स्वामीजी के चरण कमल में प्रेम प्रणामजी 💐🙏💐। आज सत्य का उजागर हुवा है । सुंदरसाथ जी अब वाणी को ढकने का समय चला गया है। सुंदरसाथ जी गुरु के पीछे भागना छोड़ दीजिए ,वाणी खोलिए ,और वाणी को मंथन कीजिए चिंतन कीजिए और राज्जी से बाते कीजिए , राज्जी का ध्यान कीजिए और धामधनी श्री प्राणनाथ जी को अपने धामदिल में बैठाए।अब श्री प्राणनाथ जी की पहेचान सारी दुनिया करेगी तब हम सुंदरसाथ परमधाम में राज्जी के सामने क्या मुंह दिखाएंगे ,इस जागनी के ब्रह्माण्ड में धामधनी स्वयंम आके हमको जगा रहे है... अब सो साहेब आएया, सब सृष्टि करी निलमल। मोह अहंकार उड़ाए के, देसी सुख नेहेचल।। फिर भी हम सुंदरसाथ होकर भी अज्ञानता के चादर ओढ़ कर बैठें रहे है। क्या हम सही है आप लोग स्वयंम विचार कर लीजिएगा। इस जागनी के ब्रह्माण्ड में प्राणनाथ जी का जिसने भी दर्शन कर लिए उनका अपने जीव और आत्म के मुक्ति का द्वार खोलेगा।और अपने अपने भिस्त को पक्का करेंगे। और इस संसार छोड़ने के बाद अपने आराध्य के हिसाब से अपने भिस्त में पहुंच जाएगी। हम सुंदरसाथ होकर भी प्राणनाथ जी की महिमा को पहेचान नही कर पाए और उनको गुरु, सिस्य, सन्त , या कवि में सीमित करेंगे तो हमे दोजख के आग में जलना पढ़ेगा सुंदरसाथ जी। राज्जी ने वाणी में खुद बोल दिए हे इन मोती को मोल कहयो न जाए, ना किनहू कानों सुनाए। सोई जले जो मोल करे, और सुनने वाला भी जल मरे।। प्रेम प्रणाम जी 🙏💐
बहुत सुन्दर जवाब दिया गया कोई शक नही ये सिर्फ बुराई करते ना कभी वाणी पढ़ते ना मंथन सिर्फ मुरली मुकुट क पीछे सारा जीवन गवा रहे है ओर वाणी श्री प्राणनाथ जी पर क्यो उतरी देवचंद जी पर क्यो नही इसको तो विचारते नही खुद नफरत फैलाते की ये श्री जी साहेब वाले है दूर रहो इतना भी समझ नही मेरे पिया की वाणी को समझना सीखना नही चाहते सिर्फ ईर्षा निंदा मे इनको गर्क रहना वही आने वाली पीढ़ी को समझाते है ये
तारतम मन्त्रमे विवाद इसिलिए है कि जो मुल तारतम मे "निजनाम श्री कृष्ण जी" है । हो अाउजा लोगोने यहि निजनाम श्री कृष्ण जी को हटाकर ए लोगोने अपना मर्जिसे दुस्रा नाम रखदिया। ए बडा दुखका बात है।
सिर्फ पहचान करने की आवशयकता है तारतम देख विचार के पिऊ लाये बेर दोए नर नारी बूढ़ा बालक, जिन इल्म लिया मेरा बूझ । तिन साहेब कर पूजिया, एही अर्स का गुझ।। साहेब आये इन जिमि , कारज करने तीन। सबका का झगड़ा मेंटने, या दुनिया या दीन।। अपना मौ. न. देना आपको तारतम हस्त लिखित भेजते हैं
अगर कोई देवचन्द्रजी ओर प्राणनाथजी को अलग करते है तो सरासर गलत कर रहे है । अक्षरातीत के ही दिल का स्वरूप है सारे । ओर यहां संसार में अलग अलग तन अलग अलग नाम पांच दिन की लीला में धारण किये जब कि मूल स्वरूप तो साहेब धनी जी अक्षरातीत ही खुद है ।
विवाद की जड़ सही में देखना चाहते हो तो बड़े बड़े पहाड़ बनकर बैठे है और सत्य जाहिर होते ही तूल की तरह उड़ रहे है वह अपने साथ जुड़े साथ को अपने साथ जुड़े रखने के लिए येन केन प्रकारेण सत्य को छिपाने के लिए कुछ भी बोलकर गुमराह करने वाले गुरूवाद में फंसाने वाले गुरुगादी को अपने आप को बड़ा दिखलाने के लिए विवाद करते है । और भोले सुन्दरसाथ को गुमराह करते है । क्योंकि साथ तो वाणी से जुड़ने ही नही दिया । अगर सभी खुद ही बानी से जुड़कर मंथन करने लगे तो सत्य समझ पाओगे । कम से कम जो तारतम में बोलते हो उतना ही तो कर लो !! रोज बोलते हो ए सत वाणी मथके, लेऊ जो इनको सारः । तो बस ये जो बोलते हो वही कर लो और खुद वाणी मंथन से जुड़ जाओ । फिर जो आपको खुद के मंथन से सत्य मिले उसी को मानो । यही सही राह है । न विवाद रहेगा न जुठ सामने टिकेगा । सत्य अपने आप सामने आ जायेगा । प्रेम प्रणामजी
प्रेम प्रणाम जी..🙏🏻 मेरा मानना है कि आखिर तारतम के विवाद का प्रश्न ही क्यों? इतना तर्क लगाने की तो जरुरत ही नहीं है..परमधाम का पूरा सम्बन्ध ही प्रेम का है और जो मूल(जड़) है वो सर्वथा सत्य है ; उसे बदला नहीं जा सकता चाहे कितना ही मरोड़ा जाए।
@@parmodgujjer और आप कृष्ण के बिना प्रेम कैसे करेंगे? कृष्ण बिना प्रेम संभव ही नहीं है..प्रेम उनका पर्याय है. मुरली और मुकुट उनकी प्रिय है और जिससे हम प्रेम करते है उसकी हर वस्तु प्रिय होती है। आप कृष्ण" नाम का त्याग करके प्रेम कर रहे हैं इसका मतलब जिन्होंने प्रेम सिखाया है उन्हीं से अलग होकर दूसरों के सामने प्रेम की बात कर रहे हैं। और स्पष्ट है कि मूल वाणी को कुछ और दिखाने की कोशिश में ही धर्म को बाटने वाले लोगों को प्रेम संभव नहीं है केवल तर्क ही संभव है. और तर्क से केवल जीता जा सकता है संतुष्ट नहीं किया जा सकता !!!
जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण
स्वामी जी जब श्री निजानंद आश्रम शेरपुर में आप का और श्री 5 महामंगलपूरी धाम के आचार्य महाराज जी का शास्त्रार्थ होने वाला था तो तब आप ने शास्त्रार्थ क्यों नहीं किया ?? फिर उनसे माफी क्यों मांगी ??? अभी भी समय है सुन्दर साथ जी को गुमराह ना करे कहना नहीं चाहता था पर कहने पर मजबूर कर रहे है आप
सस्त्रार्थ करने की आवश्यकता क्या है? ये जागणी का युग चल रहा है राजजी अनेक तन घारण करके अपनी आत्माओं को जगा रहे है आप को जीस नाम से पुकारना है पुकारते रहो कयों की राजजी का हर स्वरूप प्रेम सीखाता है नफरत नहीं! चाहे कृष्ण का स्वरूप हो या महामति प्राणनाथ जी
सुंदर साथ जी, लड़ने की तो कोई जरूरत ही नही है, वैसे भी सुंदर साथ मतलब राज (श्यामा)जी की अंगना...तो आपस में प्रेम के अलावा कुछ और होना ही नही चाहिए.... सीधा सीधा सा हिसाब है अगर किसी को कृष्ण जी के मंत्र से भी वाला जी (परंधाम)के दर्शन हो रहे हैं तो आप वही करते रहिए,अपनी कसौटी पर खुद को खुद के लिए साबित कर लीजिए और खुश रहिए 🙏🙏
सही कहा साथ जी.. मेरे घर में पीढ़ी दर पीढ़ी से सभी सुंदरसाथ है परंतु किसी ने श्रीकृष्ण नाम के प्रति अपना ईमान नहीं खोया है और ना इसकी जरूरत है और ना होगी. ऐसे गुरुजन अगर मूल वाणी का प्रचार करते तो कई संसार के लोग जाग्रत होते जो परमधाम का कार्य होता। परंतु यह भटकाने का काम करके स्वामी जी अपने राज जी से दूर जा रहे है और सबको दूर ले जाने का काम कर रहे है। प्रणाम
अब वाणी को ढकने का समय चला गया है। सुंदरसाथ जी गुरु के पीछे भागना छोड़ दीजिए ,वाणी खोलिए ,और वाणी को मंथन कीजिए चिंतन कीजिए और राज्जी से बाते कीजिए , राज्जी का ध्यान कीजिए ।अब श्री प्राणनाथ जी की पहेचान सारी दुनिया करेगी तब हम सुंदरसाथ परमधाम में राज्जी के सामने क्या मुंह दिखाएंगे ,इस जागनी के ब्रह्माण्ड में धामधनी स्वयंम आके हमको जगा रहे है... अब सो साहेब आएया, सब सृष्टि करी निलमल। मोह अहंकार उड़ाए के, देसी सुख नेहेचल।। फिर भी हम सुंदरसाथ होकर भी अज्ञानता के चादर ओढ़ कर बैठें रहे है। क्या हम सही है आप लोग स्वयंम विचार कर लीजिएगा। इस जागनी के ब्रह्माण्ड में प्राणनाथ जी का जिसने भी दर्शन कर लिए उनका अपने जीव और आत्म के मुक्ति का द्वार खोलेगा।और अपने अपने भिस्त को पक्का करेंगे। और इस संसार छोड़ने के बाद अपने आराध्य के हिसाब से अपने भिस्त में पहुंच जाएगी। हम सुंदरसाथ होकर भी प्राणनाथ जी की महिमा को पहेचान नही कर पाए और उनको गुरु, सिस्य, सन्त , या कवि में सीमित करेंगे तो हमे दोजख के आग में जलेगा पढ़ेगा सुंदरसाथ जी। राज्जी ने वाणी में खुद बोल दिए हे इन मोती को मोल कहयो न जाए, ना किनहू कानों सुनाए। सोई जले जो मोल करे, और सुनने वाला भी जल मरे।। प्रेम प्रणाम जी 🙏💐
@@basantjha9370 ji agar mool baani karte hote to sunder saath idher udher nhi bhatakte yhi to dukh ki baat hai.baani ko kinara krke bhagwat ki prachar jor shor se krte hai aur jaha sirf wani ki chrcha hoti hai waha sunder saath ko rokte hai
प्रणाम राजन भाई आपने क्या बात बोली फुकने का कब से ढोंग सला तो आपको कब से पता चला की ये ढोंग चला जब से खुद को स्वामी समझने लगे ओर अपने नाम के आगे स्वामी लिखने लगे तब से राजन भाई तब से लगा की ढोंग सल रहा है ऐसा राजन भाई स्वामी इस संसार मे एक है श्री देवचंद्र जी ओर आपने कैसे अपने नाम से आगे स्वामी जी लगा दिया जो स्वयं को पति माने ऐसे इस दुनिया मे धनीय है अगर परमधाम मे अक्षरतीत रहते है इस को हम राज नाम से साहेब नाम से जानते है तो कृष्णा नाम से जानते है तो लोगों को क्यू problam है ।महाराज जी ओर रही बात मंत्र की अगर आपको सही से मंत्र का भावार्थ पता हो तो कल से आप भी मंत्र को मन मे जापने लगोगे महाराज जी । आपकी सारणों मे प्रणाम ओर जो वनी रची श्री लालदास जी ने जो वानी लिखी क्या वो गलत थी जो आपने श्री कृष्णा नाम को ढक के श्री साहेब जी के नाम लिख के सरूप साहेब को सपवाई है गरू जी होके महाराज जी कुछ सच पता होने के बाद भी नी बोलते ये गलत बात है महाराज जी ।
