लता मंगेशकर के रूप में पैदा नहीं होना चाहती ।
ये सही कहा आपने।
Why
@@amalkumar9242 उनका इंटरव्यू देखो ।
दुख की बात है कि भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी और बुद्ध पर कभी गीत नहीं गया । जिस धर्म ने उनका शोषण किया उसी का गुण गान करती रही जीवन भर।
👍👍💓💞💖
😢
इंसान की जैसी नियत होती है दुनिया उसे वैसी ही दिखाई देने लगती है । अच्छाई में बुराई और बुराई में अच्छाई दिखने लगती है।
इन सच्चाईयों से अवगत कराने का आपका बगुत बहुत धन्यवाद 🙏
सही है । मोगुबाई कुर्डुकर देवदासी ही थी और सुप्रसिद्ध गायिका किशोरी अमोणकरकी मां धोंडूताई कुलकर्णी भी एक देवदासी थी । स्वातंत्र्यपूर्व कालमे नृत्य और गायनकी कला देवदासी और तवायफ के पास ही थी। जद्दनबाई, गौहरजान भी कोठेपर गाती थी ।
Yes it's true.
धोंडू बाई कुलकर्णी नही मोगूबाई कुर्डीकर किशोरी आमोणकर मां है.
I admire your confidence. Kishoritai’s Mother was Pandita Mogubaiji. Be it Kishoritaiji or Lataji, we are not even close to their foot nail. Their history apart.
@@2665ash , thought, being a Nagarkar, you would have known the truth. Please force it in to your head, Kishoritai was a daughter of Pandita Mogubaiji.
एम एस सुब्बुलक्ष्मीजी , भारत रत्न, जन्मसे कौन थी ?
बाबा साहेब ने देवदासी प्रथा पर बहुत लडे और लता ने उनका गीत गाना मना कर दिया। गज़ब की बात है।
*धन्यवाद सर जी,*
*दुनियाभर मे सच्चाई उजागर करने के लिए!🌹🙏*
महाशय ये झूठ कथा कह रहे है । वो सारस्वत ब्राह्मण है।
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.@@engineersunique8813
@@engineersunique8813bilkul nahi who gomantak maratha samaj mere jati ki ti
Jankari dene ke liye बहुत-बहुत dhanyvad
कुछ फर्क नही पडता किस जाति की थी ।
सारे समाज ने उदारता से ,सस्नेह उनके हुनर की कद्र की ।
सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुचने के बाद भी लताजी और उनके परिवार ने इस उदारता को नही अपनाया ।
नये गायक गायिकाओ को उभरने नही दिया ।
'आपला मानूस ' वाली बालासाहब ठाकरे की राजनीति अपनाई ।
Bala saheb ठाकरे सावरकर से प्रेरित थे , इसीलिए उनमें भी वही राष्ट्रवाद अथार्थ कुछ , ‘‘अहम ब्रह्स्मी’’ वाले framule को मानते थे , जबकि बाला साहेब के पिताजी उद्धव ठाकरे के समान उदार हृदय और विचार वाले थे
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
लता मंगेशकर जी का लिविंग रिलेशन राज सिंह डूंगरपुर के साथ थे इस लिए लता आजीवन अविवाहित रही
यह जानकारी आपको कहां से मिली भाई
@@sakshivishwakarma1526ye sahi jaankaari hai ye sab jante hein royal parivaar hone ke karan wah kewal royalty mein hi shaadi ho sakti thi unke gharwaale tayyar nahin thaiy isliye unki shaadi nahin huai woh BCCI ke president bhi thaiy
जानकारी देने के लिये धन्यवाद
लता जी केवल कला की धनी थी और इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह हर क्षेत्र की अच्छी जानकार हो. उन्होंने अपने जीवन के लिए ही इतना संघर्ष किया तो बाकी बातों पर ध्यान देने का कितना मौका मिला होगा यह बात हम सभी जानते हैं. दूसरी बात यह भी समझने की है कि अगर वह एक पढ़ी-लिखी महिला होती तो उनका व्यक्तित्व शायद कुछ और ही होता. समय-समय पर संगीत की देवी को याद करने के लिए आपका धन्यवाद.
