एक नौकरी में 2 नियुक्ति पत्र, 12 वर्षीय प्रोन्नति समाप्त, सेवा निरंतरता समाप्त कर मूल वेतन में कमी, जनवरी 2025 के इंक्रीमेंट पर संशय बरकरार. कमाल का शासन है बिहार के शिक्षा विभाग का.
नवल जी बहुत हीं चतुर नेता हैं। सरकार के साथ अंदर अंदर समझौता कर लिए हैं कि हमें शिक्षकों के तारीफदारी करनी होगी नहीं तो मैं हार जाउंगा। यदि समझौता नहीं होती तो सरकार के इतना खिलाफ बोलने पर न तो उनके पार्टी भाजपा को बुरा लगती है और ना तो यूनाइटेड के तरफ से विरोध होता है। नवल जी बड़ी हास्यहास्पद है कि आपकी सरकार है और आप ये सब किसको सुना रहें हैं ?? सरकार आपकी और भाषण किनको सुना रहें हैं ?? कर रहें हैं आप खुद और ऐसे बोल रहें हैं जैसे विपक्ष में है। यही बात विपक्ष बोले तो सत्तापक्ष वाले नोच लेगे।पर इ नवल जी पर कोई प्रतिक्रया नहीं देना बड़ा ही आश्चर्य है। बड़ी बिडंबना तो यह है कि नवल जी की शातिराना चाल को समझने के बजाय इनकी बातों पर यकीन करते हैं।घोर आश्चर्य।
1500 में शिक्षकों की बहाली होती है।19 साल पढ़ाते हो गया अभी तक शिक्षक राज्यकर्मी नहीं हुए।2009 में दक्षता परीक्षा हुई थी उसी समय bpsc से ही शिक्षकों की परीक्षा लेकर जो पास करते उनको नियमित कर देते ।यह 19 साल नियोजित के नाम पर सफर कर गयी इसका भरपाई कौन करेगा।जबकि सक्षमता परीक्षा में 98% नियोजितो ने सफलता पाई है।आजतक सरकार के द्वारा जो सौतेलापन का व्यवहार की जा रहा है और यह अब भी जारी है ।संतोष बाबू अब तो नियोजितो ने अपनी योग्यता फिर से साबित कर दिया है ।अब तो लोग रिटायर के कगार पर है और हाथ उनका खाली है इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।आपसे निवेदन है कि जिस विषय को हमने उठाया है उस पर एक वीडियो आना चाहिए।
बड़े जिले को कई एजुकेशनल अनुमंडल में बाँटा जाये और प्रखण्ड का Option दिया जाये। 10 option में जिले के बाहर का अनुमंडल ना हो और अनुमंडल के बाहर भी 10 option जिले के अंदर मिले।
सही मायने में मूल्यांकन नहीं होता है , यदि सही मायने में परीक्षा हो ,और उसका मूल्यांकन भी सही तरीके से हो तो १०% बच्चे भी सफल नहीं होंगे। इसका कारण सरकारी निति ही जिम्मेवार है। गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा न होना सरकार की ग़लत निति का परिणाम है।
संतोष भाई और नवल किशोर भाई आप दोनों से निवेदन है कि स्कूल टाइमिंग पर बात किया जाए ठंड का मौसम है शिक्षक के लिए परेशानी की बात है आप महसूस कर सकते हैं।❤🙏
जब तक शिक्षको को प्रताड़ित किया जाता रहेगा तबतक कोई सुधार नही हो सकता। जितना भी नियम और और कायदा अनून है सब शिक्षको के लिए ही है। क्या बच्चे के लिए कोई नियम या अब कोई दबाव है। बाहर के शिक्षक होने के नाते टीचर भी अब कोई दबाव नहीं बना पाते है।बच्चे स्वतंत्र है.. आए या न आए... पढ़े या न पढ़े... होमवर्क बनाए या न बनाए...उनको कोई कुछ न कहने वाला है और न वो किसी की सुनता है।
Pathak ji का निर्णय था कि Sakshamta exam pass शिक्षकों का स्थानांतरण/पदस्थापन Sakshamta exam के मार्क्स को आधार मानकर शहर के स्कूल में जाना है! Siddharth ji अनुमण्डल से कमंडल बना दिया!