सिर्फ निजनाम की एक चोपाई के एक चरण के भी एक शब्द को ही पकड़कर बैठे रहोगे !! 18758 भी तो मंथन कीजिये ! वह सारा खटराग हटकर सत्य खुद ही पा लोगे । बोलते हो वही निभा लो सत वाणी मथके सार को खुद ही प्राप्त कर लो ।
महाराज जी अगर हम पुराणों को नहीं मानेंगे तो हम राजी महाराज की की वनी को कैसे मैनेंगे महाराज जी कृपया करके आप अपनी वनी पर ध्यान dijay आप बोल क्या रहे हो महाराज जी
Pure Paramdham me 1 ek hi Only ONE & ONE sirf ek hi. Fakt ek (1) PURUSH hi he to (NAAM KI Jarurat kyon..?) **there is no need to name Where there is a only one & One purush...pranamji..
श्री प्राणनाथ बुध निष्कलंक अवतार ने पुराण और कुरान का समन्वय किया है पारब्रह्म का निजी नाम श्री कृष्ण जी और श्री जी साहिब जी यह कुरान और पुराण के द्वारा संबोधित किया है तुम सुंदर साथ को भटका नहीं सकते सुंदर साथ के साथ राजू विराजमान है हिंदू शास्त्रों में तीन कृष्ण का वर्णन है कृष्ण रुक्मणी वैकुंठनाथ राधा कृष्ण गोलोक धाम और कृष्ण स्वामिनी निजधाम तुम शास्त्रों को कैसे बदल सकते हो इसलिए होशियार ही गलती करता है चतुराई को छोड़ना पड़ेगा चतुराई ही अरोड़ा है
ब्रह्मा वाणी श्री कुलजाम स्वरूप में जहां भी कुरान का प्रसंग आया है उन्हीं साहिब नाम आया है यह देखने योग है इसलिए श्री कृष्ण नाम हिंदू शास्त्र को प्रमाणित करता है और साहेब नाम कुरान को सिद्ध करता है
जो अपने को होशियार मानता है अर्थात तैरने वाला ही डूबता है हिंदू शास्त्रों में तीन कृष्ण का वर्णन है कृष्ण रुक्मणी वैकुंठनाथ दूसरा राधा कृष्ण गोलोक धाम और तीसरा कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा निजधाम परमधाम वासी सुंदर 7 को कोई बदला नहीं सकता क्योंकि सुंदर साथ की साथ में पिया जी विराजमान हैं
सुंदर 7 को कोई ठग नहीं सकता क्योंकि जागृत बुद्धि परगट है श्री महेश्वर तंत्र का प्रमाण एक है बैकुंठ नाथ विष्णु लक्ष्मी दूसरे हैं गोलोक धाम श्री कृष्ण राधा और तीसरे है परमधाम श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जागृत बुद्धि से सब कुछ खुल रहा है फिर भी समझ नहीं आता उसका कोई इलाज नहीं है
Maharaj ji abhi ek granth par charcha ho raha hai naam hai bhaishya malika usme kalki awtar ka jo ulekh huwa hai oh bilkul alag hai usme to 3 rd world War, pakistan etc sabhi ki charcha diya hai jara amajon se Maga kar pad lijiye aur uska rahashya ujagar kijiye
हमारे श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर के महाराज जी श्री 5 नवतनपुरी धाम जामनगर में रहकर वहां से श्री कुलजम स्वरूप साहेब लिखकर लाए थे। संवत 1996(1939) मिति चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रथम पहर वार गुरु । यह कुलजम स्वरूप अपने वाचने सीखने को लिख्या है। जो कोई इसमें दावा करे जो पांचों स्वरूप श्री सतगुरु सुंदरसाथ का गुन्हेगार होवेगा। इस हस्थ लिखित स्वरूप साहेब में खुलासा से कयामतनामा तक निजनाम श्री जी साहेब जी लिखा हुआ है। सप्रेम प्रणाम जी
आप चर्चा में सीधे-सीधे यह कह दीजिए कि आपका ज्ञान देवचंद जी से बड़ा है और उन्होंने जो तारतम मंत्र के बारे में कहा है वह सही नहीं है जो हम घुमा फिरा कर समझा रहे हैं वह ठीक है
Pranam ji Hme to itna smjh me aa rha hh vani or apne personal vichar Mila ke bta rhe hh... Hmne to kbhi ase bate phle nhi suni gudh rhsya nikalte nikale good chize hi kho dii .. adhik Gyan bhi kyi bar hanikarak hota... 🙏🙏 Phle asa tha fir asa hua ab asa ho gya ab na jane age ksa hoga... Don't spread rumours keep it simple sant apne Mt bedo ke chalte Sundersath ka nuksan krr rhe hh . Totally politics from both side and both side try to prove its self supreme .. Raji ne shi kha na tum mujhe janogi na ghar ko vhi dikh rha hh ...