हम भारतीय जाति और रंग रूप से ऊपर सोचने और समझने की क्षमता नहीं रखते हैं इसीलिए महानता भरी बातों पर ध्यान नहीं दे पाते.
आपने बहुत ही सुन्दर वी.डी.ओ.बनाया है!!. मै आपके अधिकांश विचारो से सहमत हून. वास्तविक मनुष्य की कोई जाती होती ही नही यह सब तो प्राचीन अर्वाचीन वरण व्यवस्था से सम्बन्धित है. सामाजिक व्यवस्था सुचारू रूप से चले एवम स्थायी शांती बनी रहे एकमेव इसी कारण से,किनतू पश्चात भूतकाल मे कुछ विशिष्ट समुदाय के स्वार्थी/लोभी/अहंकारी एवम महत्वाकांक्षी लोगो ने इस संपूर्ण ढाचे को ही धराशायी करदिया. तत्कालीन व्यवस्थानुसार समकालीन कुछ सुख संपन्न इने गुने काम लंपट लोग निम्न वर्ग समुदाय की स्त्रियाओ के साथ शारीरिक संबंध बनाये जाने के कारण उनसे पैदा हुयी अनौरस संतानो को भगवान के मंदिर मे छोड दिया करते जिनका पालन पोषण करने के लिए उस समय के मंदिर पुजारी को बाध्य होना ही पडता था. एक दुसरा कारण पुरूष प्रधान समाज मे कन्या का जन्म ही एक प्रकार से अभिशाप माना जाता रहा है आज के वरतमान तक!!? इस प्रकार देवदासी प्रथा का आरभ हुवा. लता एक मेरी दरषटी मे शापित गान गंधर्व अप्सरा थी. एक अपुषट जानकारी नुसार लता का विवाह डूगरपुर महाराजा के साथ इसी कारण न हो सका. एक दुसरे प्रसंग मे उस व्यक्ती का निधन होने के कारण प्रेम अधुरा रह गया. यह बात तो निर्विवाद सत्य है की वह एक आत्मकेंद्रित महिला थी. देश के विभाजन होने पर ही जब मलिका ए तरंनुम नूरजहा दुश्मन देश चली गयी तभी लता/दीदी का अभ्युदय काल प्रारंभ हुवा!!. और कदाचित आपके कथनानुसार लता ने जो नाम/पद/ख्याती/कीर्ती/धन/वैभव प्राप्त किया था वह सब उसे खोना नही चाहती थी. अपुषट जानकारी अनुसार एक लोक भ्रांती यह भी है की ..... पार्टी नागपूर अधिवेशन साठ के दशक मे लता का शीलभंग एवम उसे सिंदूर खिलाने का भी एक असफल प्रयास किया गया था. लता को किसी उसके हितैषी ने ही यह सूचना देने पर लता हवाई तल से ही लौट गयी. एक और प्रसंग मे उनका एक अगयात रसोइया उन्हे भोजन मे रोज जहर/विष खिलाया करता था जो कुछ दिनो के बाद लापता हो गया. कंजूस किस्म के कारण ही शायद उनहोने सामाजिक रुण दायित्व नही निभाया. थालनेर गाव मे दोनो बहनो के बारे मे यह भी एक लोक भ्रांती सुनी है....
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
किसिको भी अपना अतीत भुलना नहीं चाहिए , ऐसा करना अपने समाज के प्रति गद्दारी होगी !
Shach kaha.