नवल किशोर जी आप शिक्षक के वोट पर मौज कर रहे हैं....सत्ता या सत्ताधारी दल से चिपके लोग शिक्षक के हितैसी नहीं हैं.....आपलोगों का टी वी और सोशल मीडिया वाला एजेंडा शिक्षक समाज समझ रहा है
यही बदलाव है Sir 20 वर्षों पढ़ा रहे पूर्ण रूप से दक्ष शिक्षकों से पुनः सक्षमता परीक्षा पास करने के बावजूद जबरिया ट्रांसफर वह अनुमंडल का विकल्प के आधार पर | जिसने कभी कोई परीक्षा ही नहीं दिया वह घर में पोस्टिंग के साथ लाख से भी अधिक वेतन के साथ राजकर्मी
नया नियुक्ति पत्र वितरण किया जा रहा,आज तक न प्रोन्नति दी गई , न सेवा निरंतरता ,अब तो योगदान करने पर एक इंक्रीमेंट की भी हानि है। सक्षमता परीक्षा पास करने वाले शिक्षक को अंक के आधार पर जिला आवंटित किया गया,अब दस अनुमंडल का औचित्य क्या है,सर ऐच्छिक स्थानांतरण ही सभी समस्याओं का समाधान है नियोजित शिक्षक के सेवानिवृति पर कुछ भी मिलने वाला नहीं है , अजीब तरह की यह सेवा है।इतने वर्षों की सेवा के उपरांत भी भविष्य सुरक्षित नहीं है
सभी सरकारी कर्मी एवं नेताओं के बच्चे जिस दिन से सरकारी स्कूल में अनिवार्य रुप से पढ़ने लगेंगे उसी दिन से शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो जाएगा। अतः शिक्षा में एकरुपता लाइए तब देखिए शिक्षा का सुधार कैसे होता है। इसकी बात तो कोई करता हीं नहीं है।
ऐसे मंत्री से जिसे खुद का बात का कोई भरोसा नहीं है ये नेता का असली पाखंड को खुद उजागर करता है कभी शिक्षक को बदनाम करने वाला आज शिक्षक के हितैषी बन थे है इतने साल से तो ही इन्हीं का मिली जुली सरकार है इनसे क्यू नही पूछते कि ऐसा क्यू हुआ
Bahut hi Sunder aap dono ki baatchit h❤. Lekin mai bolna chahunga ki teacher ko free hand dena hoga . Sath hi sath bachhe ke maa baap ko aur gaon walon ko v samjhana parega / samjhana hoga.❤ Bahut sundar bahut sundar. Aap dono ki baat chit akdum satic h aur aeise hi sudhrega❤.❤❤
शिक्षा विभाग का तुलना जब तक दूसरे विभाग से या पुलिस से करता रहेगा कभी सुधर नहीं हो सकताहै क्योंकि शिक्षण क्रिया मानसिक है और जब शिक्षक मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रहेंगे तब तक शिक्षा नहीं दे पाए
बहुत सार्थक विमर्श !👌🏻 मैं सरकारी शिक्षक हूँ | चाहता हूँ कि बच्चों का जीवन खूबसूरत करुँ, मगर ! इस मगर के बाद पूरे सिस्टम को दोषी मानता हूँ | उस सिस्टम में मैं भी हूँ | मेरे पिताजी माननीय मुख्यमंत्री जी के विद्यालय (श्रीगणेश उच्च विद्यालय, बख्तियारपुर) में अध्यापक थे | मैंने सरकारी विद्यालयों का स्वर्णिम काल देखा है, फिर से देखना चाहता हूँ !🙏🏻🙏🏻
आप दोनों विद्वान साहब को प्रणाम आज दिनांक 16 नवंबर को सुबह हम आप दोनों विद्वान के बीच को सुना बात ही अच्छा लगा। लेकिन शिक्षा नीति में जो बाल वाटिका लाई गईं है वह प्राथमिक विद्यालय के लिए है या आंगनवाड़ी के है। यहां तो देखा जा रहा कि बाल वाटिका को प्राथमिक विद्यालय से शुरू किया जा रहा है क्योंकि यह वैनर पोस्टर प्राथमिक विद्यालय में लटक रहा है