Gurujji pathan ke roop me to samajh ata hai lekin ye chibani ke roop me srangar ke room me ye kis tarah ka darshan vyakhya kijiye kabhi ap braj bihari ke room me bolte ye kaisa confusion hai
Pranam Ji Aj sham ko hamare isi channel par ek video public hogi aap use jarur dekhiyega usse apko samjh aa jayega. Hamare sath jude rahne ke liye dhamywad. Pranam Ji
राजन महाराज जी आप से एक qustion है कोई स्वयं को स्वामी कहता है क्या जी स्वामी का भावार्थ क्या होता है महाराज जी मे आपसे पूछना सहता हु आगे फिर वनी की बात
@@motivationalthought.916 वास्तव में जिसने अपने मन को काबू में कर लिया हो यानी अहंकार रहित हो गया हो वो ही स्वयं का स्वामी कहलाने का अधिकारी होता है। सामान्य व्यवहार में तो बहुतो को स्वामी कह दिया जाता है।
Pranamji swamiji ❤❤❤
❤prem pranam ❤🙏❤
❤ pernam ji sunder sath ji ki charnao me koti koti pranam ji Swami ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
प्रणाम गुरुदेव
❤❤❤❤❤❤
निजन्नाम श्री कृष्ण जी ,,,,,,प्रणाम
प्रणाम गुरुजी।
🙏🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
Sahi bat guruji.. pranamji
Prm prnam ji
Prem pranam ji 🙏🏻
Koti koti prem parnam swami Shree ji 🙏🌹🙏💐🙏❤️🙏pranam 🙏🙏🙏
Nijnaam anadi aksharatit sri krishna ji
प्रणाम महाराज जी बहुत सुंदर चर्चा की आपने आपको कोर्ट प्रणाम लेकिन इस संसार में विना श्री कृष्ण नाम के बीना कोई नहीं जानता
❤❤😊
Pream pranam swamiji❤❤❤
स्वामीजी के चरण कमल में प्रेम प्रणामजी 💐🙏💐।
आज सत्य का उजागर हुवा है ।
सुंदरसाथ जी अब वाणी को ढकने का समय चला गया है। सुंदरसाथ जी गुरु के पीछे भागना छोड़ दीजिए ,वाणी खोलिए ,और वाणी को मंथन कीजिए चिंतन कीजिए और राज्जी से बाते कीजिए , राज्जी का ध्यान कीजिए और धामधनी श्री प्राणनाथ जी को अपने धामदिल में बैठाए।अब श्री प्राणनाथ जी की पहेचान सारी दुनिया करेगी तब हम सुंदरसाथ परमधाम में राज्जी के सामने क्या मुंह दिखाएंगे ,इस जागनी के ब्रह्माण्ड में धामधनी स्वयंम आके हमको जगा रहे है...
अब सो साहेब आएया,
सब सृष्टि करी निलमल।
मोह अहंकार उड़ाए के,
देसी सुख नेहेचल।।
फिर भी हम सुंदरसाथ होकर भी अज्ञानता के चादर ओढ़ कर बैठें रहे है। क्या हम सही है आप लोग स्वयंम विचार कर लीजिएगा। इस जागनी के ब्रह्माण्ड में प्राणनाथ जी का जिसने भी दर्शन कर लिए उनका अपने जीव और आत्म के मुक्ति का द्वार खोलेगा।और अपने अपने भिस्त को पक्का करेंगे। और इस संसार छोड़ने के बाद अपने आराध्य के हिसाब से अपने भिस्त में पहुंच जाएगी। हम सुंदरसाथ होकर भी प्राणनाथ जी की महिमा को पहेचान नही कर पाए और उनको गुरु, सिस्य, सन्त , या कवि में सीमित करेंगे तो हमे दोजख के आग में जलना पढ़ेगा सुंदरसाथ जी।
राज्जी ने वाणी में खुद बोल दिए हे
इन मोती को मोल कहयो न जाए,
ना किनहू कानों सुनाए।
सोई जले जो मोल करे,
और सुनने वाला भी जल मरे।।
प्रेम प्रणाम जी 🙏💐
बहुत सुन्दर जवाब दिया गया कोई शक नही ये सिर्फ बुराई करते ना कभी वाणी पढ़ते ना मंथन सिर्फ मुरली मुकुट क पीछे सारा जीवन गवा रहे है ओर वाणी श्री प्राणनाथ जी पर क्यो उतरी देवचंद जी पर क्यो नही इसको तो विचारते नही खुद नफरत फैलाते की ये श्री जी साहेब वाले है दूर रहो इतना भी समझ नही मेरे पिया की वाणी को समझना सीखना नही चाहते सिर्फ ईर्षा निंदा मे इनको गर्क रहना वही आने वाली पीढ़ी को समझाते है ये