I respect her from pure mind❤❤❤❤Lota Mongeskar is in my heart ❤️❤️
Apki mehnat ke liye apko naman
भाईजी खुप खुप धन्यवाद सर जी सत्ये कथा सांगितली 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी सर
नारी और SC ST OBC समाज के मुक्तिदाता भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हैं और बुद्ध मार्ग दाता उन पर कभी गीत नहीं गाया। जो धर्म हक अधिकार छीन कर पशु बनाता है उसी का गुण गान करती रही जीवन भर लता मंगेशकर जी।
Rafi sab ko bharat ratn ka award diya jay
Sachin ko bharat ratan milna galat tha Rafi ko milna chahiye tha partiality hua
लता जी खुद का पहचान छुपा के रखना चाहती थी। ये गलत हुआ,,,
Her grandmother was devdashi..
कलाकार की कोई जाती,धरम ही होता,वो तो भगवान की देन होती है।
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
एखाद्याच्या विषयी त्याच्या पाठी त्याच्याविषयी का बोललं जातं कधी समाज सुधारणार हे खूप चूक आहे
सही बात है नाम तो बहोत कमाया ,पर दिल बहोत
छोटा था लता मंगेशकर देवदासी जी की ।
Carect
Lataji ne bahot logoko madat ki hai, ye bat sabko pata nahi hai, nam kamaya apne balbutepe, jab unki paristhiti acchi nahi thi to kisne meherbani nahi ki
Agar unse beheter ganevali koi milti to lataji kabki bahar ho jati
Rona to isi bat ka ye
Sahi kisi Gareeb ko Sangeet nahi sikhaya ran only after money ruined life of many better singer than her
उनका छोटा दिल देखे थे!!! क्या?
बाबा साहेब पर, न, गाना, कमी खालेगी और कलंक जैसी है, वैसे सैलेट है उन्हे
हमारे छत्तीसगढ में , देवदासी जाती क़ो देवारिन कहते हैं ,इनका खानदानी काम ,नाचना ,गाना था । अब समय परिवर्तन होने से ,अब विडियो फिल्म ,नाटक आदी में अच्छे कलाकार हैं , और यह कला प्रधान
समुदाय हैं । मैं इस जाती को नमन करता हूं ।।
पहले कलाकार क्या वाकई बुरे थे ? अच्छे का मतलब क्या है ? आपकी सोच और मानसिकता पर कमेन्ट करनेसे पहले ये समझना जरूरी है ।
एकदम सटीक विश्लेषण
Hemalatha is Latha Mangesher's original name. Asha Burman claimed she belonged to prist - brahmin religion (mangeshi temple). It is interesting to know the other side of the rest of the mangeshkers.
जब इतनी प्रसिद्धि मिल जाये तो इंसान उसको खोना नही चाहेगा। लता जी को ये मालूम था कि उनकी योग्यता तभी तक है जब तक उनको गाने के लिये कहा जायेगा। कही न कही पूरी फिल्म इंडस्ट्री बाल ठाकरे से प्रभावित थी। उनके इशारे पर फ़िल्म इंडस्ट्री में बहुत कुछ होता था इसीलिए उनकी कृपा दृष्टि के लिये लता जी उनके चरण छूती थी। अगर ब्राह्मण होती तो चरण कदापि नही छूती। इससे भी पता चलता है कि उनका मनोबल कमजोर था। और देवदासी परिवार से ही थी। बाकी उन्होंने अपना काम अच्छे से कर लिया यही उनकी उपलब्धि है और देश दुनिया को कभी न भूलने वाले गाने दिए उसके लिए मैं उनका बहुत आदर करता हूं ।सैल्यूट करता हूं।
महाशय ये साहब झूठ कथा बता रहे है ।मंगेशकर का उपनाम हर्डीकर है जो कि सारस्वत ब्राह्मण है । आप स्वस्यम जाकर खोज कीजिये । हम गोवा से है।
Yes this story ia teue
Excellent analysis, thanks
जो गुजर गया वह अध्याय वहींपर समाप्त हो जाता है ! क्या लता या बाबासाहेब! हर ईंन्सान अपने जिंदगीमें कुछ ना कुछ गलती तो कर बैठा होता है.! कोयला रगडो उतना काला !
