क्या ब्रह्मांड में सब कुछ पहले से तय है यदि हां तो कर्म के सिद्धांत का क्या अर्थ है?
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- Опубликовано: 28 июн 2024
- क्या ब्रह्मांड में सब कुछ पहले से तय है यदि हां तो कर्म के सिद्धांत का क्या अर्थ है?
कर्म का क्या अर्थ है कर्म के सिद्धांत का महत्व बताइए?
क्या भविष्य पहले से तय है?
कर्म का नियम क्या है?
कर्मवाद का प्रमुख सिद्धांत क्या है?
कर्म के तीन अर्थ क्या हैं?
कर्म का वास्तविक अर्थ क्या है?
मनुष्य का जन्म कितनी बार होता है?
क्या ब्रह्मांड में भविष्य पहले से मौजूद है?
भाग्य पहले से लिखा हुआ है?
मनुष्य के अच्छे कर्म क्या है?
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मन की मान्यताओं से सब कुछ हो रहा है शरीर मन के लिये आत्मा के आधार से।
Pranam Gurudev 💐 💐 💐 💐
Chahat hi chahat
Prmam Gurudev 🙏🙏
Aap ka gyan,samajh Or dhairya sab ultimate h
ॐ परम् आदरणीय गुरुजी-गूरुमां के चरणों में दास का दंडवत प्रणाम 🙏और अपने उपदेश से लाभान्वित करने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद।
Guru ji aur Guru maa ko koti koti naman 🙏🌹🙏🌹🙏
Pranam guruji gurumaa 🙏🙏💐
Koti koti Naman 👃 bhagwan ji
Pranam guru ji 🙏🙏🙏💐💐💐❤️
Namaskar Guruji aur Gurumaa. Pranam.🙏
प्रणाम प्रभु 🪷🙏
Thanks🙏
Pranam guruji ❤
प्रणाम गुरु जी
Sivir kese join kare guru g
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐
Sir mujhe ye lgta hai ke jo power hai is brehmnd ke kender me .vo kisi ko dikhayi nhi deti.jb vo apne kender se bahr pheli vo atma jesi power bni .us ke aage jb vo aur pheli vo mn ja kal bni vha se time bna aur sbh dikhne wala brehmnd bna .jo bhi tare aur planet hai.power ek jgah sthir nhi reh pati.vo phelao kregi.lekin jb vo apni hd se jiyada phelao kr leti hai .phir use peeshe lotna pdega.ese hi prlo aayegi
Pranam🙏
Alag alag samay me alag alag bhav aate h. Aap ke kundali me jab alag alag grah hote h tab us hisab se aapke vichar ( sat raj tam same aahar pe bhi )badalte h esa kyu hota h guruji
सतगुरु के चरणों में सादर प्रणाम। मेरी जिज्ञासा है कि कैसे पता चलेगा कि वर्तमान कर्म प्रारब्ध कर्म है कि वर्तमान कर्म।एक उदाहरण****मानलो एक व्यक्ति जंगल में तपस्या कर रहा है।एक दूसरा व्यक्ति वहां आया जो कि बीमार है। जंगल वाले व्यक्ति ने उस बीमार की सेवा करी।अब प्रश्न उठता है कि क्या बीमार व्यक्ति ने पिछले जन्म में जंगल वाले व्यक्ति की सेवा करी थी, या आगे चलकर बीमार व्यक्ति, जंगल वाले व्यक्ति की सेवा करेगा। कर्म श्रेणी के अनुसार संचित प्रारब्ध ओर कीरियमाण।ये कर्म की श्रृंखला महापुरुषों ने बताईं है। कौनसा कर्म प्रारब्ध है, कौनसा कर्म आगे चलकर प्रारब्ध बनेगा।। कृपया मार्गदर्शन करें सदगुरु महाराज।
Nirgun, brahm, mohe nirgun sab gun tere, ye kya h
22:39 प्रकृति ही सब कुछ कर रही है ये जानने के बाद वह अकर्ता की स्थिति में पहुंचता है तो जब ये समझ नही थी तब भी तो प्रकृति ही सब कुछ कर रही थी ?
इस हिसाब से हम जब ये समझ नही थी प्रकृति सब कुछ कर रही है तो वह कर्ता की स्थिति में था लेकिन इस स्थिति में भी तो प्रकृति ही सब कुछ कर रही है जिसे समझकर वो कर्ता की स्थिति में जाता है। यानी की वह हमेशा से ही अकर्ता था।
सब कुछ प्रकृति कर रही है। चाहे हम कर्ता की स्थिति में हो या अकर्ता।
अगर प्रकृति का हर एक चीज अपने नियम में बंधा है तो सब कुछ पहले से तय है।