बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय
@@nandramdhakernr7462 कबीर साहब का ज्ञान है ऐसा ज्ञान है कि यह जहां पर भी गिरेगा अज्ञान को पूरी तरह नष्ट कर देगा जैसे तोप का गोला जहां पर गिरता है सब कुछ नष्ट कर देता है
सत् साहेब जी गीता जी में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।। कुरान शरीफ में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।। गुरुग्रंथ साहेब में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।। बाइबिल जी में प्रमाण है कबीर साहेब ही भगवान हैं।।
हमारे पवित्र शास्त्रों के अंदर छिपी हुई सच्चाई जानने का एक मात्र तरीका है संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनना। इस सत्संग से मनुष्य को जीने की सच्ची राह मिलती है।
मैं रोऊँ इस सृष्टि को, ये सृष्टि रॉय मोहे। कह कबीर इस वियोग को, समझ नही सकता कोय।। جیون تو تہوڑا ھی بلا جے ست سمرن ھو لاکھ ورش کا جیونا لیکہے درے نہ کوئے
Kabir Doha : कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय. सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय. अर्थ कबीर कहते हैं कि उस धन को इकट्ठा करो जो भविष्य में काम आए. सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा.
आपा तजे हरि भजे, नख सिख तजे विकार । सब जीवन से निर्भैर रहे, साधू मता है सार ॥ जो व्यक्ति अपने अहम् को छोड़कर, भगवान् कि उपासना करता है, अपने दोषों को त्याग देता है, और किसी जीव-जंतु से बैर नहीं रखता, वह व्यक्ति साधू के सामान और बुद्धिमान होता है।
कबीर, एक राम दशरथ का बेटा एक राम घट घट में बैठा। एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा।। . तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हमपर आवे।। अटपटा ज्ञान कबीर का,झटपट समझ न आए। झटपट समझ आए तो,सब खटपट ही मिट जाए ।। साचा शब्द कबीर का,सुनकर लागै आग । अज्ञानी सो जल जल मरे, ज्ञानी जाए जाग ।। "कबीर" शब्द का अर्थ सर्वश्रेष्ठ,सर्वोतम,सबसे बड़ा,महान, है। गौर कीजिए, असली भगवान को पहचानिए। क का केवल नाम है ,ब से बरन शरीर। र से रम रहा संसार ,ताका नाम कबीर॥ कबीर :- हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर। गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर॥ गरीब :- अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार। सतगुरू पुरूष कबीर हैं, ये कुल के सृजनहार॥ दादू:- जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, वो कबीर सृजनहार॥ कबीर :- ना हमरे कोई मात-पिता, ना हमरे घर दासी। जुलाहा सुत आन कहाया, जगत करै मेरी हाँसी॥ कबीर :- पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर। अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर॥ कबीर :- ना हम जन्मे गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया। काशा शहर जलज पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया॥ कबीर :- सतयुग में सत्यसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा, द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया कबीर :- अरबों तो ब्रह्मा गये, उन्नचास कोटि कन्हैया । सात कोटि शम्भू गये, मोर एक पल नहीं पलैया॥ कबीर :- नहीं बूढा नहीं बालक, नहीं कोई भाट भिखारी। कहै कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी॥ कबीर :- पाँच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानू ज्ञान अपारा। सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा॥ कबीर :- हाड- चाम लहू नहीं मेरे, जाने सत्यनाम उपासी। तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी॥ कबीर :- अधर द्वीप ( सतलोक ) भँवर गुफा, जहाँ निज वस्तु सारा। ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन भी, धरता ध्यान हमारा॥ कबीर :- जो बूझे सोई बावरा, पूछे उम्र हमारी। असंख्य युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी॥ कबीर :- अवधू अविगत से चल आया, मेरा कोई मर्म भेद ना पाया ॥
PurnParmatma bandichod jagatguru tatvdarshi sant rampal ji maharaj ki jai ho 🙏 Daas ka guru dev rampal ji maharaj k charno me koti koti shashvat dandvat parnam 🙏🙏 🙏🙏🙏🙏 Sat saheb ji 🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏
जय बंन्दी छाेड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
हरकेस दास Verma वन्दी छोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज की जय हो सत साहेव
जागो रे परमेश्वर के चाहनेवालों प्रकट हो चुका है जगत का तारणहार बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय
बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय
बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय
बोलो बंदी छोड़ सत गुऱू रामपाल जी महाराज की जय
साँचा शब्द कबीर का सुनते ही लागे आग ।
अज्ञानी सो जल जल मरे ज्ञानी जाए जाग ।।
कबीर तीन देवन की भक्ति में, भूल पडा़ संसार।
कहै कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरे पार।।
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पुर्ण परमात्मा ही धरती पर अवतार लेके तत्वदेर्शी संत की भूमिका निभते हैं ।
सत साहेब जी
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, फिरता दाने दाने नु।
सर्व कला सतगुरु साहेब की, हरी आये हरियाणे नु।।
आजा बंदे शरण राम की फिर पीछे पछतायेगा।
काल बली तेरा लेखा लेगा वहां क्या बात बनाएगा ।
लाल खंभ से बांधेगा बिन सतगुरु कौन छुड़ाएगा।।
कबीर,
और ज्ञान सब ज्ञानरी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान ।
जैसे गोला तोब का,करता चले मैदान ।।
इसका अर्थ जान्ते हो
@@nandramdhakernr7462 कबीर साहब का ज्ञान है ऐसा ज्ञान है कि यह जहां पर भी गिरेगा अज्ञान को पूरी तरह नष्ट कर देगा जैसे तोप का गोला जहां पर गिरता है सब कुछ नष्ट कर देता है
कबीर, सतगुरु शरण मे आने से आई टले बला जो मस्तिष्क मे सूली हो काटे मे टलजाए
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आए फल होय सत साहिब जी बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम फिरता दाने दाने नूँ। सर्व कला सतगुरु साहेब की हरि आये हरियाणे नूँ।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।
पूर्णब्रह्म जगतगुरु तत्वदर्शी संत बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम
सभी भक्तों को सत साहेब
गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
सत् साहेब जी
गीता जी में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।।
कुरान शरीफ में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।।
गुरुग्रंथ साहेब में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।।
बाइबिल जी में प्रमाण है कबीर साहेब ही भगवान हैं।।
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हमारे पवित्र शास्त्रों के अंदर छिपी हुई सच्चाई जानने का एक मात्र तरीका है संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनना। इस सत्संग से मनुष्य को जीने की सच्ची राह मिलती है।
बंदीछोड़ परमात्मा सतगुरु रामपालजी महाराज जी की जय हो सत साहेब जी
चिड़ी चोंच भर ले गयी ,नदी न घट्यो नीर
दान दिये धन ना घटे ,कहे गये साहिब कबीर ।।
चारो युग मेरे सन्त पुकारे,कूक कहा हम हेल रे।
हीरे मोती माणिक बरसे ये जग चुगता ढेल रे
बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल महाराज की जय हो।।
Sat saheb ji bndi chhor satguru Rampalji maharaj ji ki jy
सत्संग कि आधी घड़ी तप के वर्ष हजार तो भी बराबर है नहीं सुन ले कबीर विचार
बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
कबीर, पाँच सहंस अरु पांच सौ, जब कलियुग बित जाय।महापुरुष फरमान तब, जग तारण को आय।।सत साहेब।।
संत रामपाल जी महाराज विश्व मे एकमात्र पूर्ण संत है जो समाज को शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे है उनके ग्यान के आधार पर विश्व में शांति होगी
मैं रोऊँ इस सृष्टि को, ये सृष्टि रॉय मोहे।
कह कबीर इस वियोग को, समझ नही सकता कोय।।
جیون تو تہوڑا ھی بلا جے ست سمرن ھو
لاکھ ورش کا جیونا لیکہے درے نہ کوئے
शरण पड़े को सतगुरू सम्भाले, जांका बलक बुखारा रे,
कहे कबीर चरण चित राखो, जिऊं सुई में डोरा रे।
बार बार में सतगुरु समझावे, जग में जीवन थोड़ा रे।
हम सुल्तानी नानक तारे,दादूं कू उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद नहीं पाया,कांशी माहीं कबीर हुआ।।
जग सारा रोगिया रे जिन सतगुरु भेद ना जान्या
Kabir Doha :
कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय.
सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय.
अर्थ
कबीर कहते हैं कि उस धन को इकट्ठा करो जो भविष्य में काम आए. सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा.
हम तो लोहा कठिन है सतगुरू बने लुहार
युगन युगन के मोरचे खोवे भर्म संदेह
कबीर ये संसार समझदा वाही कहन्दा श्याम दुपहरे नू गरीब दास ये वक्त जात है रोवोगें इस पहरें नूं
सतगुरु आये दया करि,ऐसे दीन दयाल ।
बन्दी छोड़ बिरद दास का,जठराग्नि प्रितपाल ।।
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ।
जो सुख साधु सगं में, सो बैकुंठ न होय ॥
कबीर संत मिलन को चालीए तज माया अभिमान ज्यो ज्यो कदम आगे रखे वो है यग समान
सतगुरू रामपालजी महाराज के चरणो मे कोटी कोटी दण्ड्वत प्रणाम सत साहेब जी
कबीरा आप ठगाइयो, और न ठगियो कोई।
आप ठगाए सुख होत है, और ठगे दुख होय।।
कबीर, गुरु गोविन्द दोउ खङे काके लागु पाय बलिहारी गुरू अापना गोबिंद दिया मिलाय
अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का,एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं,कुल के सृजनहार।।
हे गुरु तुम हो दीनदयाला।मैं हूं दीन करो प्रतिपाला।।
मन तू ही चल रे सुख के सागर
जहाँ शब्द सिंधु रत्नाकर
sat saheb guru jiiii
एक लाख को काल,नित खावें सीना तान।
ब्रह्मा बनावै विष्णु पालै,शिव कर दे कल्याण।।
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर।
गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर॥
सन्त रामपाल जी ने वो ज्ञान दिया है जो सभी वेद शास्त्रों से पूर्णतः प्रमाणित है और मोक्ष का सत्य मार्ग भी है
Kal jo pise pisna jora h pnihar l dono mjdur h mere satguru drbar
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर। दास मलुक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।.
तीन देव को सब कोई ध्यावै, चौथा देवका मरम न पावै।
चौथा छांडि पंचम ध्यावै, कहै कबीर सो हमरे आवै।।
सत्संग सुनने से हमें अच्छे बुरे कर्मो की जानकारी होती है।
सद्गुरु जी के श्री चरणों में दंडवत कोटि-कोटि प्रणाम
आपा तजे हरि भजे, नख सिख तजे विकार ।
सब जीवन से निर्भैर रहे, साधू मता है सार ॥
जो व्यक्ति अपने अहम् को छोड़कर, भगवान् कि उपासना करता है, अपने दोषों को त्याग देता है, और किसी जीव-जंतु से बैर नहीं रखता, वह व्यक्ति साधू के सामान और बुद्धिमान होता है।
बंदी छोड़ सद्गुरू रामपालजी महाराज जी की जय हो इनकी शरण में आने से ही मोक्ष संभव है और उनकी सत्संग साधना टीवी पर शाम को 7.40से8.40तक देखें।
सतगुरु देव जी के चरणों में दास का कोटि कोटि दडवत प्रणाम ।
कबीर राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट है।
पीछे फिर पछ्ताओगे, प्राण जायेगे के छूट।।
Bandi chhod sadguru rampal ji maharaj ki Jay
सत्संंग की आधी घड़ी, और तप के वर्ष हजार ।
तो भी बराबर है नहीं, कह कबीर विचार ।।
कबीर राम बुलावा भेजीया दिया कबीरा रोय जो सुख है सतसंग मै वो बैकुण्ठ मै भी ना होय कबीरा बन बन मै फिरा कारण अपने राम राम जैसे संत मिले जिन सारे सब काम
Jagat guru tattv darshi sant rampal ji maharaj ki jay ho
नानक, भगति मुक्ति के दाता सतगुरु, भटकत प्राण फिरन्दा । उस साहेब के हूकम बिना नहीं, तरवर पात हिलन्दा॥
कबीर अगम निगम को खोज ले,बुध्दि विवेक विचार।
उदय अस्त का राज मिले, तो बिन नाम बेगार।।
Bandi chore satguru rampal ji Maharaja ki jai
है मेरे मालिक दया करो अन्य आत्माओ पर जिनको लाख समझाने के बावजुद अमृत ज्ञान समझ नहीं आता।
आसन मारे क्या भया, मरी न मन की आस ।
तैली केरा बैल ज्यों, घर ही कोस पचास ॥