मूर्ख आदमी लता मंगेशकर जैसी गाने बजाने वाली बाबासाहेब से क्या मुकाबला वो तो अंबेडकर के पैर की जूती भी नही
I don't know how far this story is true. If it's so then it's an excellent and beautiful video. It's other side of the screen. Lataji is a legend but this fact cannot change her iconic singing charisma. Thanks for uploading this informative video.
She was selfish
Channel ko devdasi ka meaning malum nahi hai
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
Shandar
This is absurdity. Why media has to dig out dark side of the luminaries? Just for the sake of reporting and TRP?
Lata is Lata and she is legend.
Why the hell then you want to pollute the minds public who put her in highest esteem?
Same thing for Nehruji and so on.
Not at all legendry she was selfish
Right and true
Very superb, informative, analytical, and inventive presentation. Thanks.
ब्राम्हण वाद का शिकार वो हो न जाये इसलीये वो चुप रहती थी उसके कामका उसको समज मे आता था बाकी से कोई लेना देना नही महान गाइका महान गाइका भारत मे ऐसे भी लोग महान हो जाते है
brahman logo ki ye chal hamesha rahati hai kisi bhi mahan hasti ke sath apni rishtedari jod hi dete hai apne ucch hone ke mansikta ke karan
धन्यवाद सर.
heart-wrenching truth.
Garv se kaho hum Hindu hai.Han muslimo😊Ki chudi tight hone par Khushi manaieye.
Agar yahi baat 40 saal pahale pataa chal jaati to log isko kabhi aage na badhane dete,
My mother told us about lataji. She offered mangeshi and got married to goddess. That is why she couldn't get marry.
Mom told us 50 years back .
Abe to fer vo age kseee aagye KY badve HR weqt jati waad felte rehte ho kesne roka usko agge Ane se Kya sale jaat paat se uskee ganee Ka Kya meaill
Bilkul sahi h.yah baat 49 saal pahle pata chal jata toh Lata ko kisi bhi Surat me aage nhi badne diya jata
धन्यवाद भैया
लता मंगेशकर एक महान गायका है। उनका सम्मान करो। हजारो सालो के बाद माॅ सरस्वती रुप में उन का जन्म हुआ है।उन्हे भारत की स्वर कोकिला उपाधी से नवाजा गया है ।इसलिए यह सब बेकार की बाते कहकर उन्हे अपमान मत करो।
Aapne sach kaha ki "Lata ji ki ek awaj devdasiyon ki jindagi badal Sakti thi" per Lata ji ke pas na dil tha na ichchha na hi devdasiyon ke hit ka khayal. Ve aatm kendrit thi & ese hi is duniya se bida ho gai.
Sirf khud ke liye jiye to kya jiye..., Ishwar unki aatma ko shanti de.
खूद को ये बहोत शायनी समझती थी बाबासाहेब का गाना गाने से 3 बार ईनकार कीऐ धूतकारा
Sir jee, jankari bahut achhi lagi. Kya karen jatibad hi toh! India ko rasatal ley jati hai. Aaj bhi wohi dasa hai. Jo bhi ho, lata didi hamara hira, moti, mankya aur jewel hain.
Why do u want Lataji's caste ? Her caste was of Devi Saraswati
Sarswati apne pita Brahma ki beti thee ye kaun sa moral hai haath mein veena rakhne se koi sangeet ki devi nahi ho sakti
Couse she was claiming to be a Brahman which is not true at all, or only her mother knows it well
लता ने बाबा साहब अम्बेडकर का गाना गाने से मना कर दिया था,वह जातिवादी थी।
जाति पाति ऊंच नीच अज्ञानता के कारण उत्पन्न होता है इस संसार में सिर्फ मानव जाति है और दूसरी कोई जाति नहीं है
The Narrator of this Vedio is a Very Honest Person
लता मंगेशकर अगर शुद्र जाति से आती थी तो उन्होंने डाॅक्टर अम्बेदकर के उपर बनी गीत को क्यों नही गाइ ?