अब शिक्षक भी इतना मुर्ख नहीं बनेगा ।सभी शिक्षकों को बांट दी गई अलग-अलग श्रेणी में जिससे सभी शिक्षक अपने -अपने मांग में मग्न हैं, जिससे सभी अनुभवी आदमी. Ko mauka mil जाता है l जगह मिलने पर बहुत ज्ञानवर्धक बातेँ निकलती है l
श्रीमान् मैं आप दोनों महानुभावों के माध्यम से सरकार से जानना चाहता हूं कि सरकार तो राज्य के सभी नौनिहालों की शिक्षा- दीक्षा, देख -रेख और स्वस्थ्य का ध्यान है पर शिक्षक अपने परिवार और बच्चों से दुर रहकर कैसे अपने नौनिहालों का ख्याल रख पाएंगे? क्या अपने परिवार और बच्चों से दुर वह तन मन से शिक्षकीय कार्य कर पाएंगे? विचार करेंगे,इस तरह के स्थानान्तरण से शिक्षा,शिक्षक या किसी का भी भला होगा? अनन्यान समाज, अनन्यान स्थान , अनन्यान बच्चों में धुल मिल पाएंगें?आज का जो समाज और छात्र है वह शिक्षक के थोड़े से शक्ति को बर्दाश्त करने को तैयार हैं? नहीं। ऐसे में एक शिक्षक सिर्फ अपनी नौकरी बचाने में लगे रहेंगे।
शिक्षा नीति में सतत मूल्यांकन का प्रावधान है किन्तु इसके लिए मासिक परीक्षा प्रश्न और कॉपी देकर किया जाय ये जरूरी नहीं है, शिक्षक अपने स्तर से लगातार अवलोकन के द्वारा भी बच्चों का मूल्यांकन कर सकते हैं। प्रश्न पत्र और कॉपी के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है। शिक्षक को खुद से स्वतंत्र रूप से भी तो कुछ करने दीजिए और उसे गैर शैक्षणिक कार्य में बिल्कुल भी न लगाया जाए तभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिकल्पना की जा सकती है।
एक नौकरी में 2 नियुक्ति पत्र, 12 वर्षीय प्रोन्नति समाप्त, सेवा निरंतरता समाप्त कर मूल वेतन में कमी, जनवरी 2025 के इंक्रीमेंट पर संशय बरकरार.
कमाल का शासन है बिहार के शिक्षा विभाग का.
सक्षमता दिए क्यों
@@rakeshroushan4632
सक्षमता परीक्षा काबिलियत के लिए दिये होंगे
नवल जी बहुत हीं चतुर नेता हैं। सरकार के साथ अंदर अंदर समझौता कर लिए हैं कि हमें शिक्षकों के तारीफदारी करनी होगी नहीं तो मैं हार जाउंगा। यदि समझौता नहीं होती तो सरकार के इतना खिलाफ बोलने पर न तो उनके पार्टी भाजपा को बुरा लगती है और ना तो यूनाइटेड के तरफ से विरोध होता है। नवल जी बड़ी हास्यहास्पद है कि आपकी सरकार है और आप ये सब किसको सुना रहें हैं ?? सरकार आपकी और भाषण किनको सुना रहें हैं ?? कर रहें हैं आप खुद और ऐसे बोल रहें हैं जैसे विपक्ष में है। यही बात विपक्ष बोले तो सत्तापक्ष वाले नोच लेगे।पर इ नवल जी पर कोई प्रतिक्रया नहीं देना बड़ा ही आश्चर्य है। बड़ी बिडंबना तो यह है कि नवल जी की शातिराना चाल को समझने के बजाय इनकी बातों पर यकीन करते हैं।घोर आश्चर्य।
Enko Dhul chatana jaruri Hai.