कबीर, श्वांस - उश्वांस में नाम जपो, व्यर्था श्वांस मत खोओ । ना जाने इस श्वांस का आवन हो के ना होय ।।
sat saheb guruji koti koti prnam
सत्य कबीर सतगुरु आए दया करी ऐसे दीनदयाल बंदी छोड़ व्रत ताश का जठराग्नि प्रतिपाल
वैदो मे पृमाण है कबीर साहेब भगवान है
कबीर----नाम रटत कन्या भली ,साकट भलो न पूत। छेरी के गल गलथना जिसमे दूध न मूत ।।
सतगुरु जो चाहे सो करही, चौदह कोटि दूत जम डरहीं। ऊत भूत जम त्रास निवारे, चित्र गुप्त के कागज फारै।
अवश्य सुनिए सत्संग
साधना चैनल पर 740 से 840
कबीर, एक राम दशरथ का बेटा
एक राम घट घट में बैठा।
एक राम का सकल पसारा,
एक राम त्रिभुवन से न्यारा।।
.
तीन राम को सब कोई धयावे,
चतुर्थ राम को मर्म न पावे।
चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे,
कहे कबीर सो हमपर आवे।।
अटपटा ज्ञान कबीर का,झटपट समझ न आए।
झटपट समझ आए तो,सब खटपट ही मिट जाए ।।
साचा शब्द कबीर का,सुनकर लागै आग ।
अज्ञानी सो जल जल मरे, ज्ञानी जाए जाग ।।
"कबीर" शब्द का अर्थ सर्वश्रेष्ठ,सर्वोतम,सबसे बड़ा,महान, है।
गौर कीजिए, असली भगवान को पहचानिए।
क का केवल नाम है ,ब से बरन शरीर।
र से रम रहा संसार ,ताका नाम कबीर॥
कबीर :-
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर।
गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर॥
गरीब :-
अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, ये कुल के सृजनहार॥
दादू:-
जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, वो कबीर सृजनहार॥
कबीर :-
ना हमरे कोई मात-पिता, ना हमरे घर दासी।
जुलाहा सुत आन कहाया, जगत करै मेरी हाँसी॥
कबीर :-
पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर।
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर॥
कबीर :-
ना हम जन्मे गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया।
काशा शहर जलज पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया॥
कबीर :-
सतयुग में सत्यसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा, द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया
कबीर :-
अरबों तो ब्रह्मा गये, उन्नचास कोटि कन्हैया ।
सात कोटि शम्भू गये, मोर एक पल नहीं पलैया॥
कबीर :-
नहीं बूढा नहीं बालक, नहीं कोई भाट भिखारी।
कहै कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी॥
कबीर :-
पाँच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानू ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा॥
कबीर :-
हाड- चाम लहू नहीं मेरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी॥
कबीर :-
अधर द्वीप ( सतलोक ) भँवर गुफा, जहाँ निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन भी, धरता ध्यान हमारा॥
कबीर :-
जो बूझे सोई बावरा, पूछे उम्र हमारी।
असंख्य युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी॥
कबीर :-
अवधू अविगत से चल आया, मेरा कोई मर्म भेद ना पाया ॥
Kabir saheb is supreme god
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम फिरता दाने-दाने नो सर्व कला सतगुरु साहिब कि हरी आए हरियाणा नु
कबीर,तीन देवको सब कोई ध्यावै, चौथे देवक मरम न पावै।चौथा छांड़ि पंचम ध्यावै, कहै कबीर सो हमरे आवै।।
करण शरीफ में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
कबीर ये माया अटपटी ,हर घट आन अड़ी।
किस किस को समझाऊँ, ये कूवै भाँग पड़ी।
जाति ना पुछो संत की,पूछ लीजिए ज्ञान।मोल करो तलवार का,पड़ी रहन दो म्यान।।सत साहेब।।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण क्यो फिरता दाने, दाने नू!
