Sukhadiya circle gavri खेल

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  • Опубликовано: 9 ноя 2024
  • Hatiya दानव का खेल गवरी
    भस्मासुर , का असली नाम वृकासुर था । यह शकुनि (महाभारत के शकुनि से यह भिन्न है) का पुत्र था। इसकी कथा श्रीमद्भागवत में आती है।इस कथा से यह पता चलता है कि शिव जी , बडे़ ही भोले और शीघ्र प्रसन्न होते हैं। चाहे इससे वे कठिनाई में ही न पड़ जायें ।
    इस वृकासुर नें , केदारक्षेत्र में (हिमालय) जाकर एक , अग्निकुंड बनाया। उस अग्निकुंड को शिव जी का मुख मान कर , उसमें प्रतिदिन अपना मॉंस काट कर हवन करने लगा। ६दिन हो गये पर शिवजी प्रकट नहीं हुए। सातवें दिन , अपना सिर ही काट कर ,ज्यों ही आग में डालने लगा त्यों ही शिवजी नें प्रकट होकर , उसका हाथ रोक लिया । शिवजी के स्पर्श से उसका शरीर ज्यों का त्यों हो गया। शिवजी ने उससे कहा , ‘ मैं केवल जल चढा़ने से ही प्रसन्न हो जाता हूँ , तुम व्यर्थ ही अपने शरीर को कष्ट दे रहे हो। वर मॉंग लो!’ इस पर उसने यह वर मॉंग लिया कि , जिसके सिर पर हाथ रखे , वही भस्म हो जाये। उस दुष्ट ने सोचा कि पार्वती जी को ही हर लूँ । और शिवजी के सिर पर हाथ रखने की कोशिश कर ने लगा। शिवजी वहॉं से चले , तब विष्णु वहॉं , ब्राह्मण का वेष बना कर आए , उसे समझाया कि पहले अपने सिर पर हाथ रख कर वरदान की परीक्षा तो कर ले! उसने वैसा ही किया , और भस्म हो गया ।
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