Jainism व्यवहारसे, भक्ती पूजाअर्चा, प्रतिष्ठा, करना भी एक अंग है पुण्यानुबंधी , पुण्य है. बंधनकारक है. हमे बंधन मुक्त होणा है. यह तो एक वस्तुनिष्ठ ज्ञानकोश है स्वाध्यायी होणा है. और अपनी अपनी जीवात्मा का प्रत्यक्ष अनुभव भी है. [5:36PM, 3/19/2018] किरण गांधी: से प्रयुक्त शुद्धनय के अनुसार ज्ञान मात्र से उत्पन्न हुए आत्मा और कर्म को विवेक-बुद्धि से अपने पुरुषाकाररूप स्वरुप से प्रकट हुए स्वभाविक एक ज्ञायक भावपने से जिसमे एक ज्ञायकभाव प्रकाशमान है,ऐसे शुद्धात्मा का अनुभव करते है इसलिए जो पुरुष शुद्धनय का आश्रय लेते है वे ही सम्यक अवलोकन करते हुए,सम्यकदृष्टि है और जो अशुद्धनय का सर्वथा आश्रय करते है,वे सम्यग्दृष्टि नहीं है!यहाँ पर शुद्धनय,निर्मली द्रव्य के सामान जानना चाहिए,इस कारण पुद्गल कर्मों से पृथक भिन्न आत्मा को अनुभव करने वालों को व्यवहारनय अंगीकार नहीं करना चाहिए ! शंका-जो चतुर्थगुणस्थानवर्ती,अविरतसम्यग्दृष्टि को ही व्यवहार नय छोड़ने योग्य कह कर निश्चय नयावल- म्बी कह देते है वे इन टीकाकारों के अर्थ का अनर्थ करने वाले होने से स्वपरघाति,निश्चयभासी ही है ! समाधान-आचार्य कहते है कि जैसे म्लेच्छों को समझने के लिए कोई ब्राह्मण म्लेच्छ भाषा के द्वारा उन्हें समझाता है उसी प्रकार महामुनिराज,अज्ञानियों को व्यवहारनय के अवलम्बन लेकर समझाते है,अन्य समय उसका प्रयोग नहीं करते क्योकि व्यवहारनय अभूतार्थ है! तात्पर्यवृत्ति में,आचार्य कहते है व्यवहारनय अभूतार्थ-असत्यार्थ और शुद्धनय-निश्चयनय भूतार्थ-सत्यार्थ है !फिए किस नय के आश्रय से सम्यग्दृष्टि होता है ? समाधान-टीकाकार अमृत चन्द्र सूरी जी का व्याख्यान और अभिप्राय है कि भूतार्थ- निश्चयनय का आश्रय लेने वाला,निश्चयनय मे स्थित हुआ जीव ही वास्तव में सम्यग्दृष्टि होता है! [5:38PM, 3/19/2018] किरण गांधी: भावार्थ- जिस भाव से आत्मा साध्य और साधन रूप हो उसी भाव से यह नित्य ही उपास्य है ऐसे विचार कर अन्यों के लिए व्यवहार नय से प्रतिपादन करते है कि मुनियों के लिए नित्य ही ज्ञान दर्शन और चारित्र सेवन करने योग्य -उपास्य है !पुनः परमार्थ,निश्चयनय से तीनो भी एक आत्मा ही है क्योकि ये आत्मा से अलग वस्तु नही है जैसे देवदत्त के ज्ञान श्रद्धान और आचरण उसके स्वभाव का उलघन नही करने से , वे उसी के स्वरुप है ,उस देवदत्त से भिन्न अन्य वस्तु नही है उसी प्रकार आत्मा में जो आत्मा के ज्ञान ,श्रद्धां और आचरण है वे आत्मा के स्वभाव का उल्लंघन नही करने से आत्मा ही है ,आत्मा से भिन्न अन्य वस्तु नही है! निष्कर्षतः स्वतः प्रकाशित हो रहा है कि आत्मा ही उपास्य है आत्माका स्वरूप है- ,
अगर ऐसे हि भजन, बोलेंगे हर जन मन। तो हि छुट पायेंगे ये बिकारो के कुसंग। और जीवात्मा शुभ से खुद के शुद्ध बुद्ध मार्ग पर आगे बढ़कर कभी मोक्श् की प्राप्ति कर हर तरह से तृप्ति पाकर केवल ज्ञान पाकर छुट सकेगा कभी।। जय जीनेश्वर। नमो जिनाणम्।।
