भगवान आत्मा आनंदघन है | BHAGWAN AATMA ANANDGHAN HAI | PANDIT ABHAY JI, DEOLALI
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- Опубликовано: 13 сен 2024
- प्रस्तुत है सन् 1969 में स्वर्णपुरी (सोनगढ़) में पूज्य गुरुदेव श्री कहान जी स्वामी के कर्ता-कर्म अधिकार (समयसार) पर प्रवचन सुनने के प्रक्रिया स्वरूप जन्मी हुई रचना , आत्मा के अकर्ता और ज्ञाता स्वभाव को बताने वाली प्रस्तुति - "भगवान आत्मा" |
भगवान आत्मा आनंदघन है, चेतन उस पर दृष्टि कर
शांत स्वरूप को लक्ष्य में ले, हो जायेंगे सब संकटहर
🙏🙏🙏
बहोत सूंदर ❤❤
✌✌✌👌👌👌👍👍👍🙏🙏🙏
Beautiful creation!
Jai Jinendra 🙏👌nice 👌thanks 👍
Kub saras 🙏🙏🙏
बहुत ही सुन्दर भजन 🙏
Very nice
बहुत सरस रचना
बहुत ही रचना
Very nice bhajan👍👍👍👌👌👏👏
बहुत सुन्दर भजन 🙏🙏👏👏
Jai jinendra panditji
4:59 minute - (doubt) चेतन कर्माधीन नहीं है , यह आत्मा के अस्तित्व की अपेक्षा कहा गया है या सर्वथा आत्मा कर्म के अधीन नहीं है ? कर्म के उदय में आत्मा में विकारी भाव होते हैं इसमें कर्म सिर्फ उपस्थित रहता है और आत्मा का परिणमन पूरी तरह से आत्मा के कारण से ही होता है , क्या ऐसा कह रहे हैं आप ?