Qnki baap to Eurasian hi tha ..devdasi ka bhog to Eurasian pandit or thakur hi karte the na..
खुद को सुवर,र्ण समझती थी और माफीवीर,शेंडूलकर जैसे खुद की जातीवालो का समर्थन करती थी और स्वार्थ के लीए सगी बहनो से लेकर कयीसारी समकालीन महान गायीकाओ को फिल्मी राजनीती से खुद से आगे जाने ही नही दिया !
पूरी संभावना है कि वो मुम्बई के बाल ठाकरे को नाराज नही करना चाहती होंगी। जो बाल ठाकरे के पैर छूती हो और पॉलिटिशियन भी हो तो ये मुद्दा राजनीति से भी प्रेरित है। बाबा साहब के पक्ष में बोलने के लिए कलेजा चाहिए। जो डर गया समझो मर गया।
@@sanjayjadhav3981 ये भडव्या जास्त शहाणपणा करतो का रे आंम्ही उच्चवर्णीय आहोत व तु गावा बाहेरची घाण आहेस आणि घाणच राहणार, मशिदीत जा फुकनिच्या, जय भवानी जय शिवाजी।
नकली ब्राह्मण बन चुकी थी इसलिए अगर पता चल जाता तो समाज में जैसा बाबा साहेब के साथ हुआ उसे कोई महान व्यक्ति ही डटकर मुकाबला कर सकता था। लता एक औरत थी जो कभी भी अम्बेडकर नहीं बन सकती।अगर वह अपने बारे में ऐसी जानकारी दे देती तो पंडित नहीं बन पाती। ठाकरे साहब भी कायस्थ (शूद्र) समाज के होते हुए भी सम्मानित रहे। शूद्र इसलिए कि डा राजेन्द्र प्रसाद महामहिम राष्ट्रपति बनने से पहले काशी के ब्राह्मण मण्डली द्वारा उन्हें शूद्र बताकर राष्ट्रपति नहीं बनाने का स्वांग किया था।फिर किस तरह से उनको राष्ट्रपति बनने दिया गया? सभी को जानकारी होनी चाहिए।
Dinanath mangeshkar ki beti thi Lata Mangeshkar. 13 saal ki umra se uske gane radio par prasarit hote rahe hain.
एक अच्छी गायिका,जो हृदय से बहुत बुरी थी !
Kisi ko jeene mat dena … insaan ko insaan rehne ka haq hai . Jaati ka rog kyun lagate ho. Qabliyat hi sab Kuchh hoti hai
Bahut hi sundar vishleshan.
लता मंगेशकर, बेशक एक महान गायिका थीं,
मगर,वो एक जातीवादी मानसिकता वाली महिला थी, जैसा आप बता रहे हैं,वैसा उनके उपर जातीगत अन्याय हुआ था यह सरासर ग़लत है। अपनी मोनापली स्थापित करते हुए,किसी दुसरी प्रतिभा को उभरने नहीं दिया।
Debdashio ke lekar ladna chahiye tha anyway for own success can some good or bad work It compiles our situation 😊😊
राइट सर
Symbol of knowledge ka sanman America ne diya do ambedkar ko sari duniya ki Mahan vibhuti thi do ambedkar usako dislik kar lata ne apana gamand dikhaya.
नि:संदेह लता जी देश की एक सशक्त हस्ताक्षर थी उन्हें युगों युगों तक याद किया जाता रहेगा। लेकिन एक जबरदस्त साक्षीयत होने के बाबजूद उनके अंदर कुछ अभीष्ट कमियां भी देखने में आती रहती थीं:
a. गरीब विरोधी थीं
b. कमजोर वर्ग का साथ देने के बजाय उनका उपहास उड़ाने में अपने को सबल होने की मिशाल देती रहती थीं जैसे: #रेलवे स्टेशन पर एक महिला ( मैडम मंडल) के बारे अप्रिय बयान देना।#
.देश के मूर्धन्य राजनीतिज्ञों के प्रति आदर के भाव का अभाव ।
Aise kehte hai ki Rushi ka kul& nadi ka mul nhi dekha jata, Lataji ki surili Manmohini awaz& Sangeet ke kshetr me unke diye contribution ke karan unhe Bharatratn award mila vo hi yaad rakhne ki baat hai! Jai Hind!