तू ही शुद्ध है, तू ही बुद्ध है, तू ही गुण अनंत की खान है ||सुन चेतना अब जागना… कोई कर्म तुझको छुआ नहीं, तुझे कुछ भी तो हुआ नहीं | तू ही ज्ञेय, ज्ञाता ज्ञान है, अंतर में तू भगवान है। सुन चेतना अब जागना…(1) नि:कलंक है निष्काम है, निर्वेद है निर्विकार है | निर्दोष है, निष्पाप है, निर्लोभ निराकार है। सुन चेतना अब जागना…(2) मेरे ज्ञान में सब ज्ञान है, तू सूर्य रश्मि खान है। उपयोग में उपयोग है, तू बन रहा अन्जान है। सुन चेतना अब जागना…(3) तेरी आत्मा ध्रुव सिद्ध जो, परमात्मा से कम नहीं | तू एक ज्ञायक भव बस, परिपूर्ण प्रभुतावान है। सुन चेतना अब जागना…
Very nice bhakti, Tatva Bodh, Vairagya vedios, one can take these in practical, practice through Avalokan of Vartmaan Parinam, Gyan aradhna, bedhgyan, to Nirvikalp Swanubhav. Jaijinendra
This is about ur soul,about you...we have the power to become god ourselves,,just that we never tried to believe the power there inside us...To attain that supreme stage,,,we should follow steps, following which,,,bhagwan himself became one
जय जिनेन्द्र अगर आप को ये भजन अच्छा लगा है तो ज्यादा से ज्यादा लोगो को शेयर करे
Jainism@@
Jainism.
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Jainism व्यवहारसे, भक्ती पूजाअर्चा, प्रतिष्ठा, करना भी एक अंग है पुण्यानुबंधी , पुण्य है. बंधनकारक है.
हमे बंधन मुक्त होणा है. यह तो एक वस्तुनिष्ठ ज्ञानकोश है स्वाध्यायी होणा है. और अपनी अपनी जीवात्मा का प्रत्यक्ष अनुभव भी है.
[5:36PM, 3/19/2018] किरण गांधी: से प्रयुक्त शुद्धनय के अनुसार ज्ञान मात्र से उत्पन्न हुए आत्मा और कर्म को विवेक-बुद्धि से अपने पुरुषाकाररूप स्वरुप से प्रकट हुए स्वभाविक एक ज्ञायक भावपने से जिसमे एक ज्ञायकभाव प्रकाशमान है,ऐसे शुद्धात्मा का अनुभव करते है इसलिए जो पुरुष शुद्धनय का आश्रय लेते है वे ही सम्यक अवलोकन करते हुए,सम्यकदृष्टि है और जो अशुद्धनय का सर्वथा आश्रय करते है,वे सम्यग्दृष्टि नहीं है!यहाँ पर शुद्धनय,निर्मली द्रव्य के सामान जानना चाहिए,इस कारण पुद्गल कर्मों से पृथक भिन्न आत्मा को अनुभव करने वालों को व्यवहारनय अंगीकार नहीं करना चाहिए !
शंका-जो चतुर्थगुणस्थानवर्ती,अविरतसम्यग्दृष्टि को ही व्यवहार नय छोड़ने योग्य कह कर निश्चय नयावल- म्बी कह देते है वे इन टीकाकारों के अर्थ का अनर्थ करने वाले होने से स्वपरघाति,निश्चयभासी ही है !
समाधान-आचार्य कहते है कि जैसे म्लेच्छों को समझने के लिए कोई ब्राह्मण म्लेच्छ भाषा के द्वारा उन्हें समझाता है उसी प्रकार महामुनिराज,अज्ञानियों को व्यवहारनय के अवलम्बन लेकर समझाते है,अन्य समय उसका प्रयोग नहीं करते क्योकि व्यवहारनय अभूतार्थ है!
तात्पर्यवृत्ति में,आचार्य कहते है व्यवहारनय अभूतार्थ-असत्यार्थ और शुद्धनय-निश्चयनय भूतार्थ-सत्यार्थ है !फिए किस नय के आश्रय से सम्यग्दृष्टि होता है ?
समाधान-टीकाकार अमृत चन्द्र सूरी जी का व्याख्यान और अभिप्राय है कि भूतार्थ- निश्चयनय का आश्रय लेने वाला,निश्चयनय मे स्थित हुआ जीव ही वास्तव में सम्यग्दृष्टि होता है!