मैच फिक्सिंग है सर
मैं आपके बात से 100% सहमत हूं।
100 percent
नवल बाबू अभी थोड़ा फिक्सिंग में फस जाते है हर समय हर क्षण नियोजित के लिए लड़े पर अब थोड़ा चूक जाते है
जबतक शिक्षक को मानसिक रूप से टार्चर करना बंद नहीं किजिएगा। गुणवत्ता शिक्षा का सपना देखना बेमानी है।
सरकार तो नेता जी की ही है फिर ये क्या बात कर रहे हैं हैं किस को बेवकूफ बना रहे हैं! इनका तो कोई सुनता ही नहीं
चित्रकूट मंत्री की बात कोई सुनता ही नहीं
बिहार के शिक्षा व्यवस्था एक साल में सुधर जाएगा। सिर्फ एक साल तक सिर्फ बच्चों को पढ़ाने दिया जाए।
ये तो शिक्षक को चिरकुट कहते हैं। शिक्षक साथियों इनकी बातों में नहीं आना है इनका चुनाव में औकात दिखा देना
1500 में शिक्षकों की बहाली होती है।19 साल पढ़ाते हो गया अभी तक शिक्षक राज्यकर्मी नहीं हुए।2009 में दक्षता परीक्षा हुई थी उसी समय bpsc से ही शिक्षकों की परीक्षा लेकर जो पास करते उनको नियमित कर देते ।यह 19 साल नियोजित के नाम पर सफर कर गयी इसका भरपाई कौन करेगा।जबकि सक्षमता परीक्षा में 98% नियोजितो ने सफलता पाई है।आजतक सरकार के द्वारा जो सौतेलापन का व्यवहार की जा रहा है और यह अब भी जारी है ।संतोष बाबू अब तो नियोजितो ने अपनी योग्यता फिर से साबित कर दिया है ।अब तो लोग रिटायर के कगार पर है और हाथ उनका खाली है इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।आपसे निवेदन है कि जिस विषय को हमने उठाया है उस पर एक वीडियो आना चाहिए।
सही कहा है।🎉
बिल्कुल सही , आशा है कि संतोष सर से
Aap phada kr dikhEye
सर प्रखंड होना चाहिए अनुमंडल के जगह पर
Panchayat se dar lagta h , school ya panchayat kyo n
School ki mang kijie tab na panchayat milega
इस बदलाव में हम जैसे शिक्षक भी आपके साथ है
जब तक शिक्षा में प्रयोग होते रहेंगे,तब तक सुधार संभव नहीं है।
चिरकुट नेता को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए....