Ye wronghai
आप भी देवदासी हो
रोचक जानकारी 👌
Bohot aachchi jaankari di aapne
व्हिडिओ 👍👍🙏
Lekin brahmano ki or hi lataji ne aajivan jhukav dekhne ko mila
लताजी सिर्फ एक गायिकाही नही एक सुसंस्कृत वैचारीक विचारधारा थी.ईन्सान का जन्म ऊसके हातमे नही होता.आर्थिक परिस्थिती ऊसे कोई पेशा स्विकारने मजबुर करता है
रही दिनानाथजीके साथ हुआ.लेकीन अपनी कला कष्ट और ऊच्चसोच के कारण ये परिवार ऊचाई तक पहुचा.और रही ऊनका असली धर्म है.लताजी को शतशः प्रणाम!
Kiya fayda?
Whole life, she did nothing to uplif Dassi System and even her sister, still never heard.
It was Baba Sahib who sacrificed his life fir the upliftment of depressed society even women fir their rights.
It
कमाल की story है👌👌👌👌👌🙏🙏
All here, please understand, we can’t even go close to her foot nail. Just feel sorry people here are enjoying the post. Surely,won’t contest their knowledge about music. God Bless our India.
Dil me jajba ho, kuchh kar gujrane ki sahas ho, to manjile hasil ho hi jatee hai, lata Ji ne a misal kayam karke dikha diya om Shanti
फिर भी लता अहशान framos थी बाबा साहब अम्बेडकर पर गीत गाने से मना कर दिया
Manuwaadi thee jaati se kya hota hai koi bhi good singer ho sakti hai
जहाँ तक मुझे मालुम है लतजी कलावंत समाज हे है इसे गोवा मेॱ कलवता कहते हैं इन लोगो का काम पुजा के समय नाच गान करना था । देवदासी का काम मॱदिर का साफसफाई करना और उच्च लोगो का हरतरह की सेवा करना था जिसे देवळी कहते हैं।
No doubt as a singer ,lataji is great. लेकीन ओ घमेंडी थी. मैने खुद अनुभव किया हैं. उनकी 75 सलकी साळगिरा मे शिवाजी पार्कमे प्रोग्राम रखा था. लाखो लोगोणकी भिड थी. उनके सन्मान मे कविता कृष्मूर्तीने गाने गाये. लास्टमे
मे एक तो गायेगि ऐसा लोगोणको लगा, इतनेमे हल्किसी बारिश सुरू हुईं लोग खडे हूये लेकीन जा नेका कोई नाम नही लिया. लोग देर तक खडे हुए बाद मे मालूम हुआ की o चली गई. बिना बोलके. गानां तो गाया नहीं ,लेकीन लोगोंके आभार भी माना नहि.
From Pandit Neharu to Vajpayee all were Brahmin Prime Minister of India but they have maintained secular democracy of India and never demanded anything from government for their caste.
ajj 90% high post pe brahman hain.
@@liveandletlive6351 1980-84 तक ब्राह्मण कांग्रेस का एकछत्र वोट बैंक था। सारे मुख्यमंत्री, राज्यपाल , सचिव आदि सब यही लोग थे।
Either you are very innocent or very cunning fellow. The Two Prime ministers you mentioned are of the same caste and they are highly united, organised. The caste they belong to can do anything. Kill anybody, have criminal conspiracy to eliminate any one or many at a time. I cannot enlist here.
Can you say the same about present regime?