[5:38PM, 3/19/2018] किरण गांधी: भावार्थ- जिस भाव से आत्मा साध्य और साधन रूप हो उसी भाव से यह नित्य ही उपास्य है ऐसे विचार कर अन्यों के लिए व्यवहार नय से प्रतिपादन करते है कि मुनियों के लिए नित्य ही ज्ञान दर्शन और चारित्र सेवन करने योग्य -उपास्य है !पुनः परमार्थ,निश्चयनय से तीनो भी एक आत्मा ही है क्योकि ये आत्मा से अलग वस्तु नही है जैसे देवदत्त के ज्ञान श्रद्धान और आचरण उसके स्वभाव का उलघन नही करने से , वे उसी के स्वरुप है ,उस देवदत्त से भिन्न अन्य वस्तु नही है उसी प्रकार आत्मा में जो आत्मा के ज्ञान ,श्रद्धां और आचरण है वे आत्मा के स्वभाव का उल्लंघन नही करने से आत्मा ही है ,आत्मा से भिन्न अन्य वस्तु नही है! निष्कर्षतः स्वतः प्रकाशित हो रहा है कि आत्मा ही उपास्य है
आत्माका स्वरूप है-
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@@kirangandhi8545 jayl ho aapki
Born in different religion ...following jain dharm ...nishankit...feel so blessed..best thing happened in my life
Mere pas words nhi hai thanks kehne ke liye ye Bhajan jis singer ne Gaya hai aur jis mahan aatma ne likha hai unhe barmbar thanks🙏
अगर ऐसे हि भजन, बोलेंगे हर जन मन।
तो हि छुट पायेंगे ये बिकारो के कुसंग।
और जीवात्मा शुभ से खुद के शुद्ध बुद्ध मार्ग पर आगे बढ़कर कभी मोक्श् की प्राप्ति कर हर तरह से तृप्ति पाकर केवल ज्ञान पाकर छुट सकेगा कभी।।
जय जीनेश्वर।
नमो जिनाणम्।।
🇲🇰🇮🇳🇲🇰 ओम शांति आध्यात्मिक चेतना के जगाने के लिए पवित्र आनंद सुख शांति के लिए से अद्भुत भजन
तू ही शुद्ध है, तू ही बुद्ध है,
तू ही गुण अनंत की खान है ||सुन चेतना अब जागना…
कोई कर्म तुझको छुआ नहीं, तुझे कुछ भी तो हुआ नहीं |
तू ही ज्ञेय, ज्ञाता ज्ञान है, अंतर में तू भगवान है। सुन चेतना अब जागना…(1)
नि:कलंक है निष्काम है, निर्वेद है निर्विकार है |
निर्दोष है, निष्पाप है, निर्लोभ निराकार है। सुन चेतना अब जागना…(2)
मेरे ज्ञान में सब ज्ञान है, तू सूर्य रश्मि खान है।
उपयोग में उपयोग है, तू बन रहा अन्जान है। सुन चेतना अब जागना…(3)
तेरी आत्मा ध्रुव सिद्ध जो, परमात्मा से कम नहीं |
तू एक ज्ञायक भव बस, परिपूर्ण प्रभुतावान है। सुन चेतना अब जागना…
Pankaj Bhatt nice..
Thanks for lyrics 👍
🙏🙏🙏
घन्यवाद 👋👋👋
Thank u soooo much bhai 4 lyrics
Amazing song I always cry while listening song .
I'm sanatani
Wow very nc
सम्यक दृष्टि प्रकट होते ही भजन के सभी भाव समझ में आएंगे आत्मा कैसे शुद्ध है कर्म कैसे तुम को छुए नही
Wow
जय हो श्री जिनेश्वर प्रभु कि जिनोहने इतने कठिन तपोबलो के साथ केवली को प्राप्त किया🙏🙏🙏
Atma hi parmatma hai
अति सुंदर पंक्तियां 🙏🏻👌🏻👌🏻💟..
जय जिन शासन🙏🏻
Bahut hi badiya Bhajan Chetan ko jagane wala
🙏👃👍👌खूपच सुंदर शांत भजन
बहुत सुंदर भजन है बहुत सुंदर भजन है
I’m buddhist and i just searched buddha and just found this melodies bhajan and I listen it ❤️
Deep Meditation Song 🤣
Heart touching Song 🌲🌲
आत्मा को झकझोरने वाला मधुर भजन
Bahut sundar 💐💐
bahut shanti milti hai
सामाइक में चिंतन और मनन करने योग्य अच्छा भजन है
Bahut sundar
Super bhajan ... m din m 5 baar yh bhajan sunti hu
मन को शांति प्रदान करने वाला भजन
Man me shante denewala bhazan
Bahut he Sundar bhajan aur voice hai aapka
Bhautt Bhautt sunder bhav hai is Bhajan key
🙏❤राधे राधे जी❤🙏
Ae bhagti me pura samaysar he khub khub danyvad
स्वयं को प्रेरित करने वाला भजन
Very sweet melodious Bhajan with pure jain content of soul property. Thanks for uploading and sharing.
