[Geography] Food Processing Industry Localization Factors🍦🧃: Mains Ans Writing for UPSC GSM1(10mark)

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  • Опубликовано: 9 окт 2024
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    ❓ Q. asked in UPSC Mains GS Paper1-2019: ‘Discuss the factors for localization of agro-based food processing industries of North-West India.
    उत्तर-पश्चिमी भारत के कृषि-आधारित खाद्य प्रक्रमण उद्योगों के स्थाणुयकरण के कारकों पर चर्चा कीजिए | (10m,150 words)
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    1) Finish studying the GSM-1 Indian Geography Syllabus.
    2) Practice Answer writing of above question in an unruled blank A4 sized paper in blue or black pen.
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    🟥 Introduction (परिचय)
    भारत फलों, सब्जियों, अनाज, दूध और मत्स्य पालन के उत्पादन में विश्व के अग्रणी उत्पादकों में से एक है।
    इससे भारत के विभिन्न हिस्सों में कृषि-आधारित, दुग्ध आधारित, मत्स्य आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास में मदद मिली है।
    उत्तर-पश्चिम भारत के कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के स्थानीयकरण के उल्लेखनीय कारक निम्नानुसार हैं:-
    🟨 Body: ब्रिटिश काल से उद्यमिता-:
    आजादी से पूर्व भी इस क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में उद्यमता रखते थे। राजस्थान: हल्दीराम स्वीट्स एंड नमकीन (1937), पंजाब: एम.डी.एच. (1919)।
    हरित क्रांति से पंजाब और हरियाणा को बहुत फायदा हुआ। इसने किसानों की आय और समृद्धि में बढ़ोत्तरी की | उनमें से कुछ ने अपनी बचत का इस्तेमाल लघु खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शुरू करने के लिए किया।
    उनकी अनुवर्ती पीढ़ियों ने भी इसी व्यवसाय को जारी रखा एवं इसके परिणामस्वरूप हमारे क्षेत्र में बड़ी संख्या में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हैं।
    🟨 Body: कच्चे माल की उपलब्धता
    पंजाब और हरियाणा में, दुग्ध उद्योग भी अच्छी तरह से विकसित हुआ। दूध और मक्खन, बिस्किट एवं मिठाई बनाने के लिए महत्वपूर्ण सामग्री है।
    मिट्टी, जल, जलवायु एवं स्थलाकृति गेहूं, चावल और अन्य खाद्यान्नों के लिए बहुत अनुकूल है।
    गेहूं, दूध = स्थानीय रूप से भारी मात्रा में उपलब्ध / विकारी खाद्य ।
    मसाले, ड्राई फ्रूट्स आदि = कम भार वाले / दीर्घकालीन स्थायित्व, अन्य राज्यों से ले जाया जा सकता है।अत: आर्थिक दृष्टि से यह खाद्य प्रसंस्करण कारखाने को यहां स्थापित करने के लिए और भी अधिक उपयुक्त है।
    1990 के दशक से, पेप्सिको ने बासमती चावल, आलू, मिर्च, टमाटर के लिए पंजाब के किसानों के साथ अनुबंधित कृषि परियोजना में काम किया। इन सामग्रियों का उपयोग चिप्स, फ्रिटो लेएस स्नैक्स आदि के निर्माण में किया जाता है।
    पेप्सिको द्वारा अपनाई गई प्रकिया ने भारतीय कंपनियों को भी इसी तरह की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन मॉडल का अनुपालन करने के लिए प्रेरित किया।
    🟨 Body: सरकार द्वारा सहयोग
    खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने पंजाब: कपूरथला, लुधियाना एवं फाजिल्का में , हरियाणा में सोनीपत, राजस्थान में अजमेर में मेगा फूड पार्क की स्थापना की है |
    मेगा फूड पार्कों में, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा वजन, पैकेजिंग, लेबलिंग, विपणन आदि के लिए सामान्य बुनियादी ढांचा प्रदान किया गया है जोकि उद्यमियों को वहां इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
    इस क्षेत्र में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के संगठनों द्वारा स्थापित कोल्ड स्टोरेज वेयरहाउसिंग का एक बड़ा नेटवर्क है।
    🟨 Body: बाजार और निर्यात क्षमता के साथ तटस्थता
    दिल्ली-एनसीआर-यूपी क्षेत्र का बड़ी जनसंख्या घनत्व होने के कारण प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे कि रोटी, बिस्किट और मसाले की तत्काल मांग प्रदान करता है।
    विदेशों में रहने वाले पंजाबी एन.आर.आई प्रवासी (कनाडा, यूके, यूएसए) भी इन कंपनियों से प्रसंस्कृत भोजन आयात करते हैं। कुछ एन.आर.आई ने भी इस व्यवसाय में निवेश किया है।
    🟩 Conclusion (निष्कर्ष)
    इस प्रकार, कच्चे माल की उपलब्धता, उद्यमशीलता, बाजार और सरकार के समर्थन से तटस्थता ने उत्तर-पश्चिम भारत के कृषि-आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास में मदद की है।

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