1 दिन जरूर बिहार आगे बढ़ेगा शिक्षा के क्षेत्र में ।
बड़े जिले को कई एजुकेशनल अनुमंडल में बाँटा जाये और प्रखण्ड का Option दिया जाये।
10 option में जिले के बाहर का अनुमंडल ना हो और अनुमंडल के बाहर भी 10 option जिले के अंदर मिले।
सही मायने में मूल्यांकन नहीं होता है , यदि सही मायने में परीक्षा हो ,और उसका मूल्यांकन भी सही तरीके से हो तो १०% बच्चे भी सफल नहीं होंगे। इसका कारण सरकारी निति ही जिम्मेवार है। गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा न होना सरकार की ग़लत निति का परिणाम है।
जब बोरा पे लोग शिक्षा ग्रहण करते थे उस समय शिक्षको को वेतन मान मिलता था अब क्या मिल रहा है
बहुत ही सार्थक बात चीत है शांतोष जी
दोनों चिरकुट एक साथ
😂😂😂
😂😂😂
नेताजी पंचायत या प्रखंड ऑप्शन दिलवाइये अगर नहीं मानती है सरकार तो इस्तीफा दीजिए मिशाल क़ायम होगा
वरना चुनाव नजदीक है आपका पटिया भी साथ है सत्ता मे
संतोष भाई और नवल किशोर भाई आप दोनों से निवेदन है कि स्कूल टाइमिंग पर बात किया जाए ठंड का मौसम है शिक्षक के लिए परेशानी की बात है आप महसूस कर सकते हैं।❤🙏
जब तक शिक्षको को प्रताड़ित किया जाता रहेगा तबतक कोई सुधार नही हो सकता। जितना भी नियम और और कायदा अनून है सब शिक्षको के लिए ही है। क्या बच्चे के लिए कोई नियम या अब कोई दबाव है। बाहर के शिक्षक होने के नाते टीचर भी अब कोई दबाव नहीं बना पाते है।बच्चे स्वतंत्र है.. आए या न आए... पढ़े या न पढ़े... होमवर्क बनाए या न बनाए...उनको कोई कुछ न कहने वाला है और न वो किसी की सुनता है।
सबसे पहले स्कूल का समय 10से 4करवाये
Ghar me raho
Pathak ji का निर्णय था कि Sakshamta exam pass शिक्षकों का स्थानांतरण/पदस्थापन Sakshamta exam के मार्क्स को आधार मानकर शहर के स्कूल में जाना है!
Siddharth ji अनुमण्डल से कमंडल बना दिया!
आप महान पत्रकार है संतोष जी
जब तक ये नेता शिक्षा पर बोलेगा शिक्षा नही सुधरेगा
Very good interview for Bihar education system. Both of you have gone in childhood it is very intersting
,स्कूल समय मे परिवर्तन होना चाहिए। शीतकालीन मे 9से 4:30 संभव नही है।
जब तक बच्चो के लिए कोई कानून नहीं बनेगा तब तक कोई सुधार नहीं होने वाला है।
सेवा निरंतरता पर बात हो ।
Only गृह अनुमंडल को छोड़ के बाकी option diya jaye
नवल किशोर जी आप शिक्षक के वोट पर मौज कर रहे हैं....सत्ता या सत्ताधारी दल से चिपके लोग शिक्षक के हितैसी नहीं हैं.....आपलोगों का टी वी और सोशल मीडिया वाला एजेंडा शिक्षक समाज समझ रहा है
सेवा निरंतरता का लाभ मिलना चाहिए
आप जैसे कार्य को प्रणाम
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी ।
Very good conversation
विद्यालय का पठन पाठन दुरुस्त करने के लिए शिक्षकों से भी फीडबैक मांगना पड़ेगा तभी समस्या का समाधान होगा
बिहार में जितने भी फालतू काम होते हैं उसमें शिक्षकों को ड्यूटी दिया जाता है , तो आप ही बताइए संतोष जी शिक्षक बच्चों को कैसे पढ़ा पाएगा?
शिक्षकों को सुविधा नहीं मिलेगी तो बच्चों को सही रुप से शिक्षा नहीं मिल सकती है।
cbse cource के किताब का प्रचलन से यह आशा नहीं कर सकते हैं कि बिहार बोर्ड के बच्चे अच्छे शिक्षा नहीं हो सकता.
नवल किशोर यादव जी बिहार के शिक्षा और शिक्षकों से खेल रहे हैं। इनके कथनी और करनी में कोई तालमेल नहीं है।
Nawal kishor khtam ho gya iski baat cheet ka koi value nhi rha
सर असाध्य रोग में केवल पति पत्नी और बच्चों का दिया है कई के मा बाप बीमार है उनका भी दर्ज किया जाना चाहिए। कई अकेले है। कम से कम ब्लॉक स्तर करना चाहिए
20 वर्ष वाद फिर से नियुक्ति पत्र मिलेगा। अब तो सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
नवल जी अब तक के इतिहास में सब से बेहतर हैं।
Thank you Santosh Babu.Nawal kishor Babu and you are fearless.
