ख़्वाजा गरीब नवाज़ की ज़िंदा करामात | Ajmer Dargah ki Zinda Karamat !

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  • Опубликовано: 8 фев 2025
  • ख़्वाजा गरीब नवाज़ की ज़िंदा करामात | Ajmer Dargah ki Zinda Karamat !
    ख्वाजा गरीब नवाज़ की पूरी कहानी - KHWAJA GARIB NAWAZ Story In Urdu
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    ख्वाजा गरीब नवाज़ की पूरी कहानी
    हज़रत ख्वाजा ग़रीब नवाज़ सैरो सियाहत करते हुए मक्कए मुअज़्ज़मा पहुंचकर, वहाँ चन्द दिनों केयाम फरमाने के बाद, काअबए आशिकों, मदीनए मुनव्वरा की मुकद्दस सरज़मीन पर पहुँचे और रौज़ए सरकारे अवदस • सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर गुलामाना हाज़री की सआदत हासिल की, और चन्द दिनों आप वहीं मुकीम रहे, यहाँतक कि एक दिन रौज़ए मुतबर्रकए मुनव्वरा से निदा आई कि मुईनुद्दीन को बुलाया जाए।
    खादिमे आस्ताना ने वहाँ मौजूद तमाम ज़ाइरीनो आशिकाने रसूल को मुखातब करके आवाज़ लगाई कि मुईनुद्दीन किस का नाम है, हाज़िर हो। उस के जवाब में कई आवाज़ें आईं कि आप किस मुईनुद्दीन को बुला रहे हैं, यहाँ तो इस नाम के बहुत से गुलाम हाज़िर हैं। खादिम लौटकर फिर आस्तानए पाक पर आए, दोबारा रौज़ए पाक से आवाज़ आई कि मुईनुद्दीन चिश्ती को बुलाओ।
    खादिमे आस्ताना ने हुक्म के मुताबिक, मुईनुद्दीन चिश्ती को आवाज़ देकर कहा कि आप हाज़िरे बारगाह हों। फिर क्या था, हज़रते ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती कुद्दि स सिर्रहू की कैफियत अजीबो ग़रीब होगई, उफ्तों व खेज़ों, गिरयों व नालों, लबों पर दुरुदें पाक के फूल सजाकर, रौज़ए रसूलके मुकद्दस आस्ताने पर सरापा अदबो नियाज़ बनकर खड़े होगए।
    अन्दर से आवाज़ आई कि ऐ कुतबुल मशाइख, अन्दर आजाओ, आप अज़खुदरफ्तगी, बेखुदी और दीवानगी के आलम में भी होशो हवास और अदबो एहतेराम का दामन थामे अन्दर हाज़िर हुए। आप की क़िस्मत बेदार हुई कि हालते बेदारी में रसूले अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के जमाले जहाँआरा के दीदारे पुरअनवार से मुशर्रफ हुए। आकाए करीम ने इरशद फरमाया,
    "मुईनुद्दीन! तू हमारा ऐने दीन है, लेकिन तुझे हिन्दुस्तान जाना होगा, वहाँ एक जगह अजमेर है, जहाँ मेरे फरज़न्द सैय्यद हुसैन नामी, तब्लीगे दीन व जिहाद की सबीलिल्लाह की निय्यत से गए थे, अब वह शहीद होगए हैं, जिस के सबब से वह जगह काफिरों तसल्लुत में आगई है। तुम्हारे कदमों की बरकत से वहाँ इस्लाम फैलेगा और वहाँ के काफिर मग्लूब होंगे।"
    फिर नबिय्ये करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक अनार हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज़ के हाथ में अता फरमाया और फरमाया कि इस में देखो ताकि तुम यह देख लो और जान लो कि तुम्हें कहाँ जाना है। हुक्म के मुताबिक, हज़रते ख़्वाजा ने अनार के अन्दर निगाह की, तो मश्रिक से मग्रिंब तक जो कुछ था, सब निगाहों के सामने आगया, नीज़ शहरे अजमेर और उस की पहाड़ियों वगैरह भी अच्छी तरह नज़र आगईं।
    बारगाहे रसूल में मदद की दरख्वास्त करते हुए हिन्दुस्तान की तरफ माइल व सफर हुए, चुनाँचे चालीस अफराद का एक मुकद्दस काफला भी आप की केयादतो सरबराही में मदीनए मुनव्वरा से अजमेरे मुकद्दस केलिए रवाना हुआ।
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