Nij nam shree devchandra g anade axaratit
🌹🙏🙏🙏🌷
🙏🙏💐🌹
तारतम मन्त्रमे विवाद इसिलिए है कि जो मुल तारतम मे "निजनाम श्री कृष्ण जी" है । हो अाउजा लोगोने यहि निजनाम श्री कृष्ण जी को हटाकर ए लोगोने अपना मर्जिसे दुस्रा नाम रखदिया। ए बडा दुखका बात है।
मैं यह जानना चाहता हूं की विवाद का जड़ कौन पैदा किया सतगुरु श्री देवचंद महाराज की जगदीश चंद आहूजा
सिर्फ पहचान करने की आवशयकता है
तारतम देख विचार के पिऊ लाये बेर दोए
नर नारी बूढ़ा बालक, जिन इल्म लिया मेरा बूझ ।
तिन साहेब कर पूजिया, एही अर्स का गुझ।।
साहेब आये इन जिमि , कारज करने तीन।
सबका का झगड़ा मेंटने, या दुनिया या दीन।।
अपना मौ. न. देना आपको तारतम हस्त लिखित भेजते हैं
अगर कोई देवचन्द्रजी ओर प्राणनाथजी को अलग करते है तो सरासर गलत कर रहे है । अक्षरातीत के ही दिल का स्वरूप है सारे । ओर यहां संसार में अलग अलग तन अलग अलग नाम पांच दिन की लीला में धारण किये जब कि मूल स्वरूप तो साहेब धनी जी अक्षरातीत ही खुद है ।
विवाद की जड़ सही में देखना चाहते हो तो बड़े बड़े पहाड़ बनकर बैठे है और सत्य जाहिर होते ही तूल की तरह उड़ रहे है वह अपने साथ जुड़े साथ को अपने साथ जुड़े रखने के लिए येन केन प्रकारेण सत्य को छिपाने के लिए कुछ भी बोलकर गुमराह करने वाले गुरूवाद में फंसाने वाले गुरुगादी को अपने आप को बड़ा दिखलाने के लिए विवाद करते है । और भोले सुन्दरसाथ को गुमराह करते है । क्योंकि साथ तो वाणी से जुड़ने ही नही दिया । अगर सभी खुद ही बानी से जुड़कर मंथन करने लगे तो सत्य समझ पाओगे । कम से कम जो तारतम में बोलते हो उतना ही तो कर लो !! रोज बोलते हो ए सत वाणी मथके, लेऊ जो इनको सारः । तो बस ये जो बोलते हो वही कर लो और खुद वाणी मंथन से जुड़ जाओ । फिर जो आपको खुद के मंथन से सत्य मिले उसी को मानो । यही सही राह है । न विवाद रहेगा न जुठ सामने टिकेगा । सत्य अपने आप सामने आ जायेगा ।
प्रेम प्रणामजी
देवचन्द्रजी एवं जगदीशजी से भिन्न ये सब गादीपतिलोग है विवाद के जड़
सुनील जी,आपने बहुत सुंदर बात कही है लेकिन इन मूढ़ बुद्धि वालो की समझ से परे है।
Parnam ji.
Aapne bhut sundar sabdo ke madyam se sabke agyan ko dur karne ke cosis ke h.
Very true. Nn. Nice prabhachan swami ji prem pranamji
प्रेम प्रणाम जी..🙏🏻
मेरा मानना है कि आखिर तारतम के विवाद का प्रश्न ही क्यों? इतना तर्क लगाने की तो जरुरत ही नहीं है..परमधाम का पूरा सम्बन्ध ही प्रेम का है और जो मूल(जड़) है वो सर्वथा सत्य है ; उसे बदला नहीं जा सकता चाहे कितना ही मरोड़ा जाए।
GZB
Sundar Saat ji kya Murali Mukut Bhaga vastra se Prem Karen.?? Bina Swaroop ke Prem aur Imaan Kaise laaye ??
@@parmodgujjer और आप कृष्ण के बिना प्रेम कैसे करेंगे? कृष्ण बिना प्रेम संभव ही नहीं है..प्रेम उनका पर्याय है. मुरली और मुकुट उनकी प्रिय है और जिससे हम प्रेम करते है उसकी हर वस्तु प्रिय होती है। आप कृष्ण" नाम का त्याग करके प्रेम कर रहे हैं इसका मतलब जिन्होंने प्रेम सिखाया है उन्हीं से अलग होकर दूसरों के सामने प्रेम की बात कर रहे हैं।
और स्पष्ट है कि मूल वाणी को कुछ और दिखाने की कोशिश में ही धर्म को बाटने वाले लोगों को प्रेम संभव नहीं है केवल तर्क ही संभव है. और तर्क से केवल जीता जा सकता है संतुष्ट नहीं किया जा सकता !!!