यही बदलाव है Sir 20 वर्षों पढ़ा रहे पूर्ण रूप से दक्ष शिक्षकों से पुनः सक्षमता परीक्षा पास करने के बावजूद जबरिया ट्रांसफर वह अनुमंडल का विकल्प के आधार पर | जिसने कभी कोई परीक्षा ही नहीं दिया वह घर में पोस्टिंग के साथ लाख से भी अधिक वेतन के साथ राजकर्मी
नया नियुक्ति पत्र वितरण किया जा रहा,आज तक न प्रोन्नति दी गई , न सेवा निरंतरता ,अब तो योगदान करने पर एक इंक्रीमेंट की भी हानि है।
सक्षमता परीक्षा पास करने वाले शिक्षक को अंक के आधार पर जिला आवंटित किया गया,अब दस अनुमंडल का औचित्य क्या है,सर ऐच्छिक स्थानांतरण ही सभी समस्याओं का समाधान है
नियोजित शिक्षक के सेवानिवृति पर कुछ भी मिलने वाला नहीं है , अजीब तरह की यह सेवा है।इतने वर्षों की सेवा के उपरांत भी भविष्य सुरक्षित नहीं है
A lot of thanks to both of you.keep your vigilance continue on mastarba and give rewards to genuine teachers.
सर पंचायत से बाहर और अपने जिला में शिक्षक रहे उसे अनावश्यक ट्रेनिंग, अन्य कार्यों से दूर रखा जाए तो निश्चित अच्छी शिक्षा होगा।
ये नवल जी किसको सुना रहे हैं जो खुद सरकार में हैं ये तो वही हुआ न 🌹उल्टा चोर कोतवाल को डाटे 🌹
Last Last me okaat dikhaya tha n nawal ne
25 प्रतिशत विद्यालय में उच्च माध्यमिक का भवन ही नहीं है, वर्ग व्यवस्था ठीक नहीं रहने से शिक्षा का स्तर 20 वर्ष पीछे चला गया है।
आपको ❤
आज का इंटरव्यू बहुत बढ़िया है!
सरकार में रहकर माल खा रहे गोल गोल बात करते हैं मंत्रीजी ,ओर बात में दम ही नहीं सिद्धार्थ के सामने बोलती बंद हो जाती है इनकी
Dho bho bho krta hai sirf ye iska okaat zero hai
अगर वास्तव में शिक्षा में सुधार करना है तो शिक्षा विभाग में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी को कोई पद ना दिया जाए।
ये नेता जी तो नितीश कुमार के साथ बेंच थप थापाने वाले हैं ये शिक्षकों की किया हित की बात करेंगे इनको सिर्फ कुर्सी चाहिए
सभी सरकारी कर्मी एवं नेताओं के बच्चे जिस दिन से सरकारी स्कूल में अनिवार्य रुप से पढ़ने लगेंगे उसी दिन से शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो जाएगा। अतः शिक्षा में एकरुपता लाइए तब देखिए शिक्षा का सुधार कैसे होता है। इसकी बात तो कोई करता हीं नहीं है।
बच्चों का बैग 1 सप्ताह भी नहीं टीका ।
Ye sahi hai sir. Esi trah aap field me ja kar reporting kijie
ऐसे मंत्री से जिसे खुद का बात का कोई भरोसा नहीं है ये नेता का असली पाखंड को खुद उजागर करता है कभी शिक्षक को बदनाम करने वाला आज शिक्षक के हितैषी बन थे है
इतने साल से तो ही इन्हीं का मिली जुली सरकार है इनसे क्यू नही पूछते कि ऐसा क्यू हुआ
संतोष जी,, मुख्यमंत्री जी से बात करते तो कुछ बात बनती।बांकी टाय टाय फीस फीस।
नितीश जी को अब बिहार की जरूरत नहीं है
जो सरकार से वेतन लेते हैं उनके बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य कर दिया जाय तो सरकारी शिक्षा अपने आप सुधार जाएगी।
Bahut hi Sunder aap dono ki baatchit h❤.
