कला अध्यात्म द्वारा बेबाक चित्रकार नरेंद्र पाल सिंह के साक्षात्कार की दूसरी कड़ी, नवोदित कलाकारों के लिए मार्ग दर्शन कराने का काम कर रही है। जैसा की उन्होंने कहा आजकल के कलाकारों में सबसे ज्यादा धैर्य की कमी है चाहे वह कलाकार किसी भी विधा से आते हो उन्हें बहुत जल्दी होती है अपना नाम कमाने की । पर वो अक्सर भूल जाते हैं की एक प्रतिष्ठित कलाकार बनने की प्रकिया कितनी जटिल रास्तों को तय करने के बाद ही, वह मुकाम हासिल होती हैं l कलाकार की बेबाक बातें अमूर्त कला , संस्थापन कला को लेकर कही गई बातों से पता चलता है कि कितने कठिन परिश्रम और अभ्यास के बाद ही इस विधा को हम समझ पाते हैं। उनका मानना है की पहले आप अपने कला को सशक्त बनाये फिर तय करे की कौन सा माध्यम उनके कलाकृतियों को मुखर बनाता है जिस पर वे अग्रसर हों l नरेंद्र पाल सिंह की कलाकृतियों के बारे में आज से तीन दशक पहले समकालीन कला के किसी अंक में पढ़ा था ,उनके चित्रों की एक अलग ही दुनिया है जो उनकी कला की अलग पहचान कराती है जो आम लोगों को आनंदित कर जाती हैं । और शायद इसी विचारों से प्रभावित हो कर उन्होंने बहुत साधारण सी दिखने और आसाधारण मुल्यो वाली आकारों का चयन किया अपने कला यात्रा के लिए जिन्हे वे विशुद्ध रंगों के साथ चित्रित करते रहे हैं, जिनसे उनकी चित्रों में ताज़गी बनी रहे उनके चित्रों में ग्रामीण परिवेश की झलक के साथ साथ शहरों की व्यस्तम जीवन शैली का भी अनुभव होता हैं l नरेंद्र पाल सिंह आज भी उतने ही मनोभाव से चित्रों का सृजन करते हैं, जो एक कलाकार के लिए जरुरी है l कलाकार राजेश जी से उम्मीद है इसी तरह क्रान्तिकारी विचारों से लबरेज और बेबाक कलाकारों के साक्षात्कार पर निरंतरता बनाये रखे l 🙏🏻💐
बढ़िया। जारी रखें।
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Thank you! Cheers!
कला अध्यात्म द्वारा बेबाक चित्रकार नरेंद्र पाल सिंह के साक्षात्कार की दूसरी कड़ी, नवोदित कलाकारों के लिए मार्ग दर्शन कराने का काम कर रही है।
जैसा की उन्होंने कहा आजकल के कलाकारों में सबसे ज्यादा धैर्य की कमी है चाहे वह कलाकार किसी भी विधा से आते हो उन्हें बहुत जल्दी होती है अपना नाम कमाने की । पर वो अक्सर भूल जाते हैं की एक प्रतिष्ठित कलाकार बनने की प्रकिया कितनी जटिल रास्तों को तय करने के बाद ही, वह मुकाम हासिल होती हैं l
कलाकार की बेबाक बातें अमूर्त कला , संस्थापन कला को लेकर कही गई बातों से पता चलता है कि कितने कठिन परिश्रम और अभ्यास के बाद ही इस विधा को हम समझ पाते हैं।
उनका मानना है की पहले आप अपने कला को सशक्त बनाये फिर तय करे की कौन सा माध्यम उनके कलाकृतियों को मुखर बनाता है जिस पर वे अग्रसर हों l नरेंद्र पाल सिंह की कलाकृतियों के बारे में आज से तीन दशक पहले समकालीन कला के किसी अंक में पढ़ा था ,उनके चित्रों की एक अलग ही दुनिया है जो उनकी कला की अलग पहचान कराती है जो आम लोगों को आनंदित कर जाती हैं । और शायद इसी विचारों से प्रभावित हो कर उन्होंने बहुत साधारण सी दिखने और आसाधारण मुल्यो वाली आकारों का चयन किया अपने कला यात्रा के लिए जिन्हे वे विशुद्ध रंगों के साथ चित्रित करते रहे हैं, जिनसे उनकी चित्रों में ताज़गी बनी रहे उनके चित्रों में ग्रामीण परिवेश की झलक के साथ साथ शहरों की व्यस्तम जीवन शैली का भी अनुभव होता हैं l
नरेंद्र पाल सिंह आज भी उतने ही मनोभाव से चित्रों का सृजन करते हैं, जो एक कलाकार के लिए जरुरी है l
कलाकार राजेश जी से उम्मीद है इसी तरह क्रान्तिकारी विचारों से लबरेज और बेबाक कलाकारों के साक्षात्कार पर निरंतरता बनाये रखे l
🙏🏻💐
धन्यवाद् आपके विस्तार पूर्ण कमैंट्स के लिए