@@basantjha9370 GZB
बसंत जी आप बिलकुल ठीक कह रहे है।
प्रणाम जी
Aap key charnome koti koti prem pranam ji 🙏 Swamiji
जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण
Parnaamji
प्रनामजी
स्वामी जी जब श्री निजानंद आश्रम शेरपुर में आप का और श्री 5 महामंगलपूरी धाम के आचार्य महाराज जी का शास्त्रार्थ होने वाला था तो तब आप ने शास्त्रार्थ क्यों नहीं किया ?? फिर उनसे माफी क्यों मांगी ??? अभी भी समय है सुन्दर साथ जी को गुमराह ना करे कहना नहीं चाहता था पर कहने पर मजबूर कर रहे है आप
राजन स्वामी इस्लाम धर्म का प्रचार करता है।कृष्ण से नफरत मोहम्मद से प्रेम करता है।
सस्त्रार्थ करने की आवश्यकता क्या है? ये जागणी का युग चल रहा है राजजी अनेक तन घारण करके अपनी आत्माओं को जगा रहे है आप को जीस नाम से पुकारना है पुकारते रहो कयों की राजजी का हर स्वरूप प्रेम सीखाता है नफरत नहीं! चाहे कृष्ण का स्वरूप हो या महामति प्राणनाथ जी
सुंदर साथ जी, लड़ने की तो कोई जरूरत ही नही है, वैसे भी सुंदर साथ मतलब राज (श्यामा)जी की अंगना...तो आपस में प्रेम के अलावा कुछ और होना ही नही चाहिए.... सीधा सीधा सा हिसाब है अगर किसी को कृष्ण जी के मंत्र से भी वाला जी (परंधाम)के दर्शन हो रहे हैं तो आप वही करते रहिए,अपनी कसौटी पर खुद को खुद के लिए साबित कर लीजिए और खुश रहिए 🙏🙏
सही कहा साथ जी.. मेरे घर में पीढ़ी दर पीढ़ी से सभी सुंदरसाथ है परंतु किसी ने श्रीकृष्ण नाम के प्रति अपना ईमान नहीं खोया है और ना इसकी जरूरत है और ना होगी. ऐसे गुरुजन अगर मूल वाणी का प्रचार करते तो कई संसार के लोग जाग्रत होते जो परमधाम का कार्य होता। परंतु यह भटकाने का काम करके स्वामी जी अपने राज जी से दूर जा रहे है और सबको दूर ले जाने का काम कर रहे है। प्रणाम
अब वाणी को ढकने का समय चला गया है। सुंदरसाथ जी गुरु के पीछे भागना छोड़ दीजिए ,वाणी खोलिए ,और वाणी को मंथन कीजिए चिंतन कीजिए और राज्जी से बाते कीजिए , राज्जी का ध्यान कीजिए ।अब श्री प्राणनाथ जी की पहेचान सारी दुनिया करेगी तब हम सुंदरसाथ परमधाम में राज्जी के सामने क्या मुंह दिखाएंगे ,इस जागनी के ब्रह्माण्ड में धामधनी स्वयंम आके हमको जगा रहे है...
अब सो साहेब आएया,
सब सृष्टि करी निलमल।
मोह अहंकार उड़ाए के,
देसी सुख नेहेचल।।
फिर भी हम सुंदरसाथ होकर भी अज्ञानता के चादर ओढ़ कर बैठें रहे है। क्या हम सही है आप लोग स्वयंम विचार कर लीजिएगा। इस जागनी के ब्रह्माण्ड में प्राणनाथ जी का जिसने भी दर्शन कर लिए उनका अपने जीव और आत्म के मुक्ति का द्वार खोलेगा।और अपने अपने भिस्त को पक्का करेंगे। और इस संसार छोड़ने के बाद अपने आराध्य के हिसाब से अपने भिस्त में पहुंच जाएगी। हम सुंदरसाथ होकर भी प्राणनाथ जी की महिमा को पहेचान नही कर पाए और उनको गुरु, सिस्य, सन्त , या कवि में सीमित करेंगे तो हमे दोजख के आग में जलेगा पढ़ेगा सुंदरसाथ जी।
राज्जी ने वाणी में खुद बोल दिए हे
इन मोती को मोल कहयो न जाए,
ना किनहू कानों सुनाए।
सोई जले जो मोल करे,
और सुनने वाला भी जल मरे।।
प्रेम प्रणाम जी 🙏💐
@@basantjha9370 ji agar mool baani karte hote to sunder saath idher udher nhi bhatakte yhi to dukh ki baat hai.baani ko kinara krke bhagwat ki prachar jor shor se krte hai aur jaha sirf wani ki chrcha hoti hai waha sunder saath ko rokte hai
@@neetachettri9206 nij Naam ka job kitne der tak kam karte karte nahin Naam ka Jaap kar sakta hun
@@किशोरकट्टेलprem pranam 🙏ji sath ji bohot sundar😊
Koti koti Prem pranam ji ❤
आप के चरणों में कोटि कोटि नमन स्वामी जी
प्रणाम राजन भाई आपने क्या बात बोली फुकने का कब से ढोंग सला तो आपको कब से पता चला की ये ढोंग चला जब से खुद को स्वामी समझने लगे ओर अपने नाम के आगे स्वामी लिखने लगे तब से राजन भाई तब से लगा की ढोंग सल रहा है ऐसा राजन भाई स्वामी इस संसार मे एक है श्री देवचंद्र जी ओर आपने कैसे अपने नाम से आगे स्वामी जी लगा दिया जो स्वयं को पति माने ऐसे इस दुनिया मे धनीय है अगर परमधाम मे अक्षरतीत रहते है इस को हम राज नाम से साहेब नाम से जानते है तो कृष्णा नाम से जानते है तो लोगों को क्यू problam है ।महाराज जी ओर रही बात मंत्र की अगर आपको सही से मंत्र का भावार्थ पता हो तो कल से आप भी मंत्र को मन मे जापने लगोगे महाराज जी । आपकी सारणों मे प्रणाम ओर जो वनी रची श्री लालदास जी ने जो वानी लिखी क्या वो गलत थी जो आपने श्री कृष्णा नाम को ढक के श्री साहेब जी के नाम लिख के सरूप साहेब को सपवाई है गरू जी होके महाराज जी कुछ सच पता होने के बाद भी नी बोलते ये गलत बात है महाराज जी ।
ये सब इन्होंने अपनी दुकान चलाने के लिए किया है।
विवाद आप कर रहे है धनी जी की राह में चलते क्यों नहीं अपना ज्ञान क्यों डालते है
सरसावा वालो को बकने की बीमारी है ही
Pranam ji ,yah awesh kya hota hai
Kotan kot saprem pranamji Swamiji
Pranam ji swami ji
प्रणाम गुरुजी।
Swamiji ke charno mei kotan kot pranam
अर्थ को अनर्थ नकरो महाराज जी निजनाम को परीवर्तन गर्ने हजुर को हो?