Lekin mai bolna chahunga ki teacher ko free hand dena hoga . Sath hi sath bachhe ke maa baap ko aur gaon walon ko v samjhana parega / samjhana hoga.❤
Bahut sundar bahut sundar.
Aap dono ki baat chit akdum satic h aur aeise hi sudhrega❤.❤❤
जब तक शिक्षकों को सही ढंग से सही जगह सही दिमाग से नहीं रहने देगा शिक्षा विभाग तब तक गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा संभव नहीं है
नवल किशोर यादव जी आप शिक्षकों के लिए सदन में बोलिए।
साप्ताहिक परीक्षा, मासिक परीक्षा, टाइमिंग, chutti, APP, इत्यादि , में पूरे विद्यालय को और उनके शिक्षकों को उलझा दिया गया है
Bilkul are monthly lo saptahik lens kiya jruri hai
समय,एच्छिक तबादला,पे मेटीरिक्स
शिक्षा विभाग का तुलना जब तक दूसरे विभाग से या पुलिस से करता रहेगा कभी सुधर नहीं हो सकताहै
क्योंकि शिक्षण क्रिया मानसिक है और जब शिक्षक मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रहेंगे तब तक शिक्षा नहीं दे पाए
सही pakre sir
Santosh sir jitna humlog ke liye aap awaz bane uske liye thanks 🎉
बहुत सार्थक विमर्श !👌🏻
मैं सरकारी शिक्षक हूँ | चाहता हूँ कि बच्चों का जीवन खूबसूरत करुँ, मगर !
इस मगर के बाद पूरे सिस्टम को दोषी मानता हूँ | उस सिस्टम में मैं भी हूँ | मेरे पिताजी माननीय मुख्यमंत्री जी के विद्यालय (श्रीगणेश उच्च विद्यालय, बख्तियारपुर) में अध्यापक थे | मैंने सरकारी विद्यालयों का स्वर्णिम काल देखा है, फिर से देखना चाहता हूँ !🙏🏻🙏🏻
देश के किसी भी राज्य का शिक्षा विभाग बिहार से बेहतर है
ये बात कटु सत्य है कि आज कल शिक्षा विभाग सिर्फ प्रयोगशाला बनकर रह गया है, यहां रोज नए नए प्रयोग होते हैं।
Sir sarkar mai aap bhi hi
20बरस से मुख्यमंत्री कैसे है। साइकल, पोशाक एंड खिचरी ये ही तीन फंडा। शिक्षक से सलाह ले सब सुधर जायेगा
शिक्षक से संवाद करने से कई समस्याओं का समाधान निकल जाएगा, पर यहां इस के लिए कोई तैयार ही नहीं है।
संतोष जी विशेषकर 1 से 5 तक का सिलेबस रिवाइज करने की जरूरत है। पुस्तक की गुणवत्ता पहले से बहुत ही कमतर है।
अनुमंडल के जगह पंचायत या प्रखंड का ऑप्शन दिलवाइए चुनाव नजदीक है नेताजी
जब तक विद्यालय प्रयोगशाला बना रहेगा,तब तक शिक्षा और शिक्षक का कल्याण नहीं होगा।
आप दोनों विद्वान साहब को प्रणाम आज दिनांक 16 नवंबर को सुबह हम आप दोनों विद्वान के बीच को सुना बात ही अच्छा लगा। लेकिन शिक्षा नीति में जो बाल वाटिका लाई गईं है वह प्राथमिक विद्यालय के लिए है या आंगनवाड़ी के है। यहां तो देखा जा रहा कि बाल वाटिका को प्राथमिक विद्यालय से शुरू किया जा रहा है क्योंकि यह वैनर पोस्टर प्राथमिक विद्यालय में लटक रहा है
Salute aap himmat karke mastarawa...... Kahte h sahi kahte h....... 90 present mastarawa hi h