Br Sumatprkashjini adbhut rachna chhe
VERY VERY NICE
बहुत ही शान्ति प्रदान करने वाला भजन है
बहुत अच्छा भजन
bahut sundar bhajan
jai veera ( jain dharam ke jay) 💞💞💟💞💞 vv vv vv vvry Niccc bhajan
If you like the share.
Sundar bhajan.
Jai ho Prabhu ji
Man Ko Shanti dene Wala bhajan Jai Jinendra
Upyog me Upyog Hai.... 🙏
Dravya drashti data pujya kahan gurudev ke charno me koti-koti vandan
Kuldeep Bom puranmati mataji ca
नमों बुद्ध नमों महावीर स्वामी
offline save kyo nahi h
Very nice bhakti, Tatva Bodh, Vairagya vedios, one can take these in practical, practice through Avalokan of Vartmaan Parinam, Gyan aradhna, bedhgyan, to Nirvikalp Swanubhav. Jaijinendra
ओम शांति के सागर
Jai jinendra 👌👌🙏🙏🙏🙏
Eternal bliss
अगर त्रिकाली आत्मा का विस्वास हो जाए तो
सम्यकदर्शन हो जाए
👋👋🏾👋🏾👋🏾👋
One of my favorite bhajan🙏🙏
Bhout hi bhaav se bhara bhajan h,main bhagwan hu yeah khayal mai aata h.
🙏🙏🙏🙏👍
Very nice jain song
Peaceful soulful bhajan
Kya tarif ki jaye.
jay jinendra
बहूत ही बढीया
Jai jinerndra we are proud to be jain
🙏🙏🙏✔️
Anter me bhagwan hai pranam guru ji chaitanya
Jay Jinendra
Jai Jenandra Awesome
Satya Vachan.. Peacefull.
Heart Touching bhajen. Jai jinender. Jai Guruni ji.
Very nice bhakti
Bahut accha bhazan
Very nice and relevant
Bahut Sundar bhajan ....thank u
It's really good voice I liked so much
Very nice bhajan
Mai parmatma hu.........
Very. nice bhjan
🔥
🙏
very nice and sweet bhajan h
Tu hi shudh hai
Best
Yatharth 🙏🙏🙏
good morning good song
jin raj teri mahima mukh se na kahi jaye jain bahjan please also send me
🙏🏽👌👌👌
very nice bhajan.
This is soulful, meaningful and has healing powers. Does anyone know who sang this song?
This is about ur soul,about you...we have the power to become god ourselves,,just that we never tried to believe the power there inside us...To attain that supreme stage,,,we should follow steps, following which,,,bhagwan himself became one
Heart touching
awesome
Isme ye chenta ko jaga rhe hai.. ya chetna ko kah rah ki ab mat jaag ...please bataye.. mujhe ye acha laga bahjan
Nice song
Jsca
अति उत्तम
Prashant Jain
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏👌
नमो बुद्धाय जय भारत
Bhajan achha hai
pls remove mortein ad ....is tarah hinsaatmak ad show krke bhajan upload hona is very disappointing...pls take required action for that
इसके गीतकार का नाम बताइये न
🙏Jaijinendra 🙏
इस भजन के गीतकार कौन हैं
sanat kumarjain ATMAMAY ATMA SPARSI. BHAJAN MHA
Bhajan bahut hi sunder h par es keshabad bahut hi difficult h. Samej me nahi aata.
Geeta padhiye sab samajh aane lagega...
Geeta bhi har kisi ko samajh me nahi aati. Gudh rahasya h har shlok mai.
Sarasvati bandna
Bhagwan mughe bhagwan kah kar bulate h
Kya ye bhajan audio me mile sakta Hai
drive.google.com/file/d/1E4i8LNJhgWvIsP4Bn0TGSgP-cAbDK3Ti/view?usp=drivesdk
@@jainjainism अपूर्व अवसर ऐसा किस दिन आएगा की ऑडियो लिंक हो तो सेंड कर दे pls
Me gyananand svabhavi hu ..............
babut hi sundar bav h
जय जिनैन्द्र
बहोत बढिया भजन
100% samvidan lagu hona cahiya