सिर्फ निजनाम की एक चोपाई के एक चरण के भी एक शब्द को ही पकड़कर बैठे रहोगे !! 18758 भी तो मंथन कीजिये ! वह सारा खटराग हटकर सत्य खुद ही पा लोगे । बोलते हो वही निभा लो सत वाणी मथके सार को खुद ही प्राप्त कर लो ।
@@pallavipandya8568 अरे पल्लवी जी लगता है आप तो ज्ञानी भी है।
Pranamji hajur🙏 saty prem♥️ bachan bistrai Chintan gardai hos purbak chitwani hudai aafno mul sworup samjhanu parne 🌀bhed bhav rahit 🌹Gyan samjhanu parcha.aafu Lai k chahiyako ho pahichan garnu parchha .
स्वामीजी, प्रणमाम्यहम।
Koti koti prem pranamji Swamiji 🙏🌺
जो दुख मेरी सैयन को, तब सुख कैसा मोहे।
हम तुम एक वतन के, अपनी रूह नहीं दोए।।
❤❤
Satguru maharaj ji ke charno me mera koti koti prem pranam 🙏🌹
प्रणाम जी 🙏🙏
Koti koti Mangal Prem pranam 🙏
महाराज जी अगर हम पुराणों को नहीं मानेंगे तो हम राजी महाराज की की वनी को कैसे मैनेंगे महाराज जी कृपया करके आप अपनी वनी पर ध्यान dijay आप बोल क्या रहे हो महाराज जी
Shri swami ji ke charanon mein kotan kot pranam ji
कोटी कोटी प्रणाम जी स्वामीजी
प्रेम प्रणामजी
आस्था रखेवाला चिजके बहाना बाजी कर्ना अपरिपक्वता है जय गुरुदेव
Pure Paramdham me 1 ek hi
Only ONE & ONE sirf ek hi.
Fakt ek (1) PURUSH hi he to
(NAAM KI Jarurat kyon..?)
**there is no need to name
Where there is a only one &
One purush...pranamji..
Pujya Swami ji ke Shri charno me koti koti prem pranam ji 🙏🌹🙏🌹🙏
Pujya Swamiji ke charano me dandvat Prem pranam ji 🙏🏻👣🌺❤️🚩🙏🏻
तारतम सब समझहीं, धाम सैयाँ हम बेहेन।
तित भी ब्रोध छूटा नहीं, ए भी लगे दुख देन।।
श्री प्राणनाथ बुध निष्कलंक अवतार ने पुराण और कुरान का समन्वय किया है पारब्रह्म का निजी नाम श्री कृष्ण जी और श्री जी साहिब जी यह कुरान और पुराण के द्वारा संबोधित किया है तुम सुंदर साथ को भटका नहीं सकते सुंदर साथ के साथ राजू विराजमान है हिंदू शास्त्रों में तीन कृष्ण का वर्णन है कृष्ण रुक्मणी वैकुंठनाथ राधा कृष्ण गोलोक धाम और कृष्ण स्वामिनी निजधाम तुम शास्त्रों को कैसे बदल सकते हो इसलिए होशियार ही गलती करता है चतुराई को छोड़ना पड़ेगा चतुराई ही अरोड़ा है
Parnam ji 🌹 🙏 sawamy ji 🌹 🙏
ब्रह्मा वाणी श्री कुलजाम स्वरूप में जहां भी कुरान का प्रसंग आया है उन्हीं साहिब नाम आया है यह देखने योग है इसलिए श्री कृष्ण नाम हिंदू शास्त्र को प्रमाणित करता है और साहेब नाम कुरान को सिद्ध करता है
जो अपने को होशियार मानता है अर्थात तैरने वाला ही डूबता है हिंदू शास्त्रों में तीन कृष्ण का वर्णन है कृष्ण रुक्मणी वैकुंठनाथ दूसरा राधा कृष्ण गोलोक धाम और तीसरा कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा निजधाम परमधाम वासी सुंदर 7 को कोई बदला नहीं सकता क्योंकि सुंदर साथ की साथ में पिया जी विराजमान हैं
प्रेम प्रणाम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सुंदर 7 को कोई ठग नहीं सकता क्योंकि जागृत बुद्धि परगट है श्री महेश्वर तंत्र का प्रमाण एक है बैकुंठ नाथ विष्णु लक्ष्मी दूसरे हैं गोलोक धाम श्री कृष्ण राधा और तीसरे है परमधाम श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जागृत बुद्धि से सब कुछ खुल रहा है फिर भी समझ नहीं आता उसका कोई इलाज नहीं है
प्रेम प्रणामजी सुन्दर साथ जी
आपके चरणोमे प्रेम प्रणामजी स्वामीजी
गुम्मट जी मंदिर में जो मोहर पड़ी हैं उनका भी कोई मतलब नहीं है इसको भी स्पष्ट कर दीजिए
Tartam le shri raj padharya
Tartam me nam krishn or krishn hi paramtatva h
Krishn nam ke bina mukti nahi hogi
Maharaj ji abhi ek granth par charcha ho raha hai naam hai bhaishya malika usme kalki awtar ka jo ulekh huwa hai oh bilkul alag hai usme to 3 rd world War, pakistan etc sabhi ki charcha diya hai jara amajon se Maga kar pad lijiye aur uska rahashya ujagar kijiye
हमारे श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर के महाराज जी श्री 5 नवतनपुरी धाम जामनगर में रहकर वहां से श्री कुलजम स्वरूप साहेब लिखकर लाए थे। संवत 1996(1939) मिति चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रथम पहर वार गुरु । यह कुलजम स्वरूप अपने वाचने सीखने को लिख्या है। जो कोई इसमें दावा करे जो पांचों स्वरूप श्री सतगुरु सुंदरसाथ का गुन्हेगार होवेगा। इस हस्थ लिखित स्वरूप साहेब में खुलासा से कयामतनामा तक निजनाम श्री जी साहेब जी लिखा हुआ है।
सप्रेम प्रणाम जी
Kya aap se baat ho sakti hai pranam ji
क्या बात करनी है
@@श्रीप्राणनाथज्ञानकेंद्रअमरपुरा apka no mil sakta hai
Prem Pranam Ji 🙏🙏🙏
Guruji aap ko peheli baat toh Krishna bola bhi acchi tarase nahi aati hai. Aab aapke tarko se toh krishna srif ek tan ka naam hi mante hai.