यही वो darihal जो बोल रहा था दुर्गा पूजा मे कभी 10 दिन का छुट्टी नहीं हुआ मास्टर को चरकुट बोलता है
Ye darihal logo ka koi okaat hai value hai pithhu hai sale sab
सरकार कारवाई की दहशत से शिक्षकों की आवाज को दबाना चाहती है
Very good Discussion
बहुत बढ़िया सर जी
#scti masti
अब शिक्षक भी इतना मुर्ख नहीं बनेगा ।सभी शिक्षकों को बांट दी गई अलग-अलग श्रेणी में जिससे सभी शिक्षक अपने -अपने मांग में मग्न हैं, जिससे सभी अनुभवी आदमी. Ko mauka mil जाता है l जगह मिलने पर बहुत ज्ञानवर्धक बातेँ निकलती है l
Bilkul sahi sir
सक्षमता 1 के एलाटेड जिले को बडी़ आसानी से टाल गये नवल जी।
दोनो चिरकुट एक साथ है..👎👎👎
Wah kiya bat hai Santosh bhai aap to burocat ka nabaj hi dhar liye
Jab tak pahle wala Shiksha vyavastha lagu nahin hoga tab tak Shiksha vyavastha mein sudhar ka gunjaish nahin hai
नवल बाबू सरकार में रहकर किसे उपदेश दे रहे है।
संतोष जी आज तक कोई पदाधिकारी आज तक बच्चों से एक सवाल तक नहीं पूछते हैं खाली पैसा कैसे आएगा उसी पर चर्चा करते हैं
Shere patrakar santosh bhaiya jindabd❤❤❤
आज पहली बार मूल मुद्दा पर आप चर्चा कर रहे हैं
जब बच्चे को आप साक्षर बनाने की सोच रहे हैं तो शिक्षित कैसे बनेंगे
प्राथमिक विधालय की शिक्षा दुरुस्त करने की आवश्यकता है....
बिलकुल सही सर जी, पहले बच्चे का प्रश्न पत्र प्रेश से छपकर आता था, सादे कॉपी में परीक्षा लिया जाता था,
श्रीमान् मैं आप दोनों महानुभावों के माध्यम से सरकार से जानना चाहता हूं कि सरकार तो राज्य के सभी नौनिहालों की शिक्षा- दीक्षा, देख -रेख और स्वस्थ्य का ध्यान है पर शिक्षक अपने परिवार और बच्चों से दुर रहकर कैसे अपने नौनिहालों का ख्याल रख पाएंगे? क्या अपने परिवार और बच्चों से दुर वह तन मन से शिक्षकीय कार्य कर पाएंगे? विचार करेंगे,इस तरह के स्थानान्तरण से शिक्षा,शिक्षक या किसी का भी भला होगा? अनन्यान समाज, अनन्यान स्थान , अनन्यान बच्चों में धुल मिल पाएंगें?आज का जो समाज और छात्र है वह शिक्षक के थोड़े से शक्ति को बर्दाश्त करने को तैयार हैं? नहीं। ऐसे में एक शिक्षक सिर्फ अपनी नौकरी बचाने में लगे रहेंगे।
शिक्षा नीति में सतत मूल्यांकन का प्रावधान है किन्तु इसके लिए मासिक परीक्षा प्रश्न और कॉपी देकर किया जाय ये जरूरी नहीं है, शिक्षक अपने स्तर से लगातार अवलोकन के द्वारा भी बच्चों का मूल्यांकन कर सकते हैं। प्रश्न पत्र और कॉपी के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है। शिक्षक को खुद से स्वतंत्र रूप से भी तो कुछ करने दीजिए और उसे गैर शैक्षणिक कार्य में बिल्कुल भी न लगाया जाए तभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिकल्पना की जा सकती है।
आज की रिपोर्टिंग ऑल द बेस्ट है सर