कर्ण ने युद्ध भूमि में पांडवों में से किसको हराया? | Mahabharat Scene | B R Chopra | Pen Bhakti

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  • Опубликовано: 31 янв 2025

Комментарии •

  • @krishnatpatil594
    @krishnatpatil594 4 дня назад +1

    जय श्री कृष्ण. ....❤

  • @TeteaTete.
    @TeteaTete. 6 дней назад +2

    "Woh kaath ke Yodha hote hain Madra naresh jo Bhaybheet nahi hote!" Absolute Honesty and Composure,such a wise man!

  • @shashanktripathi08
    @shashanktripathi08 6 дней назад +1

    Jai Surya Dev 💖😍💞

  • @VinodKumar-c2d
    @VinodKumar-c2d 6 дней назад +1

    🙏 Radhe 🙏 Radhe 🙏🙏🙏

  • @geethamadhuri4.033
    @geethamadhuri4.033 6 дней назад +2

    Jai shree krishna ❤.!

  • @Rameshwardayal-z5v
    @Rameshwardayal-z5v 6 дней назад +1

    जय श्री कृष्णा

  • @Indraneelsarkar127
    @Indraneelsarkar127 6 дней назад +3

    3:20 Ye hai proof ki Karn ko first round me Yudhishthir ji almost maar daale the par baksh diye the:
    कर्ण पर्व, (४९) एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः, श्लोक संख्या १० से २२ तक
    ततो युधिष्ठिरः कर्णमदूरस्थं निवारितम् । अब्रवीत् परवीरघ्नं क्रोधसंरक्तलोचनः ।। १० ।।
    उस समय युधिष्ठिर ने क्रोध से लाल आँखें करके शत्रुवीरों का संहार करने वाले कर्ण से जो पास ही रोक दिया गया था, इस प्रकार कहा- ।। १० ।।
    कर्ण कर्ण वृथादृष्टे सूतपुत्र वचः शृणु । सदा स्पर्धसि संग्रामे फाल्गुनेन तरस्विना ।। ११ ।। तथास्मान् बाधसे नित्यं धार्तराष्ट्रमते स्थितः ।
    सम्राट युधिष्ठिर- 'कर्ण! कर्ण! मिथ्यादर्शी सूतपुत्र! मेरी बात सुनो। तुम संग्राम में वेगशाली वीर अर्जुन के साथ सदा डाह रखते और दुर्योधन के मत में रहकर सर्वदा हमें बाधा पहुँचाते हो ।। ११ ।।
    यद् बलं यच्च ते वीर्यं प्रद्वेषो यस्तु पाण्डुषु ।। १२ ।।
    तत् सर्वं दर्शयस्वाद्य पौरुषं महदास्थितः । युद्धश्रद्धां च तेऽद्याहं विनेष्यामि महाहवे ।। १३ ।।
    'परंत आज तम्हारे पास जितना बल हो. जो पराक्रम साथ सदा डाह रखते और दुर्याधन के मत में रहकर सर्वदा हमें बाधा पहुँचाते हो ।। ११ ।।
    यद् बलं यच्च ते वीर्यं प्रद्वेषो यस्तु पाण्डुषु ।। १२ ।। तत् सर्वं दर्शयस्वाद्य पौरुषं महदास्थितः । युद्धश्रद्धां च तेऽद्याहं विनेष्यामि महाहवे ।। १३ ।।
    'परंतु आज तुम्हारे पास जितना बल हो, जो पराक्रम हो तथा पाण्डवों के प्रति तुम्हारे मन में जो विद्वेष हो, वह सब महान् पुरुषार्थ का आश्रय लेकर दिखाओ। आज महासमर में मैं तुम्हारा युद्ध का हौसला मिटा दूँगा' ।। १२-१३ ।।
    एवमुक्त्वा महाराज कर्णं पाण्डुसुतस्तदा । सुवर्णपुङ्खैर्दशभिर्विव्याधायस्मयैः शरैः ।। १४ ।।
    ऐसा कहकर पाण्डुपुत्र युधिष्ठिर ने लोहे के बने हुए सुवर्णपंखयुक्त दस बाणों द्वारा कर्ण को बींध डाला ।। १४ ।।
    तं सूतपुत्रो दशभिः प्रत्यविद्ध्यदरिंदमः । वत्सदन्तैर्महेष्वासः प्रहसन्निव भारत ।। १५ ।।
    तब शत्रुओं का दमन करने वाले सूतपुत्र ने हँसते हुए-से वत्सदन्त नामक दस बाणों द्वारा युधिष्ठिर को घायल कर दिया ।। १५ ।।
    सोऽवज्ञाय तु निर्विद्धः सूतपुत्रेण मारिष । प्रजज्वाल ततः क्रोधाद्धविषेव हुताशनः ।। १६ ।।
    सूतपुत्र के द्वारा अवज्ञापूर्वक घायल किये जाने पर फिर राजा युधिष्ठिर घी की आहुति से प्रज्वलित हुई अग्नि के समान क्रोध से जल उठे ।। १६ ।।
    ततो विस्फार्य सुमहच्चापं हेमपरिष्कृतम् । समाधत्त शितं बाणं गिरीणामपि दारणम् ।। १८ ।।
    तदनन्तर युधिष्ठिर ने अपने सुवर्णभूषित विशाल धनुष को फैलाकर उसपर पर्वतों को भी विदीर्ण कर देनेवाले तीखे बाण का संधान किया ।। १८ ।।
    ततः पूर्णायतोत्कृष्टं यमदण्डनिभं शरम् । मुमोच त्वरितो राजा सूतपुत्रजिघांसया ।। १९ ।।
    तत्पश्चात् राजा युधिष्ठिर ने सूतपुत्र को मार डालने की इच्छासे तुरंत ही धनुष को पूर्णरूप से खींचकर वह यमदण्ड के समान बाण उसके ऊपर छोड़ दिया ।। १९ ।।
    स तु वेगवता मुक्तो बाणो वज्राशनिस्वनः । विवेश सहसा कर्णं सव्ये पार्श्वे महारथम् ।। २० ।।
    वेगवान् युधिष्ठिर का छोड़ा हुआ वज्र और बिजली के समान शब्द करने वाला वह बाण सहसा महारथी कर्ण की बायीं पसली में घुस गया ।। २० ।।
    स तु तेन प्रहारेण पीडितः प्रमुमोह वै । स्रस्तगात्रो महाबाहुर्धनुरुत्सृज्य स्यन्दने ।। २१ ।।
    उस प्रहार से पीड़ित हो महाबाहु कर्ण धनुष छोड़कर रथपर ही मूर्च्छित हो गया। उसका सारा शरीर शिथिल हो गया था ।। २१ ।।
    गतासुरिव निश्चेताः शल्यस्याभिमुखोऽपतत् । राजापि भूयो नाजघ्ने कर्णं पार्थहितेप्सया ।। २२ ।।
    वह सारथी मद्रराज शल्य के सामने ही अचेत होकर ऐसे गिर पड़ा, मानो उसके प्राण निकल गये हों। राजा युधिष्ठिर ने अर्जुन के हित (प्रतिज्ञा पूर्ति) की इच्छा से कर्ण पर पुनः प्रहार नहीं किया ।। २२ ।।

  • @NareshKumar-wq3bv
    @NareshKumar-wq3bv 6 дней назад +1

    Jai Jai Shree Krishna radhe radhe radhe krishna 🙏

  • @rameshmaraj5030
    @rameshmaraj5030 6 дней назад +1

    Jay shree krishna

  • @bhaskargupta8362
    @bhaskargupta8362 6 дней назад