હં પ્રણામ
Ya guru g sab ko hell athawa nark bhag naa chahata hay😊
सप्रेम प्रणाम जी।
beshak apne swami ji
Sat Sat koti koti pranam swamiji
आप चर्चा में सीधे-सीधे यह कह दीजिए कि आपका ज्ञान देवचंद जी से बड़ा है और उन्होंने जो तारतम मंत्र के बारे में कहा है वह सही नहीं है जो हम घुमा फिरा कर समझा रहे हैं वह ठीक है
Prem pranamji 💐🙏🚩
प्रेम प्रणाम जी
Prem parnam ji🙏👣🙏🌹🙏♥️
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
Jo paramhans huye h unhone krishn nam ko paramtatva bataya h
Ye ganja to maya ka jeev h iski bat kyo man rahe ho
ज्यों ज्यों साथ में होत है प्रीत, त्यों त्यों मोही को होत है सुख।
ज्यों ज्यों ब्रोध करत हैं साथ में, अंत वाही को है जो दुख।।
🥹🥹🙏🙏
Pranam ji 🙏🌹❤🌹❤🙏
Pranam ji 🙏
तारतम में विवाद का कोई मतलब ही नहीं है साहिब नाम कुरान को सिद्ध करता है और श्री कृष्ण नाम भागवत को सिद्ध करता है
Pranam ji
Hme to itna smjh me aa rha hh vani or apne personal vichar Mila ke bta rhe hh... Hmne to kbhi ase bate phle nhi suni gudh rhsya nikalte nikale good chize hi kho dii .. adhik Gyan bhi kyi bar hanikarak hota... 🙏🙏 Phle asa tha fir asa hua ab asa ho gya ab na jane age ksa hoga... Don't spread rumours keep it simple sant apne Mt bedo ke chalte Sundersath ka nuksan krr rhe hh . Totally politics from both side and both side try to prove its self supreme ..
Raji ne shi kha na tum mujhe janogi na ghar ko vhi dikh rha hh ...
Jai Shri Rajji..Jai Shri Krishna..sadguru Maharaj ki...Jai.Mangal pranam Gurudev
पेम प्रणाम सवामी जी 🙏🙏🙏
Prnam swami ji 🙏🙏
Babbli sharma prem pranam ji 🙏🏻🙏🏻
Gurujji pathan ke roop me to samajh ata hai lekin ye chibani ke roop me srangar ke room me ye kis tarah ka darshan vyakhya kijiye kabhi ap braj bihari ke room me bolte ye kaisa confusion hai
Tartam Shabd ka Arth kya hai.?? Tartam ke anusar kya Shri Krishna ji Raji Hai ??
Pranam Ji
Aj sham ko hamare isi channel par ek video public hogi aap use jarur dekhiyega usse apko samjh aa jayega. Hamare sath jude rahne ke liye dhamywad. Pranam Ji
प्रमोद जी हमारे साथ जुड़े रहिए हम आपको इस्लाम कबूल करवाकर ही छोड़ेंगे
राजन महाराज जी आप से एक qustion है कोई स्वयं को स्वामी कहता है क्या जी स्वामी का भावार्थ क्या होता है महाराज जी मे आपसे पूछना सहता हु आगे फिर वनी की बात
@@motivationalthought.916 वास्तव में जिसने अपने मन को काबू में कर लिया हो यानी अहंकार रहित हो गया हो वो ही स्वयं का स्वामी कहलाने का अधिकारी होता है।
सामान्य व्यवहार में तो बहुतो को स्वामी कह दिया जाता है।
Prem pranam ji swamiji ke 👣🌷me koti koti pranam ji 🍇🙏🏻🙏🏻🍇
Kori kori pranam maharaja ji
Publishing the internal issue of Pranami dharm is unauthorised attempt Pranam ji
Prem pranam ji sath ji🌺🙏🏻
Prem pranamji
Swami jee sprem pranam
Kripaya is tarah ke vivad ujagar na kare acha nahi lagata. M