Jawaharlal Nehru pandit nahi tha eh Faruk Abdullah de khandan sambandh rakhda hai
True story
संगीत विश्वाचा कोहिनूर हिरा, गानसम्राज्ञी लता मंगेशकर यांना माझे कोटी कोटी प्रणाम. 🙏🙏🙏
Devdasi pratha brahmano ka paapi Mansikta ki upaj thi ki unhone gareeb aur neechi jati ki ladkiyon ko Iss tarah se dharam ki rassiyon mein jakad kar Apni havas poori karte thay. ye kalankit itihas hai . We are ashamed of this !!
Does not make any difference whether she belonged to low or high caste.Yes she had many shortcomings and she always felt insecure whenever some new female singer emerged.Human nature!
On the issue of royalty she was right.Rafi was a saintly person, he was not practical.For royalty did help singers monetarily when they were no longer in circulation.
इस विकृत मानसिकताकी ये कोशिश समाजहित के विरुद्ध हैं. इतनी महान व्यक्तीकी इस तरह जाती धुंडना दिखाता हैं की ये व्यक्ती जातीद्वेषसे बाधित हैं. हमे लतादीदीकी जातीसे क्या लेना देना ? उनकी कला देखिये.
Rajsthani rajput dugaer Singh ji hi lata ke dil me base the. Unke liye hi unhone sadhi nahi ki.
Raj Singh Dungarpur.
मनुष्य की पहचान उसकी मानवता से होती है ठीक है लेकिन लता जी की पहचान उनकी सुरीली आवाज से है उनके सीने में दिल छोटा है या बड़ा वो अलग बात है लेकिन अपनी सुरीली आवाज से संगीत प्रेमियों के दिल को भावुक कर देती थी इनके अलावा जो भी गायिकाएं है सभी अपनी जगह पर फिट है इसमें कोई शक नहीं लेकिन लता जी जवाब नहीं न ही उनका कोई सानी है लेडीज गायिकाओ में
Devdasi parivar ki thi.fir bhi wo jati bhed kar ti thi. Jab unke ghar ki light off ho gai thi. Tab best workar Kable banne gay thy tab lata ji ni une ghar se nikal diya.😢jitni awaz unki acchi thi.utni wo buri thi.
Lataji buri nahi thi..yeah sab bakwass bandh karo..she took all responsibility of her family at the age of 13 after her father was died.. she struggled for them..and for lataji all female singers get royalty,filmfare award..give credit to all female singers..and she was best daughter, best sister,best singer..
I don't understand why people don't try to understand what actually cast means what the main factor is...what exactly are you trying to say?
जो नीच काम करता ह बह नीच होताहै जैसे चोरी जारी जुआ डाकू कोई काम के आघार पर ऊच नीच नहीं होता काम तो कृम है काम के आघार पर जातीया बन गया
ये कहांसे मिली इन्फरमेशन.???
लता की आवाज जितनी अच्छी थी , उतना ही ज्यादा उनका स्वभाव बुरा था
सही बात अपने आगे वो किसी बढने नही देती थी😊
ऐशा बिलकुल नाही हैl ye sab unse jalane Wale logone fylaya huva झूठ है l
Aapane bahut hi katu Satya kahan hai thanks Aabhar
गोआ में मंगेसी मंदिर है
Lekin ek suman kalyanji best singer thee jinki awaj lata di se bhee super duper thaa film industry ka sikar bani suman kalyanji bhee besak great singer thee dono
💐🙏
Lata mangeshkar ne Dr. baba shaaheb kaa गाणा gayaa nahi hai aap समजे lataa ke man me kaya tha God jaane manges mandir jaane
Matlab Nikal gaya hai to pahachante nahi. Yu ja rahe hai ki khudke bhutkalko janate nahi. Lajirwani got.
Jaatvaad se Kya Hoga Apne Apne hisse ka ka'am Hai karte Raho ab kichar uchalne se Kya Milà aapko woh ISS Duniya mein Nahin Hai ab...
Lata didi ke bare me ulta sidha likhna aur kisi tarah badnam karna logonko accha lagta hai
Koi kuch bhi bole unki mahanta kabhi kam nahi hogi,