Sir, इतना ज्ञान आपने ही दिया की ढुंधने पर भी कोई नही मिलेगा, ज्ञान देते समय आपको हसी युही नही आ रही थी, बस वो बात सामने वाला मनन करके समजना चाहिये, धन्यवाद 🙏🙏
विचार आदि अनुभव और स्वप्न सभी का दृष्टा अनुभवकर्ता है , आत्मन है। "ये मेरा अनुभव है , मेरा सपना है " ये विचार मात्र है जो बाद में आता है। ये अहम् भाव है।
It is so laughtering to learn that माया can be known which keep changing the thing which do not change can not be known. So we learn hard the माया and unlearn becomes wisdom.
Guruji atman ki koi indriya nahi h isliye atman ka mul savroop shunay h or isliye advet avstha joh ki antim satya h usme na toh koi Anubhav h or na anubhavkrta h,toh kya anubhav or anubhavkrta dono chit nirmit h? Jaise darshay mithya h ,usi parkar usko dekhne vala darsta bhi mithya hoskta h kyonki atman shunay h or usme apne aap ye darsta or darshay ka mithya khel chal skta h . Shunay me anant sambhavna h . Kripya parkas dale
ज्ञानमार्ग का लक्ष्य आत्मज्ञान है। ये अंतिम ज्ञान है , इसके बाद कुछ नहीं। अनुभव और तर्क से दिखाया जाता है , आपका स्वरुप क्या है , इसमें कोई ध्यान नहीं , कोई आसन/ क्रिया नहीं , बौद्धिक है ज्ञानमार्ग की श्रृंखला से आरंभ करें। ruclips.net/p/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN
सभी अनुभव मिथ्या हैं और अनुभवकर्ता को होते है । क्यों और कैसे? जानने के लिए ज्ञानमार्ग की श्रृंखला पूरी क्रम से देखें, बीच बीच से नहीं । प्रश्न सत्संग में पूछे । टेलीग्राम ग्रुप @bodhivarta
1.मैं अनुभव कर्ता हूँ। ये निरन्तर बोध। अहंकार पकड़ लेता है। फिर वो खुद को अनुभव कर्ता जान लेता है। ये बहुत उलझन भरा लग रहा है 2. क्या निर्विकल्प समाधि ज्ञानी और योगी का लक्ष्य है। वही मुक्ति है। जिसके बाद जन्म नही लेना पड़ता?
@@bodhivarta अहंकार को अनुभव कर्ता में रख कर अहंकार चला जाता है? क्या अहंकार ही अनुभव कर्ता में बदल जाता है?मेने अपना गुरु ओशो, जिद्दू कृष्णमूर्ति , रमण महर्षि को माना है।
अहंकार एक वृत्ति है जो आतीजाती है। मैं ये हूँ मैं वो हूँ - इस प्रकार के विचार और मान्यताएं प्रकट होती हैं। अहमवृत्ति ये भी कहती है कि मैं अनुभवकर्ता हूँ। ये केवल एक विचार है जो आत्मज्ञान के कारण आया है। अनुभवकर्ता इस तरह की वृत्तिओं, विचारों , मान्यताओं, भावनाओं आदि का दृष्टा है , साक्षी है , देखने जानने वाला है। ज्ञानमार्ग में दृश्य और दृष्टा का भेद अति आवश्यक है। ये विवेक आ गया तो तेज प्रगति होगी। अज्ञान आते ही नष्ट हो जायेगा। मुझे खुशी है जानकार की आप महान गुरुजनों का अनुसरण करते हैं , अच्छी प्रगति होगी।
Gahan gyan ko satik tsrike se samjaya he Apako Sadhuvad
Naman gurudev 🙇🙇🙇
Pranaam Prabhu
Sir, इतना ज्ञान आपने ही दिया की ढुंधने पर भी कोई नही मिलेगा, ज्ञान देते समय आपको हसी युही नही आ रही थी, बस वो बात सामने वाला मनन करके समजना चाहिये, धन्यवाद 🙏🙏
धन्यवाद 🙏🙏
I am very fortunate to have access to such level of knowledge 🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻
Wonderful 🙏🙏
Guru ji prnam jeevan maya hai vichar mairey nahi to swapne mera kaise ho sakta hai isko kon dekhta hai
विचार आदि अनुभव और स्वप्न सभी का दृष्टा अनुभवकर्ता है , आत्मन है। "ये मेरा अनुभव है , मेरा सपना है " ये विचार मात्र है जो बाद में आता है। ये अहम् भाव है।
सुंदर
Jai Gurudev
Aapnai to bhout kuch clear Kiya.
Mai apnai Sadhna Mai उलझ गया था।
मैं शाँति कुञ्ज हरिद्वार से हँ
जानकर प्रसन्नता हुई ये आपके काम आया। 🙏
@@bodhivarta jai Gurudev 🙏🙏🙏🙏
🌹🙏🌹
@@maltipatel3796 z is zzddczdd t
🙂🙏🏻
Thank you sir
I feel so lucky that I found this channel. But there's no information of the location where we can be part of these satsangs
It is so laughtering to learn that माया can be known which keep changing the thing which do not change can not be known. So we learn hard the माया and unlearn becomes wisdom.
