as you think so you become -ashtavakra Gita
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- Опубликовано: 10 фев 2025
- Explore the profound wisdom of Ashtavakra Gita Chapter 1 Shlok 11 in this insightful video. Discover how our thoughts shape our reality and how we become the embodiment of our prevailing thoughts. Learn how to cultivate positive thinking and manifest the life you desire.
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Dhram may cow budhi ko boltay ha jo logo ko glat gyan day kar budhi bhrashat kartay ha sansar may log logo ko durmat may dal daytay ha ous ko cow 🐄 ka nash karnay wala boltay ha hatiya karnay wala boltay ha dhram key katha kay meaning khojnay padtay ha
वर्ण कर्म कुल जाती से पर
हंस। न्यारा हे
चेतन जीव तो सभी जीवो में एक समान भीतर रदय कमल में स्थिर
बैठा हे जीव की कोई जात पात नहीं हे क्योंकि अखंड अजर अमर अविनाशी शाश्वत अजन्मा हे स्वयं
प्रकाश हे
देह की जात पात हे वोह मन का रोग हे। मन महा रोगी हे क्योंकि
सब माया में आशक्त हे
मन का खोराख ही माया हे मन माया के बगर रह नहीं सकता
मन डरपोक हे इसीलिए भीतर जा नहीं सकता
भीतर जाने के लिए विवेक दृष्टि चाहिए। विवेक ज्ञान की आंख
सदगुरु के सत्संग से ओर आचरण से मिलती हे दिव्य दृष्टि
ए दृष्टि से सत्य और असत्य का भेद जान सकते हो
विवेक दीर्घ दृष्टि हे। मन सीमित हे
विवेक असीम हे
सत्य कहा भगवान श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को श्रीमद् भागवत गीता में कहा कि हे अर्जुन, शरीर से पर मन है, मन से पर बुद्धि है, बुद्धि से पर आत्मा है, इस प्रकार अपने आत्मा को सर्वशक्तिमान जानकर, स्वयं अपने पूर्वाग्रह से मुक्त होकर और आसक्ती से मुक्त होकर कर्म के लिए आचरण कर इससे कोई बंधन नहीं बनेगा।