सर्व कला साहिब सतगुरु की हरि आये हरियाने नू!
ऊवाबाई बकें ब्रह्मज्ञानी, तत्वज्ञान की सार न जानी।
द्वापर पाण्डव यज्ञ पूर्ण किन्हीं, हो गई थी सबन की हीनि।।
कबीर, तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल।सभी जीव भोजन भये, एक खाने वाला काल।।
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
बन्दी छोड़ जगत गुरु तत्वदेर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय हो ।
सत साहेब जी
सत् साहेब जी
PurnParmatma bandichod jagatguru tatvdarshi sant rampal ji maharaj ki jai ho 🙏
Daas ka guru dev rampal ji maharaj k charno me koti koti shashvat dandvat parnam 🙏🙏 🙏🙏🙏🙏
Sat saheb ji 🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏
*सुंदर देही को देखकर*
उपजत है अनुराग।
*चाम ना होता देही पर*
तो जीवित खाते काग।।
साध हमारे सगे है, ना काहू को दोष।जो सारनाम बतावहीँ, सो साधु सिर पोष।।
कबीर साहेब चारो युगों मे आते है
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा त्रेता नाम मुनिंदर मेरा द्वापर में करुणा में कहाया कलयुग नाम कबीर धराया ll
सत् साहेब
जय हो बंदी छोङ सद्गुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो 🙏 🙏 🙏 🙏
गुरु जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा है
जय हो परमात्मा कि
सत गुरुदेव के चरणों में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
राम नाम रटते रहो जब तक घट में प्राण कबू तो दीनदयाल के भनक पड़ेगी कान
कबीर सत्य नाम हृदय देव भयो पाप को नाश जैसे चिंगारी अग्नि की पड़े पुराने घास
एसी भक्ति ना मिलेगी जन्मो जन्मो तक
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस|
खरासिआणा बहुता भार,धाणक रूप रहा करतार||
वेदो मे प्रमाण है कबीर साहेब भगवान् है
गैबी ख्याल विशाल सतगुरू अचल दिगम्बर थीर है
भक्ति हेत काया धर आए
अविगत सत कबीर जी हैं
गुरू गोवीन्द दोऊ खडे काके लागू पाय बलिहारी गुरू आप जिन गोविन्द दियो बताया
#सच_है_तो_बतायेंगे
दुनिया में संत रामपाल जी महाराज ही एक मात्र तत्वदर्शी संत है।
Sat saheb... 🙏
कल्पे कारन कौन है,कर सेवा निष्काम,
मन इच्छा फल देवूंगा, जब पड़े मेरे तै काम।🙏🙏
kabir is supreme God.
जग में बेरी कोई नही जो मन शीतल होय।
पवित्र शास्त्रों मे छुपे गूढ़ रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें अद्वितीय आध्यत्मिक ज्ञान
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कबीर माया तेरी है नही तो काया कहाँ से हो चरण कमल ध्यान रखे इऩ दौन खो