Parnam ji
क्या यह अनुभवों में भी महा अनुभव है कि चित्त अवस्थाओं को समझना ही स्वीकार्य भाव को प्रबल करता है जिस से सम अवस्था मे प्रवेश हो जाता है।
Guruji atman ki koi indriya nahi h isliye atman ka mul savroop shunay h or isliye advet avstha joh ki antim satya h usme na toh koi Anubhav h or na anubhavkrta h,toh kya anubhav or anubhavkrta dono chit nirmit h? Jaise darshay mithya h ,usi parkar usko dekhne vala darsta bhi mithya hoskta h kyonki atman shunay h or usme apne aap ye darsta or darshay ka mithya khel chal skta h . Shunay me anant sambhavna h . Kripya parkas dale
मेरा तत्व शून्य है , इन्द्रियां होना न होना कारण नहीं। आत्मज्ञान ले लीजिये , सब प्रश्न हल हो जायेंगे। सारा अज्ञान मिट जायेगा।
Gurudev Gyanmaarg ki sadhna kya hai? 🙏🙏🙏
ज्ञानमार्ग का लक्ष्य आत्मज्ञान है। ये अंतिम ज्ञान है , इसके बाद कुछ नहीं। अनुभव और तर्क से दिखाया जाता है , आपका स्वरुप क्या है , इसमें कोई ध्यान नहीं , कोई आसन/ क्रिया नहीं , बौद्धिक है
ज्ञानमार्ग की श्रृंखला से आरंभ करें।
ruclips.net/p/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN
@@bodhivarta gurudev main iss maarg par nai hun agar mere prashno mein koi truti (galti) ho to shamaprarthi hoon🙏🙏🙏
हाँ आपको मार्ग दर्शन की आवश्यकता होगी । ऐसे ज्ञान नहीं मिलेगा ।
नमो बुद्धाय गुरूजी पहला एपिसोड काहीसे सुरू करे कृपया माग्रर्दशन करे
ज्ञानमार्ग की श्रृंखला देखें क्रम से । ruclips.net/p/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN
Can a experience last forever. Or in other words can there be a single experience which will last for eternity?
All experiences are impermanent. Impermanence lasts for eternity.
Are guru kha se dundhe 🥺🥺
🧎♀️🧎♀️🙏🙏
peeda ya dukh ka anubhav kise hota hai
सभी अनुभव मिथ्या हैं और अनुभवकर्ता को होते है ।
क्यों और कैसे?
जानने के लिए ज्ञानमार्ग की श्रृंखला पूरी क्रम से देखें, बीच बीच से नहीं ।
प्रश्न सत्संग में पूछे । टेलीग्राम ग्रुप @bodhivarta
In अक्रम मार्ग we do not use the words सत्य , असत्य, माया. But we use real and relative or विनाशी और अश्विनाशी which isसत्,असत्
'नाद' का अनुभव किसमे आता है?
नाद का अनुभव नहीं होता। परिकल्पना है।
@@bodhivarta और ध्यान में जो रंग दिखाई देते है वो भी?
रंग चित्त निर्मित हैं ।
@@bodhivarta मतलब ये सभी मेरी धारणा थी! , आपने सब तोड़ दी😅 , तो अब क्या करे? जो भी हो रहा है उसे सिर्फ देखते रहे?
कृपया अपने गुरु से सलाह लें जिनके मार्ग दर्शन मे साधना चल रही है ।
1.मैं अनुभव कर्ता हूँ। ये निरन्तर बोध। अहंकार पकड़ लेता है। फिर वो खुद को अनुभव कर्ता जान लेता है। ये बहुत उलझन भरा लग रहा है
2. क्या निर्विकल्प समाधि ज्ञानी और योगी का लक्ष्य है। वही मुक्ति है। जिसके बाद जन्म नही लेना पड़ता?
ये सभी नए साधकों का अनुभव है । अहमवृत्ति को भी चेतना मे होने दें ।
ज्ञानमार्ग मे चेतना ही लक्ष्य है । आप पहले से ही मुक्त हैं ।
@@bodhivarta अहंकार को अनुभव कर्ता में रख कर अहंकार चला जाता है?
क्या अहंकार ही अनुभव कर्ता में बदल जाता है?मेने अपना गुरु ओशो, जिद्दू कृष्णमूर्ति , रमण महर्षि को माना है।
अहंकार एक वृत्ति है जो आतीजाती है। मैं ये हूँ मैं वो हूँ - इस प्रकार के विचार और मान्यताएं प्रकट होती हैं। अहमवृत्ति ये भी कहती है कि मैं अनुभवकर्ता हूँ। ये केवल एक विचार है जो आत्मज्ञान के कारण आया है।
अनुभवकर्ता इस तरह की वृत्तिओं, विचारों , मान्यताओं, भावनाओं आदि का दृष्टा है , साक्षी है , देखने जानने वाला है।
ज्ञानमार्ग में दृश्य और दृष्टा का भेद अति आवश्यक है। ये विवेक आ गया तो तेज प्रगति होगी। अज्ञान आते ही नष्ट हो जायेगा।
मुझे खुशी है जानकार की आप महान गुरुजनों का अनुसरण करते हैं , अच्छी प्रगति होगी।
🙏🙏